आपको बता दें कि रिटेल डिजिटल ई-रुपी का पायलट चरण भारत में 1 दिसंबर, 2022 से शुरू हो चुका है। इसको पहले चरण में चार शहरों मुंबई, नई दिल्ली, बैंगलोर और भुवनेश्वर में उतारा गया हैं और केंद्रीय बैंक ने चरण में चार बैंकों इसके उपयोग के लिए शामिल किया है, जिसमें SBI, ICICI, YES Bank और IDFC हैं।
Cryptocurrency news in hindi: क्रिप्टो करेंसी कहा से ख़रीदे , क्रिप्टो करेंसी के नाम
क्रिप्टो करेंसी ( Cryptocurrency) एक डिजिटल करेंसी होती हैं , जिसको डिसेंट्रालाईजेसन सिस्टम के द्वारा मैनेज किया जाता हैं | क्रिप्टो करेंसी में प्रतेक लेन देन का डिजिटल सिगनेचर के ज़रिये वेरिफिकेशन होता हैं | क्रिप्टो ग्राफी के मदद से हमारी क्रिप्टोकरेंसी के लेन देन का रिकॉर्ड रखा जाता हैं | क्रिप्टो करेंसी को ब्लाक चैन टेक्नोलॉजी भी कहते हैं | यह ब्लाक चैन पर आधारित एक वर्चुअल करेंसी हैं , यह वर्चुअल करेंसी क्रिप्टो ग्राफी के द्वारा सुरक्षित रहती हैं |
क्रिप्टो करेंसी पीयर टू पीयर कैश सिस्टम हैं , जिसे कंप्यूटर अल्गोरिथम से डिजाईन किया गया हैं | इस करेंसी को कॉपी करना बिलकुल नामुमकिन है | इस करेंसी का फिजिकली कोई रोल नहीं हैं | यह करेंसी डिजिट के फॉर्म में ऑनलाइन रहती हैं | इस करेंसी की सबसे अहम् बात यह हैं, कि यह डिसेंट्रालाईज होती हैं | क्रिप्टो करेंसी पर किसी देश या सरकार का कोई नियंत्रण रहता हैं |
क्रिप्टो करेंसी के नाम:
आज कल हर कोई क्रिप्टोकरेंसी ( Cryptocurrency) के बारे में जानता हैं | लेकिन क्रिप्टो करेंसी के सबसे पहले बिटकॉइन (Bitcoin) हैं | लेकिन मार्केट में इसके अलावा कई ऑनलाइन करेंसी हैं |
- बिट कॉइन (bitcoin)
- एथेरयूम (Ethereum)
- रिप्पल (Ripple)
- तेथेर (Tether)
- मोनेरो (Monero)
- कॉसमॉस (Cosmos)
- पीयरकॉइन (Peer Coin )
- बिट टोरेंट (BitTorrent)
- नेमकॉइन (Namecoin)
क्रिप्टो करेंसी क्या हैं :
क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी हैं , इसे हम बिटकॉइन के नाम से भी जानते हैं | बिटकॉइन का प्राइस इंडिया में बहुत ज्यादा हैं | क्रिप्टो करेंसी ब्लाक चैन के हिसाब से काम करती हैं | क्रिप्टो करेंसी को 2009 में संतोषी नकाम्तो ने बनाया था | बिटकॉइन एक डीसेंट्रलाइज्ड ओपनसोर्स ब्लाक चैन हैं |
क्रिप्टो करेंसी कहा से ख़रीदे:
हर ऑनलाइन business का एक प्लेटफार्म डिजिटल मुद्रा कहाँ स्टोर कर सकते हैं? होता हैं , जहा से हम आसानी से चीजों को खरीद सकते है | क्रिप्टो करेंसी को खरीदने के लिए हमें बहुत से ऑनलाइन प्लेटफार्म मिल जाते हैं | जहा पर लॉग इन करने हम बिट कॉइन के शेयर को खरीद सकते हैं | इसे खरीदने के कई ऑपसन हैं , जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज , डिजिटल करेंसी एक्सचेंज , कॉइन मार्केट और क्रिप्टो मार्केट हैं | ये सभी प्लेटफार्म पर आप आसानी से इन्वेस्ट कर सकते हो |
क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के लिए क्रेडिट कार्ड , वायर ट्रान्सफर और अन्य डिजिटल प्लेटफार्म हैं | हम क्रिप्टो करेंसी को कागज़ी मुद्रा में आसानी से चेंज कर करते हैं | ऐसी कई वेबसाइट हैं , जहा से हम आसानी से क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज करते हैं |
Digital Rupee vs UPI: E-Rupee और UPI के बीच होता है ये बड़ा अंतर, जानिए कैसे काम करती है डिजिटल मुद्रा
Digital Rupee vs UPI (सोशल मीडिया)
Digital Rupee vs UPI: भारत में डिजिटल ई रूपी की शुरूआत हो चुकी डिजिटल मुद्रा कहाँ स्टोर कर सकते हैं? है। केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हाल के दिनों में पहले होलसेल ई-रुपी और बाद में रिलेट ई-रुपी को बाजार में लॉन्च कर दिया है। फिलहाल, यह दोनों ई-रुपी देश में पायलट प्रोजेक्ट के तहत बाजार में उपयोग किया जा रहा है। इसके आते बाजार में लोगों के मन सवाल उठाने लगे कि आखिर अगर यह डिजिटल मुद्रा है तो जो लोग पहले से फोन के माध्मय यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिये लेनदेन कर रहे वो क्या है? इन सवालों को जबाव बाजार विशेषज्ञों ने दिया है कि ई-रुपी यूपीआई से कितना लग है।
देश के 4 बड़े बैंक सबसे पहले शुरू करेंगे डिजिटल करेंसी, RBI ने तैयार की लिस्ट!
