क्या होता है IPO और कैसे करें इसमें निवेश, जानिए
शेयर बाजार में आपको दिलचस्पी है तो ये शो आपके लिए ही है. आपने अक्सर शेयर बाजार में आईपीओ का जिक्र सूना होगा. शेयर बाजार के इतिहास में ऐसे कई आईपीओ आए हैं जिसमें निवेश कर लोगों ने करोड़ों रुपए कमाए हैं लेकिन कई आईपीओ ऐसे भी आए जिसमें निवेशकों को भारी नुकसान हुआ.
If you are interested in share market then this show is for you only. You must have often heard the mention of IPO in the stock market. In the history of stock market, there have been many टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है such IPOs in which people have earned crores of rupees by investing, but many such IPOs have also come in which investors have suffered huge losses.
Investing और Trading में अंतर (Hindi)|
Investing और Trading शेयर बाजार के दो पहलू हैं इन्वेस्टमेंट के लिए आपको लम्बी अवधि और एक धैर्य mindset की जरुरत पड़ती हैं पर ट्रेडिंग की लिए आप शार्ट टर्म के लिए कर सकते हैं पर इसमें जोखिम ज्यादा हैं पर अपने स्किल्स और नॉलेज को अच्छा करके आप इसमे शरुवात कर सकते हैं । तो आईये जानते हैं संक्षेप में Investing और Trading के बारे में !!
Table of Contents
What is Investing in Stock Market (Hindi)
किसी भी निवेश से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि आखिर आप निवेश करना क्यों चाहते हैं और टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है किस एसेट क्लास में निवेश करना चाहते हैं। निवेश के कई विकलप हैं जैसे रियल एस्टेट , गोल्ड या फिर कोई गवर्मेंट स्कीम पर इस ब्लॉग में हम जानेगे स्टॉक मार्किट में निवेश क्या होता हैं ? Stock मार्किट में निवेश की सबसे महत्वपूर्ण बात यहाँ हैं की आप किस अवधि के लिए पैसा लगाना चाहते हैं और कितना पैसा लगाना चाहते हैं अपने फाइनेंसियल गोल को ध्यान में रखते हुए।
निवेश लंबी अवधि का दृष्टिकोण लेता है चाहे निवेश के लिए लंबे समय के लिए स्टॉक में निवेश किया गया हो क्योंकि निवेश के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है। निवेशक धीरे-धीरे समय की टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है अवधि में धन का निर्माण करते हैं। निवेश में आम तौर पर कई साल लगते हैं क्योंकि यह कई लाभों के साथ आता है जैसे टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है कि लाभांश, स्टॉक स्प्लिट बोनस आदि। निवेशक को डाउनट्रेंड चक्र या साइडवेज मार्केट में धैर्य की आवश्यकता होती है। क्यूंकि आपका निवेश उस कंपनी की ग्रोथ से जुड़ा हैं जिसका आपने स्टॉक ले रखा हैं और इकनॉमिक एक्टिविटी आदि पर निर्भर करता हैं इसलिये इसमें समय लग सकता हैं ।
Stock Market में निवेश कैसे करें|How to start Investing in Stock Market
अगर आप नए इन्वेस्टर हैं और स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने की सोच रहे हैं, तो सबसे टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है पहले आपको उसके बारे में अच्छे से जानकारी जुटानी चाहिए। निवेश आप लम्बी अवधी और छोटी अवधि के लिए भी कर सकते हैं और पैसे को एकमुश्त या सिप के माध्यम से भी निवेश कर सकते हैं अपने वित्तीय लक्ष्य को जानना सबसे महत्वपूर्ण बातों में से एक है।एक योजना बनाएं और दूसरा उसका पालन करने के लिए पर्याप्त अनुशासन बरतें।दूसरों को देखकर पैसा न लगाएं और स्टॉक की कीमत का सही आंकलन करें , वैल्यू देखें क्यूंकि इन्वेस्टर लम्बे समय के लिए निवेश करते हैं
