कृषि में चुनौती: जलवायु परिवर्तन प्रबंधन और भोजन में पोषक तत्वों की उपलब्धता कृषि में चुनौती
कृषि हमारे देश की संस्कृति है। कृषि ने ही विपरीत परिस्थितियों में हमारे देश के लोगों को सुरक्षित बनाए रखने में अहम योगदान दिया है, लेकिन बदलती जलवायु, पानी की कमी, कृषि में उन्नत तकनीकी का उपयोग, जलवायु परिवर्तन प्रबंधन और भोजन में पोषक तत्वों की उपलब्धता कृषि वैज्ञानिकों के लिए चुनौती है। यह विचार गुरुवार को श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय 9वीं साइंस कांग्रेस कार्यशाला के शुभारंभ पर पूर्व निदेशक अनुसंधान चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार डॉ. बीएस दहिया ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि किसानों की आय और पानी का पोषण बढ़ाने के लिए गेहूं और धान के चक्र से बाहर निकलने जरूरत है। बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी आदि परंपरागत खाद्य फसलों की तुलना में गेहूं धान जैसी फसलों की जल मांग कहीं ज्यादा है। परंपरागत खाद्य फसलें गेहूं, धान ज्यादा पोषक है। पर्यावरण और मृदा स्वास्थ्य को भी इन फसलों से नुकसान नहीं पहुंचता है। उन्होंने जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस - मिलेट्स खोलने की आवश्यकता भी जताई। राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर कुलपति डॉ. राजीव जैन ने कहा संक्रमण काल में किसान ही थे जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को अपने हौसलों से मजबूती दी। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को उनकी समस्याओं के साथ-साथ आपसी व्यवहार, समन्वय, डेटा विश्लेषण मनोविज्ञान और समय सीमा को विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग ध्यान में रखते हुए रिसर्च कार्य करने की जरूरत है। चार टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग एनालाइजिंग और ब्लॉक चैन मैनेजमेंट पर कार्य करने की जरूरत बताई। उन्होंने कृषि में उपलब्धता, व्यवहार और समर्पण के साथ कृषि को एक नया आयाम देने का संदेश दिया। कुलपति डॉ बलराज सिंह ने कहा कि जनसंख्या के साथ खाद्यान्न की मांग तेजी से बढ़ रही है। जबकि घटती कृषि स्रोत एवं भूजल के भंडार रिसते जा रहे हैं। इस स्थिति में पोषकता, पर्यावरण और मृदा सुरक्षा को बचाना कृषि वैज्ञानिकों के सामने बड़ी चुनौती है। बायोफोर्टीफाइड किस्मों के साथ कृषि वैज्ञानिकों को वर्टिकल, हाइड्रोपोनिक खेती पर फोकस करने की जरूरत है। साथ ही नैनो, रोबोटिक्स और एआई तकनीक पर रिसर्च फॉर्म बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सहित देश के दूसरे कई राज्यों में सतही और भूजल की उपलब्धता को देखते हुए कम समय, कम पानी में ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों का विकास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते ऋतु चक्र में परिवर्तन आ रहा है, पिछले कुछ सालों से प्राकृतिक आपदाएं कृषि और किसान को चुनौती देने वाली है। चाहे असमय ओलावृष्टि बारिश हो चाहे फिर जनवरी-फरवरी के दौरान एकाएक तापमान में बढ़ोतरी हो। इन सभी कारणों का प्रभाव फसल के उत्पादन उत्पादकता के साथ किसान और देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि बढ़ती कुपोषणता को देखते हुए अब बायोफोर्टीफाइड खाद की उपलब्धता बढ़ाने का समय है। इससे किसान को भी फायदा मिलेगा तथा पोषक अनाज की उपलब्धता भी बढ़ेगी विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग लेकिन इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों को बायोफोर्टीफाइड किस्मों की विशाल श्रृंखला तैयार करने की जरूरत है। सुपर फूड और मसालों का कटोरा बताया । उन्होंने कहा कि बाजरा, मक्का, ज्वार के साथ - साथ लघु धान्य में फसलों के उत्पादन में राजस्थान अग्रणी है । इसी तरह जीरा, धनिया, अजवाइन, मेथी, मिर्च के उत्पादन में भी निर्यातक की श्रेणी में आता है।
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Virgo horoscope Today: आज का कन्या राशिफल 5 दिसंबर: अपने व्यवहार में विनम्रता रखें, जानें कैसा रहेगा दिन
Virgo horoscope Today: आज का कन्या राशिफल 5 दिसंबर: अपने व्यवहार में विनम्रता रखें, जानें कैसा रहेगा दिन
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 05 दिसंबर 2022,
- अपडेटेड 7:00 AM IST
कन्या राशि (Virgo Horoscope): अपना हर काम सावधानी से करें, कोर्ट केस में सफलता मिलेगी, उधार लेन-देन से बचना होगा, अपनी सेहत का ख्याल रखें, शुभ रंग रहेगा गेरुआ, उपाय- भगवान गणेश की आरती करें. बता दें कि कन्या राशि वालों के लिए भाग्यशाली नंबर 5, 14, 23, 32, 41 और 50 हैं. कन्या राशि वाले लोगों में अच्छे और बुरे को पहचानने की समझ होती है. इस राशि के लोग व्यवस्थित, विश्लेषणात्मक और शांत होते हैं. साथ ही कन्या राशि के लोग गंभीर, झगड़ालू और संकीर्ण प्रवृति के होते हैं. कन्या राशि के लिए बुधवार भाग्यशाली दिन होगा. वीडियो में देखें कैसा रहेगा आज का दिन. अन्य राशियों का भविष्यफल जानने के लिए नीचे 'राशिफल' टैग पर क्लिक करें.
