इस साल सुमित गुप्ता के जीवन में बहुत कुछ हुआ. वो 30 साल के हो गए, उनकी शादी हुई निवेशक किसी स्टार्टअप की कीमत कैसे तय करते हैं और उनका स्टार्टअप देश के नए टेक यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की फेहरिस्त में शुमार हो गया. कोरोना वायरस महामारी की वजह से कई रुकावटें भी आईं.

चुनौतियों का सामना

सोने का सिक्का निकलता है इस ATM से, बटन दबाते ही 100 ग्राम तक Gold Coin हाथ में

First Gold ATM: हैदराबाद में लगाया गया गोल्ड एटीएम से सबसे शुद्ध माने जाने वाले 24 कैरेट गोल्ड के सिक्के निकलेंगे। कंपनी को उम्मीद है कि ये सोने के खरीदारों के लिए अगला डेस्टिनेशन बनेगा। आगे और भी ATM लगाने की योजना है।

नई दिल्ली। आप पैसे निकालने के लिए अपने नजदीकी एटीएम (ATM) पर तो गए ही होंगे।।मशीन में कार्ड डालकर कोड दर्ज करते ही करेंसी नोट बाहर आ जाते हैं। लेकिन सोचिए अगर पैसों की जगह सोने के चमकते सोने के सिक्के (Gold Coin) निकलने लगें।।।जी हां, हैदराबाद में अब ऐसा ही देखने को मिलेगा। दरअसल, यहां एक कंपनी ने दुनिया का पहला रियल टाइम गोल्ड एटीएम (Real Time Gold ATM) लगाया है। इससे पैसे नहीं, बल्कि सोना निकलेगा। आइए जानते हैं ये कैसे काम करेगा?

निवेशकों की पसंद

सुमित कहते हैं, "यह सबको खुश कर देने वाला था. यह एक बहुत ही रोमांचक यात्रा रही. मैंने बहुत कुछ सीखा. भारत का भविष्य बहुत उज्ज्वल है." इस साल भारत में 44 टेक्नोलॉजी स्टार्टअप कंपनियां यूनिकॉर्न बनीं, यानी उनका बाजार मूल्य एक अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया.

लंबे समय से विदेशी निवेशकों की पसंद चीन रहा हैतस्वीर: HPIC/dpa/picture alliance

विदेशी निवेशकों ने इस साल भारतीय स्टार्टअप्स में 35 अरब डॉलर से भी ज्यादा का निवेश किया. ट्रैकएक्सएन के मुताबिक यह 2020 के मुकाबले तीन गुना बढ़त है. निवेशकों ने यह पैसा फिनटेक और हेल्थ से लेकर गेमिंग तक जैसे क्षेत्रों में लगाया.

लंबे समय से विदेशी निवेशकों की पसंद चीन रहा है, लेकिन इस साल चीन की सरकार ने देश के शक्तिशाली इंटरनेट क्षेत्र में बहुत ही तेज विकास हासिल कर चुकी कंपनियों पर लगाम कस दी. इसकी वजह से निवेशक डर गए और बाइडू, अलीबाबा और टेनसेंट जैसी विशाल कंपनियों के मूल्य में अरबों रुपयों की गिरावट आई.

एक बड़ा बाजार

इसके विपरीत, युवा और अच्छी तालीम हासिल करने वाले उद्यमियों के देश के रूप में भारत ज्यादा आकर्षक हो गया. ये उद्यमी तेजी से विकसित होते डिजिटल ढांचे की मदद से व्यापार करने के तरीके को ही उलट रहे हैं.

भारतीय स्टार्टअप कंपनियां व्यापार करने के तरीके बदल रही हैंतस्वीर: Rafael Henrique/Sopa/Zuma/picture alliance

निवेश कंपनी बे कैपिटल पार्टनर्स के संस्थापक सिद्धार्थ मेहता कहते हैं, "भारत वाकई वो जमीन है जहां व्यापारी दुनिया की कुल आबादी के छठे हिस्से को आकर्षित कर सकते हैं."

मेहता यह भी कहते हैं, "मुझे लगता है बाजार के आकार के हिसाब से भारत चीन से करीब 13-14 साल पीछे है. भारत के पूरे डिजिटल बाजार का मूल्य करीब 100 अरब डॉलर से नीचे ही है लेकिन अगले 10 से 15 सालों में इसे आसानी से 1000 अरब या 2000 अरब तक ले जाया जा सकता है."

