भारत के UPI प्लेटफॉर्म को लागू करने वाला ये बना पहला देश, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा

UPI latest news: एनपीसीआई की इंटरनेशनल ब्रांच एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL) ने नेपाल में सेवाएं देने के लिए गेटवे पेमेंट्स सर्विस (GPS) और मनम इन्फोटेक के साथ हाथ मिलाया है.

डिजिटल इकोनॉमी को मजबूत करने में उल्लेखनीय मदद मिलेगी. (PTI)

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने गुरुवार को कहा कि नेपाल भारत की यूपीआई प्रणाली (UPI System) को अपनाने वाला पहला देश बन गया है. इससे पड़ोसी देश की डिजिटल इकोनॉमी को मजबूत करने में उल्लेखनीय मदद मिलेगी. पीटीआई की खबर के मुताबिक, एनपीसीआई की इंटरनेशनल ब्रांच एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL) ने नेपाल में सेवाएं देने के लिए गेटवे पेमेंट्स Transac प्लेटफॉर्म के लाभ सर्विस (GPS) और मनम इन्फोटेक के साथ हाथ मिलाया है.

लोगों के लिए सुविधा बढ़ेगी
खबर के मुताबिक, जीपीएस नेपाल में अधिकृत भुगतान प्रणाली ऑपरेटर है. मनम इन्फोटेक नेपाल में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को लागू करेगी. एनपीसीआई ने एक बयान में कहा कि इस गठजोड़ से नेपाल में लोगों के लिए सुविधा बढ़ेगी और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा. बयान के मुताबिक, नेपाल, भारत के बाहर पहला देश होगा, जिसने नकद लेनदेन के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने वाले भुगतान मंच के रूप में यूपीआई को अपनाया है.

यूपीआई ने पॉजिटिव असर डाला
जीपीएस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राजेश प्रसाद मनंधर ने कहा कि यूपीआई सेवा ने भारत में डिजिटल भुगतान के मामले में बहुत सकारात्मक प्रभाव डाला है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि यूपीआई नेपाल में (upi in nepal) डिजिटल अर्थव्यवस्था को बदलने और कम नकदी वाले समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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2021 में 940 अरब डॉलर के 3,900 करोड़ वित्तीय लेनदेन
एनआईपीएल के सीईओ रितेश शुक्ला ने बयान में कहा कि हमें विश्वास है कि Transac प्लेटफॉर्म के लाभ यह पहल एनआईपीएल की तकनीकी क्षमताओं और वैश्विक स्तर पर अपनी बेमिसाल पेशकश को बढ़ाने में मददगार होगी. यूपीआई ने 2021 में 940 अरब डॉलर के 3,900 करोड़ वित्तीय लेनदेन को सक्षम किया, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 31 प्रतिशत के बराबर है.

विदेश में भी UPI का जलवा, इस देश ने डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए यूपीआई को अपनाया

पड़ोसी मुल्क नेपाल ने भी अपने देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए UPI को अपनाया है. भारत के बाहर नेपाल पहला देश है जिसने UPI प्लैटफॉर्म को पेमेंट गेटवे के रूप में स्वीकार किया है.

विदेश में भी UPI का जलवा, इस देश ने डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए यूपीआई को अपनाया

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने गुरुवार को कहा कि नेपाल भारत की यूपीआई सिस्टम को अपनाने वाला पहला देश बन गया है, जिससे पड़ोसी देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था (Digital Economy) को मजबूत करने में उल्लेखनीय मदद मिलेगी. एनपीसीआई की अंतरराष्ट्रीय शाखा एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL) ने नेपाल में सेवाएं देने के लिए गेटवे पेमेंट्स सर्विस (जीपीएस) और मनम इन्फोटेक के साथ हाथ मिलाया है. जीपीएस नेपाल में अधिकृत भुगतान सिस्टम परिचालक है. मनम इन्फोटेक नेपाल में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को लागू करेगी. NPCI ने एक बयान में कहा कि इस गठजोड़ से नेपाल में लोगों के लिए सुविधा बढ़ेगी और डिजिटल लेनदेन (Digital transactions) को बढ़ावा मिलेगा.

