जानिए कार में रेडिएटर फ्लश कि क्यों पड़ती है जरूरत

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कार से लंबी दूरी की यात्रा करने वाले लोगों को इस की परफॉर्मेंस को बनाए रखने के लिए इंजन के ऊपर खास तरह से ध्यान देने की जरूरत पड़ती है. अधिकतर लोग जब दूसरे राज्य में जाने वाले होते हैं, उससे पहले ही गाड़ी की एक बार अच्छे से सर्विसिंग करवाते हैं. जो लोग इसकी देखभाल नहीं करते हैं. उन्हें यात्रा के दौरान हीटिंग जैसी समस्याएं आती है. क्या आप भी अपनी गाड़ी की हीटिंग की समस्या से जूझ रहे हैं. इसका एक बहुत ही आसान समाधान है.

दरअसल कई बार इंजन इस कदर गर्म हो जाता है कि इसे चालू करते समय भी इसके अंदर से आवाज आनी शुरू हो जाती है. ऐसी स्थिति में आप रेडिएटर फ्लश का इस्तेमाल कर अपनी गाड़ी को लंबी दूरी की यात्रा के दौरान मेंटेन करके रख सकते हैं.

गाड़ी में रेडिएटर फ्लश क्या होता है

गाड़ी चालू होने के बाद कूलेंट इसकी इंजन को ठंडा रखने के काम आता है. कूलेंट फ्लश को ही मैकेनिकल भाषा में रेडिएटर फ्लश कहते हैं. ज्यादातर इस शब्द का इस्तेमाल गाड़ी की रिपेयरिंग करने वाले मैकेनिक करते हैं. दरअसल कार की रेडिएटर को साफ करने के लिए इसी केमिकल के मिश्रण का इस्तेमाल करते हैं. इससे गाड़ी के अंदर जंग नहीं लगती है. वहीं दूसरी तरफ अगर जंग लग भी गई हो तो स्केलिंग और अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए ये काम आता है.

इस वजह से रेडिएटर रेडिएटर फ्लश कार में जरूरी है

अगर कूलेंट में सही मात्रा में केमिकल उपलब्ध हो इसके बावजूद भी गाड़ी हिट हो तो आप समझ जाएं कि इसमें मौजूद पानी और केमिकल पूरी तरह से दूषित है. इसके अलावा कूलेंट में लीकेज होने की वजह से आप रेडिएटर फ्लश करवा सकते हैं. रेडिएटर में गंदगी होने के कारण भी लीकेज हो सकती है. अगर कूलेंट का रंग पीला पड़ने लगे और इंजन के अंदर से अलग-अलग तरह की आवाज आए तब खासतौर पर रेडिएटर फ्लश करवा लें.

इस तरह से रेडिएटर फ्लश फायदेमंद है

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर कार के लिए यह किस तरह से फायदेमंद है. आपको बताते एक्सएम क्यों चुनें चलें कि जंग और स्टेलिंग के साथ ही कूलेंट के अंदर मौजूद गंदगी को हटाने के लिए यह काफी फायदेमंद है. गाड़ी की सर्विसिंग करवाते समय नियमित रूप से फ्लशिंग भी करवाना जरूरी है. इससे कभी भी हीटिंग की समस्याएं नहीं आती है. इसके अलावा अगर कूलेंट में झाग बने तब भी आप इसकी मदद से झाग को दूर कर सकते हैं. कई बार नया कूलेंट लेने पर भी इसमें झाग बनती रहती है तब आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. नियमित रूप से रेडिएटर फ्लशिंग नहीं करवाने पर वाटर पंप होने में परेशानी आती है.

कोरोनरी एंजियोग्राफी क्या है?

कोरोनरी एंजियोग्राफी (CAG), जिसे कोरोनरी एंजियोग्राम या कार्डियक कैथीटेराइजेशन भी कहा एक्सएम क्यों चुनें जाता है, एक मेडिकल इमेजिंग प्रक्रिया है जो हृदय की रक्त वाहिकाओं का निरीक्षण करने के लिए एक्स-रे का उपयोग करती है।

यह जांचने के लिए किया जाता है कि आपकी कोरोनरी धमनियां संकुचित या अवरुद्ध हैं और किस हद तक। यह हृदय की मांसपेशियों या हृदय के वाल्व से संबंधित किसी भी असामान्यता की जांच करने में भी सहायता करता है।

यह कोरोनरी एंजियोग्राम प्रक्रिया हृदय रोग विशेषज्ञ को आपकी हृदय स्थिति की निगरानी करने और उपचार योजना तय करने में मदद करती है।