शेयर बाजार में उछाल

उसके संस्थापक मासायोशी सोन ने हाल ही में कहा, "मुझे भारत के भविष्य में विश्वास है. मुझे भारत के युवा उद्यमियों के जुनून में विश्वास है. भारत बहुत बढ़िया रहेगा." भारत में टेक्नोलॉजी क्षेत्र में इस साल रिकॉर्ड संख्या में आईपीओ भी आए.

2021 में कई कंपनियां आईपीओ लेकर आईंतस्वीर: Aamir Ansari/DW

इनमें शामिल रहे खाना डिलीवरी करने वाला ऐप जोमाटो और सौंदर्य उत्पादों की कंपनी नाएका. दोनों कंपनियां शेयर बाजार पर अपने आईपीओ के दामों में खूब बढ़त के साथ शेयर बाजार में लिस्ट हुईं और उनके संस्थापक अरबपति बन गए.

अक्टूबर में भारतीय स्टॉक अप्रैल 2020 के मुकाबले 125 प्रतिशत ज्यादा ऊंचे स्थान पर थे और भारत दुनिया के सबसे अच्छे प्रदर्शन वाले इक्विटी बाजारों में से एक बन गया था. लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि संभव है कि इनमें से कई कंपनियों का असलियत से ज्यादा मूल्य लगाया गया हो.

बड़ी चुनौतियां

एक तरफ तो यह साल निवेशक किसी स्टार्टअप की कीमत कैसे तय करते हैं स्टार्टअपों के लिए जबरदस्त रहा वहीं दूसरी तरफ इसने अर्थव्यवस्था की गंभीर चुनौतियों को ढक दिया. भारत में एक करोड़ लोग हर साल श्रम बाजार में जुड़ते जा रहे हैं लेकिन उनके लिए नौकरियां नहीं बन पा रही हैं.

नौकरी के लिए बेचैन इनमें से कई "गिग इकॉनमी" की कम वेतन वाली नौकरियां ले लेते हैं. ये दिन भर में 300 रुपये जितना ही कमा पाते हैं और नौकरी की सुरक्षा या तो नदारद ही होती है या ना के बराबर.

लेकिन स्टार्टअप क्षेत्र में योग्य वाइट कॉलर श्रमिकों की मांग इस साल सप्लाई से कहीं ज्यादा हो गई. खूब सारी नकदी पर बैठी कंपनियों में सबसे अच्छे उम्मीदवारों को नौकरी देने की होड़ लगी हुई है और इस रेस में वे उन्हें नकद, स्टॉक, मोटरसाइकिलें और यहां तक की क्रिकेट मैचों की टिकटों तक का प्रलोभन दे रही हैं.

सिर्फ Paytm ही नहीं, इन शेयरों ने भी बर्बाद कर दिया निवेशकों को

सिर्फ Paytm ही नहीं, इन शेयरों ने भी बर्बाद कर दिया निवेशकों को

निवेशकों का पैसा डुबाने के मामले में Paytm शेयर मार्केट पर निवेशक किसी स्टार्टअप की कीमत कैसे तय करते हैं लिस्ट होने के बाद से ही काफी खबरों में है. आईपीओ (IPO) में तय किए गए इश्यू प्राइस 2150 रु. वाले शेयर की वैल्यू अब महज 636 रु है. मतलब अकेले Paytm के शेयर ने निवेशकों के 70% संपत्ति को डूबा दिया.

बता दें Paytm की पेरेंट कंपनी One97 कम्युनिकेशन्स नवंबर 2021 में मार्केट में अपने आईपीओ के साथ आई थी. कंपनी मार्केट से 18,300 करोड़ रूपये जुटाने में सफल रही थी. यह देश का अब तक का सबसे बड़ा निवेशक किसी स्टार्टअप की कीमत कैसे तय करते हैं आईपीओ था. कंपनी ने तो मार्केट से इतनी बड़ी रकम जुटा ली, लेकिन फंस गए तो आम निवेशक.