बयान Transac प्लेटफॉर्म के लाभ के मुताबिक, नेपाल, भारत के बाहर पहला देश होगा, जिसने नकद लेनदेन के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने वाले भुगतान मंच के रूप में यूपीआई को अपनाया है. जीपीएस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राजेश प्रसाद मनंधर ने कहा कि यूपीआई सेवा ने भारत में डिजिटल भुगतान के मामले में अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव डाला है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि यूपीआई नेपाल में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बदलने और कम नकदी वाले समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.’’

2021 में UPI के जरिए 940 बिलियन डॉलर का ट्रांजैक्शन

NIPL के सीईओ रितेश शुक्ला ने बयान में कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि यह पहल एनआईपीएल की तकनीकी क्षमताओं और वैश्विक स्तर पर अपनी बेमिसाल पेशकश को बढ़ाने में मददगार होगी.’’ यूपीआई ने 2021 में 940 अरब डॉलर के 3,900 करोड़ वित्तीय लेनदेन को सक्षम किया, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 31 फीसदी के बराबर है.

क्या होता है UPI?

UPI एक बैंकिंग सिस्टम है. इसकी मदद से पेमेंट ऐप पर पैसों के लेन-देन किए जा सकते हैं. यूपीआई की मदद से आप कहीं पर भी, किसी के भी अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. यूपीआई की मदद से पेमेंट के अलावा भी कई और काम किए जाते हैं. वर्तमान में आप BHIM, Phone Pay, Google Pay, Mobikwik, Paytm जैसे कई ऐप की मदद से UPI का इस्तेमाल कर सकते हैं.मोबाइल से किसी दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस या UPI का इस्तेमाल किया जाता है. यह ऐसा कॉन्सेप्ट है, जो कई बैंक अकाउंट को एक मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये रकम ट्रांसफर करने की इजाजत देता है. इसे नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है. इसका नियंत्रण रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक एसोसिएशन के हाथ में है.

बिना इंटरनेट वाला UPI Light की चल रही तैयारी

NPCI इस समय यूपीआई लाइट (UPI Light) पर काम कर रहा है. यूपीआई लाइट की मदद से बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी पेमेंट किया जा सकता है. इसका फायदा देश के उन ग्रामीण इलाकों के करोड़ों लोगों को होगा, जहां ठीक से इंटरनेट नहीं चल पाता है. यूपीआई लाइट के जरिए कोई भी व्यक्ति फीचर फोन से डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) कर पाएगा.जानकारों के अनुसार यूपीआई लाइट का उपयोग सबसे पहले ग्रामीण क्षेत्रों में 200 रुपए से कम के पेमेंट्स के लिए होगा. यहां आपको बता दें कि आरबीआई पहले ही 5 जनवरी को बिना इंटरनेट कनेक्शन के 200 रुपए तक के डिजिटल पेमेंट्स की अनुमति दे चुका है.

डिजिटल प्लेटफॉर्म 'सहमति' से वित्तीय लेन-देन को करें सरल और सुरक्षित

बैंक में नया खाता खोलने या कर्ज लेने में कई तरह की कागजी प्रक्रिया करनी होती है। सिर्फ बैंकों में ही नहीं बल्कि किसी भी तरह के वित्तीय लेनदेन जैसे Transac प्लेटफॉर्म के लाभ जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने, म्यूचुअल फंड, शेयर आदि में.

