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फ्रांस की मुद्रा क्या है और फ्रेंक अब मुद्रा क्यों नहीं है?

फ्रांस की मुद्रा क्या है? तो बताते चले कि यूरोजोन के अन्य देशों की तरह फ्रांस की मुद्रा यूरो है. जिसे 2002 की शुरुआत में लॉन्च किया गया था. यूरो को मुद्रा के रूप में साझा करने वाले क्षेत्र में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, स्पेन, साइप्रस शामिल हैं.

इन देशों में से प्रत्येक की मुद्रा का उपयोग अन्य सदस्य राज्यों में किया जा सकता है, हालांकि प्रत्येक देश के सिक्कों और बैंकनोटों के लिए अपने स्वयं के डिजाइन हैं. एक यूरो में 100 सेंट होते हैं. आपको बता दें यूरो ने फ़्रांसीसी फ़्रैंक की जगह ले ली जो पहले फ्रांस की मुद्रा थी.

इकोवास ECOWAS

पश्चिमी अफ्रीका के 8 देशों; माली, नाइजर, सेनेगल, बेनिन,टोगो, बुर्किना फासो, गिनी-बसाउ, और आइवरी कोस्ट ने फ्रांसीसी उपनिवेश काल से चली आ रही गुलामी को ख़त्म करते हुए फैसला किया है कि वे वर्तमान में प्रचलित मुद्रा ‘सीएफए फ्रैंक’ की जगह अपने देश में एक नई मुद्रा “इको” का इस्तेमाल करेंगे.

आइवरी कोस्ट के राष्ट्रपति का कहना है कि मुद्रा का नाम बदलने से इन देशों की करेंसी के संबंध में फ्रांस का किसी भी तरह का हस्तक्षेप रुक जायेगा. फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि उम्मीद है कि पश्चिमी अफ्रीका के ये देश अपनी नई करेंसी के साथ विकास के नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे.

इकोवास (ECOWAS) क्या है?

आर्थिक पिछड़ेपन के कारण अफ्रीका महाद्वीप को ‘काला महाद्वीप’ कहा जाता है. पर अब यह महाद्वीप अपने नाम को बदलने की राह पर चल पड़ा है. इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए पश्चिम अफ्रीका के 15 देशों ने लागोस की संधि पर हस्ताक्षर किए. जिसके बाद 28 मई 1975 को पश्चिम अफ्रीकी राज्यों का आर्थिक समुदाय, इकोवास (ECOWAS) की स्थापना हुई.इसका उद्येश्य पूरे पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्र में आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना था.

15 देशों में 7 अपनी अपनी करेंसी का उपयोग करते हैं. जबकि 8 देश सीएफए फ्रैंक को एक आम मुद्रा के रूप में साझा करते हैं. लेकिन अब इन 8 देशों ने फैसला लिया है कि वे ‘सीएफए फ्रैंक’ की जगह नयी करेंसी “इको” का इस्तेमाल करेंगे.

यह घोषणा फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की आइवरी कोस्ट की यात्रा के दौरान की गई थी. आइवरी कोस्ट के राष्ट्रपति एलास्साने ओउत्तारा ने देश की आर्थिक राजधानी आबिदजान में तीन बड़े बदलावों की घोषणा की थी. इन बदलावों में मुद्रा का नाम बदलना, फ्रांस के खजाने में 50 फीसदी से अधिक मुद्रा भंडार रखना तथा संबंध में किसी भी तरह से फ्रांस का हस्तक्षेप रोकना शामिल था.

फ्रांस की मुद्रा यूरो के मुकाबले रूपये की कीमत क्या है?

भारतीय रुपया में अभी हाल में 1 यूरो की कीमत 84.47 है.मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है?

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PM Mudra Yojana: दो लाख से भी कम में शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगी बंपर कमाई

PM Mudra Yojana: पीएम मुद्रा योजना के तहत आप टोमैटो सॉस बनाने का बिजनेस आप कुल 7.82 लाख रुपये की लागत से शुरू कर सकते हैं.

