मांडविया ने एक ट्वीट में कहा, “कुछ देशों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर आज विशेषज्ञों और अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की। कोविड अभी खत्म नहीं हुआ है। मैंने सभी संबंधित लोगों को सजग रहने और निगरानी बढ़ाने के लिए कहा है। हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिाए तैयार हैं।”
1919 का भारत शासन अधिनियम
भारत में औपनिवेशिक शासन के दौरान ब्रिटिश सरकार भारत में संवैधानिक सुधारों के नाम पर अनेक कानून लाती रही थी। इसी कड़ी में 1919 का भारत शासन अधिनियम भी लाया गया था। इस अधिनियम के आगमन के दौरान लॉर्ड मोंटेग्यू भारत सचिव के पद पर तैनात थे, जबकि लॉर्ड चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे। इन दोनों ब्रिटिश अधिकारियों के नाम के पर ही भारत शासन अधिनियम, 1919 को ‘मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम’ के नाम से भी जाना जाता है। ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए जाने वाले अधिनियमों की कड़ी में यह पहला अधिनियम था, जिसमें पहली बार भारत में स्वशासन स्थापित करना ब्रिटिश सरकार का लक्ष्य घोषित किया गया था।
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भारत शासन अधिनियम, 1919 के प्रमुख प्रावधान
इस अधिनियम से संबंधित प्रमुख प्रावधान निम्नानुसार हैं-
1. गृह सरकार से संबंधित प्रावधान :
- गृह सरकार का अर्थ ब्रिटेन में स्थित उस कार्यकारी तंत्र से था, जो भारत के प्रशासन से संबंधित निर्णय लेता था। इसके अंतर्गत भारत मंत्री और भारत परिषद को शामिल किया जाता था। 1919 का अधिनियम के माध्यम से गृह सरकार से संबंधित संपूर्ण व्यय को ब्रिटिश राजकोष पर भारित कर दिया गया था। इसके परिणाम स्वरूप भारत सचिव के कार्यों पर ब्रिटिश संसद का नियंत्रण और अधिक प्रभावी हो गया था।
- इस अधिनियम के माध्यम से भारत परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 7 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष कर दिया गया था तथा इसके सदस्यों की संख्या 15 के स्थान पर न्यूनतम 8 और अधिकतम 12 निश्चित कर दी गई थी।
- इस अधिनियम के द्वारा भारत सचिव की शक्तियां भारत के प्रांतीय शासन के संबंध में सीमित कर दी गई थी।
- इस अधिनियम के तहत भारत के सैन्य व असैन्य प्रशासन के लिए बड़ी मात्रा में खरीदे जाने वाले सामान के लिए अब लंदन में एक उच्चायुक्त की नियुक्ति कर दी गई थी। इस उच्च आयुक्त की नियुक्ति गवर्नर जनरल द्वारा की जाती थी। इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता था तथा इसका विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण वेतन भारतीय कोष पर भारित होता था।
अन्य प्रावधान
- इस अधिनियम के तहत भारत में एक लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया गया था, जो भारत में लोक सेवा परीक्षा आयोजित कराने के लिए जिम्मेदार था। इसी अधिनियम के माध्यम से यह प्रावधान भी किया गया था कि भारत और इंग्लैंड दोनों में सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन एक साथ किया जाए। वर्ष 1922 से भारत और इंग्लैंड दोनों जगह सिविल सेवा परीक्षा एक साथ आयोजित होने लगी थी।
- इस अधिनियम के माध्यम से प्रशासन और कानून निर्माण, दोनों ही क्षेत्रों में भारतीयों को प्रतिनिधित्व दिया गया था।
- इस अधिनियम के तहत देशी रियासतों के महत्व को भी रेखांकित किया गया था और एक नरेश मंडल के गठन का प्रावधान किया गया था। नरेश मंडल का अध्यक्ष भारत का वायसराय होता था। सभी रियासतों के लिए इस नरेश मंडल में शामिल होना अनिवार्य नहीं था।
इस प्रकार, अंग्रेजों ने भारत में संवैधानिक सुधारों के क्रम में 1919 का यह भारत शासन अधिनियम पारित किया था, लेकिन इसका उद्देश्य भी अंग्रेजों द्वारा अपने औपनिवेशिक हितों की पूर्ति करना था। यह अधिनियम भी वास्तव में भारतीयों को सशक्त करने वाला अधिनियम साबित नहीं हुआ था।