डिजिटल प्लेटफॉर्म 'सहमति' से वित्तीय लेन-देन को करें सरल और सुरक्षित

बैंक में नया खाता खोलने या कर्ज लेने में कई तरह की कागजी प्रक्रिया करनी होती है। सिर्फ बैंकों में ही नहीं बल्कि किसी भी तरह के वित्तीय लेनदेन जैसे जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने, म्यूचुअल फंड, शेयर आदि में निवेश के लिए भी हस्ताक्षरित दस्तावेज जमा करने होते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में वक्त भी लगता है और डाटा चोरी के साथ फर्जीवाड़ा होने का भी खतरा होता है। लेकिन, अब यह बीते दिनों की बात होने वाली है। भारतीय विशिष्ट पहचान संख्या प्राधिकर (आधार) के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणि की अगुवाई में एक डिजिटल प्लेफॉर्म 'सहमति' तैयार किया गया है। इसमें उपभोक्ताओं को अपने जरूरी दस्तावेज आसानी से साझा करने की सहूलियत दी गई है। वहीं बैंक, बीमा कंपनियां, फंड हाउस बिना कागजी प्रक्रिया पूरी किए लोन, निवेश संबंधी काम पूरा करने में सक्षम होंगे। डिजिटल प्लफॉर्म 'सहमति' से वित्तीय लेनदेन सरल और सुरक्षित होगा पर पेश है रिपोर्ट।

आरबीआई की पहल पर बना यह मंच

सितंबर 2016 में, रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक अकाउंट एग्रीगेटर की स्थापना का प्रस्ताव दिया था। इसका उद्देश्य एक डिजटल प्लेटफॉर्म बनाना था जो एक ही मंच से सभी वित्तीय जरूरत को पूरा कर सके। अकाउंट एग्रीगेटर से आम उपभोक्ताओं और कारोबारियों को सुरक्षित लेन-देन और तीसरे पक्ष के साथ अपने वित्तीय डेटा को साझा करने में मदद देना मूल लक्ष्य था। इसके बाद इस पर काम शुरू हुआ। देश के चार प्रमुख वित्तीय नियामकों के बीच इसको लेकर सहयोग हुआ जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), बीमा नियामक और विकास एजेंसी (इरदा) और भविष्य निधि नियामक और Transac प्लेटफॉर्म के लाभ Transac प्लेटफॉर्म के लाभ विकास एजेंसी (पीएफआरडीए) शामिल है।‘सहमति'नाम से वह अब सभी के सामने आया है।

इस तरह आप उठा सकते हैं फायदा

'सहमति' एक अकाउंट एग्रीगेटर (खाता समूहक) है। इसके जरिए अगर आप कोई नया वित्तीय लेनदेन या निवेश करने की तैयारी कर हैं तो केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें)और हस्ताक्षरित दस्तावेज की जरूरत आपको बैंक या म्यूचुअल फंड हाउस को नहीं देनी होगी। आप ‘सहमति'को जिस बैंक से डाटा साझा करने अनुमति देंगे वह चंद मिनटों में उसके साथ आपके डाटा को साझा कर देगा। उदाहरण के लिए अगर आप बैंक से लोन लेना चाहते हैं और बैंक आपके खाता का विवरण मांगता तो आपको इसकी जानकारी ‘सहमति' को देनी होगी कि वह आपके खात संबंधी जानकारी बैंक को मुहैया करा देगा। इसी तरह म्यूचुअल फंड में निवेश, बीमा खरीदने में आपकी जानकारी उस फंड हाउस या बीमा कंपनी को मुहैया हो जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में आपके के पास अधिकार होगा कि आप अपना डाटा किसके साथ साझा करना चाहता हैं। .

आपके डाटा से छेड़छाड़ अब संभव नहीं

‘सहमति'के जरिए डाटा साझा करने का सबसे बड़ा Transac प्लेटफॉर्म के लाभ फायदा मिलेगा कि उपभोक्ताओं के डाटा के साथ छेड़छाड़ करना संभव नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि किसी भी व्यक्ति का डाटा वित्तीय जानकारी प्रदाता से वित्तीय जानकारी उपयोगकर्ता को भेजा जाएगा वह ए्क्रिरप्ट (कूट भाषा) में होगा। इससे खाता एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म को भी डाटा तक पहुंच नहीं होगी। वहीं डाटा बिना उपभोक्ता के मंजूरी के साझा करना मुमकिन नहीं होगा। Transac प्लेटफॉर्म के लाभ उपभोक्ता के पास डाटा साझा करने की सहमति, समीक्षा, ऑडिट और कितना डाटा साझा करने का अधिकार होगा। वह डाटा साझा को रद्द भी कर सकता है। .

