दो या दो से अधिक फर्मों का भी विघटन और एक फर्म का निर्माण ही ‘ एकीकरण ‘ कहलाता हैं।
निर्यात का क्या मतलब है
निर्यात एक देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं को दूसरे देश में बेचने की अवधि को संदर्भित करता है। माल के निर्यात को निर्यात के देश और आयात के देश दोनों में सीमा शुल्क अधिकारियों की भागीदारी की आवश्यकता होती है। एक व्यक्ति द्वारा संभाला गया सभी लेनदेन निर्यातक के रूप में जाना जाता वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण है
आयात निर्यात के बीच अंतर क्या है
एक्सपोर्ट का मतलब है कि स्वदेश में निर्मित वस्तुओं और सेवाओं को बाहरी बाजार में बेचना जबकि आयात देश में विदेशी वस्तुओं और सेवाओं को लाना है।
निर्यात विश्लेषण
अप्रैल 2015 में, भारत का निर्यात 22050 USD मिलियन था। मई 2015 में यह 22050 USD मिलियन से बढ़कर 22346.75 USD मिलियन हो गई। 1957 से 2015 के बीच भारत में निर्यात औसतन 4303.66 USD मिलियन, 2013 के मार्च में 30541.44 USD मिलियन के सभी उच्च स्तर तक पहुंच गया और एक रिकॉर्ड कम 1958 के जून में 59.01 USD मिलियन। मूल रूप से भारत में निर्यात भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा रिपोर्ट किया गया है। हालांकि, कई वस्तुओं में भारत का u2019 का निर्यात मई 2015 में गिर गया था। उदाहरण के लिए, चावल का निर्यात मई 2014 में 14.6% था, जबकि अन्य अनाज का निर्यात 77.7% था। दूसरी तरफ, लौह अयस्क, जवाहरात और गहने का निर्यात क्रमशः 86% और 12.9% गिर गया।
हाल के वर्षों में, भारत एशिया में सबसे अधिक परिष्कृत उत्पाद निर्यातकों में से एक बन गया है, जो कुल निर्यात का लगभग 20 प्रतिशत पेट्रोलियम उत्पादों के साथ है।
निर्यात की आवश्यकता
- विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए निर्यात आवश्यक है। यह केवल विदेशी मुद्रा के बारे में नहीं है; यह किसी देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार करता है।
- विचारों और सांस्कृतिक ज्ञान के मुक्त आदान-प्रदान से एक कंपनी के लिए व्यापार के अवसर खुलते हैं।
- एक निर्यातक भी माल निर्यात करके मौसमी उत्पादों की मांग की कमी से सुरक्षित हो जाता है।
निर्यात जोखिमों को फैलाने और स्थानीय बाजार पर निर्भरता को कम करके अपने व्यापार का विस्तार करने का एक लाभदायक तरीका है। एक शोध से पता चलता है कि निर्यातक कंपनियां गैर-निर्यात कंपनियों की तुलना में अधिक लाभदायक हैं। यह नए विचारों, विपणन तकनीकों और व्यवसाय में अपने प्रतिस्पर्धियों को प्रतिस्पर्धा करने के तरीकों को उजागर करता है। ये सभी चीजें घरेलू बाजारों में भी प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता में सुधार करती हैं। यदि आपके पास एक सीमित घरेलू बाजार है, तो आपको निर्यात के बारे में सोचना चाहिए कि लगभग एक चौथाई नए निर्यातक वैश्विक पैदा हुए हैं।
