E-Commerce Websites: फेस्टिव सीजन में आई तेजी के बीच फर्जी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स भारतीयों को लगा रही हैं चूना
E-Commerce Websites: फेस्टिव सीजन में आई तेजी के बीच फर्जी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स भारतीयों को चूना लगा रही हैं.
Updated: October 7, 2021 8:30 AM IST
E-Commerce Websites News: जैसे-जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (E- Commerce Platform) त्योहारी सीजन में रिकॉर्ड राजस्व के लिए तैयार हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ देश में कई फर्जी और दुर्भावनापूर्ण ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बढ़ गए हैं, जो लग्जरी घड़ियों से लेकर स्मार्टफोन एक्सेसरीज बेच रहे हैं. साइबर अधिकारी उन निर्दोष उपयोगकर्ताओं की रक्षा करने में विफल रहे हैं, जो भारतीयों को ठगने के लिए फेसबुक पेज विज्ञापन नेटवर्क का उपयोग कर ऑनलाइन स्कैम का शिकार हो रहे हैं.
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वेलबाएमॉलडॉटकॉम एक ऐसा पोर्टल है जिसने हजारों भारतीय उपयोगकर्ताओं को ठगा है. यह पोर्टल अब अस्तित्व में नहीं है. इसने तकनीकी उत्पाद खरीदने के लिए ग्राहकों को मूर्ख बनाया है. केवल एक बार ऑर्डर करने और धन हस्तांतरित होने के बाद गायब हो गया है.
ऐसे ही एक साइबर फ्रॉड पीड़ित सुजीत वर्मा ने स्कैमएडवाइजर डॉट कॉम पर पोस्ट किया, “मैंने ऑनलाइन ऑर्डर किया और भुगतान किया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई और उनका ऑर्डर डिलीवर भी नहीं हुआ. वे फर्जी हैं.”
एक अन्य उपयोगकर्ता सुनील गुप्ता ने कहा, “मैंने एक एसएसडी (सॉलिड स्टेट ड्राइव) का ऑर्डर किया और ऑनलाइन भुगतान कर दिया. यह वेबसाइट फर्जी है लेकिन दुर्भाग्य से फेसबुक द्वारा समर्थित है और सभी विज्ञापन मेरे फेसबुक अकाउंट पर प्रदर्शित होते हैं. भुगतान करने के बाद, वेबसाइट से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.”
गुड़गांव के एक उपयोगकर्ता आयुष ने हाल ही में 1,668 रुपये में स्मार्टफोन के लिए एक मिनी-पॉकेट चार्जर का ऑर्डर किया, केवल यह महसूस करने के लिए कि उसका शिपमेंट कभी नहीं आने वाला था. उन्होंने अब गुरुग्राम पुलिस साइबर क्राइम सेल में ई-कॉमर्स वेबसाइट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.
वेलबायमॉल डॉट कॉम का यूआरएल अब उपयोगकर्ताओं को चीनी भाषा में एक संदेश पर ले जाता है, जिसमें लिखा होता है: साइट नहीं मिली. आपके अनुरोध को वेब सर्वर में संबंधित साइट नहीं मिली!”
कार्यप्रणाली सरल है: विज्ञापनदाता एक फेसबुक पेज/प्रोफाइल बनाता है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने पेज के माध्यम से बिक्री शुरू करता है और यूजर्स को अपने पोर्टल पर ले जाता है.
एक बार जब वे अपने आदेशों के लिए भुगतान प्राप्त कर लेते हैं, तो वे उत्पादों को भेजने में देरी करते हैं और जब तक फेसबुक यह समझने के लिए अपनी फीडबेक प्रोसेस पूरा करता है कि विज्ञापनदाता वैध है या घोटाला, जालसाज तुरंत पैसा कमाते हैं और फेसबुक द्वारा साइबर अपराधी घोषित करने के बाद अपना संचालन बंद कर देते हैं.
साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, यूजर्स की प्रतिक्रिया एकत्र करने और विज्ञापनदाता ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? के पेज के “स्वास्थ्य” पर निर्णय लेने की फेसबुक प्रक्रिया में लगभग एक महीने का समय लगता है, जो साइबर अपराधियों के लिए उपयोगकर्ताओं को ठगने और भागने के लिए एक लंबी खिड़की है.
स्वतंत्र साइबर सुरक्षा शोधकर्ता राजशेखर राजहरिया ने आईएएनएस को बताया, “फेसबुक के पास एक विज्ञापनदाता को ‘फिट नहीं’ घोषित करने और उसके नियमों और शर्तों के तहत विज्ञापनदाता पर कार्रवाई करने के लिए धीमा ग्राहक फीडबैक प्रोसेस है. धोखेबाज इसका फायदा उठाते हैं और निर्दोष भारतीयों को ‘अस्वास्थ्यकर’ घोषित करने से पहले फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ब्लॉक कर देते हैं.”
उन्होंने कहा कि ये घोटालेबाज फेसबुक पेजों के माध्यम से अपने उत्पादों का विज्ञापन करने, नकली और सस्ते चीनी उत्पादों को अपने ई-कॉमर्स पोर्टल्स और कॉन यूजर्स पर असली के रूप में बहुत कम पैसों में प्रदर्शित करते हैं.
इस तरह के कई नकली ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अब चालू हैं क्योंकि भारत एक रिकॉर्ड त्योहारी सीजन से गुजर रहा है, जो लगभग 9.2 बिलियन डॉलर की बिक्री के लिए तैयार है. ये पिछले साल त्योहारी महीने की बिक्री में 6.5 बिलियन डॉलर के अनुमान ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? से 42 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) अधिक है.
केवल पहले सप्ताह (3 से 10 अक्टूबर) में, यह अनुमान है कि 6.4 बिलियन डॉलर की ऑनलाइन बिक्री होगी, जो त्योहारी महीने की कुल ऑनलाइन बिक्री का लगभग 70 प्रतिशत है.
राजहरिया ने कहा, “इस तरह के नकली ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के शिकार होने से बचने का एकमात्र तरीका फ्लिपकार्ट, अमेजन आदि जैसी प्रमुख कंपनियों पर भरोसा करना और उनके माध्यम से ऑनलाइन खरीदारी करना है.”
(With IANS Inputs)
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ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट्स और सर्विस की फेक रिव्यू नहीं कर सकेंगे पोस्ट! सरकार कर रही ये तैयारी
केन्द्र सरकार ने शनिवार को कहा कि ग्राहकों की सुरक्षा लिए वह ऑनलाइन बिक्री प्लेटफॉर्म्स पर प्रोडक्ट्स एवं सर्विसेज की फेक रिव्यू पोस्ट करने पर रोक लगाने के लिए एक प्रारूप विकसित करेगी।
केंद्र सरकार ने ग्राहकों की सुरक्षा के हितों को ध्यान में रखते हुए एक खास कदम उठाने जा रही है। सरकार ने शनिवार को कहा कि ग्राहकों की सुरक्षा लिए वह ऑनलाइन बिक्री प्लेटफॉर्म्स पर प्रोडक्ट्स एवं सर्विसेज की फेक रिव्यू पोस्ट करने पर रोक लगाने के लिए एक प्रारूप विकसित करेगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के साथ एक वर्चुअल बैठक का आयोजन किया था जिसमें फेक रिव्यू से संभावित ग्राहकों को गुमराह करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के मुद्दे पर चर्चा की गई। इस बैठक में ई-कॉमर्स कंपनियों एवं अन्य संबंधित पक्षों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
मंत्रालय एक प्रारूप लेकर आएगा
मंत्रालय की तरफ से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि बैठक में फर्जी समीक्षाओं पर रोक लगाने से जुड़े एहतियाती कदमों के स्वरूप पर भी गौर किया गया। फर्जी समीक्षाओं पर रोक से जुड़ी मौजूदा व्यवस्थाओं का अध्ययन करने के बाद मंत्रालय एक प्रारूप लेकर आएगा। इस बैठक में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, ई-कॉमर्स कंपनियों, उपभोक्ता संगठन और विधि कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। दरअसल, भौतिक रूप में उत्पादों को नहीं देख पाने से संभावित ग्राहक ई-कॉमर्स मंचों पर खरीदारी करने के पहले उस उत्पाद के बारे में पोस्ट की गई समीक्षाओं के जरिये निर्णय करते हैं। इस स्थिति में फर्जी समीक्षाएं इन ग्राहकों को गलत खरीदारी के लिए प्रेरित कर देती हैं।