वित्तीय फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक

वित्तीय लेनदेन में फर्जी दस्तावेज के इस्तेमाल से धोखाधड़ी की जाती है। कई ऐसे मामले हाल के दिनों में आए हैं जिसमें बैंक से फर्जी दस्तावेज पर बड़े कर्ज ले लिए गए हैं। ‘सहमति' के जरिए डाटा साझा करने की शुरुआत से फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल पूरी तरह से रोकने में मदद मिलेगी क्योंकि इसमें उसी व्यक्ति या संस्थान का डाटा साझा करना संभव होगा जो वास्तविक में होगा। इससे न सिर्फ उपभोक्ताओं को बल्कि वित्तीय संस्थानों को बड़ा फायदा मिलेगा। .

आसानी से वित्तीय योजना बना पाएंगे

अगर Transac प्लेटफॉर्म के लाभ Transac प्लेटफॉर्म के लाभ आप अपनी वित्तयी योजना बनाना चाहते हैं तो किसी फाइनेंशियल प्लानर से मदद लेते हैं। मौजूदा समय में किसी वित्तीय योजनाकार आपसे अभी तक के सभी निवेश की जानकारी मांगता है। आप सभी दस्तावेज मेल से या वाट्सअप के जरिए भेजते हैं। इसमें काफी वक्त लगता है। लेकिन ‘सहमति' के जरिए आप अपने सभी डाटा को आसानी से उस वित्तीय Transac प्लेटफॉर्म के लाभ योजनाकर के साथ चंद मिनटों में साझा कर पाएंगे। इसमें वक्त भी कम लगेगा और सही योजना बनाने में मदद भी मिलेगी।

वित्तीय बाजार में अनुशासन आएगा

वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि ‘सहमति' के आने से वित्तीय बाजार में अनुशासन आएगा। इसके आने से वित्तीय कंपनियों को सही डाटा आसानी से मिलेगी, जिससे वह अपने काम को तेजी से पूरा कर पाएंगे। इससे लोन, कर्ज, वित्तीय समावेशन, निवेश आदि काम में तेजी आएगी। बैंक या वित्तीय संस्थान एक समय-सीमा के अंदर अपने काम को पूरा कर पाएंगे।

स्वास्थ्य -दूरसंचार क्षेत्र में भी विस्तार

‘सहमति' की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अकाउंट एग्रीगेटर (एए) मॉडल को पहले वित्तीय क्षेत्र में लागू किया जाएगा। इसके बाद इसे दूरसंचार, स्वास्थ्य सेवा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है। गौरतलब है कि इस डिजिटल मॉडल के लिए काम आरबीआई, सेबी, इरदा और पीएफआरडी के अनुमति मिलने के बाद चार साल पहले शुरू किया गया था।

विदेश में भी UPI का जलवा, इस देश ने डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए यूपीआई को अपनाया

पड़ोसी मुल्क नेपाल ने भी अपने देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए UPI को अपनाया है. भारत के बाहर नेपाल पहला देश है जिसने UPI प्लैटफॉर्म को पेमेंट गेटवे के रूप में स्वीकार किया है.

विदेश में भी UPI का जलवा, इस देश ने डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए यूपीआई को अपनाया

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने गुरुवार को कहा कि नेपाल भारत की यूपीआई सिस्टम को अपनाने वाला पहला देश बन गया है, जिससे पड़ोसी देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था (Digital Economy) को मजबूत करने में उल्लेखनीय मदद मिलेगी. एनपीसीआई की अंतरराष्ट्रीय शाखा एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL) ने नेपाल में सेवाएं देने के लिए गेटवे पेमेंट्स सर्विस (जीपीएस) और मनम इन्फोटेक के साथ हाथ मिलाया है. जीपीएस नेपाल में अधिकृत भुगतान सिस्टम परिचालक है. मनम इन्फोटेक नेपाल में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को लागू करेगी. NPCI ने एक बयान में कहा कि इस गठजोड़ से नेपाल में लोगों के लिए सुविधा बढ़ेगी और डिजिटल लेनदेन (Digital transactions) को बढ़ावा मिलेगा.

