स्टॉक क्या है? (What is share)
स्टॉक का मतलब उस कंपनी का हिस्सा है जिसमें आपने शेयर खरीदे हैं। यानी अगर आपने रिलायंस कंपनी का एक शेयर खरीद लिया है तो आप उस कंपनी के शेयरहोल्डर बन जाते हैं। जैसे-जैसे कंपनी बढ़ेगी, आपकी कंपनी के शेयरों की कीमत भी बढ़ेगी और आपके निवेश का रिटर्न भी बढ़ेगा।
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना चाहिए। जैसे – Zerodha, Groww, Angel One और Motilal Oswal.
Share खरीदने के फायदे और नुक़सान क्या क्या हो सकता है?
स्टॉक लेने के फायदे और नुक़सान दोनों मौजूद हैं, चलिए उस विषय में जानते हैं :-
Share lene ke फायदे:
- स्टॉक को ख़रीदने और बेचने में काफ़ी कम ट्रेडिंग cost लगता है।
- इन स्टॉक में आपको काफ़ी ज़्यादा फायदा भी मिल सकता है यदि उस स्टॉक की वैल्यू बढ़ गयी तब।
- स्टॉक्स में निवेश करके आप शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म में भी काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
- आप सीधे किसी कंपनी के शेयर खरीदकर शेयरधारक बन जाते हैं, आपको ऐसे कई ऐप मिल जाएंगे जिससे आप आसानी से स्टॉक खरीद और बेच सकते हैं।
Share lene ke नुक़सान:
- सही स्टॉक का चुनाव करने के लिए आपको काफ़ी समय लग सकता है। वहीं इसकी ट्रेडिंग करने के लिए आपको काफ़ी समय देना होता है।
- फंडामेंटल चेक करने के लिए बहुत कुछ जानकारी लेनी पड़ती है जो कि बहुत जरुरी होता है।
- आपको भारी प्रोफ़िट हो सकती है वहीं यदि उस स्टॉक की क़ीमत में गिरावट हो तब आपको भारी नुक़सान भी उठाना पड़ सकता है।
- यदि वैल्यू में गिरावट होती है तब आपको चैन की नींद नहीं आने वाली है।
- शेयर बाजार में निवेश करके आपको उस कंपनी की हर खबर पर नजर रखनी होती है जिसके शेयर आपने खरीदे हैं और साथ ही बाजार में बिना नुकसान के भी मुनाफा कमा सकते हैं।
यह जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी है और दूसरों के लिए भी महत्वपूर्ण है तो कृपया इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी शेयर करे।
डाई स्टॉक क्या है? इसके प्रकार
दोस्तों, डाई को हाथ से पकड़कर नहीं घुमाया जा सकता है। अर्थात् डाई को हाथ से पकड़कर घुमाना असम्भव है। इसलिए डाई को डाई स्टॉक में पकड़कर घुमाया जाता है। डाई स्टॉक में डाई को पकड़ने के लिए एक स्क्रू लगा होता है। इस स्क्रू की सहायता से डाई को डाई स्टॉक में जकड़ा जाता है।
डाई स्टॉक में एक सैट स्क्रू लगा होता है, जिसका उपयोग डाई स्टॉक को एडजस्ट करने के लिए किया जाता है। और डाई स्टॉक को घुमाने के लिए दोनों साइड में हैण्डिल लगा होता है।
डाई स्टॉक के प्रकार
यह मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं-
1.समायोजित डाई स्टॉक
इस प्रकार के डाई स्टॉक को आवश्यकता के अनुसार एडजस्ट किया जाता है। इसमें बीच में बॉडी बनी होती है। बॉडी में ही एक एडजस्ट स्क्रू लगा होता है। और बॉडी के दोनों सिरों पर हब में चूड़ियां कटी होती हैं। इस हब में हैण्डिल फिट रहता है।
2.सॉलिड डाई स्टॉक
इस प्रकार के डाई स्टॉक फिक्स होते हैं, इसमें हल्का-सा एडजस्टमेंट होता है, जिससे डाई को आसानी से पकड़ा जा सके। इसमें एक ही आकार की डाई को पकड़ा जा सकता है। प्रत्येक डाई के लिए परफेक्ट डाई स्टॉक बनाया जाता है। इसमें भी दोनों ओर हैण्डिल लगे होते हैं। और इसमें तीन स्क्रू लगे होते हैं। जिनमें से साइड वाले दो स्क्रू के द्वारा डाई को डाई स्टॉक में आसानी से जकड़ा जाता है। और बीच अर्थात् सेंटर स्क्रू के द्वारा स्प्लिट डाई को आवश्यकता के अनुसार खोला जाता है।
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क्या होता है शेयर बाजार में अपर ओर लोअर सर्किट, निवेशकों के लिये क्या हैं इसके मायने
निवेशकों के हित और निवेश की रक्षा के लिये और बाजार एवं स्टॉक्स में तेजी या गिरावट के नियंत्रित करने के लिये सर्किट लगाये जाते हैं
इसी हफ्ते जी लर्न का शेयर बाजार की सुखियों में तब शामिल हुआ था जब स्टॉक में अपर सर्किट लगा था. लगभग हर दिन शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में ऐसे शेयर (stock) सबसे ऊपर दिखते हैं जिनपर सर्किट लगा हो. ऐसे में सवाल उठता है कि सर्किट (Circuit limit in Stock) आखिर होता क्या है और इसका निवेशकों के निवेश और उनकी रणनीति पर क्या असर देखने को मिलता है.