क्या कहा मंत्रालय के सचिव ने
मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, ‘‘ई-कॉमर्स मंचों पर उत्पादों एवं सेवाओं के बारे में अपनी समीक्षाएं पोस्ट करने वाले ग्राहकों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना और इस बारे में मंच की जवाबदेही तय करना इस मुद्दे के दो अहम पहलू हैं। इसके साथ ही ई-कॉमर्स कंपनियों को यह बताना होगा कि वे 'सर्वाधिक प्रासंगिक समीक्षा' का चयन किस तरह निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से करते हैं।’’ बैठक में शामिल हुए सभी पक्षों से इस बारे में सलाह देने को कहा गया है। उसके आधार पर मंत्रालय उपभोक्ता हितों को सुरक्षित रखने के लिए एक कानूनी प्रारूप तैयार करेगा। देश में विज्ञापनों पर नजर रखने वाली संस्था एएससीआई की मुख्य कार्यकारी मनीषा कपूर ने ई-कॉमर्स मंचों पर फर्जी एवं भ्रामक समीक्षाओं से उपभोक्ता हितों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का जिक्र किया।
‘खिलौनों’ और ‘गेम्स’ से संबंधित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Snooplay को मिला ₹4 करोड़ का निवेश
Startup Funding – Snooplay: भारत हमेशा से ही खिलौनों और अन्य तरह के गेम्स आदि के लिए एक बड़ा बाजार रहा है। इसकी अहमियत का आंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बीते कुछ सालों में भारत सरकार ने भी ‘टॉय इंडस्ट्री’ को बढ़ावा देने की कोशिशें शुरू की है।
ऐसे में इंटरनेट के इस दौर में ‘खिलौनों व गेम्स’ से संबंधित ‘ई-कॉमर्स पोर्टल्स’ का भी महत्व बढ़ जाता है। और अब इसी क्षेत्र से संबंधित ऑनलाइन मार्केटप्लेस, Snooplay ने अपने सीड फंडिंग राउंड में लगभग ₹4 करोड़ (~$535,000) का निवेश हासिल किया है।
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कंपनी को यह निवेश Pravek Kalp Pvt Ltd. के डायरेक्टर, अमोघ कुमार गुप्ता (Amogh Kumar Gupta) से मिला है।
दिल्ली आधारित इस स्टार्टअप की मानें तो प्राप्त की गई इस पूँजी का इस्तेमाल प्लेटफॉर्म को तकनीकी तौर पर और बेहतर बनाने, आपूर्तिकर्ता आधार का विस्तार करने और मार्केटिंग गतिविधियों आदि के लिए किया जाएगा।
Snooplay की शुरुआत साल 2019 में आंचल महाजन (Aanchal Mahajan) और बृजराज सिंह (Brij Raj Singh) ने मिलकर बतौर खिलौनों व गेम्स के लिए एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस के रूप में की।
Snooplay अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लोगों को उनके व्यक्तित्व, रुचियों, कौशल और लक्ष्यों के आधार पर सही खिलौनें या गेम को सर्च कर सकनें की सुविधा भी देता है। प्लेटफॉर्म पर आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स (एआई) आधारित ‘रिकमेंडेशन टूल’ और ‘इन्फ़ॉर्मेटिव वीडियो’ जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।
कंपनी ने दावे के मुताबिक, इसके प्लेटफॉर्म पर 150 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स अपने उत्पादों की पेशकश करते हैं।
आने वाले 3 महीनों में कंपनी का लक्ष्य 500-600 विक्रेताओं को प्लेटफॉर्म से जोड़ने का है। असल में यह स्टार्टअप भारत समेत विदेशों में भी अपने ग्राहकों के लिए उत्पादों की व्यापक पेशकश में तेजी लानें की कोशिशें कर रहा है।
इस निवेश को लेकर कंपनी की सह-संस्थापक और सीईओ, आंचल महाजन ने कहा;
“हम इस बात को समझते हैं कि समस्या सही उत्पादों की तलाश से संबंधित नहीं हैं, बल्कि असल समस्या यह है कि सही उत्पाद क्या व कौन से हैं?”
