अपने ऑर्डर आसानी से ट्रैक करें
अपने आदेशों को ट्रैक करने के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
अपने पैकेज को ट्रैक करने के लिए बस अपना AWB नंबर या ऑर्डर आईडी दर्ज करें।
यदि आप अपने ऑर्डर और इसकी डिलीवरी के बारे में चिंतित हैं, तो कृपया उस विक्रेता से संपर्क करें जिससे आपने इसे खरीदा है। शिपरॉकेट आपको इसके लिए कोई समाधान प्रदान नहीं कर सकता है।
आदेश की पुष्टि होने पर हमने आपका एडब्ल्यूबी ट्रैकिंग नंबर ईमेल और एसएमएस के माध्यम से आपको भेज दिया है। आप इसे वहां पा सकते हैं।
Instant Money Order क्या है? कैसे भेज सकते हैं पैसा?
डाकघर की Money Order सेवा, दशकों से दूर बसे अपनों के लिए पैसा भेजने का लोकप्रिय विकल्प रही है। इसी सेवा को नई तकनीक (कंप्यूटर और इंटरनेट) के साथ मिलाकर Instant Money Order सेवा शुरू की गई है। इसके माध्यम से पैसा भेजने के कुछ ही मिनट बाद पाने वाले को मिल जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि डाकघर की Instant Money Order सेवा क्या है? इसके क्या फायदे (Benefits) हैं और इसका उपयोग कैसे किया जाता है (How to use Instant money order service)।
पूरा लेख ऑर्डर के प्रकार क्या हैं? एक नजर में
इंस्टेंट मनी ऑर्डर सेवा क्या है?
What is Instant Money Order?
यह इंटरनेट के आधार पर (Web based) पैसा भेजने वाली एक ऑर्डर के प्रकार क्या हैं? सेवा है। भारतीय डाक विभाग की ओर से स्थापित देश भर में मौजूद तमाम इंस्टेंट मनी ऑर्डर सेंटरों के माध्यम से यह सेवा काम करती है। मुख्य डाकघरों पर Instant Money Order Centre बनाए गए हैं। फिलहाल देश के 11 शहरों में 24 आईएमओ पोस्ट ऑफिस मौजूद हैं। इसकी मदद से भारत की सीमा के अंदर मौजूद किसी भी व्यक्ति को तुरंत पैसे भेजे जा सकते हैं। Instant Money Order की मदद से बुकिंग के अगले कुछ मिनट के भीतर आपका पैसा पहुंच जाता है।
पैसे लेने डाकघर (आईएमओ सेंटर) पर जाना पड़ता है
Instant Money Order सेवा के माध्यम से पैसा भेजने पर उसे लेने के लिए डाकघर के Instant Money Order Centre जाना पडता है। जबकि, पुरानी साधारण मनी ऑर्डर सेवा में मनीआर्डर, पाने वाले के पते पर (घर पर) पहुंचाया जाता था।
जिस सेंटर से भेजा है, वहां से प्राप्त नहीं कर सकते
Instant Money Order से भेजे गए पैसों को आप उस Instant Money Order Centre से नहीं प्राप्त कर सकते, जहां से पैसा भेजा गया है। इसके अलावा भारत में स्थिति किसी भी Instant Money Order Centre से पैसा लिया जा सकता है।
कितना पैसा भेज सकते हैं? शुल्क कितना है?
डाकघर की Instant Money Order सेवा के माध्यम से आप कम से कम 1000 रुपए भेज सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा 50 हजार रुपए तक भेजे जा सकते हैं। इसमें 19999 रुपये तक की राशि कैश के रूप में दी जा सकती है, लेकिन आपको 20 हजार ये उससे अधिक रुपये की राशि ट्रांसफर करनी है तो इसे चेक के जरिए करना होता है.
