ज्वेलरी डिजाईनिंग, एक चमकदार करियर विकल्प
क्या आप जानते हैं कि जेम्स व ज्वेलरी क्षेत्र द्वारा भारत के जीडीपी में 6-7% का योगदान दिया जाता है और यह भारत का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है?
यह वह क्षेत्र है जहां पर आपके प्रिय आभूषण का प्रारंभिक समय मौजूद है। ज्वेलरी डिजाईनिंग एक करियर विकल्प है जिसमें उत्तम कल्पनाशीलता, सटीकता और गहन एकाग्रता की आवश्यकता होती है। आपको अपने काम का सन्तोष तब मिलता है जब आपके द्वारा तैयार खूबसूरत और अमूल्य धरोहर को वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है विरासत में एक के बाद दूसरी पीढ़ी को दिया जाता है।
प्रसार
इससे पहल, ज्वेलरी डिजाईनिंग की सीमा कुछ गिने चुने अत्यंत कुशल कारीगरों तक सीमित थी जो आभूषणों को बनाने और तैयार करने का काम करते थे साथ ही वे बहुमूल्य पत्थर व धातुओं की पहचान भी रखा करते थे। ये गारीगर अपने कौशल को छुपाकर रखते थे और इसे पीढ़ियों द्वारा आगे हस्तांतरित किया जाता था। इनकी कला के नमूने धनवान और अभिजात्य व्यक्तियों वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है के पास होते थे और वे एक प्रकार से उनकी उत्तम आर्थिक स्थिति का प्रतीक हुआ करते थे।
आज ज्वेलरी डिजाईनिंग, निर्माण, प्रचार और व्यवसाय, यह इस उद्योग का प्रमुख कार्य प्रकार बन गया है और यह उद्योग अपनी आपूर्ति और मांग के गणित वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है के मध्य बेहतर तरीके से अपना स्थान बनाए हुए है साथ ही नवीन क्षितिज तैयार हो रहे हैं जिससे यहां काम भी बढ़ रहा है।
काम के मौके और वेतन की स्थिति
डिजायनर, मर्चेन्डायजर, एक्जीबिशन क्युरेटर, आर्ट गैलरी के प्रबन्धक, सलाहकार, इल्युस्ट्रेटर, ऑक्शनीयर, ये कुछ भूमिकाओं के नाम हैं जिनके उत्तरदायित्व के काम आपके लिये उपलब्ध होते हैं। आप अपने कौशल के अनुरुप अपने लिये बेहतर काम चुन सकते हैं।
शैक्षणिक योग्यता और कौशल के साथ मिलकर जिसमें बेहतर कल्पनाशीलता कौशल, स्थिर हाथ, कैड सॉफ्टवेयर की वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है जानकारी और बेहतर नजर, और अनुभवी ज्वेलरी डिजायनर मिलकर एक सम्माननीय वेतन पा सकते हैं जो कि अन्य प्रमुख उद्योगों के समान ही होता है।
मांग
विश्व के दूसरे सबसे बड़े स्वर्ण उपभोक्ता के रुप में, भारत में प्रतिवर्ष 500-600 टन स्वर्ण आभूषणों वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है का व्यवसाय होता है। इस मांग को पूरा करने के लिये, ज्वेलरी डिजायनर्स के लिये बडी मात्रा में काम की संभावनाएं मौजूद है। वैसे देखा जाए, तो अनेक भारतीय संस्थान छोटे और बडी अवधि के पाठ्यक्रम चलाते हैं जैसे डिप्लोला कोर्स/ प्रोग्राम जिनकी मदद से ज्वेलरी डिजाईनिंग को सीखा जा सकता है।
ज्वेलरी डिजाईनिंग में करियर आगे बढ़ाने के अवसर
तकनीकी रुप से आधुनिक प्रकार के आभूषणों की मांग और ब्रान्डेड आभूषणों की मांग के कारण वर्तमान में उद्योग में लगभग 1.3 मिलियन व्यक्तियों वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है को काम मिल सकता है। अंतर्राष्ट्रीय आभूषण डिजाईनिंग प्गर्म और एक्स्पोइर्ट हाऊन्स भी अनुभवी डिजायनर्स को बेहतर वेतन पर काम पर रख रहे हैं। हाल ही में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा युवाओं को डिजाईन के रुप में नवीन करियर अपनाने की बात कही है। आपने कहा कि ’भारत के डिजाईन’ भी ’मेक इन इन्डिया’ के समान ही महत्वपूर्ण है।
तो अब इंतज़ार किस बात का है, यदि आपके पास सृजनात्मक संपदा है, यदि बारीकी से काम करना आपका शगल है, आप कड़ी मेहनत, नया सीखना चाहते हैं, तब ज्वेलरी डिजाईनिंग आपके लिये एक आनंददायी करियर विकल्प हो सकता है।
कमोडिटी बाजार से कमाई करने से पहले इन 7 बातों को जानना है जरूरी
कमोडिटी मार्केट में मार्जिन शेयर बाजार के मुकाबले काफी कम है
सवाल नंबर 2. क्या वे वही ब्रोकर्स वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है हैं जो शेयर बाजार में भी ब्रोकिंग की सेवा देते हैं?
