स्टॉक निवेशक एक "कठिन" स्थिति में

मुद्रास्फीति और फेड एक बार फिर निवेशकों के लिए केंद्र का स्थान ले रहे हैं। सबसे पहले, मजदूरी मुद्रास्फीति के संकेत थे कि दिसंबर शुरू होने की उम्मीद से अधिक गर्मी थी। इसके बाद पिछले शुक्रवार को निर्माता मूल्य सूचकांक में एक अवांछित वृद्धि हुई।

ये "चिपचिपी मुद्रास्फीति" के संकेत हैं। ऐसा जो इतना आसान नहीं होता है। जिस तरह की फेड ने हमें चेतावनी दी थी।

अजीब तरह के व्यापारियों ने इस शुक्रवार को शुरुआती नुकसान को कम करने की कोशिश की . लेकिन बंद होने पर उत्साह के साथ बिकवाली करके अपने होश में आ गए।

आइए विचार करें कि इस सप्ताह की टिप्पणी में व्यापक निवेश दृष्टिकोण के साथ ऐसा क्यों है।

मार्केट कमेंट्री

मेरी अंतिम टिप्पणी में मैंने निवेशकों के लिए उत्प्रेरकों की चर्चा की। दोनों कारक जो बुलिश रैलियों के साथ-साथ मंदी की गिरावट का कारण बनते हैं।

लेख का संक्षेप संस्करण इस बात की सराहना करना है कि स्टॉक की कीमतों के लिए प्रमुख घटक मुद्रास्फीति की स्थिति है और इसलिए फेड को कब तक हठी बने रहना होगा। मुद्रास्फीति जितनी अधिक समय तक रहती है. फेड की दरें उतनी ही अधिक होती हैं. मंदी की संभावना उतनी ही अधिक होती है और स्टॉक की कीमतें कम होती हैं।

अधिकांश निवेशक मुद्रास्फीति की चर्चा करते समय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के बारे में बात करते हैं। हालांकि, भविष्य में यह आपको उत्पाद समीक्षा की आवश्यकता क्यों है कहां होगा इसका प्रमुख संकेतक संबंधित उत्पादक मूल्य सूचकांक (पीपीआई) है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि यह रिपोर्ट कंपनियों द्वारा अब ली जा रही लागतों की समीक्षा करती है, जो भविष्य में उनके उत्पादों और सेवाओं के लिए उच्च कीमतों के रूप में दिखाई देंगी। अब आप समझ सकते हैं कि शुक्रवार की सुबह पीपीआई के लिए अपेक्षा से अधिक पढ़ना एक स्वागत योग्य संकेत क्यों नहीं था जिसके कारण एसएंडपी 500 वायदा तुरंत +0.5% से -0.5% तक गिर गया. फिर इस पर -0.73% पर बंद हुआ। सत्र।

निवेशकों के लिए पृष्ठ से वास्तव में क्या कूदना चाहिए यह सराहना करना है कि पीपीआई में महीने दर महीने +0.3% की वृद्धि उसी समय हुई जब गैसोलीन की कीमतें पूरे 6% नीचे थीं। फेड को ठीक इसी बात का डर है. कि अन्य जगहों पर मुद्रास्फीति "चिपचिपी" होती जा रही है।

अर्थ अधिक स्थायी। मतलब रास्ते में फेड से उच्च दरें। मतलब अभी महंगाई से लड़ने के लिए लंबी लड़ाई है जिससे हार्ड लैंडिंग (मंदी) के आसार बढ़ जाते हैं। और हां, मतलब कम कॉर्पोरेट कमाई जो स्टॉक की कम कीमतों को जन्म देती है।

अब याद करते हैं कि शुक्रवार 12/5 को हमने सरकारी रोजगार रिपोर्ट में सीखा कि वेतन मुद्रास्फीति अपेक्षा से अधिक थी। और वेतन मुद्रा स्फीति सबसे चिपचिपी श्रेणी के बारे में है।

उस सूचना के जारी होने से खुले के समय स्टॉक वायदा लगभग -1.5% नीचे था। अजीब तरह से, बैल अंत में शेयरों की बोली लगाते रहे और परिणाम लगभग टूट गया।

