घरेलू बाजार में कम जोखिम
बीते वर्ष में ग्लोबल आर्थिक हालात में अनिश्चितता के चलते अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी बाजार में अस्थिरता रही, जिससे घरेलू कमोडिटी बाजार भी अछूता नहीं कमोडिटी विकल्प क्या हैं कमोडिटी विकल्प क्या हैं रहा। विश्लेषकों का कहना है कि इस साल भी कुछ घरेलू कमोडिटी बाजार में ऐसा ही ट्रेंड रह सकता है। हालांकि मानसून के सामान्य रहने से घरेलू कमोडिटी बाजार में जोखिम कुछ कम रहने का अनुमान है। निवेशकों को 2013 में निवेश की रणनीति बनाने के लिए गुजरे वर्ष में कमोडिटी के प्रदर्शन के बारे में जान लेना हमेशा उपयोगी रहता है।

फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस क्या हैं? निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें

Diwali special:सोने में निवेश के E-विकल्प, सिर्फ 1 रुपए से सोना खरीदना संभव, न शुद्धता जाए-न दिल घबराए

गौरतलब है कि आज दिवाली से पहले पुष्य नक्षत्र है। पुष्य नक्षत्र पर शुभ की खरीदारी करने की परंपरा है। 677 साल बाद गुरु-पुष्य नक्षत्र का अनोखा संयोग बना है। पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा भी कहते हैं। पुष्य नक्षत्र पर सोना-चांदी खरीदना अच्छा माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक पुष्य नक्षत्र बहुत ही शुभ माना जाता है। शास्त्रों में पुष्य नक्षत्र को स्थायी बताया गया है। इस नक्षत्र में खरीदारी से सुख समृद्धि मिलती है। पुष्य का मतलब पोषण करने, ऊर्जा और शक्ति देने वाला है। गुरुवार को आने वाला पुष्य नक्षत्र ज्यादा शुभ माना जाता है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं सोने में शुभ निवेश के अलग-अलग डिजिटल विकल्प।

सोने में निवेश के कई डिजिटल विकल्प आज मौजूद हैं। जिनके कमोडिटी विकल्प क्या हैं जरिए बड़े ही आसानी से घर बैठे सोने में निवेश किया है सकता है। इतना ही नहीं आपको शुद्ध सोने की गारंटी भी मिलती है। यानी सोना भी शुद्ध मिलता है और किसी तरह के नुकसान का भी खरता नहीं होता। तो क्या हैं ये विकल्प और आप इनमें कैसे कर सकते हैं निवेश आइए जानते हैं।

यदि रास नहीं आ रहे हैं शेयर खरीदने-बेचने के बारीक नियम तो कमोडिटी मार्केट से बनाएं बड़ा कमोडिटी विकल्प क्या हैं मुनाफा

अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है।

ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। शेयर मार्केट इन दिनों काफी चर्चा में है। बीते कुछ महीनों में इस बाजार की ओर रुख करने वाले लोगों की संख्या में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। निवेशकों की संख्या में हर दिन होने वाली इस बढ़त ने पिछले दिनों में एक रिकॉर्ड भी बनाया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 के अगस्त महीने में डीमैट अकाउंट की संख्या पहली बार करीब 10 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। ऐसे में शेयर बाजार में अब आम लोगों का भी दिलचस्पी साफ दिखाई देने लगी है।

शेयर के अलावा कैसे बना सकते हैं बड़ा मुनाफा

क्या आपको पता है कि शेयर मार्केट के अलावा भी एक मार्केट है, जिसमें ठोस वस्तुओं में पैसे लगाकर बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। इस मार्केट को कहते हैं कमाोडिटी मार्केट। जब कभी शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड रहता है तो लोग ऐसे समय में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी जैसी चीजों में अधिक पैसा लगाने लगते हैं जिससे इसकी मांग में भी तेजी देखने को मिलने लगती है। लेकिन अब सवाल है कि क्या आप कमोडिटी मार्केट और इक्विटी यानी शेयर मार्केट के बीच के अंतर को समझते हैं?

कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स यानी धातुओं, बेस मेटल्स, एनर्जी , कच्चे तेल जैसी कई अन्य कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं। यह मूलत: दो तरह की होती हैं , जिनमें से एक है एग्री कमोडिटीज इसे सॉफ्ट कमोडिटी भी कहते हैं, इसके अंतर्गत मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च, सोया बीज, मेंथी ऑयल, गेहूं, और चना जैसी वस्तुएं आती हैं। वहीं नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं।

Equity Vs Commodity: शेयर में डूब रहे पैसे, महंगाई और रेट हाइ​क के दौर में एग्री कमोडिटी और बुलियन बेहतर विकल्प?

Equity Vs Commodity: शेयर में डूब रहे पैसे, महंगाई और रेट हाइ​क के दौर में एग्री कमोडिटी और बुलियन बेहतर विकल्प?

शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव इस साल के शुरू से ही बना हुआ है. (reuters)

Investment Strategy in Commodity: शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव इस साल के शुरू से ही बना हुआ है. महंगाई, रेट हाइक साइकिल, जियो पॉलिटिकल टेंशन, क्रूड की ऊंची कीमतें, सप्लाई चेन में रुकावट, बॉन्ड यील्ड में तेजी, रुपये में कमजोरी जैसे फैक्टर शेयर बाजार को कमजोर कर रहे हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि इक्विटी के लिए जो भी निगेटिव फैक्टर हैं, अचानक से खत्म होते नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में नियर टर्म में भी बाजार में करेक्शन दिखेगा. क्या ऐसे में इक्विटी में नुकसान की कुछ भरपाई कमोडिटी मार्केट से की जा सकती है. क्या बुलियन या एग्री कमोडिटी में निवेश के बेहतर मौके हैं. जानते हैं इस बारे में कमोडिटी एक्सपर्ट का क्या कहना है.

इस साल इक्विटी के मुकाबले कमोडिटी का प्रदर्शन

रुपया: -5.26%
निफ्टी: -9.01%
सेंसेक्स: -9.33%
Dow Jones: -13.61%
MCX Gold: +7.19%
MCX SILVER: -2.15%
कॉपर: +2.54%
MCX Crude oil: +65.17%
NCDEX गुआर सीड: -3.73%
MCX कॉटन: +37.57%
NCDEX जीरा: +31.74%

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि इक्विटी पर अभी सेलिंग प्रेशर नियर टर्म में जारी रहेगा. वहीं दूसरी ओर कमोडिटी के सपोर्ट में कुछ फैक्टर काम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में बुलियन और एग्री कमोडिटी का आउटलुक मजबूत नजर आ रहा है. उनका कहना है कि पैनडेमिक के बाद डिमांड में अचानक तेजी, कमोडिटी विकल्प क्या हैं जियो पॉलिटिकल टेंशन, दुनियाभर में मौसम की प्रतिकूल कंडीशन, महंगाई, लॉजिस्टिक सर्विसेज में दिक्कतें, प्रोडक्शन घटने और सप्लाई प्रभावित होने से कमोडिटी की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है.

गेहूं, कॉटन, जौ, आयल सीड्स में आएगी तेजी

केडिया के अनुसार यूक्रेन को गेहूं का कटोरा कहा जाता है. इसके अलावा भी कई एग्री कमोडिटी का यूक्रेन प्रमुख उत्पादक देश है. इस सीजन की बात करें तो मार्च से मई तक सोइंग सीजन होता है, जिस पर जंग का असर पड़ा है. इस साल वहां बुआई 50 फीसदी से ज्यादा गिरी है, जिससे प्रोडक्शन सालान बेसिस पर घटकर आधा रह जाएगा. इसका असर 6 महीने बाद ए्रग्री कमोडिटी की कीमतों पर दिखेगा. ऐसे में आने वाले दिनों में गेहूं, कॉटन, जौ और आयल सीड्स में और तेजी आ सकती है.