निवेशकों का पैसा डुबाने के मामले में Paytm अकेला नहीं

हालांकि निवेशकों के पैसे डुबाने के मामले में Paytm अकेला नहीं है. पिछले साल आईपीओ रस में ढेरों कंपनियों ने मार्केट में डेब्यू किया. हालांकि हाल के दौर में हुए मार्केट करेक्शन के दौरान निवेशक किसी स्टार्टअप की कीमत कैसे तय करते हैं नए जमाने और मार्केट पर लिस्ट हुए नए शेयरों की सबसे बुरी पिटाई हुई.

बीएसई के आईपीओ इंडेक्स के 60 शेयरों में से 18 शेयरों में लिस्टिंग के बाद से 40 से 65 फीसदी की गिरावट आई है. Ace equity के आंकड़ों से पता चलता है कि IPO इंडेक्स के करीब आधे शेयरों ने निवेशकों की एक तिहाई संपत्ति का सफाया कर दिया.

Paytm शेयर की कीमत धड़ाम, समझिए कैसे राजा से रंक बन गए निवेशक?

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Cartrade का शेयर इश्यू प्राइस से 65% नीचे

सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीद-बिक्री के लिए मार्केटप्लेस Cartrade के शेयर अगस्त 2021 में लिस्ट हुए थे. 1618 रुपये के इश्यू प्राइस के मुकाबले कारट्रेड के शेयर 1600 रु पर लिस्ट हुए थे. 16 मार्च 2022 में इसी शेयर का निवेशक किसी स्टार्टअप की कीमत कैसे तय करते हैं प्राइस अब केवल 565 रु है. मतलब निवेशकों को 65% का नुकसान.

एक साल पहले लिस्ट हुए सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक के शेयर ने भी निवेशकों के 60% पैसे का सफाया कर दिया. बुधवार को बीएसई पर शेयर 0.27% की मामूली उछाल के साथ 113 रु पर बंद हुआ.

अल्टिग्रीन कंपनी पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी बनने की ओर अग्रसर

अल्टिग्रीन कंपनी पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी बनने की ओर अग्रसर

ऑटोमोबाइल क्षेत्र में रिलायंस समर्थित अल्टिग्रीन स्टार्टअप अब किसी कंपनी के भरोसे नहीं रहेगा। वह एक पूर्ण एकीकृत इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता बनने का संकल्प कर चुका है। यहीं वह भारत की पहली एकमात्र इलेक्ट्रिक लास्ट माइल ट्रांसपोर्टेशन कंपनी बनना चाहता है। अल्टिग्रीन के संस्थापक अभिताभ सरन ने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2023 में संगठित तिपहिया उद्योग में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत होगी और अगले दो-तीन वर्षों में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक बनने की क्षमता होगी। आइए, ट्रक जंक्शन की इस पोस्ट में जानते हैं नौ साल पुराने इस स्टार्टअप को आखिर पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी बनने की प्रेरणा कैसे और कहां से मिली।

जानें, अल्टिग्रीन स्टार्टअप के जन्म की कहानी

ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में यहां आपको बता दें कि अल्टिग्रीन एक पावरट्रेन सप्लायर के रूप में भारत में अपनी खास पहचान बना चुका है लेकिन अब इसके संस्थापक को महसूस हो रहा है कहीं ना कहीं उन्होंने गलती की है। संभवतया यह गलती ईवी निर्माण में अब तक ध्यान नहीं देना और स्वतंत्र रूप से ईवी निर्माता नहीं बनने की रही। सबसे पहले जानते हैं कैसे अल्टिग्रीन का जन्म हुआ।

इस संदर्भ में अभिताभ सरन ने अपने अनुभव एक शीर्ष समाचार एजेंसी के साथ साझा करते हुए लिखा है कि वर्ष 2011 में जब वे अपने दोस्तों के साथ गोल्फ खेल रहे थे तो भारत में हाईब्रिड कारों की ऊंची कीमत के चिल्लाया। कुछ महीने पहले ही जापानी ऑटो दिग्गज टोयोटा ने भारत में अपना ग्लोबल हाईब्रिड बेस्टसेलर प्रियस लांच किया था, इसकी कीमत 26.55 - 27.86 लाख थी। इस दौरान सरन के गोल्फ मित्रों में से एक ने उसके अंदर मौजूद टेक्नोफाइल को ललकारा। उसे कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद अमिताभ सरन ने अल्टिग्रीन स्टार्टअप बनाया। बता दें कि अल्टिग्रीन ने हाल ही रिलायंस न्यू एनर्जी, सिक्स्थ सेंस वेंचर्स, एक्सपोनेंटिया कैपिटल, एक्सूरेंट इंटरनेशनल और मोमेंटम वेंचर कैपिटल जैसे निवेशकों द्वारा समर्थित आईएनआर 300 करोड़ की फंडिंग हासिल करने के बाद देश- विदेशों में सुर्खियां बटोरी।