सप्ताहांत में निवेशकों ने यह महसूस किया कि यह खबर वास्तव में काफी मंदी की थी। यही कारण है कि सप्ताह के पहले तीन सत्रों में शेयरों में 3% से अधिक की गिरावट आई है।

यह कार्रवाई कुछ हद तक इस शुक्रवार सुबह पीपीआई की प्रतिक्रिया के समान है। स्टॉक वायदा खबर पर चट्टान की तरह गिर गया। लेकिन किसी तरह अंतिम घंटे तक संघर्ष किया जब भालू ने पहिया ले लिया।

शायद ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ व्यापारी पूरी तरह से सराहना नहीं करते हैं कि पीपीआई अधिक व्यापक रूप से सीपीआई रिपोर्ट के लिए अग्रणी संकेतक है जो मंगलवार 12/13 को सामने आता है। शायद वे पासा पलटना चाहते हैं और देखते हैं कि वहां क्या होता है।

या शायद वे बुधवार 12/14 को अगले फेड रेट के फैसले का इंतजार करना चाहते हैं। मैं निवेशकों को याद दिलाना चाहता हूं कि पिछली बैठक में क्या हुआ था। भविष्य में दरों में वृद्धि कम होने की घोषणा के कुछ ही मिनटों के भीतर उन्होंने मूर्खतापूर्ण तरीके से 2% की वृद्धि की।

हालांकि, जब पॉवेल तीस मिनट बाद मंच पर आए, तो उन्होंने लोगों को आगे के दीर्घकालिक संघर्ष की याद दिलाई। और अर्थव्यवस्था के लिए सॉफ्ट लैंडिंग बनाने की संभावना बहुत कम हो गई थी। उस भाषण ने उस 2% रैली को सत्र के -2.5% समापन तक नीचे कर दिया।

लंबी कहानी संक्षेप में, यदि निवेशक 12/13 सीपीआई रिपोर्ट या 12/14 <<ईसीएल-168||फेड घोषणा>> में पासा पलटना चाहते हैं तो वे तेजी से बने रह सकते हैं। हालाँकि, जब आप पीछे हटते हैं और जो चल रहा है उसकी संपूर्णता को देखते हैं, जो कि मैंने अपने "2023 स्टॉक मार्केट आउटलुक" में किया है, तो आप इस बात की सराहना करेंगे कि ऑड्स अभी भी अगले साल की शुरुआत में मंदी की ओर इशारा कर रहे हैं। शेयर की कीमतों के लिए रास्ता।

यह टिप्पणी एक लेख का संपादित संस्करण है जिसका उपयोग पीओडब्लूआर वैल्यू न्यूजलेटर में किया गया था।

भारत-चीन का व्यापार घाटा 51.5 अरब डॉलर रहा, यह ‘घाटा’ अच्छा है

चीन के साथ भारत के व्यापारिक घाटे को लेकर आपको उत्पाद समीक्षा की आवश्यकता क्यों है जो आंकड़े सामने आए हैं, उनको समझते हैं कि किस तरह से उन्हें पेश किया जा रहा है और उनके पीछे का वास्तविक सत्य क्या है?

India runs a huge trade deficit with China. Oh! Really?

कितनी बार ऐसा होता है कि व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित जारी किए जाने वाले आंकड़ों पर हम विशेष ध्यान नहीं देते हैं। हम जारी किए गए आंकड़ों से संबंधित ख़बर की हैडलाइन पढ़कर आगे निकल जाते हैं। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि जो हैडलाइन में लिखा है उतना ही सच नहीं है। कई बार सत्य उस हैडलाइन से बिल्कुल अलग होता है। हाल ही में चीन के साथ भारत के व्यापारिक घाटे को लेकर जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उनको समझने की कोशिश करते हैं कि किस तरह से उन्हें पेश किया जा रहा है और उनके पीछे का वास्तविक सत्य क्या है?

