इन Assets यानि संपत्ति का कोई भौतिक रूप नही है, और इन्हें छुआ नहीं जा सकता है। हालाँकि, इन्हें पैसों आधार पर मापा जा सकता है और इनका मूल्य निकाला जा सकता है। उदाहरण के लिए –

Accounts कितने प्रकार के होते हैं तथा उनके Rules के बारे में Full जानकारी

हमें बहुत अच्छा लगा यह जानकर की आप हमारी साइट पर आकर Accounts के बारे में पढ़ते हैं और बहुत कुछ आपको सीखने को मिलता रहा है। आज फिर हम आपके लिए यह लेख प्रकाशित कर रहे हैं जिसमें आपको खातों (Accounts) के बारे में बताएंगे कि Accounts कितने प्रकार के होते हैं। Accounts के Rules क्या हैं और बताएंगे की खातों के अनुसार Journal में Entry कैसे की जाती है। अगर आप बैंक अकाउंट के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़िए, आपको Bank Accounts के प्रकार और उनके उपयोग के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी।

जर्नल में एंट्री करने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि विचारहीन व्यवहार कौनसे दो खातों को प्रभावित करते हैं। इनमें से कौनसे खाते को Dr किया जाए और कौनसे खाते को Cr किया जाए। अतः वास्तविक खाता किसे कहते हैं अलग – अलग प्रकार के खातों एवम् उनसे Related नियमों की जानकारी हासिल करना आवश्यक है।

खाते कितने प्रकार के होते हैं व उनके नियमों को विस्तार से समझाइए। Kinds of Accounts and Their Rules

  • व्यक्तिगत खाता (Personal Account)
  • वस्तुगत या वास्तविक खाता (Real Account)
  • अवस्तुगत या आय व्यय से संबंधित या नाम मात्र का खाता (Nominal Account)

अब आपको यह तो पता चल गया होगा कि खाते कितने प्रकार के होते हैं। आइए अब हम आपको इनकी पहचान और नियमों के बारे में समझा देते हैं।

  • लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषा । Manual Accounts क्या है

Feature में जब भी आप जर्नल या टैली में एंट्री करेंगे तो आपको ये नियम follow करने होंगे। इन नियमों के अनुसार ही आप व्यवसाय में होने वाले दो पक्षों के बीच व्यवहार में खातों को अलग अलग कर सकेंगे।

वह खाते जो किसी व्यक्ति, फर्म, संस्था अथवा कंपनी से संबंधित होते हैं। व्यक्तिगत (Personal) खाते कहलाते हैं।

वास्तविक खाते क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंवस्तुओं और सम्पत्ति के खाते वास्तविक खाते कहलाते हैं। इन खातों को वास्तविक इसलिए कहा जाता है कि इनमें वर्णित वस्तुएं, विशेष सम्पत्ति के रूप में व्यापार में प्रयोग की जाती है। जैसे मशीन, भवन, माल, यन्त्र, फर्नीचर, रोकड व बैंक आदि के वास्तविक खाते होते हैं

निम्नलिखित में से कौन सा वास्तविक खाता है?

इसे सुनेंरोकेंनिम्नलिखित में कौन-सा वास्तविक खाता है? मजदूरी तथा वेतन कौन-से व्यय हैं? उत्तर: व्यापार की वास्तविक आर्थिक स्थिति ज्ञात करने के लिए चिट्ठा तैयार किया जाता है

वसूली खाता कौन सा खाता है?

इसे सुनेंरोकेंवसूली खाता वह खाता है जिसमें सभी परिसम्पत्तियों (रोकड़ एवं बैंक अतिरिक्त) को उनके पुस्तक मूल्य पर हस्तांतरित किया जाता है एवं सभी बाह्य दायित्वों को उनके पुस्तक मूल्य पर हस्तांतरित किया जाता है। टिप्पणी यह दिखाता है कि परिसम्पत्तियों के विक्रय से कितनी राशि वसूल हुई एवं दायित्वों का निपटान कितनी राशि पर हुआ।

व्यक्तिगत खाता क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंजिन खातों का सम्बन्ध किसी विशेष व्यक्ति से होता है, वे व्यक्तिगत खाते कहलाते हैं। व्यक्ति का अर्थ स्वयं व्यक्ति, फर्म, कम्पनी और अन्य किसी प्रकार की व्यापारिक संस्था होता है। दूसरे शब्दों में, सब लेनदारों तथा देनदारों के खाते व्यक्तिगत खाते होते हैं

रियल अकाउंट क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंवास्तविक खाता (Real Account) जो वस्तु या संपत्ति से रिलेटेड होते हैं उसे Real account या वास्तविक खाता कहते है।

उचंती खाता क्या है?

