सिलीगुड़ी महकमा परिषद के सभाधिपति होंगे अरुण घोष, जुलाई में बोर्ड गठन के संकेत

सिलीगुड़ी महकमा परिषद के नए सभाधिपति अरुण घोष व उप सभाधिपति रोमा रश्मि एक्का होंगी। राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री अरूप विश्वास व जिला सभापति पापिया घोष तथा जिला चेयरमैन आलोक चक्रवर्ती उप मेयर रंजन सरकार की मौजूदगी में इसकी घोषणा की गई

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। सिलीगुड़ी महकमा परिषद के सभाधिपति पद के लिए अरुण घोष व उप सभाधीपति के लिए रोमा रश्मि एक्का के नाम की घोषणा की गई है। राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री अरूप विश्वास व जिला सभापति पापिया घोष तथा जिला चेयरमैन आलोक चक्रवर्ती, उप मेयर रंजन सरकार की मौजूदगी में इसकी घोषणा की गई ,हालांकि इस दौरान यह साफ कर दिया गया कि परिषद बोर्ड का गठन व शपथ अरुण संकेतक आपको क्या बताता है ग्रहण 21 जुलाई के बाद ही किया जाएगा, लेकिन सभाधिपति, उपसभापति समेत सभी कर्माध्यक्षों के नाम की घोषणा कर दी गई। परिषद के सभाधिपति पद की रेस में अरुण घोष के अलावा अनारूल हक चल रहे थे, लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने अरुण घोष के नाम पर मुहर लगा दी। बताते चलें कि 26 जून को सिलीगुड़ी महकमा परिषद का चुनाव कराया गया था अरुण संकेतक आपको क्या बताता है तथा 29 जून को नतीजे आए थे, जिसमें प्रचंड बहुमत के साथ तृणमूल कांग्रेस महकमा परिषद पर कब्जा की थी। परिषद के 9 सीटों में से मात्र 1 सीट बीजेपी को हासिल हुआ है तथा सभी 8 सीटों पर तृणमूल का एकतरफा कब्जा हुआ है । ठीक उसी तरह ग्राम पंचायत, पंचायत समितियों में भी तृणमूल का ही कब्जा रहा है।

जुलाई के अंत में हो सकता बोर्ड का गठन

बताते चलें कि जीटीए सभासदों ने पद व गोपनीयता की शपथ ले ली, लेकिन सिलीगुड़ी महकमा परिषद बोर्ड के गठन व शपथ लेने की तस्वीर सामने आने में अभी और कुछ दिनों का वक्त लगेगा। मिली जानकारी के अनुसार जुलाई के अंत तक सिलीगुड़ी महकमा परिषद बोर्ड का गठन किया जाएगा तथा महकमा परिषद को सभाधिपति, उप सभाधिपति व कर्माध्यक्षों को पदभार सौंपी जाएगी तथा शपथ ग्रहण दिलाया जाएगा। दरअसल 21 जुलाई को तृणमूल कांग्रेस कोलकाता में शहीद दिवस अरुण संकेतक आपको क्या बताता है मना रही है। इसके लिए तैयारियां की जा रही है। उत्तर बंगाल से काफी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता कोलकाता जा रहे हैं। जिला नेताओं की इन दिनों व्यस्तता बढ़ गई है। यही कारण है कि परिषद का बोर्ड गठन व पद व गोपनीयता की शपथ 21 जुलाई के बाद दिलाई जाएगी। बताते चले कि लंबे समय के बाद तृणमूल कांग्रेस का महकमा परिषद पर कब्जा हुआ है। 29 जून को चुनावी नतीजे आने के बाद प्रचंड बहुमत के साथ तृणमूल कांग्रेस त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जीत दर्ज की थी। जीटीए चुनाव के नतीजे की घोषणा भी उसी दिन हुई थी। जीटीए के सभासदों का शपथ ग्रहण समारोह हो गया, लेकिन परिषद बोर्ड गठन पर अब स्थिति साफ हो पाई है। पिछले कुछ समय से हर किसी को सभाधिपति, उप सभाधिपति, कर्माध्यक्षों के नाम की घोषणा का इंतजार था।

ज्ञात हो कि सिलीगुड़ी महकमा परिषद के अस्तित्व में आने के बाद से ही महकमा परिषद पर वाममोर्चा का एकतरफा कब्जा रहा है। पहली बार तृणमूल कांग्रेस वाममोर्चा के प्रत्याशियों को हराते हुए प्रचंड बहुमत के साथ परिषद के सत्ता में काबिज हुई है। त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की जरूरतें पूरी होती हैं। परिषद क्षेत्र के लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही बोर्ड का गठन होगा और उनके क्षेत्रों में विकास की धारा बहेगी, क्योंकि चुनाव से पूर्व तृणमूल कांग्रेस की ओर से वादा किया गया था यदि परिषद में अरुण संकेतक आपको क्या बताता है तृणमूल कांग्रेस का बोर्ड बनता है तो महकमा परिषद का दफ्तर ग्रामीण क्षेत्रों में लाया जाएगा तथा विकास की गति तेज की जाएगी।

