भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)

आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश, बैंक जल्द कर लें जोखिम से बचाव के उपाय

RBI ने कहा है कि ईसीएआई द्वारा प्रकटीकरण के बिना बैंक ऋण रेटिंग बैंकों द्वारा पूंजी गणना के लिए योग्य नहीं होगी. बैंक ऐसे एक्सपोजर को अनारक्षित मानेंगे. जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2022,
  • (Updated 11 अक्टूबर 2022, 9:30 PM IST)

इसका मकसद विदेशी मुद्रा बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है.

संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे

भारतीय रिजर्व बैंक ने किसी भी इकाई के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिए अपने कुछ दिशानिर्देशों में बदलाव किया है. इसका मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है. आरबीआई ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि बैंकों को उन सभी प्रतिपक्षकारों के बिना हेज्ड विदेशी मुद्रा एक्सपोजर का आकलन करने की आवश्यकता होगी, जिनके पास किसी भी मुद्रा का एक्सपोजर है.

एसपीडी को प्रथम श्रेणी अधिकृत डीलरों की तरह उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. यह अनुमति नियमों और अन्य दिशानिर्देशों के अधीन है.

इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 11% गिरा है और हाल के हफ्तों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. आरबीआई ने कहा कि बैंकों को कम से कम सालाना सभी संस्थाओं के विदेशी मुद्रा एक्सपोजर (एफसीई) का पता लगाना होगा. संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे. आरबीआई के अनुसार यदि किसी इकाई के यूएफसीई से संभावित नुकसान 75% से अधिक है, तो बैंकों को उस इकाई के लिए कुल जोखिम भार में 25 प्रतिशत अंक की वृद्धि प्रदान करने की आवश्यकता होगी.

आरबीआई ने कहा कि "जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें विदेशी विनिमय दरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. ये बैंकिंग प्रणाली से लिए गए ऋणों को चुकाने की उनकी क्षमता को कम कर सकते हैं और उनके डिफ़ॉल्ट की संभावना को बढ़ा सकते हैं, जिससे बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा.''

आरबीआई ने जोखिम बचाव के उपाय बगैर विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश

मुंबई, 11 अक्टूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को किसी भी इकाई के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिये संशोधित दिशानिर्देश जारी किया। इस पहल का मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है। आरबीआई इकाइयों के जोखिम से बचाव के उपाए किए बिना उस विदेशी मुद्रा में लेन-देन (यूएफसीई) के मामले में बैंकों के लिये समय-समय पर दिशानिर्देश जारी करता रहा है, जो बैंकों से कर्ज के रूप में लिये गये हैं।

आरबीआई इकाइयों के जोखिम से बचाव के उपाए किए बिना उस विदेशी मुद्रा में लेन-देन (यूएफसीई) के मामले में बैंकों के लिये समय-समय पर दिशानिर्देश जारी करता रहा है, जो बैंकों से कर्ज के रूप में लिये गये हैं।

केंद्रीय बैंक के परिपत्र के अनुसार ये निर्देश एक जनवरी, 2023 से प्रभाव में आएंगे।

आरबीआई ने कहा कि किसी भी इकाई का जोखिम से बचाव के कदम उठाये बिना विदेशी मुद्रा में लेन-देन चिंता का विषय रहा है। यह न केवल व्यक्तिगत इकाई के लिये बल्कि पूरी वित्तीय व्यवस्था के लिये चिंता की बात होती है।

जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें विदेशी विनिमय दरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इस नुकसान से संबंधित इकाई का बैंकों से लिये गये कर्ज चुकाने की क्षमता प्रभावित होगी और चूक की आशंका बढ़ेगी। इससे पूरी वित्तीय प्रणाली की सेहत पर असर पड़ेगा।

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'विस्तार से सुनवाई योग्य': दिल्ली हाईकोर्ट ने विदेशी मुद्रा लेनदेन को विनियमित करने के लिए 'यूनिफॉर्म बैंकिंग कोड' की मांग वाली जनहित याचिका पर आरबीआई से जवाब मांगा