जवाब: आमतौर पर नहीं, लेकिन इक्विटी में ब्रोकिंग की पेशकश करने वाले कई ब्रोकर्स ने कमोडिटी ब्रोकिंग सेवाओं के लिए सहायक कंपनी बनाई हैं. उदाहरण के तौर पर एंजेल कमोडिटीज, कार्वी कमोडिटीज जैसी कंपनियां कमोडिटी एफएंडओ (फ्यूचर एवं ऑप्शन) वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है ब्रोकिंग की पेशकश अपनी सहायक कंपनियों के जरिए करती हैं. इसका मतलब है कि यदि आप ट्रेड करना चाहते हैं तो आपको अपने इक्विटी खाते से अलग डीमैट / ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा.
सवाल नंबर 3. क्या कमोडिटीज की डिलीवरी अनिवार्य है?
जवाब: ज्यादातर कृषि वायदा, जैसे खाद्य तेल, मसाले, आदि की डिलीवरी अनिवार्य है. लेकिन आप डिलीवरी वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है से पहले पोजीशन खत्म कर सकते हैं. गैर-कृषि नॉन वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है एग्री कमोडिटीज में, अधिकांश वस्तुओं जैसे सोने और चांदी में नॉन डिलीवरी आधारित हैं.
सवाल नंबर 4. क्या कमोडिटी में यह ट्रेडिंग शेयरों में एफएंडओ ट्रेडिंग जैसी है?
जवाब: हां. उसमें, मार्क-टू-मार्केट दैनिक आधार पर तय किया जाता है, लेकिन मार्जिन शेयर बाजार के मुकाबले काफी कम है.
सवाल नंबर 5. ट्रेडिंग करने के लिए मार्जिन क्या हैं?
जवाब: आम तौर पर 5-10 फीसदी, लेकिन कृषि वस्तुओं में, जब उठापटक आती है, एक्सचेंज अतिरिक्त मार्जिन लगा देते हैं. एक्सचेंज लॉन्ग या शॉर्ट साइड में स्पेशल मार्जिन लगा देते हैं, जो मौजूदा वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है मार्जिन का कभी-कभी 30-50 फीसदी अधिक हो सकता है.
सवाल नंबर 6.कमोडिटी एफएंडओ बाजार को कौन नियंत्रित करता है?
जवाब:सेबी मेटल्स और एनर्जी मार्केट के शीर्ष कमोडिटी एक्सचेंज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी एमसीएक्स और कृषि कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स जैसे एक्सचेंजों को रेगुलेट करता है.
सवाल नंबर 7. किन कमोडिटीज में ज्यादा ट्रेड होता है ?
जवाब: नॉन-एग्री कमोडिटीज में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग सोने, चांदी, कच्चा तेल, कॉपर आदि जैसी कमोडिटीज में होती है, जबकि नॉन एग्री कमोडिटीज की बात करें तो सोयाबीन, सरसों, जीरा, ग्वारसीड जैसे काउंटर्स में ठीक-ठाक ट्रेडिंग होती है.
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