women msme

Intraday Trading Vs Delivery Trading: जानें इंट्राडे तथा डिलीवरी ट्रेडिंग में क्या अंतर है

Intraday Trading Vs Delivery Trading

शेयर मार्केट में निवेश करना वर्तमान दौर में बेहद आसान बनता जा रहा है, लेकिन यहाँ निवेश करने के एक से अधिक विकल्प उपलब्ध हैं, जिनके बारे में एक निवेशक के तौर पर आपके लिए जानना आवश्यक है। उदाहरण के लिए कुछ शेयर मार्केट ट्रेडिंग अल्पकालिक अवधि के लिए होती हैं, जबकि कुछ ट्रेडिंग लंबी अवधि के निवेश के रूप में की जाती हैं।

हालाँकि शेयर बाज़ार में निवेश के कुछ अन्य तरीके भी हैं जैसे फ्यूचर एवं ऑप्शन में निवेश आदि, किन्तु आज इस लेख में हम मुख्यतः अवधि के टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू आधार पर शेयर मार्केट में करी जाने वाली ट्रेडिंग के विषय में समझेंगे। इस प्रकार शेयर बाजार में दो तरीके से ट्रेडिंग करी जा सकती हैं, जिन्हें हम इंट्राडे ट्रेडिंग या डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग (Intraday Trading Vs Delivery Trading) के रूप में जानते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) क्या है?

जब कोई ट्रेडर या निवेशक एक ही ट्रेडिंग दिन के भीतर शेयरों की खरीद और बिक्री करता है, तो इसे इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) कहा जाता है। इस प्रकार की ट्रेडिंग में शेयरों को कम समय में लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदा जाता है, लंबी अवधि के निवेश के रूप में नहीं।

इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी ट्रेडिंग टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू दिन में शेयर की कीमत में हुए परिवर्तन के आधार पर ट्रेडर लाभ अर्जित करते हैं, गौरतलब है कि, डिलीवरी ट्रेडिंग के विपरीत यहाँ कोई ट्रेडर किसी शेयर को पहले बेचकर बाद में खरीद भी सकते हैं। ऐसा उस स्थिति में किया जाता है, जब ट्रेडर को किसी शेयर की कीमतों में गिरावट का अंदेशा होता है, ऐसे में ट्रेडर दिन की शुरुआत में शेयर बेच देते हैं तथा दिन के मध्य या अंत में जब शेयर के दाम गिर जाएं तो उसे खरीद लेते हैं।

Women’s Day 2020: ‘गृहलक्ष्मी’ नहीं अब फुल टाइम ट्रेडर, शेयर बाजार ने ऐसे दिखाई महिलाओं को राह

ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्होंने अपने आप को गृहणी से फुल टाइम ट्रेडर में बदला है.

Women’s Day 2020: ‘गृहलक्ष्मी’ नहीं अब फुल टाइम ट्रेडर, शेयर बाजार ने ऐसे दिखाई महिलाओं को राह

women msme

महिलाओं की उपलब्धियां अब न्यूजरूम में होने वाली परंपरागत चर्चाओं से काफी आगे निकल चुकी हैं. मौजूदा दौर में वे स्पेस वॉक(क्रिस्टीना कोच और जेसिका मेयर) और लूनर मिशन(मुत्थ्या वनीथा) पर जा रही हैं. आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट (गीता गोपीनाथ) और विश्व बैंक में चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (अंशुला कांत) बन रही हैं. यहां तक कि पुरुषों के पूरे दस्ते को लीड (भावना कस्तूरी) कर रही हैं. और तो और युद्ध सेवा मेडल (मिंटी अग्रवाल) हासिल कर रही हैं, जो जीवन के प्रत्येक पहलू में उनकी मानसिक मजबूती को दर्शाता है. सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें से ज्यादातर को प्रोत्साहन भारत से मिला है.

लेकिन इसके बावजूद महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में हमारे देश को अभी एक लंबी यात्रा तय करनी है. यह हास्यादपद है कि आमतौर पर भारतीय महिलाओं को गृहलक्ष्मी कहा जाता है और शायद ही उन्हें घर में कमाई के लिए कभी प्रोत्साहित भी किया गया हो. इसके बावजूद इसमें काफी बदलाव देखा गया है और महिलाएं भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं.

