तकनीकी विश्लेषण आपको चार्ट और मूल्य पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, जो किसी भी प्रकार के निवेश के केंद्र में होता है। इसके मूल में, विश्लेषण इस विश्वास पर निर्भर करता है कि मूल्य उन सभी जानकारियों को प्रतिबिंबित करता है जो एक निश्चित बाजार या संपत्ति को प्रभावित करती है। यह वही आधार है जो विश्लेषकों को यह समझने की ओर ले जाता है कि निवेशक जानकारी को कैसे समझते हैं या व्यवहार करते हैं।
स्व एवं व्यक्तित्व की अवधारणा भाग पांच /self concept and personality part 5/ RAS MAINS PAPER 3
उन्होंने भाषा में उपलब्ध वर्णनात्मक विशेषको में से कुछ प्राथमिक विशेषको का पता लगाने का प्रयास किया हैं। उन्होंने शीलगुणों को विमाओं के रूप कारक विश्लेषण की अवधारणा में देखा। उनके अनुसार शीलगुण एक मानसिक संरचना है जो व्यवहार के निरीक्षण से प्रकट होता है। उपरोक्त वर्णित सामान्य संरचना का पता लगाने के लिए उन्होंने कारक विश्लेषण (factor analysis) नामक सांख्यिकी तकनीक का प्रतिपादन किया है।
- मूल विशेषक(source traits)- उपरोक्त तकनीक के माध्यम से उन्होंने 16 मूल अथवा प्राथमिक कारक विशेषकों का पता लगाया है। ये विशेषक प्रकृति में स्थिर होते हैं तथा व्यक्तित्व निर्माण करने वाले मूल तत्वों के रूप में जाने जाते हैं।
- सतही अथवा कारक विश्लेषण की अवधारणा पृष्ठ विशेषक (surface traits)- मूल विशेषकों की अन्तःकिया से जिन विशेषकों की कारक विश्लेषण की अवधारणा उत्पत्ति होती है, उन्हें सतही विशेषक कहते हैं।
SWOT स्वोट विश्लेषण क्या है? स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ
स्वोट विश्लेषण किसी विशेष परिस्थिति को मूल्यांकित करने की विश्लेषणात्मक प्रविधि है। स्वोट (SWOT) चार शब्दों का संक्षिप्त रूप है। S से तात्पर्य Strength अर्थात् शक्तिया, W से Weakness कमजोरिया, O से Opportunities अवसर तथा T से Threats चुनौतिया। किसी भी परिस्थिति के ये चार पक्ष होते हैं जो उसका समग्र विश्लेषण करने के लिए आवश्यक हैं। विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक प्रबंधन के साथ-साथ शैक्षिक प्रबंधन में भी इसका महत्व बढ़ गया है।
स्वोट (SWOT) के चार पक्षों में से दो पक्ष, अवसर तथा चुनौतिया बां कारक हैं, जबकि शक्तिया तथा कमजोरिया आन्तरिक कारक हैं। शैक्षिक प्रबंधन तथा नियोजन की रणनीतियों में SWOT विश्लेषण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
किसी भी संगठन के समुचित विकास के लिए नियमित मूल्यांकन (continuous evaluation) आवश्यक है। वस्तुत: मूल्यांकन समग्र प्रबंधन प्रक्रिया का अविभाज्य अंग है। समुचित, वैध एवं विश्वसनीय मूल्यांकन किसी भी संगठन का सुदृढ़ आधर है, जिस पर किसी भी संगठन का कारक विश्लेषण की अवधारणा भावी विकास निर्भर करता है।
SWOT स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ
- इसके आधर पर विद्यालयों में कारक विश्लेषण की अवधारणा प्रशासनिक सिद्धांतों का प्रयोग किया जा सकता है।
- इसके आधर पर प्रशासक सहज ही अनुमान लगा लेते हैं कि विद्यालय प्रणाली की उप-प्रणालियों में कहा क्या कमी है व इसे केसे दूर किया जा सकता है।
