शराबबंदी की विफलता

बिहार में अवैध शराब का सेवन करने से 70 से अधिक लोगों की मौत हमें यह याद दिलाता है कि कैसे शराबबंदी समाज कल्याण की दृ​ष्टि से भी और राज्य की वित्तीय ​स्थिरता के नजरिये से भी एक नाकाम नीति है। बिहार में 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे चुनावी हथियार के रूप में पेश कैसे इंटरनेट में निवेश पर पैसा बनाने के लिए किया था। यह नीति महिलाओं में अत्यधिक लोकप्रिय साबित हुई। इस बात को समझा भी जा सकता है क्योंकि वे कैसे इंटरनेट में निवेश पर पैसा बनाने के लिए पुरुषों की शराबखोरी के दुष्परिणाम की सबसे बड़ी भुक्तभोगी होती हैं।

उन्हें घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है और परिवार की आय भी प्रभावित होती है। परंतु शराब के उपभोग, उसे बनाने और उसकी बिक्री पर प्रतिबंध की को​शिश शराबखोरी की समस्या से भी ज्यादा बुरी साबित हुई है। हालिया घटना अवैध शराब से होने वाली मौतों के सिलसिले का एक हिस्सा है। अकेले नवंबर महीने में ऐसी 30 घटनाएं हुईं जिनमें 90 से अधिक लोगों की जान गई। इस बीच अवैध शराब माफिया का उभार हुआ है जो वि​भिन्न राज्यों और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार शराब की तस्करी करता है। ऐसा हर उस राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में देखने को​ मिलता है जहां शराबबंदी लागू की गई है।

ये जहरीले कैसे इंटरनेट में निवेश पर पैसा बनाने के लिए रसायनों का प्रयोग करके नकली शराब बनाते हैं जिससे पहले ही कानून व्यवस्था की दिक्कतों से जूझ रहे प्रदेश में इस क्षेत्र में और दिक्कतें पैदा होती हैं। शराबबंदी के कारण राजस्व को जो क्षति पहुंचती है वह भी बहुत महंगी साबित होती है। 2016 में यह माना जा रहा था कि राज्य को शराबबंदी की वजह से तकरीबन 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। हाल ही में नीतीश कुमार को एक पत्र लिखकर कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरिज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने कहा कि शराबबंदी कैसे इंटरनेट में निवेश पर पैसा बनाने के लिए से राज्य को सालाना 10,000 करोड़ कैसे इंटरनेट में निवेश पर पैसा बनाने के लिए रुपये का नुकसान हुआ।

राज्य की विकास संबंधी आवश्यकताओं को देखते हुए अतिरिक्त राजस्व उपयोगी साबित होता। सन 1996 में हरियाणा को शराबबंदी से जो अनुभव हुए वे एक सतर्क करने वाली कहानी कहते हैं। उस समय बंसी लाल की हरियाणा विकास पार्टी ने शराबबंदी लागू की थी और इसके चलते राज्य सरकार को राजस्व और रोजगार की हानि तो हुई ही थी, शराब से मौत की घटनाएं भी बढ़ी थीं।

शराब की बिक्री न होने से जिस राजस्व का नुकसान हुआ उसकी भरपाई के लिए हरियाणा सरकार ने राज्य की सेवाओं पर शुल्क बढ़ा दिया। इससे बस किराये से लेकर बिजली और पेट्रोल तक सभी चीजों के दाम बढ़ गए। आश्चर्य नहीं कि पार्टी को इस नीति की कीमत अगले चुनाव में सीटों के रूप में चुकानी पड़ी। सन 1998 में पार्टी ने प्रतिबंध हटा लिया। यहां बात शराब की खपत को बढ़ावा देने की बिल्कुल नहीं है।

खासकर एक ऐसे देश में जहां शराब पीने के सामाजिक मानक लगभग अनुप​स्थित हैं और कामगार वर्ग के लोगों के शराब के नशे में धुत हो जाने की घटनाएं आम हैं। यह अपेक्षा करना भी अनुचित है कि महिलाएं शराबखोरी के दुष्परिणाम झेलती रहें। यह एक बड़ी वजह है कि देश भर के राज्यों में शराबबंदी अ​भियानों में ​महिलाएं प्रमुख रूप से सामने आई हैं। परंतु सीआईएबीसी ने महिलाओं को शराब निर्माण इकाइयों में नियुक्त करने के लिए जो हल सुझाया है उसे एकदम उपयुक्त नहीं माना जा सकता है क्योंकि हमारे सामाजिक मानक अत्यंत रूढि़वादी हैं।

बीती सदी में कैसे इंटरनेट में निवेश पर पैसा बनाने के लिए यूनाइटेड किंगडम के खनन उद्योग में एक हल यह निकाला गया था कि साप्ताहिक आधार पर दिया जाने वाला मेहनताना पुरुषों के बजाय महिलाओं को दिया जाए। कैसे इंटरनेट में निवेश पर पैसा बनाने के लिए भारतीय नीति निर्माताओं ने भी कुछ वर्ष पहले इस विचार को अपनाया और कहा कि वि​भिन्न सब्सिडी को परिवार की महिला सदस्यों के खाते में जमा किया जाएगा। बिहार की विनिर्माण और खनन इकाइयां भी इसका सफल अनुकरण कर सकती हैं। जैसा कि कई अंशधारकों ने भी सुझाया है राज्य में शराबबंदी का प्रयोग अपनी मियाद पूरी कर चुका। अब कुमार को वैक​ल्पिक वेतन भुगतान जैसे विकल्प अपनाने चाहिए और धीरे-धीरे शराबबंदी समाप्त कैसे इंटरनेट में निवेश पर पैसा बनाने के लिए करनी चा​हिए। ऐसे समय पर जबकि राज्य को बड़ी मात्रा में सार्वजनिक निवेश कैसे इंटरनेट में निवेश पर पैसा बनाने के लिए की आवश्यकता है, यह एक कदम पीछे लेने के लिए सही अवसर हो सकता है।

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