निर्यात कारोबार ने बाद में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि को बढ़ावा दिया। भारत से निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पाद हैं:
चमड़े के सामान:भारत अन्य देशों में चमड़े के उत्पादों के निर्यात के लिए सबसे बड़ा निर्यातक देश है। भारत विदेशों में दैनिक उपयोग के लिए विभिन्न चमड़े के उत्पादों का निर्यात करता है जैसे वॉलेट, कुंजी धारक, नोटबुक, कुंजी के छल्ले।
चिकित्सा उपकरण:चिकित्सा उपकरणों ने गुणवत्ता और विविधता के सर्वश्रेष्ठ खाते के लिए विदेशों में अपना स्थान बनाया है। इन उपकरणों में शोषक धुंध, सर्जिकल कैप और सर्जिकल फेस मास्क शामिल हैं। भारत के प्रमुख उत्पादों जैसे कि बेबी इनक्यूबेटर, एयर आयनाइज़र, और डिजिटल इमेजिंग सॉफ्टवेयर 2019s आदि के बीच चिकित्सा उपकरणों के कुछ निर्यात उत्पादों को भी महत्व मिला है।
कपड़ा सामान:कपड़ा सामान भी प्रमुख उत्पाद हैं जो भारत से निर्यात किए जाते हैं। इन उत्पादों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग के कारण भारत में बड़े घरों द्वारा निर्मित महिलाओं के साथ-साथ महिलाओं के लिए डिजाइनर वस्त्र भी वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण शामिल हैं।
निर्यात को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है जो निम्नानुसार हैं:
डीम्ड एक्सपोर्ट्स
डीम्ड एक्सपोर्ट्स से तात्पर्य उन सभी लेन-देन से है जिसमें माल को भारत में माल के प्राप्तकर्ता द्वारा बनाया जाता है। आवश्यक यह है कि भारत में इस तरह के सामान का निर्माण किया जाना चाहिए। निर्यात की यह श्रेणी भारत सरकार के निर्यात आयात नीति (EXIM) द्वारा शुरू की गई है।
व्यापारिक माल निर्यात
इस प्रकार का निर्यात सभी भौतिक वस्तुओं के निर्यात को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, रेडीमेड वस्त्र, इंजीनियरिंग के सामान, फर्नीचर, कला के कार्य आदि।
सेवा निर्यात
सेवा निर्यात माल निर्यात के बिल्कुल विपरीत है। यह माल के निर्यात को संदर्भित करता है जो भौतिक रूप में मौजूद नहीं है, जो पेशेवर, सामान्य या तकनीकी सेवाएं हैं। सेवा निर्यात के उदाहरणों में कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर, मनोरंजन या तकनीकी परामर्श सेवाओं आदि का निर्यात शामिल है।
परियोजना निर्यात
प्रोजेक्ट एक्सपोर्ट से तात्पर्य किसी अन्य देश में किसी व्यावसायिक फर्म द्वारा प्रोजेक्ट की स्थापना से है। इस परियोजना को सामान्य रूप से असतत समय, वित्तीय और तकनीकी प्रदर्शन लक्ष्यों के साथ 2018non- रूटीन, गैर-दोहराव और एकबारगी उपक्रम के रूप में परिभाषित किया गया है। इसे u2019 के रूप में देखा जाता है जिसे वैज्ञानिक रूप से विकसित कार्य योजना के रूप में एक विशिष्ट अवधि के भीतर एक विशिष्ट उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए तैयार किया गया है। समय।
थोक व्यापारी किसे कहते हैं ?