आर्थिक सशक्तिकरण

पहले हमें यह समझना होगा कि हम एक पूंजीवादी समाज में रहते हैं. इसीलिए पूंजीवादी कारकों द्वारा चीजों को खरीदने की हमारी क्षमता से समाज में हमारी जगह तय होती है. इसमें हमारा बैंक बैलेंस, स्थिर और अस्थिर पूंजी और हमारी कमाई शामिल है. गृहणियों को हाशिए पर रखा जाता है, क्योंकि वे अपने घर के लिए कुछ कमाई नहीं करती हैं. इससे उनके रोजाना जीवन में काफी प्रभाव पड़ता है.

Investors Alert: म्‍यूचुअल फंड निवेशक रहें अलर्ट, रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बना रहा शेयर बाजार, SIP स्‍ट्रैटेजी में करें ये बदलाव

New Fund Offer: IIFL म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया भारत का पहला टैक्स सेवर इंडेक्स फंड, 21 दिसंबर तक टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू निवेश का है मौका

इसीलिए सामाजिक स्थिति में बदलाव का मार्ग आर्थिक सशक्तिकरण से ही प्रशस्त होगा. यह महिलाओं के सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में बदलाव लाने की क्षमता रखता है. मूल मुद्दों से अछूते ऐसे सतही बदलावों की तुलना में आर्थिक सशक्तिकरण ज्यादा प्रभावी है. इस परिदृश्य में स्टॉक ट्रेडिंग गेम चेंजर साबित हो सकता है. इसके साथ ही यह एंटरप्रेन्योरशिप जैसे करियर के विकल्पों का मार्ग भी प्रशस्त करता है.

लगातार कमाई का माध्यम

प्राचीन काल से ही महिलाओं को एक साथ कई काम करने और पूरी निष्ठा के साथ करने के लिए जाना जाता रहा है. आज उनके लिए अतिरिक्त कमाई करना कोई बड़ी बात नहीं रह गई है. रहन-सहन का खर्च लगातार बढ़ने के कारण अपनी कमाई में कुछ तेजी लाने में ही समझदारी है. ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्होंने अपने आप को गृहणी से फुल टाइम ट्रेडर में बदला है और कमाई कर रही हैं, जिसे एक सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प माना जाता है.

बदलेगी पहचान

टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्टॉक मार्केट की पहुंच बढ़ने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा महिलाएं ट्रेडिंग कर रही हैं. ऐसे में ये महिलाएं अपनी गृहणी की अपनी पारंपरिक भूमिका से आगे निकल गई हैं. अब वे भी घर में कमाई करने वाले सदस्यों के रूप में गिनी जाती हैं. इसके अलावा देश के सभी क्षेत्रों में महिलाएं सब ब्रोकर के रूप में काम करने के विकल्प को भी अपना रही हैं और ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इक्विटी मार्केट से जोड़ रही हैं. इससे वे न सिर्फ घर में आर्थिक भागीदारी निभा रही हैं, बल्कि देश में आर्थिक सहयोग दे रही हैं.

टेक्नोलॉजी का सहयोग

कई टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू महिलाओं को लगता है कि स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के लिए गणित में महारत हासिल होनी चाहिए. हालांकि यह सच्चाई नहीं है. आज के दौर में स्टॉक ब्रोकर के पास ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसकी मदद से वे अपने ग्राहकों के लिए मार्केट एनालिसिस करते हैं. इसमें आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, और डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से निवेशकों को मार्केट के बारे में सलाह दी जाती है. इसके माध्यम से कोई भी सलाह देने से पहले अरबो डेटा प्वॉइंट का अध्ययन किया जाता है. ये पर्सनलाइज्ड रिसर्च के आधार पर रोजना सलाह भी देते हैं. इस तरह की टेक्नोलॉजी का उपयोग महिलाओं को निवेशक बनने के लिए प्रोत्साहित करता है और वे स्वयं को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती हैं.

मैक्रो-इकोनॉमिक स्तर पर सकारात्मक बदलाव

एक व्यापक बदलाव के तौर पर एक अनुमान है कि भारत 2025 तक 770 अरब डॉलर की जीडीपी जनरेट करेगा. यह महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना कर ही किया जा सकता है. वैश्विक स्तर पर यही आंकड़ा करीब 120 खरब डॉलर का होगा. इसलिए यह बदलाव बेहतर है और पूरे आर्थिक मोर्चे के लिए सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा.