बिजनेस डेस्कः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) ने खुदरा बाजार के लिए अपनी डिजिटल मुद्रा (डिजिटल रुपया) लाने के लिए एक पायलट प्रोजैक्ट पर 5 बैंकों को शामिल किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ये बैंक हैं– स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक, आई.डी.एफ.सी. फर्स्ट बैंक और एच.डी.एफ.सी. बैंक।
रिपोर्ट में इस मामले से परिचित लोगों का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक पायलट प्रोजैक्ट के लिए कुछ और बैंकों को जोड़ सकता है। यह प्रोजैक्ट जल्द ही शुरू होने की उम्मीद जताई गई है।
आर.बी.आई. केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सी.बी.डी.सी.) का परीक्षण करने के लिए एक-साथ 2 मोर्चों पर काम कर रहा है: एक थोक बाजार के लिए, जिसके लिए एक पायलट प्रोजैक्ट पहले से ही चल रहा है और दूसरा खुदरा अथवा रिटेल (सी.बी.डी.सी.आर) के लिए है।
कई चीजों पर चल रहा है विचार
केंद्रीय बैंक यह भी जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या अपनी डिजिटल करेंसी के लिए एक नया ढांचा तैयार किया जाए या खुदरा सी.बी.डी.सी. को वर्तमान डिजिटल भुगतान प्रणाली के साथ इंटरऑप्रेबल बनाया जाए।
रिपोर्ट के अनुसार एक व्यक्ति ने बताया, “नैशनल पेमैंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एन.सी.पी.आई.) और आर.बी.आई. की मदद से पायलट प्रोजैक्ट को चलाने के लिए 5 बैंकों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। कुछ ग्राहक और व्यापारी खातों को जल्द ही रिटेल में डिजिटल रुपया पायलट प्रोजैक्ट शुरू करने के लिए चुना जाएगा।”
कॉन्सैप्ट नोट में RBI ने दिया था ये सुझाव
पिछले महीने एक डिजिटल मुद्रा कहाँ स्टोर कर सकते हैं? कॉन्सैप्ट नोट में आर.बी.आई. ने सुझाव दिया था कि वह 50,000 रुपए से कम मूल्य के सी.बी.डी.सी. खुदरा भुगतान को कोई नाम नहीं देने पर विचार कर रहा था, ठीक उसी तरह जैसे लोग छोटी मात्रा में नकद लेन-देन करते समय करते हैं।
निजी क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन के बीच दुनिया में कई देश अपनी डिजिटल मुद्राएं लॉन्च करने पर विचार कर रहे हैं। यह उसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा, जिस पर क्रिप्टोकरेंसी होती है। सी.बी.डी.सी. का उद्देश्य नकदी पर निर्भरता को कम करना है।
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CBDC वर्तमान में एक प्रचार क्यों है?
