चीन एक ऐसा शिकारी देश है जो आए दिन कोई न कोई नया शिकार ढूंढ़ता ही रहता है फिर चाहे वह श्रीलंका हो या नेपाल परन्तु अब उसे एक नया शिकार मिल गया है और उसका नाम है बांग्लादेश। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बांग्लादेश में चीन अपने निवेश को लगातार बढ़ाता जा रहा है और बांग्लादेश उसे रसगुल्ला समझकर गपककर खाता जा रहा है लेकिन उसे यह पता होना चाहिए कि इस चीनी रसगुल्ले को पहले भी कई देशों ने खाया है और उनकी क्या स्थिति हुई है वो किसी से छिपी नहीं है।
भारतीय रिजर्व बैंक का डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? रेपो रेट 0.35% बढ़ाने का ऐलान
एमपीसी (MPC) के 6 में से 5 सदस्य दरें बढ़ाने के पक्ष में थे। जहां तक रुख का सवाल है तो एमपीसी के 6 में से 4 सदस्य अकोमोडेटिव रुख वापस लेने डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? के पक्ष में दिखे। वहीं स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी रेट बढ़कर 6% हो गया है। मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट बढ़कर 6.50% हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि महंगाई अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है, हालाकि खाद्य और एनर्जी की कीमतों में मामूली कमी देखने को मिली है। बैंकों के क्रेडिट में 8 महीने से डबल डिजिट ग्रोथ जारी है। महंगाई दर के अभी भी तय लक्ष्य के ऊपर रहने के आसार दिख रहे हैं। आरबीआई के मुताबिक अगले 12 महीने तक महंगाई दर 4% के ऊपर बने रहने की संभावना है। ग्रोथ में निजी खपत, निवेश की अहम भूमिका देखी गई है। ग्रामीण मांग में सुधार देखने को मिल रहा है। निवेश की रफ्तार में सुधार देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी (GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि अनुमान 6.8% का है। आरबीआई ने FY23 के लिए GDP वृद्धि अनुमान 7% से घटाकर 6.8% किया है। वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में जीडीपी डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? वृद्धि अनुमान 4.6% से घटाकर 4.4% किया है। वहीं चौथी तिमाही के लिए 4.6% से घटाकर 4.2% किया गया है। वित्त डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? वर्ष 2024 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि 7.1% रहने का अनुमान है। वहीं वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में रिटेल महंगाई दर 5% रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं दूसरी तिमाही में महंगाई दर 5.4% रह सकता है। वहीं वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में महंगाई दर 5.8% से बढ़कर 5.9% रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं पूरे वित्त वर्ष 2023 के लिए महंगाई दर अनुमान 6.7% पर बरकरार रखा गया है। आरबीआई महंगाई दर 6% से नीचे लाने के लिए प्रतिबद्ध है। लिक्विडिटी में आगे और सुधार देखने को मिलेगा। लिक्विडिटी को लेकर आरबीआई किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आने देगा। लिक्विडिटी की दिक्कत होने पर LAF यानी (Liquidity adjustment facility) लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी ऑपरेशंस के जरिए पूंजी डालेगी। वहीं मनी मार्केट का समय अब सुबह 9 से शाम 5 बजे होगा। 2 दिसंबर तक 56,120 करोड़ डॉलर का फॉरेक्स डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? रिजर्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार पड़ा है। आरबीआई के मुताबिक भारत का विदेशी कर्ज अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबले कम है। आरबीआई ने एक अहम फैसला लेते हुए आईएफएससी (IFSC) में गोल्ड प्राइस रिस्क के हेजिंग को मंजूरी दी ही। इसका मतलब गोल्ड प्राइस रिस्क के एक्सपोजर को हेज किया जा सकेगा। वहीं भारत बिल पेमेंट की सेवाओं का दायरा और बढ़ाया जाएगा। 21 दिसंबर को MPC के मिनट्स जारी होंगे। आरबीआई के मुताबिक वैश्विक बाजारों में सुस्ती के बावजूद भारत का प्रदर्शन बेहतर है। महंगाई का सबसे खराब दौर पीछे रह गया है। आरबीआई का कहना है कि महंगाई के खिलाफ जारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। महंगाई पर अर्जुन की तरह नजर बनाए रखने की जरूरत है। आरबीआई को भरोसा है कि चालू खाता घाटा का आसानी से प्रबंधन किया जा सकेगा। फेड की दर भारत सहित दुनिया के लिए काफी अहम है। पिछले 3 साल में जरूरत के मुताबिक RBI ने कदम उठाए हैं।