अल्टिग्रीन ने माना अन्य कंपनियों से जुडऩा अनुचित था

यहां बता दें कि भारत की चर्चित स्टार्टअप कंपनी अल्टिग्रीन को अब यह अहसास होने लगा है कि उसने अन्य कंपनियों के साथ जुड़कर भूल की। कंपनी के संस्थापक सरन ने कहा है कि यह हमारे उद्योग का विनाश होने के समान है। कंपनियों द्वारा बाजार में इतनी बड़ी भीड़ ने पर्याप्त शोध नहीं किया है। हमारे लिए अन्य कंपनियों से जुडऩा अनुचित था जो बाजार में उभरी हैं। उन्होंन आगे कहा कि उद्योग में स्टार्टअप की तरह अल्टिग्रीन अपने पोर्टफोलियो को विद्युतकृत करने के लिए विरासत वाहन निर्माताओं की अनिच्छा को भुनाना चाहता है। कारोबार की सबसे बड़ी कंपनी बजाज ऑटो ने अभी तक बाजार में इलेक्ट्रिक पेशकश पेश नहीं की है। वह अंतिम मील परिवहन पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करना चाहता है।

यहां बता दें कि अभी तक अल्टिग्रीन कंपनी का एकमात्र इलेक्ट्रिक वाहन थ्री व्हीलर NEEV है। इसकी रेंज के साथ 11 केएच बैटरी पैक की जो पूरे लोड के साथ भार वहन के लिए उपयुक्त है। यह उद्योग और करीब 118 से 154 घन मीटर की तुलना में 177 घन मीटर की सबसे अच्छी त्वरण एवं उच्च भार वहन क्षमता का दावा किया जाता है। सारन के अनुसार सबसे बड़ा अंतर वाहन और इसे चलाने वाले सॉफ्ट वेयर को विकसित करने के लिए अनुसंधान और विकास का है। सरन ने कम्प्यूटर विज्ञान में पीएचडी की है। तीन दशक के कैरियर में इन्होंने एचपी, नासा, टीसीएस एवं फिलिप्स जैसी कंपनियों में काम किया है।

कोई शॉर्टकट नहीं अपनाना चाहता अल्टिग्रीन

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्टार्टअप फर्म से पूर्ण ईवी निर्माता बनने को उत्सुक अल्टिग्रीन किसी तरह का शार्टकट नहीं अपनाना चाहता। इस संबंध में फर्म संचालक अमिताभ सरन ने कहा है भारत को खराब स्थिति के लिए वाहनों की आवश्कता है। हमारे पास जलभराव, गड्ढ़े वाली सडक़ें, ओवरलोडिंग, धीमा यातायात और अत्यधिक गर्मी एवं धूल भरा वातावरण निवेशक किसी स्टार्टअप की कीमत कैसे तय करते हैं है। डीजल वाहनों ने इस विषम परिस्थिति में बहुत कुछ किया।

अल्टिग्रीन के उत्पाद ई- थ्री व्हीलर के बारे में बता दें कि केंद्र सरकार की स्न्ररूश्व सब्सिडी के बाद भी इसकी कीमत लगभग आईएनआर 4 लाख है। राज्य सरकार की सब्सिडी कीमत को लगभग 3.7 लाख रुपये तक लाती है। बाजार में तुलनीय डीजल या सीएनजी की कीमत 3.15 लाख रुपये है। पिछले कुछ महीनों में बैटरी की कीमतों में वृद्धि के बावजूद, फर्म को विश्वास है कि मध्यम अवधि में इसकी कीमतों में गिरावट जारी रहेगी। दहन इंजन वाहनों के साथ समानता 3 वर्षों में हासिल की जाएगी। अभी के लिए यह उच्च मूल्य टैग को ऑफसेट करने के लिए ईवीएस के स्वामित्व की कम लागत पर बैंकिंग कर रहा है।

मेक इन इंडिया

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भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।

'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

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