जाहिर है, अपनी इन सेवाओं के जरिए यह स्टार्टअप भारत को खिलौनों के लिहाज से वैश्विक निर्यात का हब बनाने के भारत सरकार के लक्ष्य को भी बल प्रदान करता है।
छोटे दुकानदारों के लिए सरकार ने खोली नई ई-दुकान, बढ़ेगी Flipkart-Amazon की चुनौती!
ई-कॉमर्स सेगमेंट में Flipkart और Amazon जैसी बड़ी कंपनियों के दबदबे को चुनौती देने के लिए सरकार ने एक नई तरह की ई-दुकान ONDC खोली है. अभी इसे पायलट बेसिस पर शुरू किया गया है. जानें क्या है ये ONDC.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 30 अप्रैल 2022,
- (अपडेटेड 30 अप्रैल 2022, 11:52 AM IST)
- 5 शहरों में शुरू हुआ ONDC
- अभी 150 रिटेलर्स ऑनबोर्ड
देश के ई-कॉमर्स ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? बाजार में अभी Flipkart और Amazon का दबदबा है. इन प्लेटफॉर्म के छोटे दुकानदारों के साथ भेदभाव करने की कई शिकायतें मिलने के बाद अब सरकार ने एक नई तरह के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है. पायलट बेसिस पर शुरू की गई इस योजना को धीरे-धीरे सरकार देशभर में लागू करेगी.
UPI की तरह है ONDC
सरकार ने जो नया ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाया है, वो एक ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) है. ये बिलकुल डिजिटल पेमेंट के लिए तैयार किए गए UPI टाइप प्रोटोकॉल की तरह है. अभी इसे 5 शहरों में पायलट बेसिस पर शुरू किया गया है.
इस बारे में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ' यूपीआई के बाद, वाणिज्य क्षेत्र के लोकतांत्रिकरण का एक और गेम चेंजर आईडिया है ONDC.ये मंच ग्राहकों को सेलर और लॉजिस्टिक प्रोवाइडर्स चुनने की आजादी देगा. तो चॉइस, सुविधा और पारदर्शिता की नई दुनिया के लिए तैयार हो जाइए.'
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इन शहरों में शुरू हुआ ONDC
वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाले उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) में अतिरिक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने जानकारी दी कि सरकार ने दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरू, कोयंबटूर, शिलॉन्ग और भोपाल में इस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को पायलट बेसिस पर शुरू किया है. इन 5 शहरों के करीब 150 रिटेलर्स अभी ONDC से जुड़े हैं. अभी हम देखना चाहते हैं कि ये काम कैसा कर रहा है, जब आप सही में पेमेंट,ऑर्डर, ऑर्डर कैंसल और डिलीवरी कर रहे हैं. हमारे पास अच्छी खासी संख्या में रिटेलर्स और टेडर्स हैं. इन्हें प्लेटफॉर्म के साथ इंटीग्रेट किया जा रहा है. वहीं कई लॉजिस्टिक पार्टनर्स को भी इससे जोड़ा जा रहा है.