थोक व्यापारी से आशय ऐसे व्यापारी से है, जो उत्पादकों से बड़ी मात्रा में वस्तुओं को क्रय करके थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फुटकर व्यापारियों को बेचता है। थोक व्यापारी निर्माता एवं फुटकर व्यापारियों के बीच की कड़ी है। यह निर्माता और फुटकर व्यापारियों के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है। ‘थोक व्यापारी फुटकर अथवा अन्य व्यापारियों के अलावा औद्योगिक, वाणिज्य एवं संस्थागत उत्पादकों की वस्तु का क्रय-विक्रय करते हैं। वे अंतिम उपभोक्ताओं को कोई उल्लेखनीय मात्रा में वस्तु का विक्रय नहीं करते।’
थोक व्यापारी की परिभाषा
1. संयुक्त राज्य अमेरिका का सेन्सर ब्यूरो- ‘सभी व्यापारी एजेन्ट तथा एकीकरणकर्ता जिसके एक ओर उत्पादकों तथा दूसरी तथा दूसरी ओर फुटकर विक्रेताओं अथवा उपभोगकर्ताओं के बीच मध्यस्थता करते हैं, थोक संस्थान कहलाते है।’
2. मैसन एवं रथ के अनुसार- ‘ऐसा कोई व्यक्ति या फर्म जो वस्तुओंं को खरीदकर या तो फुटकर विक्रेताओं को, जो कि उन्हें उपभोक्ताओं को पुन: बेच देते हैं, अथवा व्यावसायिक फर्मों को बेचता है, जो कि उन्हें औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग में लाती हैं, थोक व्यापारी है।’
भविष्य की अर्थव्यवस्था की जरूरत है कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप
The economy of the future needs agricultural technology startups
भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए कृषि प्रौद्योगिकी से जुड़े स्टार्टअप्स बेहद महत्वपूर्ण हैं
नई दिल्ली, 20 मई: कृषि प्रौद्योगिकी से जुड़े स्टार्टअप्स (Agricultural technology startups) भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्यमंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने यह बात कही है।
डॉ जितेन्द्र सिंह, मैसूरू में एग्री-टेक एवं फूड-टेक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा भारतीय कृषि क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, पुराने पड़ चुके उपकरणों के उपयोग, अनुचित संरचना और किसानों की विभिन्न बाजारों का आकलन करने में अक्षमता- जैसी कठिनाइयों को दूर करने के निमित्त नीतिगत माहौल प्रदान किए जाने की वजह से पिछले कुछ वर्षों में भारत में कृषि तकनीकी स्टार्टअप्स की एक नई लहर आई है।
डॉ जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि युवा उद्यमी अब आईटी सेक्टर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नौकरियां छोड़कर अपने स्टार्टअप स्थापित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अब ये उद्यमी अनुभव कर रहे हैं कि कृषि में निवेश सुरक्षित और लाभकारी व्यापारों में से एक है।
डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा, कृषि प्रौद्योगिकी से जुड़े स्टार्टअप समूची कृषि मूल्य श्रृंखला के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव विचार और किफायती समाधान प्रदान कर रहे हैं। इन स्टार्टअप्स में इतनी सामर्थ्य है कि वे भारतीय कृषि क्षेत्र के परिदृश्य को बदल सकते हैं और अंततः किसानों की आय में वृद्धि कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह स्टार्टअप्स और नवोदित उद्यमी किसानों, कृषि सामग्री के डीलरों, थोक विक्रेताओं, फुटकर विक्रताओं और उपभोक्ताओं को एक-दूसरे से जोड़कर उनके लिए सशक्त बाजार संपर्क वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण और समय पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्रदान करने वाली बीच की कड़ी बन गए हैं।
डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा – कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक स्तंभ है, यहाँ की 54 प्रतिशत आबादी कृषि पर सीधे निर्भर है, और देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका हिस्सा करीब 20 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण कि भारत में कृषि की पिछले कुछ वर्षों में सतत् प्रगति हुई है, लेकिन अब इस क्षेत्र में युवाओं के अभिनव विचारों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने इस्राइल, चीन और अमेरिका जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों ने नई प्रौद्योगिकी की मदद से खेती के तरीकों में बड़ा परिवर्तन किया है।
उन्होंने कहा कि हाइब्रिड बीज, प्रेसीशन फार्मिंग, बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जीओ टैगिंग, और सैटेलाइट मॉनिटरिंग, मोबाइल ऐप और कृषि प्रबंधन सॉफ्टवेयर को खेती की पूरी प्रक्रिया में विभिन्न स्तरों पर लागू करके उपज और कृषि से होने वाली आय को बढ़ाया जा सकता है।
डॉ जितेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष फरवरी में कृषि क्षेत्र के लिए देश भर में भारत में निर्मित 100 ‘कृषि ड्रोन’ की शुरुआत की। ये ‘कृषि ड्रोन’ अपनी अनूठी समकालिक उड़ानों से खेती की प्रक्रिया में सहयोग कर सकते हैं।
डॉ जितेन्द्र सिंह ने उम्मीद व्यक्त की है कि इंटरनेट एवं स्मार्टफोन उपयोग में वृद्धि के साथ-साथ स्टार्टअप्स के उभरने और सरकार की विभिन्न पहलों की वजह से कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी अपनाने की गति तेज होगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण बहुत से कृषि तकनीकी स्टार्टअप्स मुख्य रूप से बाजार आधारित हैं, जहाँ ई-कॉमर्स कंपनियां ताजे और ऑर्गेनिक फल और सब्जियां सीधे किसानों से खरीद कर बिक्री करती हैं। लेकिन, हाल में बहुत से स्टार्टअप्स ने किसानों की कठिनाइयों के अभिनव और टिकाऊ समाधान प्रदान करने शुरू किए हैं।
उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स अब बायोगैस संयंत्र, सौर ऊर्जा चालित प्रशीतन गृह, बाड़ लगाने और पानी पम्प करने, मौसम पूर्वानुमान, छिड़काव करने वाली मशीन, बुआई की मशीन और वर्टिकल फार्मिंग जैसे समाधानों से को आय वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण बढ़ाने में किसानों की मदद कर रहे हैं।
Topics: leather industry, net-zero, carbon footprint, environmental, Platinum Jubilee, CSIR-CLRI, DST, Start-ups
थोक व्यापार या विक्रेता, अर्थ, परिभाषा विशेषताएं, कार्य
विलियम जे. स्टाण्टन वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण के अनुसार,'' थोक व्यवसाय के अन्तर्गत उन लोगों को उत्पाद या सेवाओं का विक्रय करना और उसमें प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित सभी क्रियाओं को करना सम्मिलित है जो पुनविक्रय या व्यावसायिक प्रयोग के उद्धेश्य से खरीदते है।''
सेन्सस ब्यूरो आफ अमेरिका के शब्दों में,'' सभी व्यापारी, प्रतिनीधि संगहकर्ता,जो एक और उत्पादकों के माध्य और दूसरे और फुटकर व्यापारियों अथवा उपयोगकर्ता के बिच मध्यस्थता करते है थोक संस्थान कहलाते है।''
लिप्सन एवं डॉर्लिग के शब्दों में,'' थोक विक्रेता वह मध्यस्थ है जिसके ग्राहक व्यावसायिक उद्धेश्य से लाभर्जन से प्रेरित होकर माल क्रय करते है।''