विस्तार से सुनवाई योग्य: दिल्ली हाईकोर्ट ने विदेशी मुद्रा लेनदेन को विनियमित करने के लिए यूनिफॉर्म बैंकिंग कोड की मांग वाली जनहित याचिका पर आरबीआई से जवाब मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश एडवोकेट और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से जवाब मांगा, जिसमें विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए "यूनिफ़ॉर्म बैंकिंग कोड" लागू करने की मांग की गई है।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने यह देखते हुए कि मामला विस्तृत सुनवाई के योग्य है, आरबीआई को नोटिस जारी किया और आदेश दिया कि याचिका के दस्तावेजों का पूरा सेट उसके सरकारी वकील को सौंप दिया जाए।

केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि याचिका गंभीर मुद्दा उठाती है, जिसके लिए विस्तृत जांच की आवश्यकता है। इस तरह अदालत ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को छह सप्ताह का समय दिया।

याचिका में कहा गया कि समान संहिता से काले धन और बेनामी लेनदेन को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

उपाध्याय ने याचिका में भारतीय बैंकों में विदेशी धन के हस्तांतरण की मौजूदा प्रणाली में "कई खामियों" की ओर इशारा किया, जो उनके अनुसार "अलगाववादियों, नक्सलियों और कट्टरपंथी संगठनों द्वारा देश को अस्थिर करने" के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

उन्होंने प्रस्तुत किया कि आरटीजी, एनईएफटी, आईएमपीएस के माध्यम से किसी भी विदेशी स्रोत द्वारा भारतीय बैंक खातों में पैसा स्थानांतरित किया जाता है। उन्होंने आग्रह किया कि भारतीय बैंक खातों में विदेशी स्रोतों से धन के हस्तांतरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय धन हस्तांतरण ही एकमात्र तरीका है जिसे उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि यह धन की पहचान और स्रोत के संबंध में एक मुहर छोड़ देगा।

उपाध्याय ने प्रस्तुत किया,

"काले धन के मार्ग को ट्रैक करने के लिए केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि जमाकर्ता और दराज का पूरा नाम, पैन, आधार, मोबाइल और आधार विवरण दिए बिना विदेशी मुद्रा लेनदेन नहीं किया जाता है।"

याचिका में तर्क दिया गया कि इसी तरह केंद्र को निर्माताओं, वितरकों, खुदरा विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं के लिए बिक्री के बिंदु पर इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (ईएफटीपीओएस) या मोबाइल फोन भुगतान प्रणाली (एमपीपीएस) को अनिवार्य बनाना चाहिए।

यह भी अनुरोध किया जाता है कि फॉरेन इनवर्ड रेमिटेंस सर्टिफिकेट (एफआईआरसी) जारी किया जाना चाहिए और सभी अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय बैंकों को विदेशी इनवर्ड रेमिटेंस सर्टिफिकेट स्वचालित रूप से प्राप्त करने के लिए एसएमएस के माध्यम से लिंक भेजना चाहिए, यदि विदेशी मुद्रा परिवर्तित आईएनआर के रूप में खाते में जमा की जा रही है।

उपाध्याय के अनुसार, उनकी याचिका में मांगी गई राहत रिश्वतखोरी, काला धन, बेनामी लेनदेन, कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, मुनाफाखोरी, अनाज की जमाखोरी आदि के खतरे को नियंत्रित करेगी।

याचिका में कहा गया कि यह भू-माफियाओं, ड्रग माफियाओं, शराब माफियाओं, खनन माफियाओं, सोना माफियाओं, ट्रांसफर-पोस्टिंग माफियाओं, सट्टेबाजी माफियाओं, हवाला माफियाओं आदि सहित माफिया गतिविधियों को भी नियंत्रित करेगा।

आरबीआई ने जोखिम बचाव के उपाय बगैर विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश

मुंबई, 11 अक्टूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को किसी भी इकाई के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिये संशोधित दिशानिर्देश जारी किया। इस पहल का मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है।
आरबीआई इकाइयों के जोखिम से बचाव के उपाए किए बिना उस विदेशी मुद्रा में लेन-देन (यूएफसीई) के मामले में बैंकों के लिये समय-समय पर दिशानिर्देश जारी करता रहा है, जो बैंकों से कर्ज के रूप में लिये गये हैं।
केंद्रीय बैंक के परिपत्र के अनुसार ये निर्देश एक जनवरी, 2023 से प्रभाव में आएंगे।
आरबीआई ने कहा कि किसी भी इकाई का जोखिम से बचाव के कदम उठाये बिना विदेशी मुद्रा में लेन-देन चिंता का विषय रहा है। यह न केवल व्यक्तिगत इकाई के लिये बल्कि पूरी वित्तीय व्यवस्था के लिये चिंता की बात होती है।

जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें विदेशी विनिमय दरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इस नुकसान से संबंधित इकाई का बैंकों से लिये गये कर्ज चुकाने की क्षमता प्रभावित होगी और चूक की आशंका बढ़ेगी। इससे पूरी वित्तीय प्रणाली की सेहत पर असर पड़ेगा।

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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आर्थिक संकट में बांग्लादेश: विदेशी मुद्रा में लेनदेन पर RBI की रोक, चिंता में पंजाब के निर्यातक

जानकारी के अनुसार एक राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि बैंक की शाखाएं बांग्लादेश पर यूएस डॉलर या किसी अन्य विदेशी मुद्रा एक्सपोजर को न आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश मानने के लिए कहें। लुधियाना से उद्योग और अन्य सामग्री की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए रेलवे ने बीते वर्ष अंबाला से बांग्लादेश के बेनापोल शहर के लिए एक विशेष पार्सल ट्रेन सेवा भी शुरू की थी।

विदेशी मुद्रा

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पड़ोसी देश बांग्लादेश को वित्तीय मामले में उच्च जोखिम की श्रेणी में रखा है। इसके चलते पंजाब के बड़े निर्यातकों में हड़कंप की स्थिति है। हालांकि आरबीआई ने देश से निर्यात को लेकर किसी तरह की रोक नहीं लगाई है लेकिन यूएस डॉलर समेत अन्य विदेशी मुद्रा में लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

बाकायदा सरकारी बैंकों को इस बाबत सर्कुलर जारी कर एहतियात बरतने को कहा गया है। इसके चलते पंजाब खासकर लुधियाना के बड़े कारोबारी अपने विदेशी कारोबार को लेकर चिंतित हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश की दिन-प्रतिदिन बिगड़ती वित्तीय स्थिति को देख आरबीआई ने यह कदम उठाया है।

लुधियाना से हर वर्ष हजारों करोड़ रुपये का धागा और कपड़ा बांग्लादेश को निर्यात होता है। सूबे में सरकारी बैंकों द्वारा जारी इस अलर्ट के बाद कॉटन यार्न का निर्यात करने वाले कारोबारियों में न केवल निर्यात को लेकर चिंता है, बल्कि भविष्य में देश के साथ कारोबार को लेकर भी कारोबारी पसोपेश में हैं।

जानकारी के अनुसार एक राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि बैंक की शाखाएं आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश बांग्लादेश पर यूएस डॉलर या किसी अन्य विदेशी मुद्रा एक्सपोजर को न मानने के लिए कहें। लुधियाना से उद्योग और अन्य सामग्री की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए रेलवे ने बीते वर्ष अंबाला से बांग्लादेश के बेनापोल शहर के लिए एक विशेष पार्सल ट्रेन सेवा भी शुरू की थी।

उधर, परिधान प्रौद्योगिकी और सामान्य सुविधा केंद्र (एटीएफसी) के अध्यक्ष विनोद थापर ने बताया कि बांग्लादेश में आर्थिक स्थिति और विदेशी मुद्रा की कमी को देख एक राष्ट्रीयकृत बैंक के सर्कुलर के अनुसार यूएस डॉलर या अगले निर्देश तक बांग्लादेश से कारोबार को लेकर अन्य विदेशी मुद्रा के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। इससे पंजाब का निर्यात भी प्रभावित हो सकता है।