ऐसे काम करेगा ONDC
सरकार को अपना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने का ख्याल कोरोना महामारी के दौरान आया. इस पर दिसंबर 2021में काम शुरू हुआ. उस दौरान सरकार को कई लोगों तक आवश्यक वस्तुएं पहुंचाने में दिक्कत आ रही थी, इसी से सरकार को इस तरह का ओपन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने का विचार आया. इससे देश में उन करोड़ों छोटे दुकानदारों को लाभ होगा, जो अभी तक ई-कॉमर्स इकोसिस्टम का हिस्सा नहीं बन पाए हैं.
ONDC, असल में एक तरह की ओपन रजिस्ट्री होगी. छोटे से छोटा दुकानदार अपने आप को इस पर रजिस्टर करा सकेगा. ये ई-कॉमर्स सेगमेंट में मानकीकरण लाने वाला होगा. इसका फायदा ये होगा कि किसी रिटेलर को ऑनलाइन मार्केट में सामान बेचने के लिए खुद के अलग-अलग ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर नहीं कराना होगा. ऐसे में अगर किसी ग्राहक को कुछ खरीदना होगा, तो वो अपने इलाके में इस ओपन रजिस्ट्री पर रजिस्टर रिटेलर को पहले चेक कर सकेगा. इतना ही नहीं ग्राहक को एक और फायदा ये होगा कि वह अपने ऑर्डर को अलग-अलग करके मंगा सकेगा, खुद से डिलीवरी के ऑप्शन को चुन सकेगा.
Exclusive: कम हो रही गांव से शहर की दूरी, गांव के छोटे व्यापारियों को ई-कॉमर्स से जोड़ रही है ये संस्था
1 ब्रिज एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है. आसान शब्दों में कहें तो ये वो प्लेटफॉर्म है जो गांव के लोगों तक जरूरी सुविधाएं पहुंचाता है. हालांकि केवल सुविधाएं पहुंचाना इसका काम नहीं है.
मदन पदाकी
शताक्षी सिंह
- नई दिल्ली,
- 03 जून 2022,
- (Updated 03 जून 2022, 4:40 PM IST)
दूर-दराज के गांवों तक पहुंच रही हैं कंपनियां
हर महीने एक लाख से ज्यादा युवा हो रहे आत्मनिर्भर
आज कल भारत में गांवों के लोग ज्यादातर शहरों की ओर पलायन कर लेते हैं. अधिकतर लोग गांवो में सुविधाएं न होने के कारण पलायन करते हैं, और अपने घर मां-बाप, रिश्तेदार, दोस्त यारों से दूर हो जाते हैं. लोगों की इसी परेशानी को एक चैलेंज की तरह लिया मदन पदाकी ने, और शुरुआत हुई 1 ब्रिज (1 Bridge) की. 1 ब्रिज एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है. आसान शब्दों में कहें तो ये वो प्लेटफॉर्म है जो गांव के लोगों तक जरूरी सुविधाएं पहुंचाता है. हालांकि केवल सुविधाएं पहुंचाना इसका काम नहीं है. हाल ही में आए मन की बात के लेटेस्ट एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्लेटफॉर्म की तारीफ की थी,
GNT Digital से एक्सक्लूसिव बातचीत में 1 ब्रिज के फाउंडर मदन पदाकी ने बताया कि गांव में रहने वाले लोगों को हर छोटी से छोटी चीज के लिए गांव के बाहर जाना पड़ता है. वहीं ऑनलाइन शॉपिंग की बात करें तो गांव के लोगों के लिए ये असंभव लगता हैं. वहीं कई सारी कंपनियां गावों में काम करना भी चाहती है, पर मूल सुविधाओं की कमी के कारण वहां तक पहुंचना उनके लिए मुश्किल होता है. इसके अलावा गांवों में भी ऐसे कई लोग हैं, जो अपना खुद का बिजनेस करना चाहते हैं, पर ज्यादा लागत लगने की वजह से अपना सामान शहरों तक नहीं पहुंचा पाते हैं. ऐसे में 1 ब्रिज इस तीन तरह की दिक्कतों पर मूल रूप से काम करता है. 1 ब्रिज ने इस तीनों दिक्कतों को समझते हुए काम करना शुरू किया है.
