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डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर रुपया, लेकिन दूसरी मुद्राओं से बेहतर

रुपया सोमवार को डॉलर के मुकाबले अपने रिकॉर्ड निचले स्तर 80.40 रुपए पर पहुंच गया। रुपया भले ही बहुत कमजोर नजर आ रहा हो लेकिन इसकी एक दूसरी तस्वीर भी है। इसी दौरान रुपया अन्य प्रमुख मुद्राओं ब्रिटिश पाउंड यूरो और जापानी येन के मुकाबले मजबूत भी हुआ है।

नई दिल्ली, स्कन्द विवेक धर। रुपया सोमवार को डॉलर के मुकाबले अपने रिकॉर्ड निचले स्तर 80.40 रुपए पर पहुंच गया। इस साल रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 10% लुढ़क चुका है। इन आंकड़ों में रुपया भले ही बहुत कमजोर नजर आ रहा हो, लेकिन इसकी एक दूसरी तस्वीर डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? भी है। इसी दौरान रुपया अन्य प्रमुख मुद्राओं ब्रिटिश पाउंड, यूरो और जापानी येन के मुकाबले मजबूत भी हुआ है। पाउंड के मुकाबले तो रुपए में 10 फीसदी की मजबूती आई है।

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डॉलर के मुकाबले लुढ़कता जा रहा है रुपया

डॉलर के मुकाबले लुढ़कता जा रहा है रुपया

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2022,
  • (Updated 15 जुलाई 2022, 1:21 PM IST)

डॉलर के मुकाबले लुढ़कता जा रहा है रुपया

भारतीय रुपया टूटकर अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. गुरुवार को रुपया 79.87 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह रुपया के लिए अबतक का सबसे निचला स्तर है. रुपया इस साल करीब 7.5 फीसदी कमजोर हुआ है. यह 74 प्रति डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? डॉलर से 79.85 प्रति डॉलर पर आ गया है. रुपये में आ रही लगातार गिरावट को थामने की आरबीआई हर मुमकिन कोशिश कर रहा है.

क्यों टूट रहा रुपया

वैश्विक बाजार में डॉलर की मांग में तेजी- दुनियाभर में 85 प्रतिशत व्यापार अमेरिकी डॉलर से होता है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की जरूरत होती है. अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वह इसी मुद्रा में अन्य देशों को ऋण देता है और वसूलता है. इसके अलावा दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? है उसमें 64 प्रतिशत अमेरिकी डॉलर होते हैं. इसलिए दिन प्रतिदिन डॉलर की मांग बढ़ रही है और Dollar के आगे रुपया पस्त हो रहा है. यदि अमेरिकी डॉलर की मांग ज्यादा है, तो भारतीय रुपये का गिरना तय है.

डॉलर इतना मजबूत कैसे हो रहा है

अमेरिकी मुद्रा Dollar की पहचान एक वैश्विक मुद्रा के रूप में बन गई है डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बातें तो डॉलर और यूरो यह दो वह करेंसी है जो काफी ज्यादा लोकप्रिय और स्वीकार्य है दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा का डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? भंडार होता है उसमें 65 तक अमेरिकी डॉलर होते हैं, दुनिया भर की बैंकों में Dollar का जो यह अपार भंडार है यही इसे एक वैश्विक मुद्रा बना देता है

कुल अमेरिकी डॉलर का 65 प्रतिशत इस्तेमाल अमेरिका से बाहर होता है यानी दुनिया भर के 85% व्यापार डॉलर के द्वारा किया जाता है वही दुनियाभर के 40 फीसदी कर्ज डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? का लेनदेन डॉलर में होता है

इसलिए विदेशी बैंकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए बहुत मात्रा में Dollar की जरूरत होती है और यह सर्वदत्त है कि किसी भी वस्तु की मांग जितनी ज्यादा होगी उसकी वैल्यू भी उतनी ही अधिक होगी

डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों है

1944 में ब्रिटेन वुड्स समझौते के बाद Dollarकी मजबूती की शुरुआत हुई, इससे पहले अधिकांश देश केवल सोने को ही बेहतर मानक मानते थे उन सभी देशों की सरकारें वादा करती थी कि वह उनकी मुद्रा को सोने की मांग के वैल्यू के आधार पर तय करेंगे

न्यू हैम्पशर के ब्रिटेन वुड्स में दुनिया के विकसित देश मिले और उन्होंने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सभी मुद्राओं की विनिमय दर को तय किया उस समय अमेरिका के पास दुनिया का सबसे अधिक सोने का भंडार था इस समझौते ने दूसरे देशों को भी सोने की जगह अपनी मुद्रा का डॉलर को समर्थन करने की अनुमति दी

1970 की शुरुआत में कई देशों ने Dollar के बदले सोने की मांग शुरू करी थी क्योंकि उन्हें मुद्रास्फीति से लड़ना था, उस समय राष्ट्रपति निक्सन ने फोर्ट नॉक्स को अपने सभी भंडारों को समाप्त करने की अनुमति देने के बजाय डॉलर को सोने से अलग कर लिया डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? लेकिन तब तक डॉलर दुनिया की सबसे खास और सुरक्षित मुद्रा बन चुकी थी

रिकॉर्ड निचले स्तर पर रुपया: डॉलर के मुकाबले रुपया 60 पैसे कमजोर होकर 77.50 पर पहुंचा, डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? आने वाले दिनों में ₹79 तक जा सकता है

डॉलर के डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। रुपया आज 60 पैसे कमजोर होकर 77.50 पर बंद हुआ। रुपया 27 पैसे कमजोर होकर 77.17 पर खुला था दिनभर के कारोबार में 77.52 का निचला स्तर बनाया। इससे पहले शुक्रवार को ये 76.90 पर बंद हुआ था। पिछले दो कारोबारी सत्रों में, रुपया डॉलर के मुकाबले 115 पैसे टूट चुका है।

IIFL सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी) अनुज गुप्ता ने कहा, मजबूत अमरीकी डालर, कमजोर एशियाई करेंसीज, तेल की कीमतों समेत अन्य चीजों की महंगाई रुपए में कमजोरी के कारण हैं। आने वाले दिनों में रुपया कमजोर होकर 79 तक पहुंच सकता है।

क्यों आ रही है रुपये में गिरावट?

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का मूल्य मांग और आपूर्ति के आधार पर काम करता है. यदि अमेरिकी डॉलर की अधिक मांग है, तो भारतीय रुपये का मूल्यह्रास होता है. ठीक उसी तरह से अमेरिकी डॉलर की मांग में कमी आती है, तो भारतीय रुपया मजबूत होता है. इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि यदि कोई देश निर्यात से अधिक आयात करता है, तो डॉलर की मांग आपूर्ति से डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? अधिक होगी, तो भारतीय मुद्रा में डॉलर के मुकाबले मूल्यह्रास होगा.

इन दिनों रुपये की गिरावट मुख्य रूप से कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, विदेशों में मजबूत डॉलर और विदेशी पूंजी के आउटफ्लो की वजह से देखी जा रही है.

खासकर, रूस-यूक्रेन युद्ध, वैश्विक आर्थिक चुनौतियों, मुद्रास्फीति और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों सहित अन्य मुद्दों के मद्देनजर आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के बाद इस साल की शुरुआत से डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों? रुपये में डॉलर के मुकाबले कमजोरी देखी जा रही है.

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