निम्नलिखित कारणों से CBDC को अपनाना आवश्यक है:
- कागजी मुद्रा के घटते उपयोग का सामना करते हुए, केंद्रीय बैंक मुद्रा के अधिक उपयुक्त इलेक्ट्रॉनिक रूप को लोकप्रिय बनाने का प्रयास करते हैं
- केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं के लिए जनता की आवश्यकता को समायोजित करने का प्रयास कर रहे हैं, जैसा कि निजी आभासी मुद्राओं के बढ़ते उपयोग से पता चलता है
- ये बैंक ऐसी निजी मुद्राओं के अधिक हानिकारक प्रभावों से भी बच रहे हैं
डिजिटल रुपया सिक्का और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर
डिजिटल रुपया कई मायनों में क्रिप्टोकरेंसी से अलग है, जो इस प्रकार है:
फ़ैक्टर भेदभाव का | cryptocurrency | डिजिटल रुपया |
---|---|---|
विकास और संचालन | क्रिप्टोक्यूरेंसी एक ब्लॉकचेन-आधारित, पूरी तरह से विकेन्द्रीकृत संपत्ति और एक व्यापार माध्यम है। हालांकि, इसकी विकेन्द्रीकृत प्रकृति के कारण विवाद छिड़ गया है, जिसका अर्थ है कि यह बैंकों, वित्तीय संगठनों या केंद्र सरकारों डिजिटल मुद्रा कहाँ स्टोर कर सकते हैं? जैसे किसी भी बिचौलियों का उपयोग किए बिना संचालित होता है। | इसके विपरीत, डिजिटल रुपया आरबीआई में क्रिप्टोकुरेंसी की सभी विशेषताएं हैं। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर बनाया गया है और इसका उद्देश्य भौतिक मुद्रा की भविष्य की जरूरतों को खत्म करना है। एक डिजिटल रुपया एक केंद्रीकृत वातावरण में काम करता है |
सरकार और सरकारी संगठनों का प्रभाव | यह सरकारी प्रभाव या हेरफेर से अप्रभावित है। इसका मूल्य भी नि:शुल्क स्थापित किया जाता है-मंडी बलों और किसी भी वस्तु से संबंधित नहीं है | जब डिजिटल रुपये की बात आती है, तो आरबीआई प्रभारी होगा, क्योंकि यह कुछ अन्य बैंकिंग संस्थानों के साथ अपना नेटवर्क स्थापित करेगा। नतीजतन, डिजिटल रुपये की नेटवर्क पहुंच स्थानीय निकायों और संस्थानों तक सीमित है |
मूल्य निर्धारण | क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित नहीं हैं | डिजिटल रुपये की कीमत आरबीआई की भौतिक नकदी के डिजिटल समकक्ष होगी और इस प्रकार सरकार द्वारा समर्थित होगी। यह एक भौतिक रुपया समकक्ष रखने के बराबर होगा। यह फिएट मुद्रा (सरकार द्वारा जारी धन) की तरह ही काम करता है और मौजूदा नकदी के लिए एक-एक के लिए कारोबार किया जा सकता है |
कानून बनाना | क्रिप्टोकरेंसी को नहीं माना जाएगाकानूनी निविदा भारत में कभी भी जल्द ही | डिजिटल मुद्रा कहाँ स्टोर कर सकते हैं?RBI की डिजिटल मुद्रा कानूनी नकदी बन सकती है |
एक डिजिटल रुपये की आवश्यकता
डिजिटल रुपया पेश करने के आरबीआई के फैसले का एक प्रमुख कारण यह है कि भारत आभासी मुद्रा की दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता। सरकार के अनुसार, आभासी मुद्रा यहां रहने के लिए होगी।
आप इसे पसंद करें या न करें, इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। इस बात से इनकार करने के बजाय कि आभासी मुद्रा मौजूद है, सरकार ने अपना खुद का निर्माण करना चुना है। सामान्य रुपये के विपरीत, डिजिटल रुपये को स्थानांतरित करने के लिए आपको बैंक खाते की आवश्यकता नहीं होगी।
आप इसे तुरंत दूसरे व्यक्ति के डिजिटल रुपया वॉलेट में भेज पाएंगे क्योंकि यह ब्लॉकचेन पर आधारित होगा।
डिजिटल रुपया बनाम नियमित रुपया
डिजिटल रुपये को मुद्रा के रूप में गिना जाएगा। यह कम भौतिक नकद नोटों को छापने और जालसाजी को कम करने में सरकार की सहायता करेगा। यह एक अधिक कुशल और लागत प्रभावी मुद्रा प्रबंधन प्रणाली के विकास में सहायता करेगा।
इंटरनेट लेनदेन के लिए, मानक रुपये के विपरीत, डिजिटल रुपये को बैंक बिचौलिए के उपयोग की आवश्यकता नहीं होगी। लेनदेन को प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों द्वारा ब्लॉकचेन के माध्यम से पूरा किया जा सकता है, जिसमें आरबीआई गारंटी के रूप में कार्य करता है।
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