भारत में कोरोनरी एंजियोग्राफी की लागत

कोरोनरी एंजियोग्राफी की लागत अस्पताल और शहर के अनुसार अलग-अलग होती है। हैदराबाद, विज़ाग, नवी मुंबई, औरंगाबाद, नासिक, नेल्लोर, काकीनाडा, कुरनूल और अन्य स्थानों में एंजियोग्राफी प्रक्रियाओं की लागत कई कारकों के आधार पर व्यापक रूप से भिन्न होती है।

City लागत सीमा
भारत में कोरोनरी एंजियोग्राफी की लागत रु. 22,000, और अधिकतम रुपये है। 44,000।

मेडिकवर कॉल सेंटर नंबर 04068334455

डॉक्टर का परामर्श

कोरोनरी एंजियोग्राफी प्रक्रिया की तैयारी कैसे करें

  • चुनिंदा मामलों में कोरोनरी एंजियोग्राफी आपातकालीन आधार पर की जाती है। लेकिन वे आमतौर पर पहले से निर्धारित होते हैं।
  • आपका कार्डियोलॉजिस्ट आपको आपकी प्रक्रिया से आठ घंटे पहले कुछ भी खाने या पीने के लिए नहीं कहेगा।
  • यदि आपको मधुमेह है या कोई दवा ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर को सूचित करें।
  • आपका डॉक्टर आपके स्वास्थ्य की निगरानी के लिए रक्त परीक्षण, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी), आदि जैसे कुछ चिकित्सा परीक्षणों की सिफारिश करेगा।

कोरोनरी एंजियोग्राफी कैसे की जाती है?

  • हृदय रोग विशेषज्ञ कमर या हाथ से धमनी में एक लंबी, पतली ट्यूब को कैथेटर के रूप में जाना जाता है।
  • एक्स-रे छवियों की मदद से कैथेटर की नोक को हृदय और कोरोनरी धमनियों में डाला जाता है।
  • कंट्रास्ट माध्यम के रूप में जाना जाने वाला एक विशेष द्रव ट्यूब के माध्यम से इंजेक्ट किया जाता है जो एक्स-रे पर दिखाई देता है क्योंकि यह धमनियों से गुजरता है और किसी भी रक्त वाहिकाओं को दिखाता है जो संकुचित या अवरुद्ध हैं।
  • कार्डिएक कैथीटेराइजेशन स्थानीय संज्ञाहरण के तहत किया जाता है, जिसका अर्थ है कि रोगी जाग जाएगा। केवल एक्सएम क्यों चुनें वह भाग जहां से कैथेटर डाला गया है सुन्न हो जाएगा।

कोरोनरी एंजियोग्राफी क्यों की जाती है?

यदि आपको निम्नलिखित लक्षण हैं तो आपका हृदय रोग विशेषज्ञ सीएजी परीक्षण का सुझाव दे सकता है:

  • सीने में दर्द (एनजाइना)
  • छाती, जबड़े, गर्दन या बांह में दर्द महसूस होना
  • सीने में नया या बढ़ता दर्द (अस्थिर एनजाइना)
  • जन्मजात हृदय रोग
  • ईसीजी परीक्षण पर असामान्य परिणाम
  • अन्य रक्त वाहिकाओं के मुद्दे या छाती की चोट
  • हृदय के वाल्व की समस्या जिसके लिए शल्य चिकित्सा की आवश्यकता होती है

हमारे सर्जन

मेडिकवर में, हमारे पास कार्डियक सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट की सबसे अच्छी टीम है जो रोगियों को व्यापक देखभाल और उपचार प्रदान करते हैं।

मेडिकवर क्यों चुनें

मेडिकवर सबसे अच्छा मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल है, जो एक ही छत के नीचे मरीजों को 24x7 व्यापक देखभाल और उपचार प्रदान करता है। हम सही उपकरण और प्रौद्योगिकियों, अत्याधुनिक सुविधाओं, शीर्ष पायदान बुनियादी ढांचे और अत्यधिक अनुभवी डॉक्टरों, सर्जनों और कर्मचारियों की एक टीम से लैस हैं जो बेहतर उपचार परिणाम प्रदान करते हैं। हमारे पास सबसे उन्नत तकनीक और अनुभवी हैं कार्डियक सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट जो कोरोनरी एंजियोग्राफी प्रक्रिया करते हैं।

कौन हैं कणिका कपूर के एक्स-हसबैंड, उन्हें क्यों का 'बेबी डॉल' के गाने से ऐतराज?