PM Mudra Yojana: दो लाख से भी कम में शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगी बंपर कमाई

Business Idea For Good Income : अगर आप कम बजट में अपना खुद का कारोबार शुरू करना चाहते हैं और अच्छे मुनाफे की उम्मीद करते हैं तो पीएम मोदी सरकार की मुद्रा ऋण योजना आपके काम आ सकती है. आपके बिजनेस के लिए सरकार की प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PM Mudra Yojana) अच्छा विकल्प हो सकती है. इस योजना के तहत आप कई छोटे व्यवसायों में से टमाटर सॉस का व्यवसाय (Tomato Sauce Business) शुरू कर सकते हैं. जिसके लिए आपको सरकार द्वारा न्यूनतम स्व-वित्त पोषण और अधिकतम कर्ज की आवश्यकता होती है. जिससे आप अपना बिजनेस शुरू कर सकें.

पीएम मुद्रा योजना के तहत आप टोमैटो सॉस बनाने का बिजनेस आप कुल 7.82 लाख रुपये की लागत से शुरू कर सकते हैं. हालांकि, आपको अपनी जेब से केवल 1.95 लाख रुपये का निवेश करना होगा और बाकी पैसा पीएम मोदी सरकार की मुद्रा ऋण योजना के तहत प्रदान किया जाएगा. मशीनरी एवं उपकरणों पर 2 लाख रुपये, टमाटर, कच्चे माल, सामग्री, श्रमिकों के वेतन, पैकिंग, टेलीफोन, किराया आदि पर 5.82 लाख रुपये खर्च होंगे.

रिपोर्ट के अनुसार 7.82 लाख रुपये के शुरुआती निवेश पर सालाना कारोबार 28.80 लाख रुपये तक हो सकता है. 28.80 लाख रुपये के टर्नओवर से आपको 24.22 लाख रुपये का वार्षिक खर्च घटाना होगा, जिसके बाद आपको सालाना 4.58 लाख रुपये का कुल शुद्ध लाभ होगा. इसका मतलब यह भी है कि आप हर महीने लगभग 40,000 रुपये आसानी से कमा सकते हैं.

जानिए क्या है पीएम मुद्रा योजना (PM Mudra Yojana)?

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत माइक्रो यूनिट्स डिवेलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA) लोन स्कीम भारत सरकार की एक पहल है जो व्यक्तियों, SME और MSME को लोन प्रदान करती है. MUDRA के तहत 3 लोन योजनाएं ऑफर की जाती हैं जिनका नाम शिशु, किशोर और तरुण है. मुद्रा लोन योजना (Mudra Loan Yojana) के तहत अधिकतम 10 लाख रुपये तक का लोन प्रदान किया जाता है. मुद्रा लोन लेने के लिए आवेदक को बैंकों या लोन संस्थानों को कोई सिक्योरिटी जमा कराने की जरूरत नहीं होती है. इस लोन का भुगतान 5 साल तक आराम से किया जा सकता है.

पीएम मुद्रा लोन (PM Mudra Loan) के लिए ऐसे करें आवेदन

  • मुद्रा लोन के लिए आवेदन फॉर्म mudra.org.in पर मिल जाएगा. जहां से आप फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं और सभी जरूरी जानकारी भर सकते हैं.
  • अलग- अलग बैंकों/ NBFC में अप्लाई करने की प्रक्रियाएं थोड़ी अलग हो सकती हैं.
  • आप जिस बैंक मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? से मुद्रा लोन प्राप्त करना चाहते हैं, उसकी नजदीकी शाखा में जाएं और विधिवत भरे हुए एप्लीकेशन फॉर्म को जमा करें और बैंक की अन्य औपचारिकताओं को पूरा करें.
  • आप बैंक/ लोन संस्थान द्वारा निर्धारित ज़रूरी दस्तावेजों के साथ विधिवत भरे हुए एप्लीकेशन फॉर्म को जमा करके बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट पर ऑनलाइन अप्लाई भी कर सकते हैं.
  • एक बार जब बैंक/ लोन संस्थान ये चेक कर लेता है कि जमा किए गए दस्तावेज सही हैं, तो लोन को मंजूरी दे दी जाएगी.
  • इसके बाद 7-10 कार्य दिवसों के भीतर आपके बैंक अकाउंट में लोन राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी.