बयान के मुताबिक, नेपाल, भारत के बाहर पहला देश होगा, जिसने नकद लेनदेन के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने वाले भुगतान मंच के रूप में यूपीआई को अपनाया है. जीपीएस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राजेश प्रसाद मनंधर ने कहा कि यूपीआई सेवा ने भारत में डिजिटल भुगतान के मामले में अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव डाला है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि यूपीआई नेपाल में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बदलने और कम नकदी वाले समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.’’

2021 में UPI के जरिए 940 बिलियन डॉलर का ट्रांजैक्शन

NIPL के सीईओ रितेश शुक्ला ने बयान में कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि यह पहल एनआईपीएल की तकनीकी क्षमताओं और वैश्विक स्तर पर अपनी बेमिसाल पेशकश को बढ़ाने में मददगार होगी.’’ यूपीआई ने 2021 में 940 अरब डॉलर के 3,900 करोड़ वित्तीय लेनदेन को सक्षम किया, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 31 फीसदी के बराबर है.

क्या होता है UPI?

UPI एक बैंकिंग सिस्टम है. इसकी मदद से पेमेंट ऐप पर पैसों के लेन-देन किए जा सकते हैं. यूपीआई की मदद से आप कहीं पर भी, किसी के भी अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. यूपीआई की मदद से पेमेंट के अलावा भी कई और काम किए जाते हैं. वर्तमान में आप BHIM, Phone Pay, Google Pay, Mobikwik, Paytm जैसे कई ऐप की मदद से UPI का इस्तेमाल कर सकते हैं.मोबाइल से किसी दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस या UPI का इस्तेमाल किया जाता है. यह ऐसा कॉन्सेप्ट है, जो कई बैंक अकाउंट को एक मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये रकम ट्रांसफर करने की इजाजत देता है. इसे नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है. इसका नियंत्रण रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक एसोसिएशन के हाथ में है.

बिना इंटरनेट वाला UPI Light की चल रही तैयारी

NPCI इस समय यूपीआई लाइट (UPI Light) पर काम कर रहा है. यूपीआई लाइट की मदद से बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी पेमेंट किया जा सकता है. इसका फायदा देश के उन ग्रामीण इलाकों के करोड़ों लोगों को होगा, जहां ठीक से इंटरनेट नहीं चल पाता है. यूपीआई लाइट के जरिए कोई भी व्यक्ति फीचर फोन से डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) कर पाएगा.जानकारों के अनुसार यूपीआई लाइट का उपयोग सबसे पहले ग्रामीण क्षेत्रों में 200 रुपए से कम के पेमेंट्स के लिए होगा. यहां आपको बता दें कि आरबीआई पहले ही 5 जनवरी को बिना इंटरनेट कनेक्शन के 200 रुपए तक के डिजिटल पेमेंट्स की अनुमति दे चुका है.

डिजिटल पेमेंट करना होगा और भी आसान: SBI पेमेंट्स और NPCI शुरू करेंगे ये नई सुविधा

डिजिटल पेमेंट

कोरोना काल में भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दे रहे हैं। साल 2021 तक देश में डिजिटल लेनदेन चार गुना तक बढ़ने की उम्मीद है। अब देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की सहयोगी कंपनी एसबीआई पेमेंट्स और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने रूपे सॉफ्टपीओएस (RuPay SoftPoS) पेश करने के लिए हाथ मिलाया है। इसके तहत दुकानदार अपने स्मार्टफोन के जरिए 5,000 रुपये तक का संपर्करहित लेनदेन कर सकेंगे।