क्या होता है सर्किट
सर्किट समझने के पहले स्टॉक मार्केट के बेसिक को समझना आवश्यक है. स्टॉक मार्केट में स्टॉक का कारोबार होता है स्टॉक की मांग और आपूर्ति के आधार पर कारोबार के समय में इनकी कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. इसमें तेज गिरावट और तेज उछाल दिखना एक सामान्य प्रक्रिया है. इन स्टॉक्स के प्रदर्शन के आधार पर ही इंडेक्स में भी उतार-चढ़ाव दर्ज होता है, क्योंकि इस कारोबार में निवेशकों की रकम सीधे तौर पर जुड़ी होती है ऐसें में कारोबार की मूल सोच यानि प्राइस डिस्कवरी और निवेशकों के हित दोनो में संतुलन जरूरी होता है. एडेल वाइस के मुताबिक सर्किट कारोबार के दौरान किसी भी वजह से कीमतों में आये तेज उतार चढ़ाव से निवेशकों, कारोबारियों और यहां तक कि पूरे सिस्टम को बचाये रखने में मदद करता है. सर्किट किसी कारोबारी दिन स्टॉक के कारोबर की अधिकतम और न्यूनतम सीमा होती है. किसी भी तरफ इस सीमा को तोड़ने पर उस स्टॉक में कारोबार एक सीमित अवधि के लिये रुक जाता है.
क्या होता है अपर और लोअर सर्किट
एंजेल वन के मुताबिक शेयर बाजार में सर्किट दो तरह के होते हैं पहला अपर सर्किट यानि किसी स्टॉक या इंडेक्स में किसी कारोबारी सत्र में बढ़त की अघिकतम सीमा और लोअर सर्किट किसी कारोबारी सत्र में अधिकतम गिरावट की सीमा होती है. ब्रोकिंग हाउस के मुताबिक नियामक कंपनी के अपने फंडामेंटल और जुड़े जोखिम के हिसाब से सर्किट की सीमा तय करते हैं जो कि 5 प्रतिशत से 20 प्रतिशत के बीच होते हैं. स्ट़ॉक मार्केट समय समय पर कंपनियों के लिये सर्किट लिमिट में बदलाव करते हैं, जैसे पिछले साल जून में बीएसई ने 544 स्टॉक्स के लिये सर्किट लिमिट बदली थी,
क्यों लगता है सर्किट
सर्किट लगने की कई अहम वजह होती है. सरकार या नियामक की कार्रवाई, नीतियों में सकारात्मक या नकारात्मक कार्रवाई, कंपनियों के अपने प्रदर्शन, बड़े सौदे, अधिग्रहण यहां तक कि बाजार में स्टॉक्स की सीमित सप्लाई, अफवाहें, अनुमान औऱ कभी कभी प्रमोटर्स की तरफ से जानवूझकर पैदा किया गया उछाल या गिरावट. इतने स्टॉक क्या है? सारे कारण होने की वजह से ही सर्किट लगाये जातें है जिससे कारोबार रुकने के दौरान सही तस्वीर सामने आ सके और निवेशकों के बीच बेवजह उत्साह या डर को नियंत्रित किया जा सके
क्या है निवेशकों के लिये सर्किट का मतलब
सर्किट ट्रिगर होने का मतलब साफ होता है कि उस स्टॉक, इंडेक्स या पूरे बाजार में कुछ अप्रत्याशित हुआ है. अगर किसी स्टॉक में लगातार सर्किट लगते हैं तो एंजेल वन सलाह देता है कि नये निवेशक ऐसे स्टॉक से दूर रहें. क्योंकि बार बार सर्किट लगने का मतलब है कि उस स्टॉक में प्राइस मूवमेंट बाजार के अनुमानों से कहीं ज्यादा हो रहा है. वहीं अगर आप किसी स्टॉक में हैं और उसके सर्किट लगा है तो तुरंत अपने निवेश की समीक्षा करें. क्योंकि ऐसा देखने को मिला है कि किसी खबर या अनुमान की वजह से स्टॉक में सर्किट लगता है लेकिन कंपनी द्वारा खंडन करने स्टॉक क्या है? पर स्टॉक में उतनी और कभी कभी उससे ज्यादा गिरावट भी दर्ज होती है.