यदि आप टुरंत बिजनेस लोन या 10 लाख रुपये से अधिक की लोन राशि चाहते हैं तो आप यहां अप्लाई कर सकते हैं और न्यूनतम ब्याज दर पर अपनी बिजनेस संबंधी जरूरतों के अनुसार बेस्ट लोन प्लान चुन सकते हैं.

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English News Headline : PM Mudra Yojana Tomato Sauce Business Start in Rs 1.98 lakh.

क्या है बिटकॉइन, कैसे काम करती है और कितनी सुरक्षित है, यहां मिलेगा जवाब

बिटकॉइन

दुनिया भर में बिटकॉइन का वर्चस्व बढ़ रहा है। अब दुनिया की जानी मानी इलेक्ट्रिक कंपनी टेस्ला ने भी कह दिया है मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? कि वह जल्द ही बिटकॉइन को अपने वाहनों के लिए भुगतान के रूप में स्वीकार करेगी। साथ ही उबर कंपनी भी बिटकॉइन की तरफ बढ रही है।

क्या है बिटकॉइन
बिटकॉइन वर्चुअल करेंसी है। इसकी शुरुआत साल 2009 में हुई थी, जो कि अब धीरे-धीरे इतनी लोकप्रिय हो गई है कि इसकी एक बिटकॉइन की कीमत लाखों रुपये में के बराबर पहुंच गई है। इसे क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है, क्योंकि भुगतान के लिए यह क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल करता है। यानी, अब इस करेंसी को भविष्य की करेंसी भी कह सकते हैं।

कैसे होता है लेन-देन
बिटकॉइन के लेन-देन के लिए उपभोक्ता को प्राइवेट की (कुंजी) से जुड़े डिजिटल माध्यमों से भुगतान का संदेश भेजना पड़ता है, जिसे दुनिया भर में फैले विकेंद्रीकृत नेटवर्क के जरिये सत्यापित किया जाता है।

इसके जरिए होने वाला भुगतान डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाले भुगतान के विपरीत है। बिटकॉइन एक आभासी मुद्रा है, जिसका इस्तेमाल केवल ऑनलाइन लेनदेन के लिए किया जाता है। बिटकॉइन के मूल्यों में भारी उतार-चढ़ाव के कारण अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या एक मुद्रा के रूप में कार्य करने में यह सक्षम है.


चूंकि यह किसी केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित नहीं है, इसलिए निजी तौर पर इसका विनिमय होता है। इसे 'माइनिंग' नामक एक प्रक्रिया के जरिये जेनरेट किया जाता है, जिसके लिए एक खास किस्म के सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है। इसके मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? लिए बेहतर प्रोसेसर एवं निर्बाध बिजली आपूर्ति की जरूरत है, जो हमारे देश में मुश्किल है।

क्या बिटकॉइन सुरक्षित है
यह क्रिप्टोकरेंसी अत्यधिक अस्थिर है और इसलिए बहुत जोखिम भरा है। उदाहरण के लिए, जनवरी में बिटकॉइन का मूल्य बढ़कर 42,000 डॉलर हो गया, और फिर 30,000 डॉलर तक गिर गया, फिर एक हफ्ते के दौरान फिर से बढ़कर 40,000 डॉलर हो गया था।

बिटकॉइन के लिए आपके पास एक ऐप होता है जिसके जरिए आप लेन देन करते हैं। मान कर चलिए कि सर्वर से आपकी फाइल हट गई या पासवर्ड गलत हो गया तो समझ लो आपके पैसे हमेशा के लिए खो गए। हाल ही में ऐसी खबरें आई थीं कि कुछ लोगों ने लाखों के बिटकॉइन इसलिए खो दिए क्योंकि उनके पास पासवर्ड नहीं है वह भूल गए।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी खरीदने-बेचने पर थी 10 साल की जेल
क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019 के ड्राफ्ट में यह प्रस्ताव दिया गया था कि देश में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री करने वालों को 10 साल की जेल की सजा मिलेगी। ड्राफ्ट के मुताबिक इसकी जद में वे सभी लोग आएंगे जो क्रिप्टोकरेंसी तैयार करेगा, उसे बेचेगा, क्रिप्टोकरेंसी रखेगा, किसी को भेजेगा या क्रिप्टोकरेंसी में किसी प्रकार की डील करेगा। इन सभी मामलों में दोषी पाए जाने वालों को 10 साल तक की जेल की सजा मिलती थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रतिबंध हटा दिया है।