Rupee vs Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया हुआ मजबूत, जानें क्या है लेटेस्ट अपडेट
डॉलर के मुकाबले रुपए 10 पैसे मजबूत
बृहस्पतिवार को शुरुआती कारोबार में अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अमेरिकी डॉलर में गिरावट और घरेलू शेयर बाजार में विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण तेजी देखने को मिली है। इस तरह अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले भारत का रुपया मजबूत हुआ है। विदेशी मुद्रा के कारोबारियों ने बताया कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और विदेशी पूंजी की निकासी के कारण रुपये की बढ़त सीमित रही है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय मार्केट में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.78 रुपये पर खुला है। बाद में इसने 82.73 के उच्च स्तर को छुआ।
इसके कारण पिछले बंद भाव में रुपया डॉलर के मुकाबले दस पैसे की बढ़त दर्ज करते हुए 82.74 के स्तर पर आ गया। वहीं अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले भारत का रुपया बुधवार को तीन पैसे मजबूत होकर 82.47 रुपये प्रति डॉलर पर बंद विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण हुआ था।
ProjectSyndicate द्वारा BTCUSD – Technische Analyse – 2022-12-21 18:12:05
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विदेश की खबरें | कोविड-19: आंकड़ों के विश्लेषण के बाद चीन में बड़ी संख्या में मौत की आशंका जताई गई
लंदन, 21 दिसंबर कोविड-19 के नये स्वरूप से उत्पन्न स्थिति को लेकर जहां भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को तत्काल बैठक आयोजित की, वहीं विभिन्न आंकड़ों के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि चीन में सख्त ‘जीरो कोविड नीति’ को वापस लिये जाने के बाद संक्रमण के मामलों में भारी वृद्धि और बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो सकती है।
‘द इकोनॉमिस्ट’ में प्रकाशित हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोगों के संक्रमित होने की दर और अन्य परिस्थितियों के अध्ययन के आधार पर लगभग 15 विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण लाख चीनी नागरिकों की मौत की आशंका जतायी गयी है।
अन्य प्रावधान
- इस अधिनियम के तहत भारत में एक लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया गया था, जो भारत में लोक सेवा परीक्षा आयोजित कराने के लिए जिम्मेदार था। इसी अधिनियम के माध्यम से यह प्रावधान भी किया गया था कि भारत और इंग्लैंड दोनों में विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन एक साथ किया जाए। वर्ष 1922 से भारत और इंग्लैंड दोनों जगह सिविल सेवा परीक्षा एक साथ आयोजित होने लगी थी।
- इस अधिनियम के माध्यम से प्रशासन और कानून निर्माण, दोनों ही क्षेत्रों में भारतीयों को प्रतिनिधित्व दिया गया था।
- इस अधिनियम के तहत देशी रियासतों के महत्व को भी रेखांकित किया गया था और एक नरेश मंडल के गठन का प्रावधान किया गया था। नरेश मंडल का अध्यक्ष भारत का वायसराय होता था। सभी रियासतों के लिए इस नरेश मंडल में शामिल होना अनिवार्य नहीं था।
इस प्रकार, अंग्रेजों ने भारत में संवैधानिक सुधारों के क्रम में 1919 विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण का यह भारत शासन अधिनियम पारित किया था, लेकिन इसका उद्देश्य भी अंग्रेजों द्वारा अपने औपनिवेशिक हितों की पूर्ति करना था। यह अधिनियम भी वास्तव में भारतीयों को सशक्त करने वाला अधिनियम साबित नहीं हुआ था।
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