वहीं शेयर मार्केट में जिस कंपनी में आप अपने पैसों को इन्वेस्ट करने वाले हैं, पहले उसके फंडामेंटल, ट्रैक रिकॉर्ड, हिस्ट्री चार्ट, मार्केट परफॉर्मेंस आदि चीजों के बारे में अच्छे से जान ले और कम कर्ज वाली कंपनियों का चुनाव करें आप इसके लिए किसी विशेषज्ञ की सहायता भी ले सकते हैं।
स्टॉक मार्किट में निवेश के लिए एक डीमैट अकाउंट और बैंक अकाउंट के जरुरत होती हैं इसके बाद ही आप किसी कंपनी के शेयर खरीद सकते हैं और उसे लम्बे समय तक रख सकते हैं तथा अपने फाइनेंसियल गोल के हिसाब से उसे बाद में बेच सकते हैं ।
डीमैट अकाउंट की अधिक जानकारी के लिए आप निचे दिए लिंक पर क्लिक करके लेख पढ़ सकते हैं
What is Trading in Stock Market(Hindi)
Trading एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ आदान-प्रदान है, लेकिन वित्तीय बाजार में एक व्यक्ति शेयर खरीदता है और दूसरा व्यक्ति शेयर बेचता है लेकिन शेयर को मुद्रा के आदान-प्रदान द्वारा श्रेय दिया जाता है।मुद्रा के आदान-प्रदान में शेयरों की खरीद और बिक्री में व्यापार होता है और शेयरों की खरीद और बिक्री के लिए होती है।,
ट्रेडिंग अल्पकालिक दृष्टिकोण के लिए होती है ट्रेडिंग ऊपर और नीचे की कीमतों में उतार-चढ़ाव से व्यापारियों को रोमांचित करती है।स्टॉक मार्केट में कई प्रकार की ट्रेडिंग की जा सकती हैं जैसे – इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, पोजिशनल ट्रेडिंग आदि। शार्ट टर्म ट्रेडिंग टाइम फ्रेम पे निर्भर करती हैं की कितने समय की लिए ट्रेड किया गया हैं यह एक दिन या कुछ दिनों और हफ्तों के लिए हो सकती हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग में जोखिम ज्यादा होता हैं क्यूंकि एक ही दिन में आपको अपनी पोजीशन काटनी पड़ती हैं चाहे प्रॉफिट टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है हो या लॉस ।
Stock Market में Trading कैसे करें|How to start Trading in Stock Market
Stock Market में ट्रेडिंग से पहले आपको स्पष्ट होना चाहिए की इसमे पैसो का जोखिम हो सकता हैं इसलिए जरुरी स्किल और Knowledge का होना बहुत जरुरी हैं तो पहले अपनी स्किल और नॉलेज पे काम कीजिये जैसे के टेक्निकल एनालिसिस ,Chart को analyse करना की कहा पे ट्रेड का मौका मिलगा अपने रिस्क रिवॉर्ड को देख के उस से भी बड़ी चीज़े हैं ट्रेडिंग साइकोलॉजी और एक बेहतरीन ट्रेडिंग प्लान ।ट्रेडिंग और ट्रेडिंग प्लान के लिए निचे दिया गए लिंक पर क्लिक करके पढ़े ।
Trading Vs Investing|Trading और Investing में अंतर जाने
- ट्रेडिंग ने शेयर बाजारों में मूल्य में उतार-चढ़ाव से पैसा कमाने का अवसर दिया जबकि निवेश के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होती हैं।
- ट्रेडिंग इंट्राडे शॉर्ट टर्म के लिए है जबकि निवेश कई सालों या दशकों के लिए भी लॉन्ग टर्म के लिए है।
- ट्रेडिंग ट्रेडर में मुख्य रूप से तकनीकी विश्लेषण पर भरोसा करते हैं जो तकनीकी संकेतक या चार्ट विश्लेषण करते हैं, जबकि निवेश में निवेशक मुख्य रूप से बैलेंस शीट से पी & एल शीट और प्रबंधन गुणवत्ता नेतृत्व के मौलिक विश्लेषण पर भरोसा करते हैं।
- ट्रेडिंग में मार्केट टाइमिंग शामिल है जबकि निवेश में मार्केट को समय दिया जाता हैं
- निवेश और व्यापार दोनों के लिए शेयर बाजार में अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है
स्वस्थ बाजार के लिए निवेशक और व्यापारी दोनों महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि व्यापारी और निवेशक ने बाजार को अस्थिरता और तरलता दी ताकि निवेशक या व्यापार बाजार में प्रवेश और निकास करें।
Electric Vehicles पर कितना किया जा सकता है भरोसा, जानें क्या कहती हैं स्टडीज?
