कंपनी के ग्राहकों को ट्रेडिंग सेंट्रल और ऑटोकार्टिस्ट तक मुफ्त पहुंच मिलती है - सर्वोत्तम विश्लेषणात्मक सेवाएं, और विश्लेषणात्मक विभाग से अद्वितीय सामग्री के लिए भी
म्यूचुअल फंड कैलकुलेटर क्या है?
एक म्यूचुअल फंड वित्तीय वाहन का एक रूप है जो कई व्यक्तियों से विभिन्न प्रतिभूतियों जैसे मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, स्टॉक, बॉन्ड और अन्य परिसंपत्तियों में निवेश करने के लिए धन एकत्र करता है। पेशेवर मनी मैनेजर म्यूचुअल फंड चलाते हैं, परिसंपत्तियों का आवंटन करते हैं और फंड के निवेशकों के लिए मुनाफा कमाने का प्रयास करते हैं। बाजार के खतरों के बावजूद, म्यूचुअल फंड निवेश पर रिटर्न की भविष्यवाणी निश्चित रूप से की जा सकती है। म्यूचुअल फंड रिटर्न कैलकुलेटर आपको यह पता लगाने में मदद करेगा कि आप समय के साथ कितना पैसा कमाएंगे।
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Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर हुए हैं.
ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए और कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.
अपने मार्जिन पर ट्रेड करें
सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए वो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.
वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.
बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.
फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा
अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग करना होगा.
ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.
ब्रोकिंग चार्जेज का ध्यान रखें
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.
म्यूच्यूअल फण्ड में एसटीपी क्या है (STP और SIP में अंतर) STP In Hindi
STP Kya Hai In Hindi: जो भी व्यक्ति स्टॉक मार्केट म्यूच्यूअल फंड में जरा भी दिलचस्पी रखता है उसे SIP के बारे में जरुर पता रहता है, SIP म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है. SIP में आपको हर महीने एक निश्चित राशि एक सवय अवधि के लिए म्यूच्यूअल फंड में निवेश करनी होती है.
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आप एक म्यूच्यूअल फंड स्कीम से दुसरे म्यूच्यूअल फंड स्कीम में अपना पैसा ट्रान्सफर करना चाहते हैं जैसे आप Debt fund से Equity में अपना पैसा ट्रान्सफर करना चाहते हैं तो म्यूच्यूअल फंड में STP के द्वारा यह संभव हो पाता है.
अधिकतर लोग जो म्यूच्यूअल फंड में निवेश करते हैं उनमें से बहुत कम को ही STP के बारे में मालूम होता है, इसलिए हमने सोचा क्यों ना आज आपको STP के बारे में कम्पलीट इनफार्मेशन प्रदान कराई जाये, क्योंकि म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने वाले हर एक निवेशक को STP के विषय में पता होना चाहिए.
AMarkets के बारे में
कंपनी के अस्तित्व के वर्षों में, पत्र ए ने कई अलग-अलग अर्थ प्राप्त किए हैं, जो अब हमारे मिशन और दर्शन को आकार देते हैं:
उन्नत, उच्च अंत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके, हम व्यावहारिक निष्पादन के साथ संयुक्त नवाचार प्रदान करते हैं
14 से अधिक वर्षों के काम के लिए, हमने व्यापक, व्यापक अनुभव प्राप्त किया, और सेवाओं के निष्पादन के लिए एक योग्य दृष्टिकोण का काम किया
हमारे ग्राहकों के प्रति जवाबदेह होने के नाते, यह सुनिश्चित करना कि वे हमारे उत्पादों और सेवाओं से खुश हैं, अपने हितों को पहले रखना हमारी नंबर एक प्राथमिकता है
हम वित्तीय बाजारों में उपयोगी सहयोग सुनिश्चित करने के लिए व्यापारियों और भागीदारों के साथ एक मजबूत गठबंधन बनाते हैं
कंपनी का इतिहास
लैटिन अमेरिका, एशिया और सीआईएस में ब्रोकरेज सेवाएं प्रदान करते हुए, एमारकेट्स अपने ग्राहकों और भागीदारों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं और व्यापक समर्थन की पेशकश करने पर ध्यान केंद्रित करता है। हमारी पेशेवर टीम अभिनव समाधान खोजने और नई तकनीकों को पेश करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि दुनिया भर के एमारकेट ग्राहकों को सर्वोत्तम व्यापारिक स्थिति मिल सके। हमारे विशेषज्ञ विभिन्न उद्योग सम्मेलनों और कार्यक्रमों में सक्रिय भाग लेते हैं, जहां वे वित्तीय बाजारों के रुझानों और संभावनाओं पर चर्चा करते हैं।
1 अक्टूबर 2007 - AMarkets कंपनी की स्थापना की गई
हमने पहला कार्यालय खोला, वेबसाइट लॉन्च की और तरलता प्रदाता के साथ एक पुल स्थापित किया। मेटा ट्रेडर 4 ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों को मुफ्त पहुंच मिली
कंपनी ने एक विदेशी प्रदर्शनी में विदेशी मुद्रा एक्सपो में भाग लिया और प्रदर्शनी के मेहमानों के लिए एक विशेष उत्पाद ट्रेडरबॉक्स बनाया
Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर हुए हैं.
ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए और कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.
अपने मार्जिन पर ट्रेड करें
सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए वो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.
वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.
बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.
फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा
अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.
ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.
ब्रोकिंग चार्जेज का ध्यान रखें
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना एक एसटीपी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग भी जरूरी है.
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.
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