‘रोबोट’ की मदद से बन रहे हैं टैंक, जानिए खास विशेषताएं

भेल। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल) द्वारा कम्प्यूटराइज्ड न्यूमेरिकली कंट्रोल्ड (सीएनसी) गैंटरी रोबोटिक वेल्डिंग सिस्टम से ट्रांसफॉर्मर के टैंक बनाए जा रहे हैं। इसकी लागत करीबन साढ़े चार करोड़ रुपए रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें है। इस सिस्टम को पुर्तगाल से लाया गया है। दो साल से यह सिस्टम भेल में काम कर रहा है। गौरतलब है कि भेल की भोपाल इकाई साल में लगभग 150 से ज्यादा ट्रांसफॉर्मर टैंक बनाती हैं, जिसमें 60 टैंक रोबोट द्वारा बनाए जाते हैं। हालांकि, कस्टमर की जरूरत अनुसार संख्या में बढ़ोतरी भी की जाती है। फेब्रिकेशन के डिप्टी मैनेजर एचसी गजभिए ने बताया कि रोबोट के साथ काम करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। रोबोट और व्यक्ति के बीच तालमेल का होना बेहद जरूरी है। वेल्डिंग के लिए इंस्टॉल किए वो हर छोटे पार्ट्स इंच दर इंच बिल्कुल सही होने चाहिए। ऐसा नहीं होने पर आपकी सारी मेहनत खराब हो सकती है। ऐसे काम करता है सिस्टम : इस वेल्डिंग सिस्टम में सिक्स एक्सिस रोबोट, एक कॉलम व बूम एक्सिस के साथ एक कैरेज एक्सिस भी है। मतलब, कुल 9 एक्सिस पर यह सिस्टम काम करता है। सिस्टम में गैंटरी एक सी आकार का सेट है। जिसमें एक प्लेटफॉर्म, एक्स एक्सिस, जेड एक्सिस और दो कैरेज लगे हुए होते हैं। कैरेज की मदद से गैंटरी आगे और पीछे की ओर जाती है। इसके अलावा एक्स एक्सिस की मदद से रोबोट हॉरिजेंटल मूव करता है। वहीं रोबोट जेड एक्सिस के जरिए वर्टिकल मूव करता है। दुर्घटना से बचने के लिए इसमें टैक्टाइल वायर टच सेंसर लगा है, यदि कोई कर्मचारी भूलवश इसके बीच में आ जाता है, तो रोबोट फौरन रुक रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें जाता है। वेल्डिंग के दौरान किसी भी कॉलम में रोबोट बड़े से बड़े व जटिल प्रोफाइल वाले जॉब्स भी काफी मजबूती से जोड़ देता है। अब कोई परेशानी नहीं श्री गजभिए ने बताया कि रोबोज का उपयोग करने के लिए इंजीनियरिंग भी परफेक्ट होनी चाहिए। ये काफी मेहनत का काम है। आपकी टेक्नोलॉजी भी उसी प्रकार होनी चाहिए। हालांकि, इस पर काम करते लोगों को दो साल का अनुभव हो गया है। अब कर्मचारियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। दुर्घटना की भी संभावना नहीं सीएनसी गैंटरी रोबोटिक वेल्डिंग सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें टैक्टाइल वायर टच सेंसर लगा है। अगर भूलवश कोई कर्मचारी इसके बीच में आ जाता है, तो रोबोट फौरन रुक जाता है। टच सेंसर की मदद से रोबोट यह महसूस कर लेता है कि उसके सामने कुछ ऐसी चीज आ गई है, जिससे उसे या तो नुकसान पहुंच सकता है या फिर वह वेल्ड करने के लिए नहीं है। इस तरह मशीन से किसी प्रकार की दुर्घटना नहीं होगी। आगे क्या भेल प्रवक्ता संजीव काक ने बताया कि आज रोबोट फेब्रिकेशन विभाग में अहम भूमिका निभा रहा है। फेब्रिकेशन का काम बेहद सराहनीय है। भविष्य में ऐसे और रोबोट लाने की बात पर श्री काक का कहना था कि कंपनी द्वारा रोबोटिक सिस्टम की सफलता के मद्देनजर भविष्य में इस तरह के सिस्टम लाने पर विचार कर रही है। सिस्टम की विशेषता - 6 एमएम वेल्डिंग के लिए सिस्टम को दोबारा रन करने की जरूरत नहीं - टैक्टाइल वायर टच सेंसर की मदद से वेल्डिंग लाइन को आसानी से समझ लेता है। - रिएक्टर टैंक के वर्टिकल बट ज्वाइंट को भी वेल्ड कर लेता है - हजार एमएम तक के गोलाई वाले पार्ट्स को एक बार में वेल्ड कर लेता है। - रिज्युम फंक्शन होने से फॉल्ट होने के बाद वापस उसी काम से शुरू करता है - फंक्शन में फॉल्ट आने पर संकेत देता है कि ऑपरेटर से कहां गलती हो रही है - ओवरलैप को भी बेहद खूबसूरती के साथ पैचअप कर लेता है - प्रोग्राम को स्टोर कर भविष्य में उसी काम को बगैर प्रोग्राम किए समझ लेता है - वेल्डिंग के दौरान ऑपरेटर को ज्यादा देर बैठने की जरूरत नहीं होती, इस तरह धुंए की परेशानी से ऑपरेटर को निजात मिलती है