दूर-दराज के गांवों तक पहुंच रही हैं कंपनियां
अब 1 ब्रिज Amazon, Myntra और Flipkart जैसी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है, और गांव के लोगों तक भी सारा सामान जा रहा है. दरअसल गावों में कई सारे ऐसे उद्योग संचालन कर रहे हैं, जिन्हें शहर से सामानों की जरूरत होती है. ऐसे ही लोगों की जरूरत को पूरा करता है 1 ब्रिज. इसके अलावा 1 ब्रिज गांवों में काम करने वाले छोटे उद्यमियों को शहरों के बड़े बड़े कारोबारियों से लिंक करता है, ताकि उन्हें अपने प्रोडक्ट के अच्छे पैसे मिल सकें.
हर महीने एक लाख से ज्यादा युवा हो रहे आत्मनिर्भर
1 ब्रिज ने गांवों को ई-कॉमर्स से जोड़ने का काम किया है. इस स्टार्टअप से अब तक लाखों लोग आत्मनिर्भर हो चुके हैं. 1 ब्रिज की मदद से हर महीने लगभग 1 लाख से ज्यादा युवा आत्मनिर्भर हो रहे हैं. कई लोगों ने अपना खुद का बिजनेस खोल लिया है. शहरों में तकनीकी विकास तेजी से होने के कारण अक्सर लोग गांवों का महत्व भूल जाते हैं. अब तक 1 ब्रिज 6 राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और ओडिशा के 70 से अधिक जिलों में काम किया है.
अब तक 52 करोड़ का रेवेन्यू बना चुका है 1 ब्रिज
पिछले 4 सालों में, 1 Bridge 75% से अधिक वर्ष-दर-वर्ष (YOY) वृद्धि के साथ लगातार बढ़ा है और वित्त वर्ष 2021 में 52 करोड़ रुपये से अधिक का रेवेन्यू बनाया है. अब वित्त वर्ष 2022 में उनका लक्ष्य 100 करोड़ को पार करना है. इसने दक्षिण भारत के 70 से अधिक जिलों में काम किया है. मदन का कहना है कि उनकी कंपनी ने अब तक 10,000 से अधिक उद्यमियों को जोड़ा है. ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए 35 मिलियन लेनदेन को पूरा किया है और 1.5 मिलियन ग्रामीण उपभोक्ताओं को सीधे सेवा प्रदान की है. मदन की इस पहल से अब गांवों को लोग भी आगे बढ़ रहे हैं.
भारत की इकॉनमी में ग्रामीण भारत का योगदान
भारत में कुल 6.5 लाख से ज्यादा गांव हैं, जिनमें से केवल 6,500 उपभोक्ता रहते हैं. गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए, 1 ब्रिज के सह-संस्थापक और सीईओ मदन पदाकी, 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने में ग्रामीण भारत की भूमिका पर फोकस कर रहे हैं. उन्होंने 2016 में 1 ब्रिज की शुरुआत की थी. 1 ब्रिज एक ऐसा ग्रामीण ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है, जो जो ग्रामीण उपभोक्ताओं को सप्लायर से जोड़ता है.
गांव के लोगों की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करता है 1 ब्रिज
मदन बताते हैं कि हाल ही में मैसूर के बन्नूर के पास एक छोटे से गाँव में गए थे. वहां पर उन्होंने एक किसान दंपति से बात की, जिन्होंने मदन को बताया कि उन्होंने एक ई-कॉमर्स साइट पर एक स्मार्टफोन खरीदा है, और उस स्मार्टफोन की मदद से अपने बच्चे को ऑनलाइन शिक्षा देना चाहते हैं. इस तरह मदन ने गांव के लोगों की महत्वाकांक्षाओं को समझा है. उनका कहना है कि उनका संस्था ऐसी ही महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने पर काम करती है.
मदन जैसे लोगों की बदौलत आज गांव के लोग भी ऊंचे सपने देख पा रहे है, और भारत के विकास में अपना योगदान दे पा रहे हैं.
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