एक एसेट वर्ग के रूप में किस तरह से करंसी का ग्लोबल मार्केट्स क्या है? फायदा उठाया जाए और ऐसे वैश्विक कारोबारों में कैसे हिस्सेदारी ली जाए जिनका भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में प्रतिनिधित्व नहीं है. अब ज्यादा लोग इस बात को मानने लगे हैं कि बाजारों में उतार-चढ़ाव सिर्फ घरेलू कारणों ही नहीं ग्लोबल बाजारों में भी उतार चढ़ाव से होता है. आगे के लिए एकमात्र रास्ता यही है कि अपने पोर्टफोलियो का जितना संभव हो सके उतने एसेट वर्ग में डज्ञइवर्सिफाई किया जाए. इसी वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश का आकर्षण बढ़ रहा है.
Global Stock Markets
विश्व के सभी प्रमुख अमेरिकी, यूरोपीय और एशियाई स्टॉक मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करें। डॉव जोन्स, नैस्डैक, सीएसी, डैक्स, निक्केई, हैंग सेंग और कई अन्य सहित सभी प्रमुख वैश्विक बाजार सूचकांक सारणीबद्ध प्रारूप में प्रदर्शित किए गए हैं।
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'Global market'
रेटिंग एजेंसी द्वारा एक्सिस बैंक की दीर्घकालिक और अल्पकालिक क्रेडिट रेटिंग को 'बीबी+/बी' से बढ़ाकर 'बीबीबी-/ए-3' कर दिया गया है.
विश्व जनसंख्या दिवस पर जारी की गई 'वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स' रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 से 2050 के बीच 61 देशों की जनसंख्या एक प्रतिशत या इससे अधिक घट सकती है। इसके पीछे पलायन जैसे कारण होंगे
वैश्विक बाजार में तेजी और रुपये में गिरावट के बीच दिल्ली सर्राफा बाजार में गुरुवार को सोना (Gold) 497 रुपये की तेजी के साथ 52,220 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया.
अमेरिकी डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपये (Rupees) की विनिमय दर सोमवार को तीन पैसे की गिरावट के साथ 79.81 पर बंद हुई. वैश्विक बाजारों में डॉलर के मजबूत होने के साथ रुपया का शुरुआती लाभ लुप्त होने से यह गिरावट आई.
ग्लोबल मार्केट से मिल रहे पॉजिटिव संकेतों के बीच स्थानीय शेयर बाजारों में कारोबारी सप्ताह के पहले दिन सोमवार को शेयर बाजार का सेंसेक्स 433.30 अंक उछलकर 53,161.28 अंक पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी में 132.80 अंकों का उछाल आया. निफ्टी 15,832.05 अंक पर बंद हुआ.
ग्लोबल स्टॉक में निवेश कर बना सकते हैं मोटा पैसा, लेकिन पहले जानें इसके फायदे और नुकसान
Communication services, financial and information technology were the biggest S&P industry sector, gainers.
Global Equities: वैश्विक स्तर पर देखें तो कई तरह के इनोवेशन हो रहे हैं या नई तकनीक आ रही है जो कि हमारे दैनिक जीवन पर असर डालती हैं. इन सबका निवेश के लिहाज से भी महत्व होता है. अभी की बात करें तो भारतीय शेयर बाजार में बहुत कम इनोवेटर लिस्टेड हैं. भारत भले ही 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो, लेकिन यहां का मार्केट कैप करीब 2.1 लाख करोड़ डॉलर ही है, जबकि बाकी दुनिया का मार्केट कैप 90 लाख करोड़ डॉलर के करीब है. ऐसे में अगर आप भारत से बाहर ग्लोबल बाजारों में निवेश नहीं करते हैं, तो इसका मतलब यह है कि आप उस अवसर को नजरअंदाज कर रहे हैं जो करीब 43 गुना ज्यादा है.
क्यों ग्लोबल इक्विटी में ग्लोबल मार्केट्स क्या है? निवेश फायदेमंद
सबसे पहले तो इस पर विचार करते हैं कि किसी को ग्लोबल इक्विटीज यानी वैश्विक शेयर बाजार में निवेश क्यों करना चाहिए. निवेश के साथ जोखिम जुड़ा होता है और इस जोखिम को खत्म नहीं किया जा सकता. लेकिन डायवर्सिफिकेशन के द्वारा कम जरूर किया जा सकता है. सभी तरह के एसेट (परिसंपत्ति) में निवेश का डायवर्सिफिकेशन करना जोखिम के प्रबंधन का मूल है.