Vocational Education: शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली छात्रों के लिए व्यावसायिक शिक्षा और करियर के लिए वर्कशॉप
राष्ट्रीय शिक्षा नीति एनईपी के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा को अगले दशक में सभी स्कूलों में एकीकृत करने की जरूरत है.
Published: December 19, 2022 9:44 AM IST
NEP 2020: राष्ट्रीय शिक्षा नीति एनईपी के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा को अगले दशक में सभी स्कूलों में एकीकृत करने की जरूरत है. इसके लिए शिक्षा मंत्रालय ने दिल्ली में यूनिसेफ और ‘युवा’ (वाईयूडब्लूएएएच) के सहयोग से स्कूली छात्रों के लिए ‘व्यावसायिक शिक्षा और करियर मार्गदर्शन पर परामर्श’ कार्यशाला का आयोजन किया है. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा कि छात्र की पढ़ाई के वर्षो के दौरान औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से कार्यबल को कुशल बनाने के क्षेत्र में भारत को अन्य देशों की बराबरी करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 ने ऐसे मुद्दों की पहचान की है और उपचारात्मक उपायों का सुझाव दिया है.
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व्यावसायिक शिक्षा को शामिल करना जरूरी
कुमार ने कहा कि एनईपी, 2020 के अनुसार, व्यावसायिक शिक्षा को अगले दशक में चरणबद्ध तरीके से सभी स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में एकीकृत करने की जरूरत है. विषयों और पाठ्यक्रमों को कौशल-अंतर विश्लेषण और स्थानीय अवसरों की जरूरतों के आधार पर चुना जाएगा, ताकि यह मांग को पूरा करने में सक्षम हो सके. व्यावसायिक शिक्षा से जुड़ी निंदा को समाप्त करने और इसे आकांक्षात्मक बनाने के लिए सभी हितधारकों विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग के ठोस प्रयासों की जरूरत होगी.
राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क को अंतिम रूप दिया जा रहा है
कौशल विकास विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जो ज्ञान व कौशल प्राप्ति के विभिन्न क्षेत्रों के बीच पारंपरिक पदानुक्रम और अलग-थलग रहने आदि समस्याओं को भी समाप्त कर देगा.यह कला और विज्ञान, पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों एवं व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच जटिल अलगाव को दूर करने में भी मदद करेगा. अकादमिक, पाठ्येतर और अनुभवात्मक शिक्षा के लिए क्रेडिट प्रदान करके, एनसीआरएफ औपचारिक शिक्षा प्रणाली छोड़ चुके छात्रों को उनके व्यावहारिक अनुभव के साथ उपयुक्त फ्रेमवर्क स्तर को जोड़ते हुए फिर से एकीकृत होने में भी मदद करेगा.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के आलोक में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का उद्देश्य छात्रों को क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निग, डेटा एनालिटिक्स, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, साइबर सिक्योरिटी आदि कौशल देकर सशक्त बनाना है. ऐसा किए जाने से छात्रों को व्यावसायिक स्नातक वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा सकेगा. वर्चुअल लैब स्थापित करने की जरूरत पर भी बल दिया गया, ताकि सभी छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाले व्यावहारिक और स्व-अनुभव तक समान पहुंच प्राप्त हो.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, दूसरे गोलमेज सम्मेलन में स्कूलों में करियर परामर्श की वर्तमान प्रणालियों, इनसे जुड़े तथ्यों और सर्वोत्तम तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श किया गया. सचिव ने कहा कि समाधानों को स्कूलों के संदर्भ में करियर परामर्श के एक संस्थागत मॉडल के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए और इसके लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित तकनीकी नवाचारों का उपयोग करते हुए पैमाने, गति और स्थायित्व पर विचार करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि संसाधनों का मानचित्रण करने और उनका एक डेटाबेस बनाने की जरूरत है. करियर मार्गदर्शन और भौतिक हस्तक्षेप, जो स्कूलों में ही किए जा सकते हैं, की भूमिका पर भी चर्चा हुई.
इनपुट-आईएएनएस
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