पैसा भेजने के लिए कमीशन इस प्रकार से लगेगा।
भेजी जाने वाली धनराशि | कमीशन |
1,000 से 5,000 रुपए तक | 150 रुपए |
5,000 से 10,000 रुपए तक | 170 रुपए |
10,000 से 15,000 रुपए तक | 190 रुपए |
15,000 से 20,000 रुपए ऑर्डर के प्रकार क्या हैं? तक | 210 रुपए |
20,000 से 25,000 रुपए तक | 230 रुपए |
25,000 से 30,000 रुपए तक | 250 रुपए |
30,000 से 35,000 रुपए तक | 270 रुपए |
35000 से 40,000 रुपए तक | 290 रुपए |
40,000 से 45,000 रुपए तक | 310 रुपए |
45,000 से 50,000 रुपए तक | 330 रुपए |
इंस्टेंट मनी ऑर्डर करने का तरीका
इंस्टेंट मनी ऑर्डर से पैसा भेजने के लिए फार्म TRP-1 (To Remit Payment) भरना पडता है। यह फॉर्म आपको डाकघर के इंस्टेंट मनी ऑर्डर सेंटर पर मिलता है। आपको जितना पैसा भेजना है, उनके साथ इस फॉर्म को IMO Post Office Counter पर जमा करना होता है।
फार्म TRP-1 में क्या-क्या भरा जाता है?
फार्म TRP-1 पांच हिस्सों में बंटा होता है, उनमें आपको निम्नलिखित जानकारियां भरनी होती हैं—
- पैसा भेजने वाले (Sender) का नाम, पता, पिनकोड, फोननंबर
- पैसा पाने वाले (Reciever) का नाम, पता, पिनकोड, फोननंबर? धनराशि और उसका पेशा (नौकरी, बिजनेस या अन्य)
- स्टैंडर्डाइज्ड मैसेज कोड (विस्तार से जानकारी हमने इसी लेख में आगे दी है)
- 3 घोषणाएं (Declarations)
- पोस्ट ऑफिस के उपयोग हेतु जानकारियां | For Post Office use only
फार्म TRP-1 का फॉर्मेट इस प्रकार होता है-
बुकिंग क्लर्क देगा रसीद और गोपनीय कोड नंबर
iMO Counter clerk आपका पैसा भेजने के लिए बुक कर देगा और उसकी एक रसीद (printed receipt) आपको देगा। रसीद के साथ आपको एक 16 अंकों का गोपनीय नंबर (Secret Code) भी मिलेगा। यह नंबर computer generated होता है और आपको सीलबंद स्थिति में मिलता है। 16 अंकों का यह नंबर booking clerk की जानकारी में भी नहीं होगा।
इस सीलबंद कागज को फाडकर वह 16 digit iMO number आप देख लीजिए और उस व्यक्ति को बता दीजिए जिसे वह धनराशि प्राप्त करनी है। इस नंबर को बताने के लिए आप अपनी सुविधानुसार फोन, SMS, ईमेल या अन्य किसी ऑर्डर के प्रकार क्या हैं? तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं। ध्यान रहे कि इस नंबर की जानकारी आप दोनों के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को न हो सके।
इंस्टेंट ऑर्डर के प्रकार क्या हैं? मनी ऑर्डर की डिलिवरी कैसे मिलेगी?
पैसा जिसको पाना है (Receiver) उसे यह 16 अंकों का iMO number याद रखना है। वह अपनी एक फोटो आईडी (Photo Identity Card) के साथ नजदीकी iMO post office counter पर जाएगा और इस नंबर की जानकारी देगा। इससे वह खुद को वास्तविक (Receiver) प्रमाणित कर सकेगा।
इसके बाद उसे काउंटर से फॉर्म “To Make Payment” (TMP-1) मिलेगा। इस फॉर्म को भरकर अपनी किसी एक फोटोयुक्त पहचान पत्र Photo identity proof के साथ काउंटर पर दे देगा। फॉर्म चेक करने के बाद उसे भेजी गई धनराशि दे दी जाएगी। वह चाहे तो यह पैसा उसी iMO office में अपने post office savings bank account में डलवा सकता है।
मान्य Photo identity proof की लिस्ट हमने नीचे दी है।
- आधार कार्ड
- वोटर आईडी कार्ड
- पैन कार्ड
- ड्राइविंग लाइसेंस
- पासपोर्ट
- फोटोयुक्त राशन कार्ड
- पोस्ट ऑफिस आईडी कार्ड
- स्कूल या कॉलेज का आईडी कार्ड
- ऑफिशियल आईडी कार्ड
हेल्पलाइन नंबर की ले सकते हैं मदद
इंस्टेंट मनी ऑर्डर के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी लेने या समस्या के समाधान के लिए आप iMO Help Desk Phone ऑर्डर के प्रकार क्या हैं? सेवा का उपयोग कर सकते हैं। इसका फोन नंबर है 011-23036269। ईमेल से समाधान पाने के लिए ईमेल आईडी [email protected] का भी उपयोग किया जा सकता है।
ऑर्डर के प्रकार क्या हैं?