(ये रिपोर्ट एडेलवाइस और एंजेल वन की वेबसाइट पर इसी सब्जेक्ट पर दी गयी जानकारी को लेकर बनाई गयी है)
Multibagger Penny Stock: मल्टीबैगर पेनी स्टॉक क्या है, इसमें निवेश करने से पहले जान लें ये जरूरी बातें
Penny Stocks: कई बार ऐसा होता है की किसी छोटी कंपनी का कारोबार अचानक बढ़ने लगता है. फिर उस कंपनी की गिनती सफल कंपनियों में होने लगती है. अब ऐसे में शेयरों की कीमतें भी उछल जाती हैं. ऐसे में ज्यादातर ये मान लिया जाता है कि स्टॉक क्या है? जिसकी कीमत 10 रुपये से भी कम है, वो पैनी स्टॉक है.
मल्टीबैगर पेनी स्टॉक
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 10 फरवरी 2022,
- (Updated 10 फरवरी 2022, 10:28 AM IST)
सोच समझकर करें इसमें निवेश
कभी फायदा तो कभी नुकसान दे सकते हैं पेनी स्टॉक्स
Penny Stocks In India: आज कल शेयर मार्केट में हर कोई पैसा लगा रहा है. शेयर बाजार में निवेश करने वालों को कई बार पेनी स्टॉक्स काफी पसंद आता है. पसंद आए भी क्यों ना, ये स्टॉक काफी ज्यादा फायदा जो देते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर ये पेनी स्टॉक्स (penny stocks) हैं क्या और इससे आपको कितना रिटर्न मिल सकता है.
क्या होते हैं पैनी स्टॉक्स?
पेनी स्टॉक्स वो शेयर होते हैं, जिनकी लिक्विडिटी काफी कम होती है. इन शेयरों को बंगार शेयर भी कहा जाता है. कई बार ऐसा होता है की किसी छोटी कंपनी का कारोबार अचानक बढ़ने लगता है. फिर उस कंपनी की गिनती सफल कंपनियों में होने लगती है. अब ऐसे में शेयरों की कीमतें भी उछल जाती हैं. ऐसे में ज्यादातर ये मान लिया जाता है कि जिसकी कीमत 10 रुपये से भी कम है, वो पैनी स्टॉक है.
कितने भरोसेमंद हैं पेनी स्टॉक?
पेनी स्टॉक्स में निवेश (investing in penny stocks) करने का जोखिम काफी ज्यादा रहता है. ऐसे शेयर में काफी कम समय में ही उतार-चढ़ाव होने लगता है. ऐसे में निवेशक काफी जल्दी मालामाल भी हो सकते हैं और उन्हें भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. कई बार तो ऐसा भी होता है कि केवल निवेशकों का ध्यान खींचने के लिए प्रमोटर्स ही उन स्टॉक्स के दाम बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. अब ऐसे में अगर आप पेनी स्टॉक्स में अपना पैसा निवेश करना चाहते हैं तो आपको काफी सजग रहना होगा, और साथ ही इसकी बारीकी को समझना होगा, तभी आप तगड़ा मुनाफा कमा पाएंगे.
क्यों इतनी जल्दी पैसा हो जाता है डबल?
पेनी स्टॉक्स की कीमत (penny stocks price) काफी कम होती है, इसीलिए कुछ पैसे वाले इसकी कीमत को अपने हिसाब से कम ज्यादा कर लेते हैं. ये लोग अपने ही शेयर स्टॉक क्या है? में पैसा लगाकर उसकी कीमत बढ़ा देते हैं. जब शानदार रिटर्न देखकर ज्यादा से ज्यादा लोग इसमें पैसा निवेश कर देते हैं तो कीमत और बढ़ जाती हैं. जिसके बाद इन शेयरों को ऑपरेट करने वाले अपनी मुनाफा कमा कर उससे बाहर निकल जाते हैं.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? इतिहास, उद्देश्य और कार्य
दोस्तों, क्या आप जानते है शेयर मार्किट में एनएसई (NSE) क्या है? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ा? इसके क्या फायदे है? यह कैसे स्टॉक क्या है? काम करता है? आईये आज हम इसके विस्तार से जानते है। एनएसई (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता लाना है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) क्या है ?