ग्लोबल फंडों/शेयरों में निवेश से आपको रुपये में गिरावट का फायदा उठाने में भी मदद मिलती है. पिछले 35 साल में रुपया हर साल औसतन 6 फीसदी की दर से कमजोर हुआ है. अगर आप अपने बच्चों को अगले कुछ साल में विदेश में पढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं तो आपको बढ़ती फीस और रुपये की गिरावट की वजह से ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है.
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सीधे ग्लोबल इक्विटीज में निवेश
सीधे ग्लोबल शेयरों में निवेश करने के कई फायदे हैं जैसे निवेशक अपनी समझ, सुविधा और सूझबूझ के मुताबिक कुछ चुनिंदा शेयरों के पोर्टफोलियो पर अपना ध्यान केंद्रित रख सकता है (एक शेयर से लेकर 10 शेयरों तक). उसका इसमें पूरा नियंत्रण होता है और यह एक आसान विकल्प लग रहा है. लेकिन ऐसा वही कर सकता है जो शेयर बाजार का अच्छा खासा जानकार हो. इसके अलावा, उसके पास ऐसी क्षमताएं होनी चाहिए कि वह ऐसी वैश्विक घटनाओं को पहचान सके और उन पर नजर रख सके जो उसके शेयरों पर असर डाल सकती हैं. ऐसे निवेशक के पास अनुपालन और नियामक मसलों से भी निपटने की क्षमता होनी चाहिए. उदाहरण के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) के शेड्यूल एफए में निवेशकों को अपने पास रहने वाले विदेशी एसेट का विस्तृत ब्योरा देना अनिवार्य होता है. इसी तरह, लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत प्रति व्यक्ति के सालाना 2.5 लाख डॉलर ही भेजने की सीमा तय है.
कुछ निगेटिव प्वॉइंट भी
हालांकि, म्यूचुअल फंडों के द्वारा निवेश के कई नुकसान भी हैं, जैसे-लागू एनएवी एक दिन बाद आता है, मुद्रा का जोखिम होता है, तीन साल से कम रखने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लग जाता है.
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि छोटे निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंडों के द्वारा वैश्विक शेयरों में निवेश करना, सीधे शेयरों में निवेश करने से बेहतर होता है. ज्यादा सलाहकार पहली बार इक्विटी में निवेश करने वाले निवेशकों को डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स में निवेश करने की सलाह देते हैं. इनमें उन फंडों को पहला विकल्प रखना चाहिए जो कि दुनिया भर में निवेश करते हैं. इसी तरह समझदार हाई नेटवर्थ वाले यानी बड़े निवेशक, जिनके पास पर्याप्त संसाधन हैं और जो सभी तरह की रिपोर्टिंग और रिसर्च को हासिल कर सकते हैं, वे रुपये के प्रभुत्व वाले ग्लोबल फंडों के साथ ही सीधे शेयरों में निवेश कर सकते हैं या अन्य इक्विटी विकल्पों में जो LRS के मुताबिक उनके लिए उपलब्ध हो.
हाइलाइट्स
सेंसेक्स पिछले कारोबारी सत्र में 62,273 के रिकॉर्ड हाई लेवल पर बंद हुआ था.
निफ्टी 217 अंकों की तेजी के साथ 18,484 पर पहुंच गया था.
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बाजार में 1,231.98 करोड़ की पूंजी लगाई है.
नई ग्लोबल मार्केट्स क्या है? दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) ने पिछले सत्र में अपना रिकॉर्ड ग्लोबल मार्केट्स क्या है? हाई स्तर छुआ और 62 हजार के ऊपर बंद हुआ. लेकिन, आज बाजार पर ग्लोबल मार्केट का दबाव दिख रहा है. एक्सपर्ट का अनुमान है कि आज शुरुआत में निवेशक बिकवाली की तरफ जा सकते हैं, जिससे बाजार को गिरावट का सामना करना पड़ सकता है.
सेंसेक्स पिछले कारोबारी सत्र में 762 अंकों की बड़ी बढ़त के साथ 62,273 के रिकॉर्ड हाई लेवल पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 217 अंकों की तेजी के साथ 18,484 पर पहुंच गया था. गुरुवार को बाजार में फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग की एक्सपायरी भी थी और इस दौरान निवेशकों ने जमकर शेयर खरीदे, जिससे तगड़ा उछाल मिला. एक्सपर्ट का कहना है कि वैसे तो निवेशकों का पॉजिटिव सेंटिमेंट बना रहेगा, लेकिन आज शुरुआती कारोबार में ग्लोबल मार्केट का दबाव रहा तो कुछ देर तक मुनाफावसूली चल सकती है.
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