पहले देख लेते हैं कि केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में चीन के साथ व्यापारिक घाटे को लेकर जो आंकड़े जारी किए हैं, उनको लेकर किस तरह की ख़बरें बनाई जा रही हैं।

उदाहरण के लिए इकोनॉमिक टाइम्स और टाइम्स ऑफ़ इंडिया की इन दो हैडलाइन को देखिए। इन हैडलाइन को देखकर कोई भी यही समझेगा कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा निरंतर बढ़ रहा है। ऐसे में बहुत से लोग समझेंगे कि सरकार मेक इंडिया की बात करती है, चीन से आयात कम करने की बात करती है, इसके बाद भी चीन से आयात बढ़ता जा रहा है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हो रहा है? इसका सीधा जवाब है नहीं। आइए, समझते हैं कैसे?

आंकड़ों से समझिए सबकुछ

इस वित्तीय वर्ष यानी कि अप्रैल से अक्टूबर के बीच भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे का अंतर 51.5 बिलियन डॉलर का रहा है। 9 दिसंबर को यह जानकारी भारत सरकार ने संसद में दी। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जो आंकड़े संसद में प्रस्तुत किए हैं, उनके अनुसार 2020-21 में जहां व्यापार घाटा 44.03 बिलियन डॉलर था वहीं अब 2021-22 में व्यापार घाटा बढ़कर 73.31 बिलियन डॉलर हो गया है।

आंकड़ों के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष यानी अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक 60.27 बिलियन डॉलर का आयात चीन से हुआ है, वहीं निर्यात केवल 8.77 बिलियन डॉलर का हुआ है। पीयूष गोयल ने संसद में बताया कि भारत से चीन को 2014-15 में 11.93 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था जोकि 2021-22 में बढ़कर 21.26 बिलियन डॉलर हो गया। पिछले 6 वर्ष में यह 78.2 फीसदी की बढ़ोतरी है। वहीं दूसरी तरफ चीन से 2014-15 में 60.14 बिलियन डॉलर का आयात हुआ था जोकि 2021-22 में बढ़कर 94.57 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।

अब आप समझ रहे होंगे कि यह सही है कि निर्यात बढ़ा है लेकिन निर्यात के मुकाबले आयात बहुत ज्यादा बढ़ा है। इस वज़ह से व्यापार घाटा भी बढ़ा है और यही तो सभी मीडिया संस्थान कह रहे हैं, लेकिन नहीं अब आगे एक और तस्वीर देखिए।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बताया, “2004-05 में व्यापार घाटा 1.48 बिलियन डॉलर था, जो कि 2013-14 में बढ़कर 36.21 बिलियन डॉलर हो गया था। यह 2,346 फीसदी की बढ़ोतरी थी। जबकि उसके बाद 2021-22 तक चीन के साथ व्यापार घाटा में सिर्फ 100 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, 2021-22 में यह 73.31 बिलियन डॉलर हुआ है।”

इसका अर्थ यह 2004-05 से लेकर 2013-14 तक व्यापार घाटे में जो वृद्धि 2,346 फीसदी हो रही थी वही वृद्ध आगे के वर्षों में कम हो गई। 2014-15 से लेकर 2021-22 में व्यापारिक घाटे में 100 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो कि पिछले वृद्धि से बहुत कम है। ऐसे में यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि चीन से आयात निश्चित तौर पर कम हुआ है और निर्यात बढ़ा है।

चीन से इसलिए आयात कर रहा भारत

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसके साथ ही बताया कि चीन से जो वस्तुएं आयातित की गईं उनमें ज्यादातर पूंजीगत माल (Capital Goods), आंशिक तौर पर तैयार माल (Intermediate Goods) और कच्चा सामान है। उन्होंने बताया इस सामान को आयात किया गया जिससे कि इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और विद्युत जैसे भारत में तेजी से बढ़ रहे सेक्टर्स की पूर्ति की जा सके।

इसके साथ ही वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि चीन से आयात इसलिए किया जा रहा है जिससे कि भारत में वस्तुओं का निर्माण किया जा सके और उन्हें निर्यात किया जा सके।

इसका अर्थ यह है कि चीन से जो आयात किया भी जा रहा है वो भी इसलिए किया जा रहा है जिससे कि यहां उत्पाद का निर्माण करके उसका दूसरे देशों में निर्यात किया जा सके। ऐसे में यह कहना कि पहले की तरह ही चीन से आयात हो रहा है पूरी तरह से ग़लत होगा। हां यह अवश्य कह सकते हैं कि चीन के साथ जो व्यापार घाटा बढ़ रहा है वो अच्छा है क्योंकि वहां से कच्चा माल खरीदकर हम उत्पाद का अपने देश में निर्माण कर रहे हैं और उसे फिर दूसरे देशों में बेच रहे हैं।

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योनि में होने वाली खुजली के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचार क्या हैं?

