इसी लागत व्यय Rs. 200 होने पर यदि साधन Y की प्रति इकाई कीमत Py होने की दशा में वह साधन Y की अधिकतम अर्थात् OR इकाइयाँ खरीद सकेगा । इस प्रकार उत्पादक के पास बिन्दु R तथा S के रूप में दो उच्चतम साधन उपलब्धताएँ हैं । यदि इन दोनों बिन्दुओं को मिला दिया जाये तो रेखा RS के रूप में हमें साधन कीमत रेखा अथवा सम-लागत रेखा प्राप्त होती है ।

भारत ने पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक-2022 को किया खारिज

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Union environment ministry) ने पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2022 को खारिज कर दिया है जिसमें 180 देशों की सूची में भारत को सबसे नीचे के स्थान पर रख दिया गया है.

नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Union environment ministry) ने बुधवार को पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक- 2022 को खारिज किया जिसमें भारत को 180 देशों की सूची में सबसे निचले स्थान पर रखा गया है. मंत्रालय ने कहा कि सूचकांक में उपयोग किए गए सूचक अनुमानों व अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित हैं. हाल में येल पर्यावरण कानून व नीति केंद्र और अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान सूचना नेटवर्क केंद्र, कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित सूचकांक में जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन, पर्यावरणीय स्वास्थ्य एवं पारिस्थितिकी के महत्व के मामले में देशों की परख के लिए 11 श्रेणियों में 40 प्रदर्शन परिवर्तन सूचक की दर सूचकों का इस्तेमाल किया गया.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'हाल ही में जारी पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) 2022 में कई सूचक निराधार मान्यताओं पर आधारित हैं. प्रदर्शन का आकलन करने के लिए उपयोग किए गए कुछ सूचक अनुमानों व अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित हैं.' मंत्रालय ने कहा है कि जलवायु नीति के उद्देश्य में एक नया संकेतक '2050 में अनुमानित जीएचजी उत्सर्जन स्तर' है. इसकी गणना मॉडलिंग के बजाय पिछले 10 वर्षों के उत्सर्जन में परिवर्तन की औसत दर के आधार पर की जाती है, जिसमें संबंधित देशों की लंबी अवधि, अक्षय ऊर्जा क्षमता और उपयोग, अतिरिक्त कार्बन सिंक, ऊर्जा दक्षता आदि को ध्यान में रखा जाता है.

वहीं मंत्रालय ने भारत को सबसे निचले पायदान पर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय सूचकांक का खंडन करते हुए कहा है कि पानी की गुणवत्ता, जल उपयोग दक्षता और प्रति व्यक्ति अपशिष्ट उत्पादन पर संकेतक जो स्थायी खपत और उत्पादन से निकटता से जुड़े हैं, जिन्हें सूचकांक में शामिल नहीं हैं. साथ ही यह भी कहा गया है कि कृषि जैव विविधता, मृदा स्वास्थ्य, खाद्य हानि और अपशिष्ट इसमें शामिल नहीं हैं, भले ही वे बड़ी कृषि आबादी वाले विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं. मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट में कोई संकेतक अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और प्रक्रिया अनुकूलन के बारे में बात नहीं की गई है, जबकि ग्रीनहाउस उत्सर्जन पर, वैश्विक चिंता जताई जा चुकी है.

ध्यान देने योग्य है कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी परिवर्तन सूचक की दर प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने मंगलवार को 10 देशों की ओर से एक मजबूत क्रॉस-रीजनल संयुक्त बयान में जोर देकर कहा है कि विकासशील देशों को गरीबी उन्मूलन के अपने लक्ष्यों की वजह से शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए 2050 से आगे की अतिरिक्त समय सीमा देने की आवश्यकता है. बता दें कि दस देशों के बयान में चीन भी शामिल था.