दुनिया भर में बिटकॉइन का वर्चस्व बढ़ रहा है। अब दुनिया की जानी मानी इलेक्ट्रिक कंपनी टेस्ला ने भी कह दिया है कि वह जल्द ही बिटकॉइन को मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? अपने वाहनों के लिए भुगतान के रूप में स्वीकार करेगी। साथ ही उबर कंपनी भी बिटकॉइन की तरफ बढ रही है।

क्या है बिटकॉइन
बिटकॉइन वर्चुअल करेंसी है। इसकी शुरुआत साल 2009 में हुई थी, जो कि अब धीरे-धीरे इतनी लोकप्रिय हो गई है कि इसकी एक बिटकॉइन की कीमत लाखों रुपये में के बराबर पहुंच गई है। इसे क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है, क्योंकि भुगतान के लिए यह क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल करता है। यानी, अब इस करेंसी को भविष्य की करेंसी भी कह सकते हैं।

कैसे होता है लेन-देन
बिटकॉइन के लेन-देन के लिए उपभोक्ता को प्राइवेट की (कुंजी) से जुड़े डिजिटल माध्यमों से भुगतान का संदेश भेजना पड़ता है, जिसे दुनिया भर में फैले विकेंद्रीकृत नेटवर्क के जरिये सत्यापित किया जाता है।

इसके जरिए होने वाला भुगतान डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाले भुगतान के विपरीत है। बिटकॉइन एक आभासी मुद्रा है, जिसका इस्तेमाल केवल ऑनलाइन लेनदेन के लिए किया जाता है। बिटकॉइन के मूल्यों में भारी उतार-चढ़ाव के कारण अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या एक मुद्रा के रूप में कार्य करने में यह सक्षम है.


चूंकि यह किसी केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित नहीं है, इसलिए निजी तौर पर इसका विनिमय होता है। इसे 'माइनिंग' नामक एक प्रक्रिया के जरिये जेनरेट किया जाता है, जिसके लिए एक खास किस्म के सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है। इसके लिए बेहतर प्रोसेसर एवं निर्बाध बिजली आपूर्ति की जरूरत है, जो हमारे देश में मुश्किल है।

क्या बिटकॉइन सुरक्षित है
यह क्रिप्टोकरेंसी अत्यधिक अस्थिर है और इसलिए बहुत जोखिम भरा है। उदाहरण के लिए, जनवरी में बिटकॉइन का मूल्य मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? बढ़कर 42,000 डॉलर हो गया, और फिर 30,000 डॉलर तक गिर गया, फिर एक हफ्ते के दौरान फिर से बढ़कर 40,000 डॉलर हो गया था।

बिटकॉइन के लिए आपके पास एक ऐप होता है जिसके जरिए आप लेन देन करते हैं। मान कर चलिए कि सर्वर से आपकी फाइल हट गई या पासवर्ड गलत हो गया तो समझ लो आपके पैसे हमेशा के लिए खो गए। हाल ही में ऐसी खबरें आई थीं कि कुछ लोगों ने लाखों के बिटकॉइन इसलिए खो दिए क्योंकि उनके पास पासवर्ड नहीं है वह भूल गए।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी खरीदने-बेचने पर थी 10 साल की जेल
क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019 के ड्राफ्ट में यह प्रस्ताव दिया गया था कि देश में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री करने वालों को 10 साल की जेल की सजा मिलेगी। ड्राफ्ट के मुताबिक इसकी जद में वे सभी लोग आएंगे जो क्रिप्टोकरेंसी तैयार करेगा, उसे बेचेगा, क्रिप्टोकरेंसी रखेगा, किसी को भेजेगा या क्रिप्टोकरेंसी में किसी प्रकार की डील करेगा। इन सभी मामलों में दोषी पाए जाने वालों को 10 साल तक की जेल की सजा मिलती थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रतिबंध हटा दिया है।

RBI Digital Currency: e-rupee पर पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करने की तैयारी में RBI, जानें किस तरह अलग है डिजिटल रुपया

RBI ने शुक्रवार को डिजिटल करेंसी से संबंधित एक कांसेप्ट नोट जारी किया है. भारत से पहले नौ देश हैं जिन्होंने पूरी तरह से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को अपना रखा है.