चीन के शिकंजे में फंसने जा रहा है बांग्लादेश
दरअसल, बांग्लादेश से अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए चीन वहां के बुनियादी ढांचे डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? में बड़े स्तर पर निवेश कर रहा है। इसके साथ ही वह दोनों देशों की मुद्रा में आदान-प्रदान को सरल बनाने का प्रयास भी कर रहा है। उदाहरण के लिए अभी हाल के महीनों में चीन ने बांग्लादेश के साथ मिलकर इन्फॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी पर चल रहे प्रोजेक्ट का तीसरा चरण पूरा किया है। यही नहीं, बिजली क्षेत्र के लिए चीन बांग्लादेश को लगभग डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? 1.7 अरब डॉलर का कर्ज भी देने जा रहा है।
अब यदि चीन द्वारा किए गए पुराने पापों को देखा जाए तो बिना किसी लाभ के वह किसी भी देश में निवेश नहीं करता है। उदाहरण के लिए हम श्रीलंका को देख सकते हैं कि कैसे वहां की महिंदा राजपक्षे सरकार ने बिना सोचे समझे चीनी निवेश को स्वीकार कर लिया और बाद में जब कर्ज नहीं चुका पाए तो हंबनटोटा पोर्ट चीन को सौंपना पड़ा। इसके डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? अलावा राजधानी कोलंबो में कोलंबो पोर्ट सिटी के लिए 99 साल की लीज पर जगह भी दे दी गई जो आज चीन के कब्जे में है। हालांकि महिंदा राजपक्षे की सरकार तो गिर गई और वो देश छोड़कर भी भाग गए लेकिन श्रीलंका बुरी तरह से कंगाल हो गया और आज भी वहां की स्थिति में कुछ अधिक सुधार नहीं हुआ है।
बांग्लादेश चीन से क्यों ले रहा है कर्ज?
बीबीसी के एक लेख के अनुसार बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में बहुत हद तक कमी आई और उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? यानी आईएमएफ़ से 4.5 अरब डॉलर के क़र्ज़ की मांग भी की ताकि वह अपने खाली होते विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रख सके। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि बांग्लादेश के आर्थिक हालात ठीक नहीं है इसलिए इस मौके का फायदा उठाते हुए चीन वहां लगातार अपने निवेश को बढ़ाता जा रहा है और बांग्लादेश मुफ्त का चंदन समझकर घिसता जा रहा है परन्तु यह चंदन कब विष में बदल जाएगा किसी को नहीं पता।
नेपाल हो, श्रीलंका हो, पाकिस्तान हो या फिर बांग्लादेश, चीन का इन सभी देशों में निवेश करने के पीछे का उद्देश्य है ‘बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट’ जिसके जरिए वह पुराने सिल्क रूट को दोबारा से बनाकर एशिया से डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? लेकर यूरोप तक बिना किसी रुकावट के व्यापार करना चाहता है। परन्तु कोविड के चलते पिछले दो सालों से इस प्रोजेक्ट पर काम लगभग बंद ही था लेकिन अब वह बांग्लादेश को अपने जाल में फंसा रहा है और धीरे-धीरे अपने ‘बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट’ को भी शुरू कर रहा है।
ये है बांग्लादेश की बर्बादी का रास्ता
इसके अलावा 5 नवंबर को बांग्लादेश के एक अख़बार ‘प्रोथोम आलो’ में छपी एक ख़बर के अनुसार चीनी राजदूत ली जिमिंग ने बांग्लादेश के सामने एक बड़ा प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव में चीन का कहना है कि अगर बांग्लादेश सरकार तीस्ता बैराज प्रोजेक्ट पर काम करना चाहती है तो चीन इसके लिए तैयार है। यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि तीस्ता नदी के पानी का इस्तेमाल भारत और बांग्लादेश दोनों करते हैं। दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। ऐसे में तीस्ता नदी पर चीन के सहयोग से कोई भी निर्माण बांग्लादेश और भारत के बीच पुराने विवाद को और बढ़ा सकता है। इसीलिए बांग्लादेश के सामने एक यह भी चुनौती है कि पड़ोसी और मित्र देश भारत के साथ अपने संबंधों को किस तरह अच्छा बनाए रखना है।
यदि बांग्लादेश में आ रहे चीनी निवेश को लेकर संक्षेप डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? में कहा जाए तो यह बांग्लादेश की बर्बादी का रास्ता साबित हो सकता है। क्योंकि चीन बिना किसी स्वार्थ के किसी भी देश को यूं ही मुफ्त में सहायता नहीं करता है और अगर चीन इस निवेश के माध्यम से मानवतावादी बन रहा है तो उससे एक बात कहना तो बनता है कि “भाई पड़ोस में ताइवान भी है वहां भी थोड़ी मानवता दिखा लो”।
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