संघ के सभी सदस्यों को बांग्लादेश के साथ कोई भी नया व्यापार सौदा करते समय पूरी सावधानी बरतने की सलाह जारी की है। वहीं, निटवेयर और अपैरल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुदर्शन जैन ने बताया कि पिछले कुछ महीनों के दौरान बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आई है।

इसे ध्यान में रखते हुए बैंकों ने यूएस डॉलर या किसी अन्य विदेशी मुद्रा में आईएनआर को छोड़कर एक्सपोजर नहीं लेने का एहतियाती कदम उठाया है। जाहिर तौर पर किसी भी देश में विदेशी मुद्रा भंडार कम होने पर देश को भोजन, ईंधन आदि जैसी आवश्यक वस्तुओं के भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कपड़े जैसे सेकेंडरी इस्तेमाल की चीजों के लिए वित्तीय लेन-देन जोखिम भरा हो सकता है।

विस्तार

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पड़ोसी देश बांग्लादेश को वित्तीय मामले में उच्च जोखिम की श्रेणी में रखा है। इसके चलते पंजाब के बड़े निर्यातकों में हड़कंप की स्थिति है। हालांकि आरबीआई ने देश से निर्यात को लेकर किसी तरह की रोक नहीं लगाई है लेकिन यूएस डॉलर समेत अन्य विदेशी मुद्रा में लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

बाकायदा सरकारी बैंकों को इस बाबत सर्कुलर जारी कर एहतियात बरतने को कहा गया है। इसके चलते पंजाब खासकर लुधियाना के बड़े कारोबारी अपने विदेशी कारोबार को लेकर चिंतित हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश की दिन-प्रतिदिन बिगड़ती वित्तीय स्थिति को देख आरबीआई ने यह कदम उठाया है।

लुधियाना से हर वर्ष हजारों करोड़ रुपये का धागा और कपड़ा बांग्लादेश को निर्यात होता है। सूबे में आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश सरकारी बैंकों द्वारा जारी इस अलर्ट के बाद कॉटन यार्न का निर्यात करने वाले कारोबारियों में न केवल निर्यात को लेकर चिंता है, बल्कि भविष्य में देश के साथ कारोबार को लेकर भी कारोबारी पसोपेश में हैं।

जानकारी के अनुसार एक राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि बैंक की शाखाएं बांग्लादेश पर यूएस डॉलर या किसी अन्य विदेशी मुद्रा एक्सपोजर को न मानने के लिए कहें। लुधियाना से उद्योग और अन्य सामग्री की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए रेलवे ने बीते वर्ष अंबाला से बांग्लादेश के बेनापोल शहर के लिए एक विशेष आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश पार्सल ट्रेन सेवा भी शुरू की थी।

उधर, परिधान प्रौद्योगिकी और सामान्य सुविधा केंद्र (एटीएफसी) के अध्यक्ष विनोद थापर ने बताया कि बांग्लादेश में आर्थिक स्थिति और विदेशी मुद्रा की कमी को देख एक राष्ट्रीयकृत बैंक के सर्कुलर के अनुसार यूएस डॉलर या अगले निर्देश तक बांग्लादेश से कारोबार को लेकर अन्य विदेशी मुद्रा के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। इससे पंजाब का निर्यात भी प्रभावित हो सकता है।

संघ के सभी सदस्यों को बांग्लादेश के साथ कोई भी नया व्यापार सौदा करते समय पूरी सावधानी बरतने की सलाह जारी की है। वहीं, निटवेयर और अपैरल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुदर्शन जैन ने बताया कि पिछले कुछ महीनों के दौरान बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आई है।

इसे ध्यान में रखते हुए बैंकों ने यूएस डॉलर या किसी अन्य विदेशी मुद्रा में आईएनआर को छोड़कर एक्सपोजर नहीं लेने का एहतियाती कदम उठाया है। जाहिर तौर पर किसी भी देश में विदेशी मुद्रा भंडार कम होने पर देश को भोजन, ईंधन आदि जैसी आवश्यक वस्तुओं के भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कपड़े जैसे सेकेंडरी इस्तेमाल की चीजों के लिए वित्तीय लेन-देन जोखिम भरा हो सकता है।

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