इलेक्ट्रॉनिक मनी आर्डर
मनी ऑर्डर पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी किया गया एक ऐसा ऑर्डर होता है जो उस व्यक्ति को किसी धनराशि के भुगतान के लिए जारी किया जाता है जिसके नाम पर पोस्ट ऑफिस की एजेंसी के माध्यम से मनी ऑर्डर भेजा जाता है। राशि का 'प्राप्तकर्ता' वही व्यक्ति होता है जिसका नाम उस मनी ऑर्डर पर राशि प्राप्तकर्ता के रूप में उल्लेखित होता है। मनी ऑर्डर के माध्यम से किसी को पैसे भेजने का लाभ यह है कि पैसा उसके घर या उसके ठहरने के स्थान पर ही दिया जाता है।
मनी आर्डर भेजने की प्रक्रिया
डाकघर के काउंटर से एक मनी ऑर्डर फॉर्म खरीदें। प्रेषक वह व्यक्ति होता है जो मनी ऑर्डर भेजता है।
जरूरी प्रविष्टियों को स्याही से भरें और नीचे बने स्थान पर हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लगाएँ। हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान के बिना कोई भी ऑर्डर के प्रकार क्या हैं? फॉर्म अपूर्ण माना जायेगा और किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्रेषक द्वारा या उनकी ओर से किसी भी व्यक्ति द्वारा फॉर्म में दी गयी सभी प्रविष्टियों को सुगम रूप से हिंदी, अंग्रेज़ी या प्राप्तकर्ता के जनपद की भाषा में भरा होना चाहिए। प्रेषक कूपन पर प्राप्तकर्ता को अपनी इच्छानुसार कोई सूचना भी दे सकता है। एक बार में अधिकतम 5000/- रुपये तक की राशि के लिए मनी ऑर्डर जारी किया जा सकता है।
मनी ऑर्डर फॉर्म विधिवत भरा गया हो, साथ ही भेजी जाने वाली धनराशि और कमीशन या तो नकदी में या चेक द्वारा डाकघर काउंटर पर दिया जाना चाहिए।
मनी ऑर्डर और कमीशन के रूप में प्रेषक द्वारा भुगतान की गई राशि के लिए एक रसीद दी जाएगी। रसीद में किसी भी त्रुटि या चूक को प्रेषक द्वारा वहीं पर तुरंत इंगित किया जाना चाहिए, अन्यथा इसके लिए डाकघर जिम्मेदार नहीं होगा।
प्राप्तकर्ता को पैसे का भुगतान करने के बाद मनी ऑर्डर प्रेषक को प्राप्तकर्ता या उसके अधिकृत एजेंट द्वारा हस्ताक्षरित मनी ऑर्डर की राशि का भुगतान प्राप्त करने की पावती मिलती है। अगर उचित समय में यह पावती प्राप्त नहीं की जाती है, तो ऑफिस के पोस्टमास्टर द्वारा हस्ताक्षरित भुगतान प्रमाण पत्र एक आवेदन पर दिया जाएगा। हालाँकि, सरकारी अथवा जिला, स्थानीय या नगरपालिका बोर्ड के पक्ष में जारी किए गए मनी ऑर्डर के संदर्भ में, कुछ मामलों में पावती उस प्राप्तकर्ता द्वारा बरकरार रखी जाती है जिसके द्वारा प्रेषक के लिए सीधे ही विभागीय रसीद जारी की गयी है।
सरकारी बकाया राशि के लिए कुछ विशेष प्रकार के मनी ऑर्डर फॉर्म निर्धारित किए गए हैं और उनमें से कुछ केवल उन्हीं राज्य की सीमाओं के भीतर ही लागू होते हैं जिनके लिए उन्हें जारी किया गया होता है। इन फॉर्मों को संबंधित डाकघरों से प्राप्त किया जा सकता है।