आर्थिक सशक्तिकरण एक बड़ा सामाजिक बदलाव लेकर आता है और आज के दौर में महिलाओं के लिए स्टॉक मार्केट का चयन सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है. अच्छी बात यह है कि वे खुद आगे बढ़कर इस बदलाव को अपना रही हैं और भारत व विश्वभर में बदलाव के अग्रदूत बनकर उभरी हैं.

(लेखक: केतन शाह, चीफ रेवेन्यू ऑफिसर, एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड)

Get Business News in Hindi, latest India News in Hindi, and other breaking news on share market, investment scheme टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू and much more on Financial Express Hindi. Like us on Facebook, Follow us on Twitter for latest financial news and share market updates.

मोदी पर टाइम की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर गरमा-गरम बहस छिड़ी

मोदी पर टाइम की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर गरमा-गरम बहस छिड़ी

अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका टाइम ने 20 मई के अपने नए संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कवर पेज पर जगह दी है। लेकिन पत्रिका ने पीएम नरेंद्र मोदी को नकारात्मक पहलू में कवर पेज पर जगह दी है। मैगजीन ने उन्हें इंडियाज डिवाइडर इन चीफ की संज्ञा दी है। इसके बाद सोशल मीडिया पर दोतरफा तूफान आ गया है। ट्विटर पर ट्रेडिंग में शीर्ष पर चल रहे इस मुद्दे पर लोगों में विभाजन दिख रहा है। टाइम की इस संज्ञा का समर्थन और विरोध कर रहे लोगों के बीच सोशल मीडिया पर गरमा-गरम बहस छिड़ गई है।

आपको बता दें टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू कि टाइम पत्रिका ने ही साल 2014-15 में नरेंद्र मोदी को दुनिया के 100 प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल किया था। इस खबर के बाद सोशल मीडिया पर तो जैसे लोगों कि प्रतिक्रियाओं का सैलाब सा आ गया। कुछ लोगो को टाइम की यह टिप्पणी बिलकुल रास नही आई, तो वहीं तमाम लोग इसके सर्मथन में भी बोले। हालांकि अब तक किसी भी नेता या अभिनेता की कोई प्रतिक्रिया नही आई है, आईये नजर डालते हैं लोगो ने क्या-क्या कहा-

टाइम के विरोध में तर्क

- चौकीदार देव कुमार नाम के एक व्यक्ति ने अपने ट्वीट में लिखा कि हम अपने प्यारे पीएम नरेंद्र मोदी जी से प्यार करते हैं। कृपया मोदी जी के बारे में अपने कवर पेज की लाइन ठीक करें।

- संतोष ने अपने ट्वीट में लिखा कि जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लोग यह तय करते हैं कि वे 5 साल तक नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के साथ रह सकते हैं . और लोकतंत्र की देखभाल भी कर सकते हैं। टाइम का इससे कोई लेना देना नहीं है।

- मैं भी चौकीदार मुकेश शर्मा ने कहा कि मोदी बहुत महान नेता है। उनके साथ अन्य किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की तुलना नहीं की जा सकती है। वह न केवल भारत के लिए बल्कि विश्व शांति और अर्थव्यवस्था के लिए भी एक आशीर्वाद हैं। इसमें संशय नहीं है।

सर्मथन में:

- साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की फोटो लगाकर एक व्यक्ति ने लिखा कि आइए, उनकी पार्टी के अद्भुत निर्णय पर एक नज़र डालें। उन्होंने लोकसभा चुनाव में एक आरोपी आतंकवादी अभियुक्त महिला को टिकट दिया।

- भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक है। विविधता ही है जो भारत को बाकी देशों से अलग करता है। शायद मोदी इस एक साधारण बात को समझ ही नहीं पाए। मोदी 23 मई के बाद पीएम नहीं रह पाएंगे ---- एक आम भारतीय आदमी

-कपिल नाम से एक ट्वीट में लिखा गया कि ऐसा होना एक दुःस्वप्न होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था पहले ही पतन की कगार पर है। मोदी ने सभी समुदायों, राज्यों और लोगों को विभाजित किया है। साथ ही मोदी ने तकरीबन सभी आंकड़े गलत पेश किये हैं। भारत को बचाने के लिए मोदी को जल्द से जल्द बाहर करना चाहिए।