- जो प्रबंधक, प्रणाली के दृष्टिकोण से संगठन में आने वाली समस्याओं को देखता है, वह आसानी से समस्या-समाधन के विकल्पों का पता लगा लेता है।
- प्रबंधक समस्या या विद्यालय पर डालने वाले प्रभावों (यथा संस्थागत, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक) का विश्लेषण कर पाता है।
- यह एक ऐसा ढांचा है जिसके आधर पर शिक्षा जैसे जटिल संगठनों की समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है तथा भविष्य में संबंध में निर्णय लिया जा सकता है।
- यह एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है कि फ्प्रबंधक एक समग्र प्रणाली के कार्य कर रहा है।
- यह पूर्व प्रबंध-नौकरशाही मान्यताओं के विपरीत, विद्यालय कारक विश्लेषण की अवधारणा संगठन को एक गतिमान, परस्पर क्रियापूर्ण व तर्कसंगत व्यापक प्रणाली मान कर चलता है।
- इसके आधर पर शैक्षिक समस्याओं की पहचान कर उनका समाधन ढूढा जा सकता है, चाहे ये समस्याए गिरते शैक्षिक स्तर, अनुशासन या अन्य किसी भी प्रकार की क्यों न हों। यही कारण है कि अनेक विद्वानों, यथा- कूट्ज तथा ओडोनेल (Koontz and O’Donnel, 1976) ह्यूज तथा बोडिच (Huse and Bowdetch, 1977) एवं वुड निकल्सन तथा पिफन्डले (Wood Nicholson and Findley, 1979)
स्पीयरमेन का द्विकारक सिद्धांत Spearman’s Two Factor कारक विश्लेषण की अवधारणा Theory
स्पीयरमेन एक ब्रिटेन मनौवैज्ञानिक थे जिन्होने 1904 में बुद्धि के द्विकारक सिद्धांत का वर्णन किया। इनका जन्म 10 फरवरी 1863 तथा मृत्यु 17 सितंबर 1945 हुवा। उन्होने बुद्धि के विषय में बहुत से प्रयोग किए। जो निम्नलिखित है :
उन्होने कारक विश्लेषण के द्वारा कई प्रयोगात्मक विश्लेषण किये और इन अंकड़ो का विश्लेषण कर के ये बताया की बुद्धि दो संरचनाओ का मूल है यानी बुद्धि में दो प्रकार के कारक होते हैं
बुद्धि की संरचना में एक कारक सामान्य तत्व होता है जिसे ( G – Factor ) और दुसरा विशिष्ट कारक (S – Factor) कहा जाता है।
सामान्य तत्व – ये सभी प्रकार की मानासिक क्रियाओ के मूल हैं।
सामान्य तत्व ( General Factor/ G – कारक ) की सही विशेषताएं होती है
- स्पीयरमेन का मना है की G – कारक को मानासिक ऊर्जा कहा है, अर्थत सभी मानासिक कार्य को करने के लिए G कारक की उपस्थिति अनिवार्य है, और ये उपस्थिति अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग हो सकती है।
- यह कारक जन्म जात एवं अपरिवर्तनीय हैै अर्थात यह कारक जीन द्वारा हमें जन्म से मिलता है। और G कारक पर किसी भी तरह की शिक्षण प्रक्षिक्षण और पूर्व अनुभूति का प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि यह कारक वंनशानुक्त है यह हमें जन्म से प्राप्त हुआ है।
- प्रत्येक व्यक्ति में G – कारक को मात्रा निश्चित है कारक विश्लेषण की अवधारणा परन्तु इसका मतलब ये नही है कि सभी व्यक्तियों मे यह बराबर है प्रत्येक व्यक्ति में इस कारक की मात्रा अलग अलग हो सकती है, अर्थात किसी में, मानासिक कार्य करने की क्षमता अधिक भी हो सकती है और किसी में कम भी।
- G – कारक एक विषय से दूसरे विषय में स्थांतरित भी हो सकता है।
विशिष्ट कारक की विशेषताएं :