वित्त मंत्री बनने के बाद अरुण जेटली ने देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए उठाये ये 7 बड़े कदम

वित्त मंत्री बनने के बाद अरुण जेटली ने देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए उठाये ये कदम

पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी (BJP) के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार को दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्व . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : August 24, 2019, 15:17 IST

पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी (BJP) के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार को दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली. अरुण जेटली (Arun Jaitley) काफी समय से गंभीर बीमारी से लड़ रहे थे. इसी के चलते उन्‍होंने लोकसभा चुनाव, 2019 में बीजेपी को मिली प्रचंड जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने का आग्रह किया था. लेकिन पहले कार्यकाल में बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 5 बजट पेश किए. इन बजट में कई बड़ी घोषणाएं हुईं, जिनका फायदा देश के करोड़ों लोग उठा रहे हैं.

आपको बता दें कि बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी (GST) जैसा सबसे बड़ा टैक्स सुधार किया. वहीं, जनधन, आधार और मोबाइल के जरिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में या DBT) लॉन्च करने के लिए कड़े आर्थिक सुधारों की घोषणा उस समय अरुण जेटली ने ही की थी.

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इसके अलावा आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना को भी देश में बेहतर तरीके से लागू करने में वित्त मंत्री अरुण जेटली का ही योगदान रहा है.

आइए जानें उनके पांच साल के कार्यकाल के बारे में.

(1) साल 2014- मई 2014 में पहली बार नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद जुलाई में इस सरकार ने अपना पहला बजट (Budget) पेश किया. पहले Budget को पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि देश की जनता ने तेज आर्थिक विकास के लिए भाजपा को सरकार बनाने का मौका दिया है. मोदी सरकार ने अपने पहले Budget के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को 7-8 फीसदी GDP ग्रोथ के साथ 'सबका साथ-सबका विकास' का नारा दिया.

(2) साल 2015- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने Budget पेश करते हुए दावा किया कि मोदी सरकार के सिर्फ 9 महीने के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था की साख बढ़ी है. वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से दौड़ने के लिए तैयार है.

>> जेटली ने Union Budget पेश करते हुए कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में अरुण संकेतक आपको क्या बताता है भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बन चुकी है. उस समय जेटली ने जीडीपी (GDP) की नई सीरीज के हिसाब से 7.4 फीसदी विकास दर होने की उम्मीद जताई.

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने Budget पेश करते हुए दावा किया कि मोदी सरकार के सिर्फ 9 महीने के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था की साख बढ़ी है

(3) हुई ये बड़ी घोषणाएं- जीएसटी (GST) और जनधन, आधार और मोबाइल के जरिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में या DBT) लॉन्च करने के लिए कड़े आर्थिक सुधारों की घोषणा उस समय अरुण जेटली ने ही की थी.

(4) साल 2016- इस Budget से पहले दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं कई चुनौतियों का सामना कर रही थीं. ऐसे में भारत के लिए भी रास्ता आसान नहीं था. सरकार के सामने GDP ग्रोथ के बेहतर आंकड़े थे.

>> अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को सुस्त पड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच एक बेहतर भविष्य वाली इकनॉमी घोषित किया.

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>> Union Budget में सरकार के सामने वैश्विक सुस्ती के अलावा बड़े घरेलू खर्च चुनौती बने. Budget में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का फायदा कर्मचारियों तक पहुंचाने में काफी रकम खर्च होनी थी. वहीं देश में लगातार दो बार मानसून कमजोर रहने से कृषि उपज घटने का खतरा था.

(5) सरकार ने लागू की फसल बीमा योजना- सरकार के सामने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) लागू करना भी बड़े खर्च में से एक था. Budget में सरकार के पास खर्च करने के लिए राजस्व की कड़ी चुनौती नहीं थी क्योंकि सरकारी खजाने को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कमजोर कीमतों से मदद मिल रही थी.

(6) साल 2017- मोदी सरकार के कार्यकाल में चौथा बजट (Budget) पेश करने से ठीक पहले देशभर में कालेधन पर लगाम लगाने के लिए नोटबंदी का फैसला लिया गया. सालाना बजट (Budget) में कमजोर मांग बड़ी चुनौती बनकर उभरी. इससे पिछले दो बजट (Budget) के दौरान देश में GDP ग्रोथ में तेजी देखी गई थी.

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>> बजट (Budget)में सरकार को वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के भाव एक बार फिर परेशान कर रहे थे. जुलाई 2017 से जीएसटी (GST) लागू करने से GDP ग्रोथ को झटका लगने के संकेत मिल रहे थे.

>> भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जहां ब्याज दरों में कटौती करने से बच रहा था वहीं अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से विदेशी निवेशकों का रुख भी बदलने के संकेत मिल रहे थे.

(7) साल 2018- केंद्र सरकार के आखिरी पूर्ण बजट (Budget) से उम्मीद की जा रही थी कि आगामी लोकसभा और आठ राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले सरकार कुछ लुभावनी घोषणा करेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.साल 2018 के बजट (Budget) में मध्यवर्ग को कुछ खास हाथ नहीं लगा. इनकम टैक्स (Income Tax) स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया.