बता दें कि अधिकांश जो प्रतिक्रियाएं हैं, वो मोदी के सर्मथन में आई हैं। ज्यादातर लोगों टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू ने पत्रिका के इस कथन को नकारा है, और अपने ट्वीट में नो लिखकर इसका विरोध जताया है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से

इस सप्ताह स्टॉक मार्केट में पैसे लगाने को सोच रहे, तो जानिए किन चीजों पर निर्भर करेगी बाजार की चाल

प्रमुख इक्विटी बेंचमार्क ने शुक्रवार को नए रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू लिया था।

नई दिल्ली, पीटीआइ। घरेलू स्तर पर इस सप्ताह कोई प्रमुख डेटा नहीं आने वाला है। ऐसे में अमेरिकी फेड रिजर्व के ब्याज दर से जुड़े फैसले और अन्य वैश्विक रुख के आधार पर इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों की दिशा तय होगी। प्रमुख इक्विटी बेंचमार्क ने शुक्रवार को नए रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू लिया था। विश्लेषकों ने कहा कि सकारात्मक आर्थिक आंकड़ों और टेलीकॉम, बैंकिंग एवं ऑटोमोबाइल सेक्टर्स में सुधार को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से बाजार की धारणा को मजबूती देने में मदद मिली है।

स्वास्तिका इंवेस्टमार्ट लिमिटेड में प्रमुख (शोध) संतोष मीणा ने कहा कि ''हाल में आई जबरदस्त तेजी के बाद ये सप्ताह भारतीय बाजार के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि वैश्विक बाजारों में थोड़ा कमजोर रुख देखने को मिल रहा है। FOMC की 21-22 सितंबर को होने वाली बैठक भी अहम साबित होगी।''

उन्होंने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अलावा बैंक ऑफ जापान भी 22 सितंबर को अपनी मौद्रिक नीति पेश करेगा।

FPIs invest Rs 10555 cr in equities in December (Jagran File Photo)

मीणा ने कहा डॉलर इंडेक्स की मुवमेंट और यूएस बॉन्ड यील्ड भी भारत जैसे उभरते हुए बाजारों के उतार-चढ़ाव में अहम भूमिका निभाएंगे।

मीणा ने कहा, ''हम जबरदस्त तेजी वाले बुल मार्केट में हैं और मेरा मानना है कि यह अगले दो-तीन साल तक जारी रह सकता है लेकिन लंबे वक्त के बाद मैं थोड़ा सतर्क हो गया हूं क्योंकि कुछ ऐसे संकेत हैं, जो इस बात के संकेत दे रहे हैं कि कम अवधि में होने वाला करेक्शन आने वाला है।''

Share Market cap this week (Jagran File Photo)

पिछले सप्ताह 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में 710 अंक यानी 1.21 फीसद का उछाल दर्ज किया गया। सेंसेक्स ने गुरुवार को पहली बार 59,000 अंक के स्तर को छू लिया।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के प्रमुख (रिटेल रिसर्च) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ''अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से पूर्व इस सप्ताह बाजार में नर्वसनेस देखने को मिल सकता है।''

रिकॉर्ड ऊंचाई से सोने का भाव 19% गिरा, टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू क्‍या यह निवेश के लिए सही समय है?

पिछले एक साल में चांदी का प्रदर्शन सोने की तुलना में बेहतर रहा है. गिरावट के दौर में भी इसने मजबूती दिखाई है. जहां घरेलू बाजार में सोने की कीमतें अपने शिखर से 19 फीसदी नीचे आई हैं. वहीं, चांदी में यह गिरावट सिर्फ 10 टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू फीसदी रही है.

photo2

आनंद राठी शेयर्स एंड स्‍टॉक ब्रोकर्स में डायरेक्‍टर (कमोडिटीज एंड करेंसीज) नवीन माथुर कहते हैं, ''टीकाकरण रफ्तार पकड़ रहा है. इसने जोखिम से बचने वाले एसेट के तौर पर इसकी उपयोगिता कम की है. ऐसे में सोने के दोबारा अपने पुराने स्‍तरों पर पहुंचने के आसार कम हैं.''