ठंड सूचक

एक लैगिंग संकेतक एक मापने योग्य या देखने योग्य हैफ़ैक्टर जो किसी व्यवसाय, वित्तीय या आर्थिक चर में परिवर्तन के बाद कुछ समय के लिए बदलता है जिससे यह सहसंबद्ध है। लैगिंग संकेतक, मूल रूप से, परिवर्तनों और प्रवृत्तियों की पुष्टि करते हैं।

Lagging Indicator

ये किसी की प्रवृत्ति का मूल्यांकन करने के लिए काफी उपयोगी हो सकते हैंअर्थव्यवस्था, वित्तीय में संपत्ति बेचने या खरीदने के संकेत के रूप मेंमंडी या एक व्यापार रणनीति और संचालन में उपकरण के रूप में

लैगिंग संकेतकों की व्याख्या

सरल शब्दों में, लैगिंग इंडिकेटर एक वित्तीय संकेत है जो एक बड़े बदलाव के बाद स्पष्ट हो जाता है। इस प्रकार, ये संकेतक दीर्घकालिक रुझानों की पुष्टि करते हैं; हालाँकि, वे उनकी भविष्यवाणी करने के लिए काम नहीं करते हैं।

इसके अलावा, एक लैगिंग संकेतक उपयोगी है क्योंकि कई अन्य प्रमुख संकेतक अधिक अस्थिर हो सकते हैं या उनमें अल्पकालिक उतार-चढ़ाव इतना अस्पष्ट हो सकता है कि वे गलत संकेत दे सकते हैं। इस प्रकार, लैगिंग संकेतकों का आकलन यह पुष्टि करने का एक तरीका है कि अर्थव्यवस्था में बदलाव हुआ है या नहीं।

आर्थिक पिछड़ेपन संकेतक

आर्थिक दृष्टि से, लैगिंग संकेतकों में औसत प्राइम रेट शामिल है जो बैंकों द्वारा लगाया जाता है, औसत रोजगार अवधि, और सेवाओं के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में परिवर्तन। कुछ सामान्य लैगिंग संकेतक उदाहरण कॉर्पोरेट लाभ, बेरोजगारी दर, उत्पादन की प्रति यूनिट श्रम लागत, और बहुत कुछ हैं। अन्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) हो सकते हैं,सकल घरेलू उत्पाद (परिवर्तन सूचक की दर जीडीपी), औरव्यापर का संतुलन.

तकनीकी लैगिंग संकेतक

एक अन्य लैगिंग इंडिकेटर प्रकार तकनीकी संकेतक है जो परिसंपत्ति की वर्तमान कीमत से पिछड़ जाता है, जो कि एक विशिष्ट मूल्य चाल के बाद होता है जो पहले ही हो चुका है। तकनीकी अंतराल संकेतक उदाहरणों में से एक चलती औसत क्रॉसओवर है। अन्य संकेतकों के विपरीत, जो अलग-अलग आर्थिक चर की तुलना करने में उपयोगी होते हैं, एक तकनीकी अंतराल संकेतक किसी दिए गए चर के मूल्य की तुलना एक विशिष्ट अंतराल या किसी ऐतिहासिक विशेषताओं पर चलती औसत से करता है।

बिजनेस लैगिंग संकेतक

व्यवसाय में, लैगिंग संकेतक एक प्रकार के प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (KPI) हैं जो व्यवसाय के प्रदर्शन का मूल्यांकन करते हैं, जैसे राजस्व मंथन, ग्राहक संतुष्टि या बिक्री। उन्हें सीधे प्रभावित करना असंभव या मुश्किल हो सकता है।

चूंकि ये व्यवसाय संचालन या निर्णयों के कम से कम आधे परिणाम हैं, ये संकेतक एक व्यवसाय के संचालन के तरीके से प्राप्त परिणामों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। कंपनियां और संगठन प्रमुख संकेतकों पर भी नज़र रख सकते हैं जो आंतरिक प्रदर्शन को मापते हैं, जैसे कर्मचारी संतुष्टि या ग्राहक जुड़ाव जो सीधे प्रभावित हो सकते हैं और परिणामस्वरूप संकेतक में बदलाव हो सकता है।

अम्ल, क्षारक और लवण

प्रश्न 2: अनेक घरेलू उत्पादों, जैसे खिड़की साफ करने के मार्जकों आदि में अमोनिया पाया जाता है। ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। इनकी प्रकृति क्या है?

