क्रिप्टो एक्सचेंजों (Crypto Exchange) के एक अनुमान के मुताबिक, भारत में तकरीबन 1.5 करोड़ लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है. वर्तमान में भारतीय लोगों के पास करीब 15,000 करोड़ रुपये की होल्डिंग है. 350 ऐसे स्टार्टअप्स हैं, जो ब्लॉकचेन (Blockchain) और क्रिप्टो मार्केट (Crypto Market in India) से जुड़े हैं. WazirX और कॉइनस्विच कुबेर समेत कई एक्सचेंजों पर यूजर्स की मांग लगातार बढ़ रही है. खुद क्रिप्टो एक्सचेंज अपने विज्ञापनों के लिए जमकर पैसा बहा रहे हैं.
Cryptocurrency : क्या भारत में गैर कानूनी है क्रिप्टोकरेंसी? भविष्य में क्या हैं संभावनाएं? एक क्लिक पर जानें सबकुछ
वर्तमान में, बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी भारत में कानूनी विनियमन के दायरे से बाहर हैं.
भारतीय निवेशक देश में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर आधिकारिक फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं. भले ही अल सल्वाडोर ने डिजिटल करेंसी क्रांति को अपना लिया हो, लेकिन भारत अभी भी इस मुद्दे पर विचार चल रहा है. पिछले हफ्ते, वित्त पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष जयंत सिंह ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि भारत सरकार भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को विनियमित करने के लिए "विशिष्ट दृष्टिकोण" अपनाएगी.
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यह बयान ऐसे समय में आया है, जब देश में क्रिप्टोकरेंसी अभी भी अनियंत्रित है. भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी निवेशकों और एक्सचेंजों का एक मजबूत आधार है लेकिन निवेशक अभी भी क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर अंधेरे में हैं.
क्या भारत में गैर कानूनी है क्रिप्टोकरेंसी?
वर्तमान में, बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी भारत में कानूनी दायरे से बाहर हैं. हम उन्हें अवैध नहीं कह सकते क्योंकि वे अभी तक देश में किसी भी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा उपयोग के लिए अधिकृत नहीं किया गया है. क्रिप्टोक्यूरेंसी फिलहाल किसी भी दिशा-निर्देश, विनियम या नियम के दायरे से बाहर है. इस वजह से बिटकॉइन (Bitcoin) और अल्टकॉइन (altcoin) लेनदेन जोखिम भरा है क्योंकि इन एक्सचेंजों से उत्पन्न होने वाले विवाद कानूनी रूप से बाध्य नहीं होंगे.
क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स?
भारत ने अभी तक क्रिप्टोकुरेंसी लेनदेन पर कोई नियम नहीं बनाए हैं, इसलिए इस पर टैक्स भी नहीं हैं, लेकिन सभी उपक्रमों से पारदर्शिता बरतने के लिए कहा गया है. अप्रैल में, इसी बाबत कंपनी अधिनियम में संशोधन पेश किए गए थे. इस पारदर्शिता के कारण, डिजिटल संपत्ति और उसके लाभ को पूंजीगत संपत्ति के रूप में गिना जा सकता है, जो पूंजीगत लाभ के तहत करों से बंधी है लेकिन कंपनियां अभी तक यह सुनिश्चित नहीं कर पा रही हैं कि इस संबंध में विभिन्न प्रकार के लाभ और आय पर कर गणना कैसे की जाए.
डिजिटल करेंसी नहीं एसेट पर लगा है टैक्स
सबसे पहले तो ये समझिए सरकार ने जो टैक्स लगाया है वो डिजिटल एसेट या यूं कहें क्रिप्टोकरेंसी (Cyrptocurrency) जैसे बिटकॉइन पर लगा है, जो फिलहाल लीगल नहीं है. गौर करने की बात ये है कि सरकार इसे करेंसी नहीं मान रही है. तो अब भारत में डिजिटल एसेट (Cryptocurrency) से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. मतलब अब अगर कोई व्यक्ति किसी डिजिटल एसेट (Digital Asset) में निवेश करके 100 रुपए का मुनाफा कमाता है, तो उसे 30 रुपए टैक्स के रूप में सरकार को देने होंगे.
क्रिप्टोकरेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से 1% TDS (Tax deduction at source) सरकार को भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है? देना होगा. मान लीजिए, किसी ने कोई क्रिप्टोकरेंसी खरीदी हुई है. ये उसका निवेश है. मतलब उसका ये Asset हुआ. अब अगर खरीदने वाला इस एसेट को किसी और को ट्रांसफर करता है, तो उसे अलग से उस Asset की कुल कीमत पर 1% के हिसाब से TDS चुकाना होगा. TDS किसी Source पर लगाया जाता है. जैसे आपको हर महीने मिलने वाली तनख्वाह पर सरकार जो टैक्स लेती है, वो TDS होता है. कुल मिलाकर सरकार डिजिटल करेंसी को एक इनकम सोर्स मान रही है. इसकी कमाई पर 30% टैक्स भी लगा दिया गया है.
तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?
बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.
वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?
आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.
सरकार के भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है? प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.
गिफ्ट पर भी लगेगा टैक्स, ऐसे होगा कैलकुलेट
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.