कनिका कपूर या यूं कहे बॉलीवुड की बेबी डॉल जो आज सिंगिंग की दुनिया में जाना-माना चेहरा बन चुकी हैं, की लाइफ जैसी ग्लेमर्स और वेल सैटल्ड दिखती है, वैसे पहले नहीं थी। उनकी शादी के बाद की लाइफ किसी ड्रामैटिक फिल्म से कम नहीं रहीं। कनिका कपूर की लाइफ में कई उतार चढ़ाव आए उनके ससुराल वाले कभी नहीं चाहते थे कि वह गाने गाए . तो चलिए आज हम आपको कनिका की लाइफ स्टोरी के बारे में बताते हैं आखिर ससुराल वालों के ना चाहने पर भी वह सिंगर कैसे बन गईं .

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उत्तरप्रदेश के लखनऊ में 23 मार्च 1978 को पैदा हुई कनिका ने साल 2012 में उन्होंने अपने करियर की शुऱुआत की। 40 पार यह खूबसूरत सिंगर 3 बच्चों की मां भी हैं।

किससे हुई थी कनिका कपूर की शादी और क्यों टूटा रिश्ता?

बता दें कि कनिका ने साल 1997 में एक NRI बिजनेसमैन से शादी की थी जिनका नाम राज चंदोक था। इसके बाद वह लंदन चली गई थीं और कुछ वक्त वहीं रहीं।

जियो सावन को दिए एक इंटरव्यू में कनिका ने बताया कि उन्हें शादी के बाद गाना गाने की अनुमति नहीं थी। उनके ससुराल वालों का सोचता था कि उन्हें गाने-बजाने वाला नहीं बनना है। कुछ वक्त तक अपने पति और ससुराल वालों को समझाने पर ये बात तय हुई कि कनिका गाने को अपना प्रोफेशन नहीं बनाएंगी लेकिन अपने शौक के लिए वह गाने की प्रैक्टिस जारी रख सकती हैं।

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कुछ वक्त तक सब ठीक रहा और उनके एक्स हसबैंड इस बात पर भी राजी एक्सएम क्यों चुनें हो गए कि वह प्रोड्यूसर्स से मुलाकात कर सकती हैं। वक्त बीता और कनिका ने यू-ट्यूब पर अपना टैलेंट दिखाना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि मशहूर प्रोड्यूसर एकता कपूर ने उनका गाना जुगनी सुना था जिसके बाद उन्हें बेबी डॉल सॉन्ग के लिए ऑफर मिला।

करियर में उनका पैर तो बड़ा लेकिन इसी बीच पति के साथ उनके रिश्ते भी बिगड़ते गए और साल 2012 में दोनों तलाक देकर अलग हो गए।

कनिका ने अपना एक्सएम क्यों चुनें पहला संगीत वीडियो 2012 में रिलीज़ किया था, जो डीआर. ज्यूस द्वारा निर्मित था तथा उसका नाम जुगनी जी था, यह गीत अलाम लोहार के गाने जुगनी का हिप-हॉप अवतरण था जिसके निर्माता लंदन के गायक तथा संगीतज्ञ डीआर. ज्यूस ने निर्मित किया था। उसके बाद कणिका ने कई प्रसिद्ध गाने गए। बेबी डॉल, लवली एंड एक्सएम क्यों चुनें कमली, चिट्टियां कलाइयां, छिल गए नैना, देसी लुक, नाचं फर्राटे जैसे गाने इस लिस्ट में शामिल हैं। बेबी डॉल में कणिका के साथ तीन सह-गायक भी थे जिनका नाम हरमीत सिंह, मनमीत सिंह तथा अंजान भट्टाचार्य हैं तथा यह तीनों मिलकर मीत ब्रोस अंजान कहलाते हैं। 2015 में रॉय फिल्म में इनका गाया चिट्टियां कलाइयां भी काफ़ी मशहूर हुआ।

फैशन की बात करें तो कणिका का स्टाइल किसी दीवाज से कम नहीं वह आए दिन बॉलीवुड पार्टीज में नजर आती हैं। ट्रडीशनल हो या वेस्टर्न दोनों ही ड्रेसेज में कहर डालती हैं उनके चेहरे एक्सएम क्यों चुनें का बेइंतहा ग्लो भी लोगों को उनकी ओर अट्रैक्ट करता है।

आपको हमारा यह पेकेज कैसा लगा और कणिका के किस गाने के आप मुरीद हैं हमें कमेंट बॉक्स में बताना ना भूलें।

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