एनएसई (NSE) का पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड है यह भारत का सबसे बड़ा स्टॉक क्या है? वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर बाजार में निवेश कर सके। सन 1994 में एनएसई (NSE) ने पहली बार भारतीय शेयर बाजार में इलेट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुवात किया।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का इतिहास
1992 के प्रसिद्ध घोटाले के बाद, जिसमें एक प्रसिद्ध निवेशक ने भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर किया गया था। तब वित्त मंत्रालय ने भारत सरकार तहत, निवेशकों तक शेयर बाजार को आसानी से पहुंचने के उद्देश्य से एनएसई की स्थापना का निर्णय लिया गया था। इसकी संस्था की स्थापना की सिफारिस M.J. शेरवानी समिति ने भी किया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से एक विकसित स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना सन 1992 में 25 करोड़ पूँजी के साथ मुंबई में किया गया। एनएसई का प्रमुख सूचकांक, निफ्टी 50 है, इसके अंतर्गत 50 कम्पनियाँ रजिस्टर्ड है। सूचकांक में सम्मिलित कंपनियों का समय-समय का आकलन किया जाता है और पुरानी कंपनियों के स्थान पर वे नयी सर्वोत्तम कम्पनीयों को शामिल किया जाता है | इसका उपयोग निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर भारत और दुनिया भर में भारतीय पूंजी बाजार के बैरोमीटर के रूप में किया जाता है। एनएसई (NSE) द्वारा 1996 में NIFTY 50 इंडेक्स आरम्भ किया गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का उद्देश्य
एनएसई (NSE) के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है।
- सभी निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने तथा शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करना |
- सभी निवेशक सामान रूप से प्रतिभूति को खरीद और बेच सके।
- शेयर बाजार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाना।
- ख़रीदे और बेचे गए शेयर को अल्प समय में हस्तानांतरित करना।
- प्रतिभूति बाजार को अंतरास्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप स्थापित करना।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कार्य
दोस्तों ,अब हम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के कार्य प्रणाली के बारें में विस्तार से जानेंगे।
अगर कोई निवेशक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहता है तो सबसे पहले उसको मार्किट आर्डर के द्वारा आर्डर देना होता है , और कंप्यूटर ट्रेडिंग जो एक स्वचालित प्रक्रिया है के माध्यम से आपके आर्डर का मिलान किया जाता है। जब कोई निवेशक मार्किट आर्डर देता है तो उसे एक नंबर दिया जाता है जिसको यूनिट नंबर कहा है। कंप्यूटर ट्रेडिंग में खरीदने और बेचने व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है। खरीदने वाले व्यक्ति को बेचने वाले व्यक्ति को कोई जानकारी नहीं रहता है और बेचने वाले व्यक्ति को खरीदने वाले व्यक्ति की कोई जानकारी नहीं रहता है।
जब आपका आर्डर को कोई मिलान नहीं मिलता है तो आर्डर के क्रम को मिलाने के लिए आर्डर सूची से जोड़ा जाता है, और यह प्राइस टाइम (Price time) के प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है। सर्वोत्तम मूल्य के आर्डर को पहले प्राथमिकता दिया जाता है और एकसमान मूल्य वाले आर्डर को पहले आर्डर के आधार पर प्राथमिकता दिया जाता है।
जब निवेशक का आर्डर एक्सचेंज मार्किट में पूरा हो जाता है तो निवेशक के डीमैट अकाउंट में खरीद आर्डर या बेच आर्डर में स्वतः ही देखने लगता है। इस तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों के शेयर के लेन देन को पारदर्शी बनता है। डीमैट अकाउंट किसी भी स्टॉक ब्रोकर के द्वारा ओपन किया जा सकता है जो ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करता है। जो ट्रेडिंग सिस्टम में ऑर्डर देते हैं। एनएसई द्वारा घोषित छुट्टियों को छोड़कर, एक्सचेंज मार्केट सप्ताह में पांच दिन सोमवार से शुक्रवार तक उपलब्ध रहता है।
दोस्तों, हमने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के बारें में विस्तार से समझा। अब आप समझ गए है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज स्थापना प्रतिभूति बाज़ार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाने के लिए किया गया, जिससे सभी निवेशक विश्वास के साथ प्रतिभूति बाज़ार में निवेश कर सके। अगर आप भी शेयर मार्किट में निवेश करने के लिए सोच रहे है और आपको शेयर बाज़ार के बारें में ज्यादा जानकारी नहीं है तो आप सेबी से पंजीकृत निवेश सलाहकार की सहायता ले सकते है यह आपको सही शेयर खरीदने में सहायता करेगा।
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