इलेक्ट्रिक वाहनों की टेक्नोलॉजी अपग्रेड होने के साथ उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैा.
अध्ययन के मुताबिक, इलेक्ट्रिक कारें (Electric Cars) लगातार जटिल होती जा रही हैं. इसलिए इन पर भरोसे को लेकर शंका बनी रहे . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : November 30, 2021, 09:24 IST
नई दिल्ली. ग्लोबल ऑटोमोबाइल मार्केट में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. पेट्रोल-डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन के बढ़ते मूल्य (Petrol Diesel Price), वाहनों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) और ग्लोबल वार्मिंग को लेकर बढ़ती जागरूकता, सख्त उत्सर्जन मानदंड और जीवाश्म ईंधन वाहनों पर समयसीमा लगाने वाली कई सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को बढ़ा रही हैं. हालांकि, ऐसे कई यूजर्स हैं जो आईसीई वाहनों से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में शिफ्ट होने को लेकर संशय में हैं. हाल ही कंज्यूमर रिपोर्ट्स के अध्ययन से पता चला है कि ई-कारें (e-Cars) विश्वसनीय नहीं होती हैं. इससे चिंता ज्यादा बढ़ गई है.
ई-वाहन क्यों नहीं होते भरोसेमंद?
अध्ययन के मुताबिक, इलेक्ट्रिक कारें लगातार जटिल होती जा रही हैं. इसलिए इन पर भरोसे को लेकर शंका बनी रहेगी. यही नहीं, ई-वाहनों की टेक्नोलॉजी लगातार एडवांस होती जा रही है, जिनकी बारीकियों के बारे में सिर्फ पूरी तरह से प्रशिक्षित व्यक्ति ही जान सकता है. आधुनिक इलेक्ट्रिक वाहनों में कॉम्प्लेक्स इंफोटेनमेंट और टेक्नोलॉजी फीचर्स दिए जा रहे हैं.
क्या कहती हैं विश्लेषण की रिपोर्ट?
विश्लेषण से पता चलता है कि लग्जरी इलेक्ट्रिक कारों पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता है. दूसरी ओर सस्ते इलेक्ट्रिक वाहन ज्यादा पुरानी और औसत तकनीक वाले होते हैं. एनालिसिस के मुताबिक, निसान लीफ ईवी (Nissan Leaf EV) कई आधुनिक और एडवांस्ड इलेक्ट्रिक कारों से बेहतर परफॉर्म करती है.
कैसे हैं टेस्ला के इलेक्ट्रिक वाहन?
रिपोर्ट में कहा गया है कि टेस्ला (Tesla) ब्रांड विश्वसनीयता रैंकिंग में दूसरे स्थान पर है. वहीं, टेस्ला मॉडल वाई औसत विश्वसनीयता से भी खराब है. इतना ही नहीं, टेस्ला मॉडल-3 में कई समस्याए हैं. हालांकि, अध्ययन का दावा है कि चीन में बनी टेस्ला कारें अमेरिकी समकक्षों के मुकाबले काफी बेहतर हैं.
विश्लेषण के मुताबिक, इलेक्ट्रिक कारें भरोसे के लायक तो हैं, लेकिन इनमें एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के जुड़ने से काफी समस्याएं पैदा हो रही हैं. अध्ययन में दावा किया गया है कि विश्वसनीय कार ब्रांडों में लेक्सस, माज़दा और टोयोटा सबसे आगे हैं. ये तीनों कार निर्माता कई हाइब्रिड वाहन पेश करते हैं और बैटरी-इलेक्ट्रिक कारों में इनकी अलग पहचान है.
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ये हैं आईटी की टॉप 10 मोटी सैलरी दिलाने वाली नौकरियां
आईटी सेक्टर में इन नौकरियों की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ रही है.
प्रियंका शर्मा
- नई दिल्ली,
- 22 मार्च 2018,
- (अपडेटेड 23 मार्च 2018, 5:18 PM IST)
अगर आप अच्छी सैलरी वाली नौकरी की तलाश में हैं तो क्यों ना ऐसी नौकरी से जुड़ा कोर्स करें जिनमें लाखों रुपये की सैलरी मिलती है. हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी नौकरियों के बारे में जिसमें सबसे ज्यादा सैलरी मिलती है. एक रिपोर्ट के अनुसार ये हैं आईटी की इन टॉप 10 नौकरियों में काफी अच्छी सैलरी मिलती है.