मैसन एवं रथ के अनुसार,'' एक व्यक्ति या फर्म जो वस्तुएं क्रय करती है वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण और फिर उन्हें या तो फुटकर विक्रेताओं या उपभोक्ताओं को पुन: बेचने के लिए अथवा व्यावसायिक फर्मो को औधोगीक अथवा व्यावसायिक उपयोग के लिए विक्रय करती है थोक विक्रेता कहलाती है।''
थोक व्यापारी या विक्रेता की विशेषताएं
थोक व्यापार की विशेषताएं इस प्रकार है--
1. थोक व्यापार की आर्थिक स्थिति बहुत सुद्रढ होती है।
2. थोक वितरण में वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण थोक व्यापारियों के लाभ का प्रतिशत बहुत ही कम ही होता है।
3. थोक व्यापार वस्तुओं के विपणन में सहायता प्रदान कर मांग व पूर्ति में समानता बनाये रखता है।
4. थोक व्यापारि के लिए दुकान की स्थिति और सजावट को विशेष महत्व होता है यह थोक व्यापार की चौथी विशेषता है।
5. थोक व्यापारी निर्माताओं और उत्पादकों से बहुत अधिक मात्रा में माल खरीदते है।
6. थोक व्यापारियों के आर्थिक साधन होने की वजह से निर्माताओं से नकद माल खरीदते है इसके बाद फुटकर व्यापारियों को उधार माल बेचते है।
7. थोक व्यापारी न तो उतपादक है और न ही निर्माता और न ही वह फुटकर विक्रेता है उसकी स्थिति इन दोनों के बीच मध्यस्थ की है।
8. वर्तमान समय में थोक व्यापारी निजी ब्रांड के अधीन भी वस्तुओं का विपणन करने लगे है और साथ ही निर्माताओं को बहुत प्रकार की विपणन सेवाएं उपलब्ध कराने लगे है।
9. थोक व्यापारी वस्तुओं के संग्रह के साथ-साथ उनको विभिन्न श्रेणी में भी करते है।
थोक व्यापारी या विक्रेता के कार्य
थोक व्यापारी के कार्य इस प्रकार है--
1. वस्तुओं को एकत्रित करना
थोक व्यापारी अलग-अलग निर्माता या उत्पादकों से उच्चय कोटी की वस्तुओं को मांगकर उनको एक केन्द्रीयकरण करते है।
2. मूल्य निश्चित करना
थोक व्यापार में मांग एवं पूर्ति में समानता बनाकर मूल्य निश्चित किया जाता है।
थोक व्यापारियों के द्वारा वस्तुओं को मांग से पहले ही एकत्रित कर उसे कुछ समय तक सुरक्षित रखने का कार्य करना पडता है जब तक की फुटकर विक्रेताओं द्वारा उनके क्रय नही कर लिया जाता है।
थोक व्यापार में फुटकर विक्रेताओं को माल ले जाने के लिए परिवहन की सुविधाओं को उपलब्ध कराने का कार्य भी थोक व्यापारी करते है।
5. सूचनाएं देना
ग्राहको व वस्तुओं के बारे में विभिन्न सुचनाओं को एकत्रित कर उनको उत्पादकों एवं फुटकर विक्रेताओं तक पहुंचाने का कार्य भी थोक व्यापार के अन्तर्गत किया जा सकता है।
थोक व्यापार में सीधे उत्पादक या निर्माता से भारी मात्रा में माल क्रय करने का जोखिम थोक व्यापारी ही उठाते है।
अलग-अलग उत्पादकों की वस्तु कों एकत्रित कर उनको श्रेणी के अनुसार बांटना भी थोक व्यापारियों के अन्तर्गत आता है।
8. थोक व्यापार का आठवा कार्य उत्पादक एवं निर्माता को अग्रिम राशि भेजकर उनकी सहायता करना। इसी प्रकार थोक व्यापारी फुटकर व्यापरियों को उधार बेचकर उनकी आर्थिक सहायता करते है।
9. अन्य कार्य
थेाक व्यापारी यह सभी कार्यो के अलावा पैकेजिंग, प्रमापीकरण, बाजार, अनुसंधान, आदि थोक व्यापपरियों के ही कार्य है।
साझेदारी फर्म का एकीकरण | Amalgamation of Partnership Firm In Hindi