इस कंपनी के रोबोट को चाहिए आपका 'चेहरा', मिलेंगे 92 लाख रुपये

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इंग्लैंड की दिग्गज टेक कंपनी जियोमीक अपने खास रोबोट्स के लिए इंसानी चेहरे की तलाश कर रही हैं। वहीं, इन रोबोट्स के लिए जिन इंसानों का चेहरा इस्तेमाल होगा, उनको 92 लाख रुपये दिए जाएंगे। लेकिन कंपनी ने शर्त भी रखी है कि चेहरा शांत और फ्रेंडली होना चाहिए। साथ ही चेहरे के लिए एग्रीमेंट भी कराया जाएगा। आपको बता दें कि जियोमीक ऐसा रोबोट तैयार करेगा, जो इंसानों की तरह रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें काम करने के साथ इंसान जैसा दिखाई देगा।

जियोमीक के अनुसार, इस रोबोट का नाम वर्चुअल फ्रेंड होगा। वहीं, इसका निर्माण कार्य अगले वर्ष से शुरू हो जाएगा। फिलहाल, इस रोबोट को लेकर अधिक जानकारी नहीं मिली है। जो भी व्यक्ति इस डिवाइस के लिए अपना चेहरा देगा, कंपनी उसे पैसा देगी।

कंपनी ने इस रोबोट को लेकर कहा है कि यह डिवाइस इंसान की तरह दिखेगा। वहीं, किसी भी शख्स के लिए चेहरे का एग्रीमेंट करवाना एक बड़ा फैसला होगा। जियोमीक ने आगे कहा है कि हमारा रोबोट मशीन की तरह नहीं दिखाई देगा, बल्कि उसकी एक अलग पहचान होगी।

जियोमीक इस खास टेक्नोलॉजी वाले रोबोट पर करीब पांच साल से काम कर रहा है। साथ ही कंपनी ने प्रोडक्ट आइडिया को लीक होने से भी कई बार बचाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में ह्यूमेनॉयड रोबोट्स इंसानों की नौकरी छीन लेंगे।

अगर आप भी रोबोट के लिए अपना चेहरा देना चाहते है, तो आप जियोमीक की आईडी [email protected] पर अपनी फोटो मेल कर सकते है। इसके साथ ही आप कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जानकारी हासिल कर सकेंगे।

इंग्लैंड की दिग्गज टेक कंपनी जियोमीक अपने खास रोबोट्स के लिए इंसानी चेहरे की तलाश कर रही हैं। वहीं, इन रोबोट्स के लिए जिन इंसानों का चेहरा इस्तेमाल होगा, उनको 92 लाख रुपये दिए जाएंगे। लेकिन कंपनी ने शर्त भी रखी है कि चेहरा शांत और फ्रेंडली होना चाहिए। साथ ही चेहरे के लिए एग्रीमेंट भी कराया जाएगा। आपको बता दें कि जियोमीक ऐसा रोबोट तैयार करेगा, जो इंसानों की तरह काम करने के साथ इंसान जैसा दिखाई देगा।

रोबोट को मिला नाम

जियोमीक के अनुसार, इस रोबोट का नाम वर्चुअल फ्रेंड होगा। वहीं, इसका निर्माण कार्य अगले वर्ष से शुरू हो जाएगा। फिलहाल, इस रोबोट को लेकर अधिक जानकारी नहीं मिली है। जो भी व्यक्ति इस डिवाइस के लिए अपना चेहरा देगा, कंपनी उसे पैसा देगी।