नोट 1:- यदि उस देश के डाकघर में मूल रूप से मनी ऑर्डर का भुगतान किया गया हो और पहले से भुगतान की गई अंतर्देशीय दर पर कमीशन को पुनर्निर्देशित आदेश की धनराशि से घटाया जाएगा, अगर गंतव्य देश इसकी पेशकश करता है।
नोट 2:-विदेश में भेजे जाने वाले मनी ऑर्डर की धनराशि यदि निर्धारित सीमा से अधिक है तो ऐसे मामले में किसी भी कानून या विनियमन के तहत प्रेषण के लिए इस तरह के पुनर्निर्देशन के समय, प्रेषक या ऑर्डर के प्रकार क्या हैं? भुगतानकर्ता को चाहिए कि वह भारत में मनी ऑर्डर की धनराशि के भुगतान का आदेश व्यक्तिगत रूप से या विधिवत अधिकृत एजेंट के माध्यम से या भारतीय रिज़र्व बैंक के प्राधिकारी से विदेशी मनी ऑर्डर के द्वारा भेजने का आदेश प्राप्त करे।
मनी ऑर्डर के भुगतान न होने की स्थिति में प्रेषक के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि या तो प्राप्तकर्ता का पता परिवर्तित किया जाए अथवा वह डाक घर जिस पर मनी ऑर्डर देय किया गया था, का नाम परिवर्तित किया जाए। आवश्यक परिवर्तन प्रेषक द्वारा उस डाकघर को लिखित में आवेदन करने पर बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के किया जाएगा, जिस डाकघर से मनी ऑर्डर जारी किया गया था और रसीद दिया गया तथा प्राप्तकर्ता के पते का पूर्ण विवरण मनी ऑर्डर में दर्ज किया गया था।
प्राप्तकर्ता के नाम का परिवर्तन : -
मनी ऑर्डर, जिसका अभी भुगतान नहीं हुआ है, के प्रेषक को ऐसी आवश्यकता हो सकती है कि उसका भुगतान मनी ऑर्डर में नामित प्राप्तकर्ता को न करके किसी दूसरे व्यक्ति को किया जाए। आवश्यक परिवर्तन प्रेषक द्वारा उस डाकघर को लिखित में आवेदन करने तथा पहली बार के बराबर पुनः कमीशन का भुगतान करने पर किया जाएगा, जिस डाकघर से मनी ऑर्डर जारी किया गया था और रसीद दिया गया तथा प्राप्तकर्ता के पते का पूर्ण विवरण मनी ऑर्डर में दर्ज किया गया था।
मनी ऑर्डर, जिसका अभी भुगतान नहीं किया गया है, का प्रेषक उसके भुगतान को रोक सकता है तथा उसे ऐसी आवश्यकता हो सकती है कि उसका पुनर्भुगतान उसे स्वयं किया जाए। आवश्यक परिवर्तन प्रेषक द्वारा उस डाकघर को लिखित में आवेदन करने पर बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के किया जाएगा, जिस डाकघर से मनी ऑर्डर जारी किया गया था और रसीद दिया गया तथा प्राप्तकर्ता के पते का पूर्ण विवरण मनी ऑर्डर में दर्ज किया गया था। हालाँकि किसी भी मामले में प्रेषक के अनुरोध के अनुपालन में मनी ऑर्डर का भुगतान रोकने में असमर्थता या किसी अन्य प्रकार की विफलता के लिए डाकघर जिम्मेदार होगा।
Law and Order: भारत में कितने प्रकार के होते हैं अपराध, जानिए कैसे परिभाषित करता है कानून?
हमारे देश में अदालत और पुलिस आईपीसी और सीआरपीसी के अनुसार ही काम करते हैं. जिसके चलते भारत में होने वाले अपराधों को दो श्रेणियों में बांटा गया है. एक संज्ञेय अपराध और दूसरा असंज्ञेय अपराध. चलिए जानते हैं कि इसका क्या मतलब होता है?