जानें इन नौकरियों के बारे में.
सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट: सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट एक कंप्यूटर प्रोग्रामर या यूं कहें कि एक कंप्यूटर मैनेजर होता है जो हाइ लेवल के डिजाइन च्वाइज, सॉफ्टवेयर कोडिंग, टूल और प्लेटफॉर्म बनाता है. भारत में स्टूडेंट्स सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट के लिए जरूरी पढ़ाई इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेस से भी कर सकते हैं.
सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट मैनेजर: सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट मैनेजर का काम मेडिक रिसर्च से लेकर फाइनांस तक रेंज के सॉफ्टवेयर डेवलपर की टीम को लीड करना है. इसके अलावा उसका काम सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग, वेब एप्लीकेशन, वेब सर्विसेज डिजाइन करना भी है. इससे जुड़े कोर्स आप अन्ना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, मदुरई और एएमसी इंजीनियरिंग कॉलेज, बेंगलुरू से भी कर सकते हैं.
सोल्यूशन आर्किटेक्ट: सोल्यूशन आर्किटेक्ट कई तरह के प्रोजेक्ट्स को सॉफ्टवेयर डेवलमेंट प्रोसेस के जरिए हैंडल करता है. उसके काफी अलग-अलग तरह के काम होते हैं. सॉल्यूशन आर्किटेक्ट से संबंधित कोर्स आप देश और विदेश के कई इंस्टीट्यूट्स से कर सकते हैं.
एनालिटिक्स मैनजर: एनालिटिक्स मैनजर का काम डिजाइन इम्पीलीमेंटेशन सपोर्ट ऑफ डेटा एनालिसिस सोल्यूशन करना होता है. यह एक तरह से सांख्यिकी का ही एक भाग है जो इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर काम करता है. अगर आप ये नौकरी पाना चाहते हैं तो जरूरी पढ़ाई इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, आईआईएम लखनऊ, आईआईएम कलकत्ता से कर सकते हैं.
आईटी मैनेजर: आईटी मैनेजर का काम ऑपरेशनल जरूरतों को पूरा करना, रिसर्च की रणनीति बनाना, टेक्नोलॉजी सोल्यूशन कॉस्ट इफेक्टिव सिस्टम बनाना है. इससे जुड़ी पढ़ाई के लिए आप इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, बेंगलुरू, उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी और NITIE मुंबई से संपर्क कर सकते हैं.
प्रॉडक्ट मैनेजर: प्रॉडक्ट मैनेजर का काम किसी प्रॉडक्ट के बारे में जानकारी हासिल करना, सेलेक्ट करना प्रॉडक्ट की डेवलपमेंट के लिए काम करना होता है.
डेटा साइंटिस्ट: अधिकतर कंपनियां कॉम्पिटिशन में आगे बने रहने के लिए डेटा साइंटिस्ट की मदद लेती हैं. ये साइंटिस्ट बड़ी बारीकी से एनालिसिस करते हैं. डेटा स्टोर करने वाली कंपनी, जैसे- गूगल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, ईबे, लिंक्डइन, फेसबुक और ट्विटर आदि को सबसे ज्यादा जरूरत डाटा साइंटिस्ट की ही है.
सिक्योरिटी इंजीनियर: सिक्योरिटी इंजीनियर को इंफॉर्मेशन सिस्टम एनालिस्ट भी कहते हैं. सिक्यूरिटी मैनेजर की जिम्मेदारी किसी भी बड़ी कंपनी की तकनीकी सुरक्षा-व्यवस्था देखना होता है. इसका काम डेटा को सुरक्षा से लेकर कई काम करने होते हैं. इस तरह के प्रोफाइल की नौकरी पाने के लिए आप इंफ्रोरमेशन टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, इंजीनियर से जुड़ी पढ़ाई कर सकते हैं.