कंपनी ने दिया बड़ा बयान

कंपनी ने इस रोबोट को लेकर कहा है कि यह डिवाइस इंसान की तरह दिखेगा। वहीं, किसी भी शख्स के लिए चेहरे का एग्रीमेंट करवाना एक बड़ा फैसला होगा। जियोमीक ने आगे कहा है कि हमारा रोबोट मशीन की तरह नहीं दिखाई देगा, बल्कि उसकी एक अलग पहचान होगी।

ह्यूमेनॉयड रोबोट पर चल रहा है पांच साल के काम

जियोमीक इस खास टेक्नोलॉजी वाले रोबोट पर करीब पांच साल से काम कर रहा है। साथ ही कंपनी ने प्रोडक्ट आइडिया को लीक होने से भी कई बार बचाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में ह्यूमेनॉयड रोबोट्स इंसानों की नौकरी छीन लेंगे।

इस साइट पर भेजे अपने चेहरे रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें की तस्वीर

अगर आप भी रोबोट के लिए अपना चेहरा देना चाहते है, तो आप जियोमीक की आईडी [email protected] पर अपनी फोटो मेल कर सकते है। इसके साथ ही आप कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जानकारी हासिल कर सकेंगे।

Robot to Clean Septic Tank: अब नहीं होगी सेप्टिक टैंक की सफाई के वक्त श्रमिकों की मौत, IIT Madras ने बनाया 'होमोसेप' रोबोट

इआइटी मद्रास (IIT Madras) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रोबोट बनाया है जो सेप्टिक टैंक की सफाई करने में सक्षम है। इसके इस्तेमाल से श्रमिकों को सेप्टिक टैंक (Septic Tank) की सफाई के लिए टैंक में नहीं उतरना पड़ेगा। इसका नाम होमोसेप है।

नई दिल्ली, प्रेट्र: आइआइटी मद्रास (IIT Madras) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो सेप्टिक टैंक की सफाई करने में सक्षम है। इसके इस्तेमाल से श्रमिकों को सेप्टिक टैंक (Septic Tank) की सफाई के लिए टैंक में नहीं उतरना पड़ेगा। इसका नाम 'होमोसेप' है। होमोसेप को हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने और सेप्टिक टैंक की सफाई के रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें दौरान होने वाली श्रमिकों की मौत की दुर्घटनाओं की संभावना को खत्म करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि 10 रोबोट को तमिलनाडु में तैनात करने की योजना है।

चीन में बेकाबू हुआ कोरोना वायरस, लगातार बढ़ रहे हैं संक्रमण।

अगले चरण में गुजरात और महाराष्ट्र में होगी रोबोट की तैनाती

किन जगहों पर रोबोट को तैनात किया जाएगा इसे तय करने के लिए शोधकर्ता स्वच्छता कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं। अगले चरण में गुजरात और महाराष्ट्र में रोबोट की तैनाती पर विचार किया जा रहा है। इस समय दो होमोसेप को नागम्मा और रूथ मैरी के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूहों को गैर सरकारी संगठन (Non-Governmental Organization) सफाई कर्मचारी आंदोलन के माध्यम से वितरित किया गया है। इन दोनों महिलाओं के पतियों की टैंक की सफाई करते समय मौत हो गई थी।

Fog Updates: उत्तर भारत के कई राज्यों में कोहरे का कहर

जानिए कैसे काम करता है 'होमोसेप'

आइआइटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल ने कहा, प्रतिबंधों के बावजूद सेप्टिक टैंकों में हाथ से मैला ढोने के कारण पूरे भारत में हर साल सैकड़ों मौतें होती हैं। इस रोबोट में एक राड होता है। इसके चारों ओर ब्लेड लगे हैं। यह रोबोट सेप्टिक टैंक के अंदर की गाद को पानी कि साथ मिला देता है। बाद में इस गंदगी को पंप की मदद से बाहर निकाल देता है। होमोसेप को पहली बार राजगोपाल के मार्गदर्शन में दिवांशु कुमार द्वारा अंतिम वर्ष की मास्टर्स परियोजना के रूप में विकसित किया गया था।