परवेज़ सागर
- नई दिल्ली,
- 24 जून 2022,
- (अपडेटेड 24 जून 2022, 8:32 PM IST)
- दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है भारत में अपराध
- श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी है यही ऑर्डर के प्रकार क्या हैं? प्रावधान
- संज्ञेय और असंज्ञेय श्रेणी के होते हैं अपराध
Law and Order: अपराध और अपराधी को काबू करने के लिए भारत में अपना कानून है. जिसकी अहम कड़ी है भारतीय दंड संहिता (IPC) और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) सीआरपीसी. इसी के तहत तमाम तरह के जुर्म परिभाषित किए गए हैं और साथ ही उनकी सजा के प्रावधान भी किए गए हैं. पुलिस आईपीसी और सीआरपीसी के अनुसार ही काम करती है. भारत में होने वाले अपराधों को दो श्रेणियों में बांटा गया है. एक संज्ञेय अपराध और दूसरा असंज्ञेय अपराध. चलिए जानते हैं कि इसका क्या मतलब होता है?
CrPC में संज्ञेय अपराध (Cognisable offence)
दंड प्रक्रिया संहिता ,1973 की धारा 2 (सी) के अनुसार, संज्ञेय अपराध से ऐसा अपराध और संज्ञेय मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है, जिसमे पुलिस अधिकारी प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रव्रत्य किसी अन्य विधि के अनुसार वारंट के बिना गिरफ्तारी कर सकता है. दरअसल, ये अपराध गंभीर और संगीन प्रकार के होते हैं; अत: अभियुक्त कहीं भाग न जाए और अपराध के सुबूतों को नष्ट न कर दे; इसलिए पुलिस ऐसे अपराध की सूचना मिलते ही बिना किसी वारंट के अभियुक्त को गिरफ्तार कर जांच प्रारंभ कर देती है.
ये होते हैं संज्ञेय अपराध (Cognizable Offenses)
- हत्या
- बलात्कार
- देशद्रोह
- घातक हथियारो से लैस होकर अपराध करना
- लोकसेवक द्वारा रिश्वत लेने का मामला
- योजना बनाकर गैर कानूनी कार्य करना
- सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना
- लोकसेवक नहीं होने पर गलत तरीके से खुद को लोकसेवक ऑर्डर के प्रकार क्या हैं? दर्शाकर विधि विरुद्ध कार्य करना, जनता को ऐसा आभास करना कि संबंधित व्यक्ति लोकसेवक है.
CrPC में असंज्ञेय अपराध (Non-Cognisable offence)
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2 (एल) के मुताबिक, असंज्ञेय अपराध या असंज्ञेय मामले से ऐसा अभिप्रेत है, जिसमें पुलिस अधिकारी को वारंट के बिना गिरफ्तार करने का प्राधिकार नहीं होता है. ऐसे मामलों में पुलिस बिना वारंट किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती.
ये होती है असंज्ञेय अपराध (Non-Cognisable offence) की प्रक्रिया
किसी को बिना कोई चोट पहुंचाए किए गए जुर्म असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं. ऐसे मामलों में पुलिस बिना तहकीकात के मुकदमा दर्ज नहीं करती और शिकायतकर्ता भी इसके लिए पुलिस को बाध्य नहीं कर सकता. अगर पुलिस ऐसे मामले में मुकदमा दर्ज नहीं करती तो वह ऐसी शिकायत पर कार्रवाई न करने की वजह को अपनी लॉग बुक में दर्ज करती है. इस बात की जानकारी भी सामने वाले व्यक्ति को दी जाती है. इस तरह के मामलों में जांच के लिए मजिस्ट्रेट का आदेश हासिल करना होता है. कई बार पुलिस ऐसे मामलों में एफआईआर के बजाए एनसीआर (Non Cognizable Report) दर्ज कर लेती है. उसी के आधार पर पुलिस आगे की तहकीकात करती है.
आपको बता दें कि भारत ही नहीं बल्कि और भी देशों में वहां होने वाले अपराध को इसी प्रकार से दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है. ऐसे देशों में भारत के अलावा श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश के नाम शामिल हैं, जहां अपराध को इसी तरह से दो श्रेणी में विभाजित किया गया है.
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