शरीर के अन्य भागों की तरह, योनि में भी कभी-कभी खुजली हो सकती है। ऐसे अधिकतर मामलों में चिंता करने की कोई बात नहीं है। लेकिन उस खुजली के बारे में क्या जो दूर नहीं होती है?

एक खुजली वाली योनि (itchy vagina) के साथ रहना बहुत असहज हो सकता है - खासकर तब जब आप इसे खरोंचती हैं, क्योंकि इससे इसमें और अधिक परेशानी होगी। साथ ही, एक स्वस्थ योनि में हर समय खुजली महसूस नहीं होनी चाहिए।

आपकी खुजली के कारण के आधार पर, आप इसे घर पर आसानी से आराम दे सकते हैं। इसलिए, उस खुजली का क्या कारण हो सकता है - और आप इसके बारे में क्या कर सकते हैं, यह जानने के लिए पढ़ें।

योनि में खुजली के सामान्य कारण (Common causes of vaginal itching)

'योनि में खुजली' शब्द का अर्थ है आपकी योनि और इसके खुलने के आसपास के क्षेत्र (वुलवा) (vulva) में खुजली।

योनि में खुजली के कई संभावित कारण होते हैं लेकिन सामान्य कारणों में संक्रमण, जैसे यीस्ट इंफेक्शन थ्रश (thrush) और योनि का सूखापन (जो मेनोपॉज के बाद आम है) शामिल हैं।

योनि में खुजली होने का एक अन्य बेहद आम कारण घरेलू और पर्सनल क्लीनिंग उत्पादों में मौजूद केमिकल्स द्वारा होने वाली जलन या एलर्जिक रिएक्शन है। त्वचा की स्थिति, जैसे सोरायसिस और एक्जिमा, आपके जननांग क्षेत्र को भी प्रभावित कर सकते हैं।

योनि में खुजली के संभावित कारणों के बारे में

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए? (When to see a doctor?)

हालांकि योनि में खुजली से बचने या होने पर थोड़ी राहत प्रदान करने वाले कई उपाय मौजूद हैं, लेकिन कुछ मामलों में मेडिकल अटैंशन की आवश्यकता पड़ सकती है। अगर आपकी योनि में खुजली कुछ दिनों से ज्यादा रहती है या आपको खुजली के साथ अन्य लक्षण भी हैं, तो डॉक्टर से बात करें। अगर आपको अपनी टमी और हिप बोन्स के बीच में दर्द (पेल्विक पेन) है और/या आपकी योनि से असामान्य या बदबूदार डिस्चार्ज हो रहा है या एक गांठ या अल्सर है, तो आपको डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए।

आपकी खुजली के कारण के आधार पर, डॉक्टर आपको इलाज के लिए दवा की सलाह दे सकते हैं। लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि किस तरह योनि की खुजली को आप खुद रोक सकते हैं, तो ये कुछ चीज़े हैं जिन्हे आप घर पर ट्राई कर सकते हैं।

योनि में खुजली के लिए घरेलू उपचार (Home remedies for vaginal itching)

योनि की खुजली के लिए सबसे अच्छे उपचार में रोकथाम शामिल है - जिसका अर्थ है आपकी योनि को स्वस्थ रखना। योनि का अच्छा स्वास्थ्य, अच्छे सामान्य स्वास्थ्य से जुड़ा होता है, जो स्वस्थ आहार और व्यायाम के सहारे से हो सकता है।