बेहतर पुलिसिंग के लिए कमिश्नरी प्रणाली के लाभ

गेल (इंडिया) ने किया सहयोग

इसे आइआइटी मद्रास कार्बन जर्प चैलेंज 2019 में प्रदर्शित किया गया था। इसे आइआइटी मद्रास की सामाजिक रूप से प्रासंगिक परियोजनाओं की पहल के तहत समर्थन मिला। आइआइटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने होमोसेप को और अधिक उन्नत करने के लिए आइआइटी मद्रास-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप सोलिनास इंटीग्रिटी प्राइवेट लिमिटेड के साथ सहयोग किया। गेल (इंडिया) ने भी इसके लिए सहयोग किया।

भारत तैयार कर रहा रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें है AI रोबोट, सीमा पर गश्त लगाकर बचाएंगे सैनिकों की जान

गैजेट डेस्क. भारत की सीमा सुरक्षा बलों को मजबूत बनाने के लिए वैज्ञानिक ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर आधारित ऐसे रोबोट तैयार कर रहे हैं जो भारत की सीमाओं पर गश्त करेंगे। यह रोबोट किसी भी तरह के रास्तों पर चलने में सक्षम होंगे, साथ ही बदलते मौसम का भी इनपर कोई असर नहीं पड़ेगा।

Robot to Clean Septic Tank: अब नहीं होगी सेप्टिक टैंक की सफाई के वक्त श्रमिकों की मौत, IIT Madras ने बनाया 'होमोसेप' रोबोट

इआइटी मद्रास (IIT Madras) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रोबोट बनाया है जो सेप्टिक टैंक की सफाई करने में सक्षम है। इसके इस्तेमाल से श्रमिकों को सेप्टिक टैंक (Septic Tank) की सफाई के लिए टैंक में नहीं उतरना पड़ेगा। इसका नाम होमोसेप है।

नई दिल्ली, प्रेट्र: आइआइटी मद्रास (IIT Madras) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो सेप्टिक टैंक की सफाई करने में सक्षम है। इसके इस्तेमाल से श्रमिकों को सेप्टिक टैंक (Septic Tank) की सफाई के लिए टैंक में नहीं उतरना पड़ेगा। इसका नाम 'होमोसेप' है। होमोसेप को हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने और सेप्टिक रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें टैंक की सफाई के दौरान होने वाली श्रमिकों की मौत की दुर्घटनाओं की संभावना को खत्म करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि 10 रोबोट को तमिलनाडु में तैनात करने की योजना है।

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अगले चरण में गुजरात और महाराष्ट्र में होगी रोबोट की तैनाती

किन जगहों पर रोबोट को तैनात किया जाएगा इसे तय करने के लिए शोधकर्ता स्वच्छता कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं। अगले चरण में गुजरात और महाराष्ट्र में रोबोट की तैनाती पर विचार किया जा रहा है। इस समय दो होमोसेप को नागम्मा और रूथ मैरी के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूहों को गैर सरकारी संगठन (Non-Governmental Organization) रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें सफाई कर्मचारी आंदोलन के माध्यम से वितरित किया गया है। इन दोनों महिलाओं के पतियों की टैंक की सफाई करते समय मौत हो गई थी।

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जानिए कैसे काम करता है 'होमोसेप'

आइआइटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल ने कहा, प्रतिबंधों के बावजूद सेप्टिक टैंकों में हाथ से मैला ढोने के कारण पूरे भारत में हर साल सैकड़ों मौतें होती हैं। इस रोबोट में एक राड होता है। इसके चारों ओर ब्लेड लगे हैं। यह रोबोट सेप्टिक टैंक के अंदर की गाद को पानी कि साथ मिला देता है। बाद में इस गंदगी को पंप की मदद से बाहर निकाल देता है। होमोसेप को पहली बार राजगोपाल के मार्गदर्शन में दिवांशु कुमार द्वारा अंतिम वर्ष की मास्टर्स परियोजना के रूप में विकसित किया गया था।

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गेल (इंडिया) ने किया सहयोग

इसे आइआइटी मद्रास कार्बन जर्प चैलेंज 2019 में प्रदर्शित किया गया था। इसे आइआइटी मद्रास की सामाजिक रूप से प्रासंगिक परियोजनाओं की पहल के तहत समर्थन मिला। आइआइटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने होमोसेप को और अधिक उन्नत करने के लिए आइआइटी मद्रास-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप सोलिनास इंटीग्रिटी प्राइवेट लिमिटेड के साथ सहयोग किया। गेल (इंडिया) ने भी इसके लिए सहयोग किया।

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