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  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2022,
  • (Updated 07 अक्टूबर 2022, 7:22 PM IST)

डिजिटल रुपया डिजिटल रूप में पैसे से कैसे अलग है?

कई देश अपना चुके डिजिटल करेंसी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को भारत के लिए एक डिजिटल करेंसी मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? से संबंधित एक कांसेप्ट नोट जारी किया है. आरबीआई के मुताबिक, इसका उद्देश्य सामान्य रूप से सीबीडीसी और डिजिटल रुपये (e-rupee ) के बारे में लोगों को जागरूक करना है. CBDC, या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, को ‘देश की करेंसी का डिजिटल रूप’ में परिभाषित किया जा सकता है.

लॉन्च करते हुए सेंट्रल बैंक ने सीबीडीसी के बारे में कहा की ये डिजिटल फॉर्म में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी लीगल टेंडर है. यह सॉवरेन पेपर करेंसी के समान है. इसकी भी उतनी ही वैल्यू होगी जितनी देश में पेपर करेंसी की है.

क्या है डिजिटल रुपया?

कांसेप्ट नोट के मुताबिक, आरबीआई ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपए को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी लीगल टेंडर के रूप में परिभाषित किया है. डिजिटल रुपया देश में चल रही पेपर करेंसी के बराबर होगी. इसका इस्तेमाल भी उसी तरह किया जाएगा, जैसे पेपर करेंसी का किया जाता है.

डिजिटल रुपया की विशेषताएं

1. सीबीडीसी सेंट्रल बैंकों द्वारा उनकी मोनेटरी पॉलिसी के अनुरूप जारी मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? की गई एक संप्रभु मुद्रा है. आसान शब्दों में कहें तो ये पेपर करेंसी जैसी है.

2. डिजिटल करेंसी देश में पेमेंट का माध्यम, लीगल टेंडर, और सभी नागरिकों, एंटरप्राइज और सरकार द्वारा वैल्यू के एक सेफ स्टोर के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.

3. कमर्शियल बैंक के पैसे और कैश से अलग सीडीबीसी का इस्तेमाल करेंसी के रूप में किया जा सकता है.

4. इसके साथ धारकों के पास इसे इस्तेमाल करने के लिए कोई बैंक अकाउंट होना जरूरी नहीं है.

डिजिटल रुपया डिजिटल रूप में पैसे से कैसे अलग है?

सीबीडीसी और डिजिटल रूप में पैसे के बीच अंतर बताते हुए, आरबीआई ने कहा, "एक सीबीडीसी जनता के लिए उपलब्ध मौजूदा डिजिटल पैसे से अलग होगा क्योंकि सीबीडीसी रिजर्व बैंक की लॉयबिलिटी होगी, न कि एक कमर्शियल बैंक की."

कई देश अपना चुके डिजिटल करेंसी

गौरतलब है कि केवल भारत ही इसे लॉन्च करने वाला अकेला देश नहीं है. बल्कि अटलांटिक काउंसिल के सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी ट्रैकर के अनुसार, नौ देश हैं जिन्होंने पूरी तरह से सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च की है. नौ में से आठ देश कैरिबियन में स्थित हैं. बहामास का सैंड डॉलर दुनिया का पहला CBDC था, इसे 2019 में लॉन्च किया गया था. इसके अलावा, G20 देशों में से, 19 अपने स्वयं के CBDC को लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि उनमें से 16 पहले से ही इसपर काम कर रहे हैं या पायलट फेज में हैं. इसमें दक्षिण कोरिया, जापान और रूस शामिल हैं. अब भारत भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष क्या है? कार्य, भूमिका, काम

International Monetary Fund in hindi

वित्तीय स्थिरता, सभी देशों में रोजगार के अवसर बढ़ाना, अन्तराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाना और उससे सम्बंधित समस्याओं का निदान करना, किसी भी देश के अर्थशास्त्र को बढ़ावा देना, विश्व में गरीबी की समस्या को कम करने के लिए विभिन्न उपाय करना – IMF के सदस्य इन उद्देश्यों का पालन करते हैं।