ये जानना ज़रूरी है कि एक हेल्दी वजाइना (स्वस्थ योनि) का मतलब बैक्टीरिया से मुक्त योनि नहीं है। आपकी योनि में प्राकृतिक रूप से कई बैक्टीरिया होते हैं और ये एक अच्छी चीज़ है, ये बैक्टीरिया कई तरीकों से आपकी योनि की सुरक्षा करते हैं।

एक स्वस्थ योनि में अच्छे बैक्टीरिया और लो पीएच लेवल (4.5 से कम pH) का सही संतुलन होता है। pH लेवल आपको ये बताता है कि ये कितना एसिडिक है। अगर प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है, तो आपकी योनि में थ्रश या बैक्टीरियल वेजिनोसिस (

सौम्य सफाई (gentle cleaning)

दिन में एक बार शावर लेना, आपके जननांगों को साफ रखने और खुजली को कम करने में मदद करने का एक आसान तरीका है। जलन से बचने के लिए, अपनी योनि (वुलवा) के आस-पास के क्षेत्र को धोने के लिए पानी या सादे, बिना खुशबू वाले साबुनों का उपयोग करना सबसे अच्छा है।

धोने के बाद, अपने वुलवा को धीरे से (रगड़े नहीं) सुखाएं और ध्यान रखें कि बहुत बार धोना भी सूखेपन का कारण हो सकता है, जिससे खुजली हो सकती है।

कुछ मॉइस्चराइजर (emollient) उस क्षेत्र को आराम देने में मदद कर सकते हैं।

अगर आपकी खुजली योनी के बाहरी हिस्से के सूखेपन की जगह, योनि के अंदर की ड्राइनेस के कारण होती है, तो आप मॉइस्चर संतुलन क्रीम या योनि मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल कर देख सकती हैं लेकिन कभी भी अपनी योनि के अंदर सामान्य मॉइस्चराइजर का उपयोग न करें जो आपकी योनि के लिए नहीं बना है।

अच्छी साफ सफाई (Good hygiene)

अच्छी स्वच्छता रखना और जीवनशैली में कुछ साधारण बदलाव करके आपको योनि की खुजली को कम करने और रोकने में मदद मिल सकती हैं। इनकी कोशिश करें-

भारत-चीन का व्यापार घाटा 51.5 अरब डॉलर रहा, यह ‘घाटा’ अच्छा है

चीन के साथ भारत के व्यापारिक घाटे को लेकर जो आंकड़े आपको उत्पाद समीक्षा की आवश्यकता क्यों है सामने आए हैं, उनको समझते हैं कि किस तरह से उन्हें पेश किया जा रहा है और उनके पीछे का वास्तविक सत्य क्या है?

India runs a huge trade deficit with China. Oh! Really?

कितनी बार ऐसा होता है कि व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित जारी किए जाने वाले आंकड़ों पर हम विशेष ध्यान नहीं देते हैं। हम जारी किए गए आंकड़ों से संबंधित ख़बर की हैडलाइन पढ़कर आगे निकल जाते हैं। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि जो हैडलाइन में लिखा है उतना ही सच नहीं है। कई बार सत्य उस हैडलाइन से बिल्कुल अलग होता है। हाल ही में चीन के साथ भारत के व्यापारिक घाटे आपको उत्पाद समीक्षा की आवश्यकता क्यों है को लेकर जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उनको समझने की कोशिश करते हैं कि किस तरह से उन्हें पेश किया जा रहा है और उनके पीछे का वास्तविक सत्य क्या है?

पहले देख लेते हैं कि केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में चीन के साथ व्यापारिक घाटे को लेकर जो आंकड़े जारी किए हैं, उनको लेकर किस तरह की ख़बरें बनाई जा रही हैं।

उदाहरण के लिए इकोनॉमिक टाइम्स और टाइम्स ऑफ़ इंडिया की इन दो हैडलाइन को देखिए। इन हैडलाइन को देखकर कोई भी यही समझेगा कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा निरंतर बढ़ रहा है। ऐसे में बहुत से लोग समझेंगे कि सरकार मेक इंडिया की बात करती है, चीन से आयात कम करने की बात करती है, इसके बाद भी चीन से आयात बढ़ता जा रहा है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हो रहा है? इसका सीधा जवाब है नहीं। आइए, समझते हैं कैसे?