साझेदारी फर्म का एकीकरण को समझना बहुत ही आसान है यह बिंदु आपको परीक्षा में ही नहीं बल्कि सामान्य जीवन में काफी अधिक काम आएगा तो इसमें आप जानेंगे साझेदारी फर्म के एकीकरण से क्या आशय हैं, एकीकरण के उद्देश्य क्या होते हैं, समझौते क्या-क्या वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण हैं तथा आवश्यक लेखे के बारे में भी आप जानेंगे।
साझेदारी फर्म के एकीकरण से क्या आशय हैं
जब दो या दो से अधिक फर्म एक जैसा व्यापार करती हो , एक दूसरे के बीच प्रतिस्पर्धा समाप्त करना चाहती हो, अधिक लाभ प्राप्त करना चाहती हो,किसी अन्य उद्देश्य से एक साथ मिलने का निर्णय लेती है और फर्म के रूप में व्यापार चलाने का निश्चय भी करती है तो उसे ‘साझेदारी फर्म का एकीकरण’ कहा जाता हैं।
उदाहरण– मार्केट में Jio 4G आने से लगभग सभी टेलीकॉम कंपनी की छुट्टी हो गई। कुछ कंपनियां तो बंद हो गए लेकिन कुछ ने अपना पांव जमाए रखा जैसे कि- एयरटेल लेकिन Vodafone और Idea दो अलग-अलग कंपनी थी । Jio 4G के आने से यह पूरी तरह से लगभग बर्बाद हो गया था लेकिन इन्होंने एकीकरण का रास्ता चुना और मार्केट में फिर से वापस आए जिसे आज आप VI के नाम से जानते हैं। जहां V का मतलब वोडाफोन और I का मतलब आईडिया हैं।
दो या दो वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण से अधिक फर्मों का भी विघटन और एक फर्म का निर्माण ही ‘ एकीकरण ‘ कहलाता हैं।
एकीकरण के उद्देश्य हैं
- एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा यानी कि कंपटीशन को समाप्त करना।
- लाभ में अधिक वृद्धि के लिए
- बिजनेस को बड़े पैमाने पर ले जाने हेतु
- बाजार में एकाधिकार की स्थिति प्राप्त करना
- अनावश्यक खर्चों को कम करने के लिए
एकीकरण के समय समझौता
जब फर्मों का एकीकरण होता हैं तो उसके संबंध में निम्नलिखित समझौते किए जाते हैं जो इस प्रकार से दिए गए हैं-
- नई फर्म में प्रत्येक साझेदार की पूंजी की मात्रा कितनी होगी।
- पुरानी फर्मों की ख्याति का मूल्य क्या होगा- क्या ख्याति खाता खुला रहेगा या बंद कर दिया जाएगा।
- किन-किन संपत्ति एवं दायित्व को नई फर्म के द्वारा लिया जाएगा और उसका मूल्य क्या होगा।
- नई फर्म में साझेदारों के लाभ विभाजन का क्या अनुपात होगा।
साझेदारी फर्म में एकीकरण के संबंध में आवश्यक लेखें:
1. पुरानी फर्म की पुस्तकों में लेखा-
A. संचित तथा लाभ हानि खाता के संबंध में
Reserve Account …….. Dr.
Profit & Loss Account. Dr.
To Partner’s Capital Account
(Being of Reserve/Profit & Loss to Capital A/C)
B. यदि आर्थिक चिट्ठे के संपत्ति भाग में Profit & Loss Account दिया हो तो
Partner’s Capital Account. Dr.
To Profit & Loss Account
( Loss transferred to capital A/C)
C. ख्याति के संबंध में
Goodwill Account. … Dr.
To Partner’s Capital Account
(Being Goodwill A/C raised and credited to Partner’s Capital A/C)
D. नई फर्म द्वारा संपत्ति नहीं लिए जाने वित्तीय बाजारों में व्यापारों के उदाहरण पर
Partner’s Capital Account. …..Dr.
To Assets A/C
(Being Assets not Taken over by the new firm transferred to Capital A/C )
E. फर्म के द्वारा दायित्व नहीं ग्रहण करने पर
नकद भुगतान करने पर
Liability A/C. …… Dr.
To Cash Account
साझेदारों के पूंजी खाता में हस्तांतरित करने पर –
Liability A/C. …… Dr.
To Partner’s Capital Accounts
निष्कर्ष : तो पाठक अब आप यह समझ गए होंगे साझेदारी फर्म का एकीकरण क्या होता है इस पोस्ट को अपने वाहट्सएप्प ग्रुप में शेयर करे।
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