IMF Bretton Woods सम्मेलन का नतीजा था और साल 1945 में अस्तित्व में आया, हालाँकि इसके गठन की घोषणा साल 1944 में हुई थी।

उस समय इसके 29 सदस्य देश थे जिनका उस समय सिर्फ यही उद्देश्य था कि दुनिया भर में अन्तराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली (payment system) को दुबारा कैसे सुचारु रूप से ठीक किया जाए। इसके बाद वे ऐसी प्रणाली लेके आये जिससे मुद्रा का मानक अन्तराष्ट्रीय बाजार में हिसाब लगाया जा सके।

1944 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति Roosevelt ने Bretton Woods ने द्वितीय विश्व युद्ध होने के बाद विश्व की अर्थव्यवस्था को दुबारा से सुगठित करने के लिए एक सम्मलेन बुलाया।

Allied राष्ट्रों के 44 मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया था। भारत का प्रतिनिधित्व रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के प्रथम गवर्नर सर डी. देशमुख ने किया था। इस सम्मलेन को संयुक्त राष्ट्र मुद्रा एवं वित्तीय सम्मलेन का नाम दिया गया जो बाद में उस जगह के नाम पर Bretton Woods सम्मलेन कहलाया।

इस सम्मलेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुछ तत्कालीन लोग थे – अमेरिका के राष्ट्रपति Roosevelt, यूनाइटेड किंगडम (UK) के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल, हैरी डेक्सटर एवं UK के treasory जॉन मेनार्ड कीन्स।

इस सम्मलेन के कारण चार महत्वपूर्ण संस्थानों का जन्म हुआ:

  • अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
  • विश्व बैंक
  • Genral Agreement on Trade & Tariff – साल 1995 में यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) बन गया।
  • Fixed exchange rate System – 1970 के दशक में यह बंद हो गया।

IMF भुगतान देय प्रबंधन (management of balance payment) सम्बन्धी समस्या और अन्तराष्ट्रीय वित्तीय समस्याओं को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सदस्य देश एक साथ मिलकर कोटा प्रणाली के द्वारा रकम इकठ्ठा करते हैं और फिर उन देशों को जो आर्थिक एवं वित्तीय समस्या झेल रहे हैं, उनको लोन पर दिया जाता है। IMF ने मुद्रा के मानक के एक नयी व्यवस्था को जन्म दिया है जिसको Flexible change रेट System कहा गया है।IMF की आधिकारिक भाषाएँ हैं – अंग्रेजी, फ्रेंच, रुसी, चीनी स्पेनिश एवं अरेबिक।

IMF कोटा एवं वोट करने के अधिकार (IMF Quota & Voting Rights in Hindi)

किसी देश की अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है और वह IMF में कितनी रकम जमा कर पाते हैं – इस आधार पर सदस्य देशों का कोटा निश्चित किया जाता है। इस कोटा के आधार पर सदस्यों को वोट करने के अधिकार दिए जाते हैं।

विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDR in Hindi)

यह परिशिष्ट (supplementary) विदेशी मुद्रा है जो IMF के द्वारा रिज़र्व धन के रूप में रखे हुए हैं। यह एक करेंसी का प्रतिनिधित्व करता है जिसका अधिकार उन सदस्य देशों के पास है जिनके साथ मुद्रा का बदलाव करवाना है।

SDR का मानक पांच प्रमुख मुद्राओं द्वारा दर्शाया गया है – US डॉलर, यूरो, ब्रिटिश पौंड, चीनी युआन और जापानी येन। सदस्य देशों के सेंट्रल देशों द्वारा IMF के SDR को चलाया जाता है जो उनके द्वारा तब उपयोग में लाया जाता है जब उनके देश में आर्थिक संकट होता है।

Reverse Tansche- RT

किसी भी सदस्य देश के कोटा का एक हिस्सा RT कहलाता है। सदस्य देश यह हिस्सा अपने हिसाब से खर्च कर सकता है और इसको तुरंत लौटाने की जरुरत नहीं पड़ती। यह हिस्सा पूरे कोटा का लगभग 25 प्रतिशत होता है।

आप अपने सवाल एवं सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में व्यक्त कर सकते हैं।

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