क्वालिटी मैनेजर: क्वालिटी मैनेजर का काम कंपनी की न सिर्फ प्रॉडक्ट और सर्विस क्वॉलिटी स्टेंडर्ड्स पर निगाह रखना होता है, बल्कि इसका काम हर तरह गुणवत्ता में वृद्धि करना है. टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में क्वालिटी मैनेजर की नौकरी बेहतर मानी जाती है.
कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर: कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर का काम कंप्यूटर के औजारों की रिसर्च, डिजाइन, टेस्ट, चिप सर्किट बोर्ड बनाना है. इसके अंतर्गत कंप्यूटर के हिस्सों की मरम्मत, कम्प्यूटर को असेंबल करना, नेटवर्क तैयार करना जैसे काम आते हैं.
क्यों नहीं खुला साइरस की कार का एयरबैग? मर्सिडीज से मांगे गए ऐसे 6 सवालों के जवाब
टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मर्सिडीज रोड डिवाइडर से टकरा गई थी, जिसमें उनकी और उनके दोस्त का निधन हो गया. अब टेक्निकल और इंजीनियरिंग टीम ने कार का एनालिसिस कर रही है.
टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मर्सिडीज दुर्घटना में गई जान के दूसरे दिन यानी सोमवार को टेक्निकल और इंजीनियरिंग टीम ने कार का एनालिसिस किया. इस टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है दौरान टीम के सामने कई तरह के सवाल उठे. जैसे कि एयरबैग्स क्यों नहीं खुला?, गाड़ी टेक्निकल फॉल्ट था, गाड़ी का ब्रेक फ्लूइड कितना था, टायर का प्रेशर कितना था? पालघर एसपी बालासाहेब पाटिल ने ऐसे 6 सवालों के जवाब मर्सिडीज की टीम से मांगे हैं. जल्द ही मर्सिडीज की रिपोर्ट से बड़े खुलासे हो सकते हैं.
आपको बता दें कि मुंबई से सटे पालघर में एक सड़क हादसे में सायरस मिस्त्री की जान चली गई. वे गुजरात के उदवाड़ा में बने पारसी मंदिर से लौट रहे थे. तभी मिस्त्री की कार पालघर के पास रोड डिवाइडर से टकरा गई, जिसमें मिस्त्री और उनके दोस्त की मौत हो गई. अभी तक की जांच में सामने आया है कि मर्सिडीज करीब 134 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही थी. इसका खुलासा घटनास्थल के पास लगे एक सीसीटीवी कैमरे में कैद कार के आखिरी वीडियो फुटेज से समाने आई है. हादसा रविवार की दोपहर 2 बजकर 21 मिनट पर हुआ था.
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5 अगस्त 2022 की बड़ी खबरें: लिज ट्रस चुनी गईं ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री, झारखंड के CM हेमंत सोरेन ने जीता विश्वास मत
इन 6 सवालों को जवाब होगा रिपोर्ट में
- एयरबैग्स क्यों नहीं खुले?
- गाड़ी टेक्निकल फॉल्ट था क्या?
- गाड़ी का ब्रेक फ्लूइड कितना था?
- टायर का प्रेशर कितना था?
- ऐसी गाड़ियां प्रॉपर टेस्टिंग के बाद ही प्लांट से बाहर आती है, ऐसे टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है में मर्सिडीज की जांच टक्कर इंपेक्ट की रिपोर्ट क्या है?
- टकराने के बाद क्या स्टेयरिंग लॉक हो गया था?
एक नजर में समझें कैसे हुआ हादसा
आपको बता दें कि मुंबई से सटे पालघर स्थित चरौती गांव में सूर्या नदी के पुल पर हादसा हुआ है. गुजरात के उदवाड़ा में बने पारसी मंदिर से मर्सिडीज (MH-47-AB-6705) सवार सायरस मिस्त्री लौट रहे थे. उनके साथ तीन लोग और बैठे थे. डॉक्टर अनायता कार ड्राइव कर रही थीं और उनके पति दरीयस बाजू वाली सीट पर बैठे थे. वहीं, पीछे की सीट पर साइरस और उनके दोस्त जहांगीर पंडोले बैठे थे. मर्सिडीज पालघर के पास रोड डिवाइडर से टकरा गई, जिसमें पीछे बैठे साइरस और उनके दोस्त की मौत हो गई. वहीं, आगे की सीट पर बैठे दंपति घायल हुए.
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