इसे सुनेंरोकें[सं-पु.] – पंजी या बही का वह खाता जिसमें अस्थायी रूप से ऐसे धन के बारे में लिखा जाता है, जिसका पूरा हिसाब बाद में होने को हो (सस्पेंस अकाउंट)।

वसूली खाता क्या है वास्तविक खाता किसे कहते हैं कब और कैसे तैयार किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- वसूली खाता तैयार वास्तविक खाता किसे कहते हैं करने की विधि- दूसरे शब्दों में, जब किसी साझेदारी फर्म का विघटन किया जाता है, तो उसके सभी खाते जैसे- रोकड़ खाता, बैंक खाता आदि बन्द कर दिये जाते हैं और ऐसा करने के लिए एक खाता खोला जाता है, जिसे वसूली खाता कहते हैं।

खाते कितने प्रकार के होते हैं ? वास्तविक खातों को किस प्रकार बन्द किया जाता है ?

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प्रत्येक लेनदेन में दो पहलू या पक्ष होते हैं। खाता-बही (Ledger) में प्रत्येक पक्ष का एक खाता बनाया जाता है। खाता (Account) खाता बही (लेजर) का वह भाग है जिसमें व्यक्ति, वस्तुओं अथवा सेवाओं के सम्बन्ध में किए हुए लेनदेनों का सामूहिक विवरण लिखा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक खाते की स्थिति का पता लग जाता है कि वह वास्तविक खाता किसे कहते हैं खाता लेनदार (Creditor) है तथा देनदार (Detor)। दोहरी प्रणाली के अनुसार स्रोतों में लेनदेनों को लिखने के लिए खातों के वर्गीकरण को जानना आवश्यक है।

व्यक्तिगत खाते (Personal accounts)

1. एक व्यक्ति का खाता, (जैसे राम वास्तविक खाता किसे कहते हैं वास्तविक खाता किसे कहते हैं का खाता, मोहन का खाता, पूंजी खाता)

2. फर्म का खाता (जैसे गुप्ता ब्रदर्स, मै. गणेश प्रसाद राजीव कुमार)

Accounting के Golden Rules क्या है | ( Golden Rules of Account)

दोस्तो, Accounting सीखने से पहले हमे accounting के कुछ रूल्स follw करना होगे जिन्हें हम Accounting के Golden Rules भी कहते हैं।
तो दोस्तों इस पोस्ट मे हम Accounting के प्रकार तथा उनके कुछ rules देखेंगे। जिससे हम आसानी से समझ जायगे की Accounting मे Rules के आधार पर journal entry किस प्रकार की जाती है।

Account 3 प्रकार के होते हैं

दोस्तों ये तीनों प्रकार के खातों के कुछ अपने – अपने Rules होते हैं जिन्हें हम Accounting के Golden Rules कहते हैं चलो अब हम इन्हें एक – एक कर समझते हैं।

1. व्यक्तिगत खाता (Personal Account) :-

व्यक्तिगत खाते में वे सभी खाते आते हैं, जो किसी व्यक्ति, बैंक या संस्था से संबंधित होते हैं। उन्हें हम व्यक्तिगत खाते (Personal Account ) कहते हैं।

A. Ram को 5000 रू का माल बेचा।

इस एंट्री मे हम व्यक्तिगत खाते पर ध्यान देगे। इसमें व्यक्तिगत खाता Ram का खाता है।
अतः Ram पाने (Receiver) वाला है इसलिये
Ram A/c Dr. होगा।

B. Ramesh से 5000 रू का माल खरीदा।

इस एंट्री मे हम व्यक्तिगत खाते पर ध्यान देगे। इसमें व्यक्तिगत खाता Ramesh का खाता है।

वास्तविक खाते (Real Account) में वे सभी खाते आते हैं जो वास्तव में है। तथा जिन्हें छुआ जा सकता है। उन्हें हम वास्तविक खाता (Real Account) कहते हैं। साधारण भाषा मे कहे तो cash और वस्तुओं के खाते वास्तविक खाते (Real Account) है।

Accounting क्‍या है।

What is Accounting

What is Accounting

एकाउंटिंग को लेखांकन भी कहते है। लेखांंकन दो शब्दों से मिल कर बना है। लेखा + अंकन, लेखांंकन में लेख से मतलब लिखने से होता है, तथा अंकन से मतलब अंकों से होता है। एकाउंटिंग एक प्रोसेस है। जो कि व्‍यवसाय में में होने वाले लेन देन तथा व्‍यवसाय में लिए जाने वाले ऋण का पूरा रिकार्ड रखता है। तथा इससे यह जानने में भी मदद मिलती है। कि व्‍यवसाय में कितना लाभ हुआ और कितनी हानि हुई। किसी व्यवसाय में वस्तुए खरीदी जाती है, और बेची भी जाती है। जिसमें खर्च भी होता रहता है आमदनी भी होती रहती है, कुल मिलाकर कितना खर्च हुआ कितना आमदनी हुआ किन-किन लोगों पर कितना वकाया है तथा लाभ या हानि कितना हुआ, इन समस्त जानकारियों को हासिल करने के लिए व्यवसायी अपने बही खातें में सारी लेन देन को लिखते है। यही लिखने के क्रिया को लेखांकन कहा जाता है । अतः व्यवसाय के वित्तीय लेन-देनों को लिखा जाना ही लेखांकन है ।

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