- S – कारक का स्वरूप परिवर्तनशील है। अर्थत एक मानसिक क्रिया अगर कोई व्यक्ति अगर गाना गा रहा है तो उस मे S – कारक अधिक हो सकता है, परन्तु हो सकता है, उस में पेंटिंग के लिए S – कारक काम हो ।
- विशिष्ट कारक में यह जन्मजात ना होकर अर्जित होता है, जैसा हमने कहा G कारक अनुवांशिक है, यह जन्मजात है, यह हमे अनुवांशिक रूप से मिल रहा है। पर विशिष्ट कारक जन्मजात नही है ये अर्जित किया जाता है। अर्थत इसे शिक्षण या पूर्व अनुभूतियों द्वारा इसे बढ़ा सकते हैं। जैसे हम ट्रेनिंग देकर पेंटर बना सकते है।
3.व्यक्ति में जिस विषय से सम्बंधित S – कारक होता है, उसी से सम्बंधित कुशलता में वह विशेष सफतता प्राप्त करता है।
इसका उदाहरण लता मंगेशकर से ले सकते है G कारक तो उपस्थित था ही साथ में गान के लिए S कारक विशिष्ट रूप से था। जिस से गान में उन्हें सफलता प्राप्त हुई।
वाक्य विश्लेषण – परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण
वाक्य विश्लेषण हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है और उसके बारे में हर किसी को जानकारी नहीं होती है और यह आपकी परीक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको वाक्य विश्लेषण के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं, जिसके लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
किसी वाक्य में प्रयुक्त हुए शब्दों को उनके अंगों सहित अलग – अलग करके उनका पारस्परिक सम्बंध बताना ही हिंदी व्याकरण में वाक्य विश्लेषण कहलाता है।
सामान्य भाषा में कहे तो वाक्य प्रयोग किये गये सभी पदों को अलग अलग करके प्रयेक शब्द का पारस्परिक सम्बंध बताने की प्रक्रिया को वाक्य विश्लेषण कहते हैं।
वाक्य विश्लेषण के प्रकार
वाक्य विश्लेषण के तीन प्रकार होते है जो कि कारक विश्लेषण की अवधारणा निम्नलिखित दिये गये हैं-
- सरल वाक्य विश्लेषण
- संयुक्त वाक्य विश्लेषण
- मिश्र वाक्य विश्लेषण
तकनीकी कारक विश्लेषण की अवधारणा विश्लेषण और इसके लाभों के बारे में जानें
हिंदी
चाहे आप ट्रेडिंग के लिए नए हैं या कुछ समय से ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो निश्चित रूप से आपका परिचय ‘तकनीकी विश्लेषण’ शब्द से हुआ होगा। जब आप किसी भी परिसंपत्ति वर्ग या बाजार में निवेश कर रहे होते हैं, तो ट्रेड को समझने के लिए आपको आसान जानकारी की आवश्यकता होगी। आपको दो प्रकार के विश्लेषणों की आवश्यकता होगी: मौलिक और तकनीकी विश्लेषण।
जबकि मौलिक विश्लेषण में बैलेंस शीट को देखना, उद्योग और कंपनी की पुस्तकों का अध्ययन करने के रूप में सूक्ष्म कारकों की समझ शामिल है, उदाहरण के लिए, तकनीकी विश्लेषण पूरी तरह से चार्ट, पैटर्न, और सांख्यिकीय उपकरण है कि मदद एक ट्रेडर बाजार की प्रवृत्ति को समझने के बारे में है। यह एक ट्रेडर चार्ट, लाइनों, और पैटर्न की मदद से एक निश्चित स्टॉक का आकलन करने में मदद करता है। यह चार्ट पर विशिष्ट परिसंपत्ति के इतिहास के आधार पर मूल्य के उतार-चढ़ाव को देखने में मदद करता है। भविष्यवाणियों के लिए, अतीत में परिसंपत्ति की कीमत और मात्रा का ध्यान रखा जाता है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 247