आंकड़ों से समझिए सबकुछ

इस वित्तीय वर्ष यानी कि अप्रैल से अक्टूबर के बीच भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे का अंतर 51.5 बिलियन डॉलर का रहा है। 9 दिसंबर को यह जानकारी भारत सरकार ने संसद में दी। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जो आंकड़े संसद में प्रस्तुत किए हैं, उनके अनुसार 2020-21 में जहां व्यापार घाटा 44.03 बिलियन डॉलर था वहीं अब 2021-22 में व्यापार घाटा बढ़कर 73.31 बिलियन डॉलर हो गया है।

आंकड़ों के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष यानी अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक 60.27 बिलियन डॉलर का आयात चीन से हुआ है, वहीं निर्यात केवल 8.77 बिलियन डॉलर का हुआ है। पीयूष गोयल ने संसद में बताया कि भारत से चीन को 2014-15 में 11.93 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था जोकि 2021-22 में बढ़कर 21.26 बिलियन डॉलर हो गया। पिछले 6 वर्ष में यह 78.2 फीसदी की बढ़ोतरी है। वहीं दूसरी तरफ चीन से 2014-15 में 60.14 बिलियन डॉलर का आयात हुआ था जोकि आपको उत्पाद समीक्षा की आवश्यकता क्यों है 2021-22 में बढ़कर 94.57 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।

अब आप समझ रहे होंगे कि यह सही है कि निर्यात बढ़ा है लेकिन निर्यात के मुकाबले आयात बहुत ज्यादा बढ़ा है। इस वज़ह से व्यापार घाटा भी बढ़ा है और यही तो सभी मीडिया संस्थान कह रहे हैं, लेकिन नहीं अब आगे एक और तस्वीर देखिए।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बताया, “2004-05 में व्यापार घाटा 1.48 बिलियन डॉलर था, जो कि 2013-14 में बढ़कर 36.21 बिलियन डॉलर हो गया था। यह 2,346 फीसदी की बढ़ोतरी थी। जबकि उसके बाद 2021-22 तक चीन के साथ व्यापार घाटा में सिर्फ 100 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, 2021-22 में यह 73.31 बिलियन डॉलर हुआ है।”

इसका अर्थ यह 2004-05 से लेकर 2013-14 तक व्यापार घाटे में जो वृद्धि 2,346 फीसदी हो रही थी वही वृद्ध आगे के वर्षों में कम हो गई। 2014-15 से लेकर 2021-22 में व्यापारिक घाटे में 100 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो कि पिछले वृद्धि से बहुत कम है। ऐसे में यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि चीन से आयात निश्चित तौर पर कम हुआ है और निर्यात बढ़ा है।

चीन से इसलिए आयात कर रहा भारत

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसके साथ ही बताया कि चीन से जो वस्तुएं आयातित की गईं उनमें ज्यादातर पूंजीगत माल (Capital Goods), आंशिक तौर पर तैयार माल (Intermediate Goods) और कच्चा सामान है। उन्होंने बताया इस सामान को आयात किया गया जिससे कि इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और विद्युत जैसे भारत में तेजी से बढ़ रहे सेक्टर्स की पूर्ति की जा सके।

इसके साथ ही वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि चीन से आयात इसलिए किया जा रहा है जिससे कि भारत में वस्तुओं का निर्माण किया जा सके और उन्हें निर्यात किया जा सके।

इसका अर्थ यह है कि चीन से जो आयात किया भी जा रहा है वो भी इसलिए किया जा रहा है जिससे कि यहां उत्पाद का निर्माण करके उसका दूसरे देशों में निर्यात किया जा सके। ऐसे में यह कहना कि पहले की तरह ही चीन से आयात हो रहा है पूरी तरह से ग़लत होगा। हां यह अवश्य कह सकते हैं कि चीन के साथ जो व्यापार घाटा बढ़ रहा है वो अच्छा है क्योंकि वहां से कच्चा माल खरीदकर हम उत्पाद का अपने देश में निर्माण कर रहे हैं और उसे फिर दूसरे देशों में बेच रहे हैं।

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