युद्ध, महामारी जैसी चीजों के अलावा सोने की कीमतों पर केंद्रीय बैंकों के कदमों का भी असर पड़ता है. हाल में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं. अतिरिक्‍त लिक्विडिटी के कारण कई एसेट क्‍लास में पैसा गया है. यह सिर्फ सोने तक सीमित नहीं है. निवेश को लेकर लोगों का नजरिया बदलता रहता है. कभी वे ज्‍यादा जोखिम लेने के लिए तैयार रहते हैं. तो, कभी ऐसा करने से बचते हैं. ज्‍यादा जोखिम लेने की स्थिति में वे शेयर बाजार, निचली रेटिंग के कॉरपोरेट बॉन्‍ड इत्‍यादि में पैसा लगाते हैं.

वहीं, जब निवेशक जोखिम लेने से बचते हैं तो पैसा सोने, सरकारी बॉन्‍ड, हाई क्‍वालिटी बॉन्‍ड में जाता है. जोखिम लेने के मूड में जब निवेशक होते हैं तो पैसा विकसित बाजारों से उभरते बाजारों की तरफ चलता है. कोटक म्‍यूचुअल फंड में सीआईओ-फिक्‍स्‍ड इनकम और हेड लक्ष्‍मी अय्यर कहती हैं कि हाल में सोने में बिकवाली का दबाव बनने का कारण शायद यही हो सकता है.

चूंकि अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में सोना अमेरिकी डॉलर में ट्रेड होता है. इसलिए डॉलर का टूटना 2019 और 2020 में सोने की तेजी आने के पीछे एक तकनीकी कारण हो सकता है. हालांकि, अब डॉलर स्थिर हो रहा है.

हालांकि, अभी कई ऐसी बातें हैं जो सोने के पक्ष में जाती हैं. इनमें टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अमेरिकी राहत पैकेज और महंगाई की दर बढ़ने की आशंका शामिल हैं. इनसे वैसे तो तकनीकी तौर पर तेजी का झोंका आ सकता है. लेकिन, एक्‍सपर्ट्स को लगता है कि अगले कुछ साल के लिए सोने में तेजी का दौर खत्‍म हो चुका है.

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज में कमोडिटी रिसर्च के हेड हरीश वी कहते हैं कि हम मान सकते हैं कि गोल्‍ड रैली अब करीब-करीब खत्‍म हो चुकी है. कारण है कि सोना पहले ही 1,760 डॉलर के टेक्निकल सपोर्ट को पार कर चुका है. अमेरिका का राहत पैकेज जैसे कुछ सकारात्‍मक पहलू जरूर हैं. लेकिन, ये सोने को पुराने स्‍तरों पर पहुंचाने में कामयाब नहीं होंगे.

आपको क्‍या करना चाहिए?
चूंकि सोने में तेजी का दौर पहले ही खत्‍म हो चुका है. लिहाजा, लोगों को अभी अतिरिक्‍त रिटर्न जेनरेट करने के लिए सोना खरीदने की जरूरत नहीं है. यह अलग बात है कि सोने की आपके पोर्टफोलियो में अब भी उपयोगिता है. अय्यर कहती है कि सोना कई तरह से फायदेमंद है. यह पोर्टफोलियो का रिस्‍क कम करने में मददगार होता है. महंगाई से बचाव करता है. लिहाजा, लंबी अवधि के निवेशकों को छोटी अवधि की उठापटक से चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे पोर्टफोलियो में गोल्‍ड का एलोकेशन 10 फीसदी के आसपास बनाए रख सकते हैं. जिनका गोल्‍ड में अभी कोई निवेश नहीं है. वे गिरावट का इस्‍तेमाल इसे खरीदने के लिए कर सकते हैं.

चांदी सोने टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू से बेहतर
पिछले एक साल में चांदी का प्रदर्शन सोने की तुलना में बेहतर रहा है. गिरावट के दौर में भी इसने मजबूती दिखाई है. जहां घरेलू बाजार में सोने की कीमतें अपने शिखर से 19 फीसदी नीचे आई हैं. वहीं, चांदी में यह गिरावट सिर्फ 10 फीसदी रही है.

पैसे कमाने, बचाने और बढ़ाने के साथ निवेश के मौकों के बारे में जानकारी पाने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर जाएं. फेसबुक पेज पर जाने के लिए यहां क्‍ल‍िक करें

रेटिंग: 4.22
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 391