एक और बात जो नोटिस करने वाली है कि ये नया टैक्स आने वाले कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल से लागू होगा. यानी क्रिप्टो में कारोबार करने वालों के पास फिलहाल 31 मार्च तक की मोहलत है. वित्त मंत्री ने यह भी प्रस्ताव किया कि डिजिटल एसेट्स के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के अलावा NFT समेत सारे टोकन आते हैं, जो सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क में नहीं हैं. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी आने आने वाली है. ये सारे बदलाव बजट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे.
cryptocurrency legal in india, क्या क्रिप्टो करेंसी को भारत में कानूनी मान्यता प्राप्त है
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया बनाम भारतीय रिजर्व बैंक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई द्वारा जारी किए गए एक सर्कुलर को रद्द कर दिया था। इस सर्कुलर में बैंकों एवं नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को वर्चुअल करेंसी, डिजिटल करेंसी या फिर क्रिप्टो करेंसी में व्यवहार करने से मना किया गया था। वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में भारत सरकार ने क्रिप्टो करेंसी की कमाई पर 30% टैक्स लगाने की घोषणा की है। भारत में अभी तक बिटकॉइन या क्रिप्टोकरंसी को कानूनी मान्यता नहीं दी गई है परंतु इसे अवैध भी घोषित नहीं किया गया है।
क्या क्रिप्टोकरेंसी को देश में कानूनी मान्यता मिल चुकी है, यहां जानिये इससे जुड़े सवालों के जवाब
Cryptocurrency: इस साल क्रिप्टोकरेंसी के भारत में लीगल टेंडर यानी वैधानिक होने की खूब चर्चाएं थीं। सभी कारोबारी व निवेशक यह जानना चाह रहे थे कि सरकार इस पर मुहर लगाती है या नहीं। इसके चलते आम बजट पर सभी की निगाहें थीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आभासी संपत्तियों पर कर लगाने के प्रस्ताव ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर बहस छेड़ दी है। जबकि कई लोगों ने डिजिटल मुद्राओं पर कर लगाने के निर्णय का भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है? स्वागत किया है, यह सोचकर कि यह आभासी मुद्राओं को पहचानने का पहला कदम है, सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या भारत में बिटकॉइन जैसी मुद्राओं को कानूनी निविदा माना जा सकता है। आखिर सरकार ने इस विषय पर अपना पक्ष भी स्पष्ट कर दिया था। गत 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस करेंसी से होने वाली आय पर सरकार कर जरूर लगाएगी लेकिन इसे देश में लीगल टेंडर भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है? किया जाना अभी तय नहीं है। हालांकि सरकार ने यह भी साफ कहा था कि इस पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने इस आभासी डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का भी प्रस्ताव रखा था। जानिये इसके बारे में कुछ खास बातें।
RBI ने अब तक क्या किया है?
आरबीआई ने 2018 में सभी बैंकों पर क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कारोबार में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IMAI) द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई के दौरान इसे पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि जब इसे लेकर कोई नियमन तैयार नहीं होता है, तब तक आरबीआई वर्चुअल करेंसी को रेगुलेट कर सकता है लेकिन इस तरह की करेंसी में कारोबार करना किसी भी पेशे में काम करने के मूल अधिकार के दायरे में आता है. कोर्ट का यह फैसला संविधान के आर्टिकल 19 (1)(g) के तहत लिया था, जोकि ट्रेड या बिज़नेस से संबंधित है.
आरबीआई तो स्पष्ट रूप से क्रिप्टोकरेंसी को लेनदेन के माध्यम के तौर पर वैधता देने के पक्ष में नहीं है. सरकार ने अभी तक अपना पक्ष साफ नहीं किया है. क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए सरकार ने ‘क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ के नाम से एक बिल पेश करने का प्रस्ताव दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो इस बिल में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency Bill) से जुड़े किसी भी काम को गैर-कानूनी बनाने का प्रावधान है. लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि आखिर कब तक इसे संसद में पेश किया जाएगा.
क्रिप्टोकरेंसी क्यों खरीद रहे लोग?
अर्थव्यवस्था के मौजूदा माहौल को देखें तो लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर कोई आकर्षक निवेश विकल्प नहीं दिखाई दे रहे हैं. ब्याज दरों में लगातार कटौती होने से बैंक डिपॉजिट (Bank deposits) में कोई रुचि नहीं दिखा रही. इसी प्रकार अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और उठापटक की वजह से रियल एस्टेट, इक्विटी म्यूचुअल फंड में कुछ खास रुचि नहीं देखने को मिल रही है.
कोविड-19 संकट, बैंकिंग निवेश में खराब रिटर्न के बीच क्रिप्टोकरेंसी तेजी से पॉपुलर हो रहा है. साथ ही हाल के दिनों में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट से आ रही खबरों ने भी निवेशकों के सेंटीमेंट को बहुत हद तक प्रभावित किया है.
क्रिप्टोकरेंसी को क्यों अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम के लिए जोख़िम माना जाता है?
दरअसल, केंद्रीय बैंक का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम का केंद्रीकरण ही सबसे बेहतर तरीका होता है यानी सरकार के पास ही अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम की बागडोर होनी चाहिए. लेकिन बिटकॉइन (Bitcoin) समेत दूसरी क्रिप्टोकरेंसी इसके ठीक उलट तरीके से काम करती हैं. उन्हें न तो किसी देश का रेगुलेटर और न ही कोई सरकार कंट्रोल करती है. यही कारण है कि भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है? केंद्रीय बैंक क्रिप्टोरेंसी को संदेह की नज़र से देखते हैं और इसकी ट्रेडिंग पर बैन या कड़े नियमन की वकालत करते हैं. अब कॉमर्शियल बैंक भी क्रिप्टोकरेंसी से दूरी बना रहे हैं.
क्रिप्टोकरेंसी पर कानूनी प्रावधान नहीं होने का मतलब है कि अगर भविष्य में सरकार इस पर बैन लगाने का फैसला करती है तो मौजूदा निवेशकों को भारी नुकसान हो सकता है. यही कारण है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर बड़ा जोख़िम है. हाल के दिनों में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में उठापटक के बाद अधिकतर लोगों का मानना है कि केवल फायदे की उम्मीद में ही इसमें निवेश किया जा रहा है.
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