>> इसकी जगह एजुकेशन सेस 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया. इसके साथ ही मेडिकल री इम्बर्समेंट और कनवेंस एलोयेन्स को खत्म कर 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू कर दिया गया.

>> किसानों की आय दोगुनी करने के लिए Budget में फसलों पर डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की घोषणा की गई. मोदी सरकार ने ग्रामीण इलाकों में एक करोड़ और शहरी इलाकों में 37 लाख घर बनाने में मदद करने की घोषणा की.

>> इस बजट (Budget) की मुख्य बात राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा (PM-JAY) रही.आयुष्मान भारत योजना (ABY) के तहत 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा के तहत लाने की बात की गयी थी.अरुण संकेतक आपको क्या बताता है

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वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में मोदी सरकार के मंत्रियों का उर्जित पटेल पर हमला

मंत्रियों ने रिजर्व बैंक की नीतियों को अनुचति ठहराया तथा पहले कभी इस्तेमाल नहीं की गई धारा सात के तहत चर्चा को जायज ठहराया.

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में मोदी सरकार के मंत्रियों का उर्जित पटेल पर हमला

अरुण जेटली के सामने ही मंत्रियों ने उर्जित पटेल को लेकर की टिप्पणी

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल (Former RBI Governor Urjit patel) के अप्रत्याशित इस्तीफे की वजह से आलोचना का सामना कर रही केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों ने गुरुवार को उनके (Urjit patel) के कार्यकाल में केंद्रीय बैंक के कामकाज पर सवाल उठाए. मंत्रियों ने रिजर्व बैंक की नीतियों को अनुचति ठहराया तथा पहले कभी इस्तेमाल नहीं की गई धारा सात के तहत चर्चा को जायज ठहराया. इस जवाबी हमले की अगुवाई वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने स्वयं की. अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने इस बात को स्वीकार किया कि केंद्रीय बैंक का ऋण प्रवाह और नकदी को लेकर मुद्दा था. उन्होंने कहा कि सरकार ने यह विचार विमर्श इसे दुरुस्त करने के लिए शुरू किया था. हालांकि, उन्होंने सवाल उठाया कि रिजर्व बैंक (RBI) के कामकाज के तरीके पर चर्चा करने मात्र से ही इसे कैसे एक संस्थान को ‘नष्ट' करना कहा जा सकता है.

उर्जित पटेल के इस्तीफे की स्थिति पैदा करने को लेकर राजनीतिक आलोचनाओं का सामना कर रहे जेटली ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी समेत पूर्व सरकारों के ऐेसे उदाहरण दिये जिसमें आरबीआई के तत्कालीन गवर्नरों को इस्तीफा देने तक को कहा गया. टाइम्स ग्रुप के आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि आरबीआई के साथ अर्थव्यवस्था में कर्ज प्रवाह व नकदी समर्थन समेत कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद है और सरकार ने अपनी चिंता बताने के लिये बातचीत शुरू की थी. उन्होंने सवाल उठाते हुये अरुण संकेतक आपको क्या बताता है कहा कि एक प्रमुख स्वतंत्र और स्वायत्त संस्था के साथ इस बारे में चर्चा करना कि यह आपके (आरबीआई) काम का हिस्सा है.

यह अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण क्षेत्र है और इसे आपको अवश्य देखना चाहिये, आखिर ऐसा करना किस प्रकार से एक संस्थान को खत्म करना कहा जा सकता है? बैंकों को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे के तहत देने की वजह से बैंकों की सामान्य ऋण गतिविधियां प्रभावित हुईं. कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने रिजर्व बैंक पर इस ढांचे में अनुचित संशोधनों को लेकर हमला बोला. जेटली जिस समय चिकित्सा अवकाश पर थे उस दौरान गोयल ने ही वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाला था. गोयल ने यहां तक कहा कि इस तरह का फैसला आरबीआई ने बिना अपने केंद्रीय बोर्ड या सरकार की अनुमति के किया अरुण संकेतक आपको क्या बताता है था. आरबीआई के साथ चर्चा के संदर्भ में जेटली ने कहा कि हम संप्रभु सरकार हैं, जहां तक अर्थव्यवस्था के प्रबंधन का सवाल है, हम सबसे महत्वपूर्ण पक्ष हैं.

उन्होंने जोर देकर कहा कि जहां तक ऋण और नकदी का सवाल है, अरुण संकेतक आपको क्या बताता है आरबीआई की यह जिम्मेदारी है. हम उनके कार्यों को नहीं ले रहे। सरकार ने केवल उस उपाय के तहत चर्चा शुरू की जो चर्चा पर जोर देता है. जेटली ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने आरबीआई को पत्र लिखकर अरुण संकेतक आपको क्या बताता है कहा था कि आर्थिक नीतियां निर्वाचित सरकार निर्धारित करती हैं जबकि मौद्रिक नीति को लेकर आरबीआई की स्वायत्तता है. (इनपुट भाषा से)

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