ऐसे होगा फायदा
इस संदर्भ में एसबीआई और एनपीसीआई ने संयुक्त बयान में कहा कि इस समाधान में नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) आधारित स्मार्टफोन को रिटेलरों के लिए अपने मर्चेंट पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनलों में बदलने की क्षमता है। लाखों एमएसएमई इसका लाभ उठा पाएंगे। इसके जरिए दुकानदार 5,000 रुपये तक का संपर्करहित भुगतान अपने स्मार्टफोन पर 'टैप एंड पे' व्यवस्था के जरिए स्वीकार कर पाएंगे।

एसबीआई पेमेंट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) गिरी कुमार नैयर ने कहा कि, 'हम एनपीसीआई के साथ मिलकर सरकार के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। इस सुविधा का इस्तेमाल नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC कार्ड्स) और रूपे कार्ड पर किया जा सकता है।

करोड़ों कारोबारियों के लिए पेश होगी योनो मर्चेंट एप
मालूम हो कि एसबीआई पेमेंट्स खुदरा और औद्योगिक क्षेत्र के करोड़ों कारोबारियों की मदद के लिए जल्द ही योनो मर्चेंट एप पेश करने वाली है। इसकी मदद से कारोबारी मोबाइल आधारित तकनीक के जरिये डिजिटल पेमेंट्स ले सकेंगे। इससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए एसबीआई पेमेंट्स ने वीजा (VISA) से हाथ मिलाया है। इस मामले में एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा था कि, 'बैंक ने तीन साल पहले योनो प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था। योनो के 358 लाख पंजीकृत ग्राहक हैं। योनो मर्चेंट इस प्लेटफॉर्म का एक विस्तार है।'

कोरोना काल में भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दे रहे हैं। साल 2021 तक देश में डिजिटल लेनदेन चार गुना तक बढ़ने की उम्मीद Transac प्लेटफॉर्म के लाभ है। अब देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की सहयोगी कंपनी एसबीआई पेमेंट्स और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने रूपे सॉफ्टपीओएस (RuPay SoftPoS) पेश करने के लिए हाथ मिलाया है। इसके तहत दुकानदार अपने स्मार्टफोन के जरिए 5,000 रुपये तक का संपर्करहित लेनदेन कर सकेंगे।

ऐसे होगा फायदा
इस संदर्भ में एसबीआई और एनपीसीआई ने संयुक्त बयान में कहा कि इस समाधान में नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) आधारित स्मार्टफोन को रिटेलरों के लिए अपने मर्चेंट पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनलों में बदलने की क्षमता है। लाखों एमएसएमई इसका लाभ उठा पाएंगे। इसके जरिए दुकानदार 5,000 रुपये तक का संपर्करहित भुगतान अपने स्मार्टफोन पर 'टैप एंड पे' व्यवस्था के जरिए स्वीकार कर पाएंगे।

एसबीआई पेमेंट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) गिरी कुमार नैयर ने कहा कि, 'हम एनपीसीआई के साथ मिलकर सरकार के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। इस सुविधा का इस्तेमाल नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC कार्ड्स) और रूपे कार्ड पर किया जा सकता है।

करोड़ों कारोबारियों के लिए पेश होगी योनो मर्चेंट एप
मालूम हो कि एसबीआई पेमेंट्स खुदरा और औद्योगिक क्षेत्र के करोड़ों कारोबारियों की मदद के लिए जल्द ही योनो मर्चेंट एप पेश करने वाली है। इसकी मदद से कारोबारी मोबाइल आधारित तकनीक के जरिये डिजिटल पेमेंट्स ले सकेंगे। इससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए एसबीआई पेमेंट्स ने वीजा (VISA) से हाथ मिलाया है। इस मामले में एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा था कि, 'बैंक ने तीन साल पहले योनो प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था। योनो के 358 लाख पंजीकृत ग्राहक हैं। योनो मर्चेंट इस प्लेटफॉर्म का एक विस्तार है।'

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