IIFL के VP-रिसर्च, अनुज गुप्ता का कहना है कि मौजूदा समय में जब इक्विटी में नुकसान हो रहा है, बॉन्ड मार्केट में भी रिस्क बना हुआ है, बुलियन में सेफ हैवन डिमांड बढ़ सकती है. सोने और चांदी दोनों में ही आगे बेहतर रिटर्न दिख रहा है. वैसे भी इस साल सोने में पॉजिटिव रिटर्न मिला है. इसे इनफ्लेशन, इक्विटी में अस्थिरता, रीसेशन का डर जैसे फैक्टर से सपोर्ट मिलेगा. हालांकि इंटरेस्ट रेट हाइक से कुछ दबाव है, लेकिन नियर टर्म में सोने और चांदी में रैली दिख रही है. उनका कहना है कि सोने में 49 हजार से 50 हजार के बीच में एंट्री करें और कमोडिटी विकल्प क्या हैं अगले 3 महीने के लिए 52 हजार और फिर 53 हजार का टारगेट बनाएं. वहीं सिल्वर में 59 हजार से 60 हजार के बीच एंट्री करें और 3 महीने के लिए वहले 65 हजार और फिर 68 हजार का टारगेट रखें.

कमोडिटी में निवेश कर चमकाएं अपना पोर्टफोलियो

shine your portfolio by investment in commodities

घरेलू शेयर बाजार में पिछले करीब दो-तीन साल से जारी उठा-पटक और अनिश्चतता के माहौल ने बहुत से इक्विटी निवेशकों को दूसरे विकल्पों के बारे में सोचने को मजबूर किया है। दूसरी ओर सोने-चांदी की आसमान छूती कीमतों के चलते काफी तादाद में छोटे निवेशक बुलियन में निवेश से छिटक गए हैं।

इन दोनों ही बाजारों से किनारा करने वाले निवेशकों की दिलचस्पी हाल के दिनों में कमोडिटी में बढ़ी है। ऐसे में अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और जोखिम को बैलेंस करने के लिए कमोडिटी में पैसे लगाने का चलन बढ़ता दिख रहा है। कमोडिटी निवेश में निवेशकों की रुचि बढ़ने की एक अहम वजह यह भी है कि कमोडिटी बाजार काफी हद तक आर्थिक हालात के अनुरूप ही प्रतिक्रिया देता है। यह खूबी न केवल आम निवेशक के लिए कमोडिटी बाजार की चाल को समझना आसान बनाती है, बल्कि पोर्टफोलियो का जोखिम घटाने में भी मदद करती है।

डेरिवेटिव्स क्या होते हैं?

डेरिवेटिव वित्तीय साधन (फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट) हैं, जो एक अंतर्निहित परिसंपत्ति (अंडरलाइंग एसेट) या बेंचमार्क से अपनी कीमत (वैल्यू) हासिल करते हैं. उदाहरण के लिए, स्टॉक, बॉन्ड, करेंसी, कमोडिटी और मार्केट इंडेक्स डेरिवेटिव में इस्तेमाल किए जाने वाले कॉमन एसेट हैं. अंतर्निहित परिसंपत्ति (अंडरलाइंग एसेट) की कीमत बाजार की स्थितियों के मुताबिक बदलती रहती है. मुख्य रूप से चार तरह के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट हैं – फ्यूचर (वायदा), फॉरवर्ड, ऑप्शन और स्वैप.

फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के जरिए खरीदार (या विक्रेता) भविष्य में एक पूर्व निर्धारित तिथि पर एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर संपत्ति खरीद या बेच सकता है. वायदा कारोबार (फ्यूचर ट्रेडिंग) करने वाले दोनों पक्ष अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) को पूरा करने के लिए बाध्य होते हैं. इन अनुबंधों का स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार होता है. वायदा अनुबंध की कीमत अनुबंध खत्म होने तक मार्केट के हिसाब से बदलती रहती है.

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