उत्तर: क्षारकीय

प्रश्न 3: उस स्रोत का नाम बताइए, जिससे लिटमस विलयन प्राप्त किया जाता है। इस विलयन का क्या उपयोग है?

उत्तर: लाइकेन से लिटमस विलयन प्राप्त होता है। लिटमस को सूचक के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

प्रश्न 4: क्या आसुत जल अम्लीय/क्षारकीय/उदासीन होता है? आप इसकी पुष्टि कैसे करेंगे?

उत्तर: आसुत जल उदासीन होता है। इसकी पुष्टि के लिए आसुत जल में नीला और लाल लिटमस पेपर डालिए। दोनों के रंगों में कोई अंतर नहीं आने से इस बात की पुष्टि होती है कि आसुत जल उदासीन है।

प्रश्न 5: उदासीनीकरण के प्रक्रम को एक उदाहरण देते हुए समझाइए।

उत्तर: जब किसी अम्ल को किसी क्षार के साथ मिलाया जाता है तो दोनों के बीच जो प्रतिक्रिया होती है उसे उदासीनीकरण कहते हैं। उदासीनीकरण के अंत में लवण और जल बनते हैं और ऊष्मा निकलती है। उदासीनीकरण एक ऊष्माक्षेपी प्रतिक्रिया है।

अम्ल + क्षार → लवण + जल + ऊष्मा

उदाहरण: जब हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और सोडियम हाइड्रॉक्साइड के बीच प्रतिक्रिया परिवर्तन सूचक की दर होती है तो सोडियम क्लोराइड (नमक) और जल का निर्माण होता है।

हाइड्रोक्लोरिक अम्ल + सोडियम हाइड्रॉक्साइड → सोडियम क्लोराइड + जल

HCl + NaOH → NaCl + H2O

प्रश्न 6: निम्नलिखित कथन के लिए सही या गलत लिखिए।

  1. नाइट्रिक अम्ल लाल लिटमस को नीला कर देता है।
  2. सोडियम हाइड्रॉक्साइड नीले लिटमस को लाल कर देता है।
  3. सोडियम हाइड्रॉक्साइड और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक दूसरे को उदासीन करके लवण और जल बनाते हैं।
  4. सूचक वह पदार्थ है, जो अम्लीय और क्षारकीय विलयनों में भिन्न रंग दिखाता है।
  5. दंत क्षय, क्षार की उपस्थिति के परिवर्तन सूचक की दर कारण होता है।

उत्तर: (a) F, (b) F, (c) T, (d) T, (e) F

प्रश्न 7: दोरजी के रेस्टॉरेंट में शीतल (मृदु) पेय की कुछ बोतलें हैं। लेकिन दुर्भाग्य से वे चिह्नित नहीं हैं। उसे ग्राहकों की माँग के अनुसार पेय परोसने हैं। एक ग्राहक अम्लीय पेय चाहता है, दूसरा क्षारकीय और तीसरा उदासीन पेय चाहता है। दोरजी यह कैसे तय करेगा, कि कौन सी बोतल किस ग्राहक को देनी है।

उत्तर: डोरजी हर बोतल के नमूने में नीले और लाल लिटमस पेपर को डालकर देखेगा।

  • जिस नमूने में लाल लिटमस पेपर नीला होता है वह क्षारकीय है।
  • जिस नमूने में नीला लिटमस पेपर लाल होता है वह अम्लीय है।
  • जिस नमूने में दोनों लिटमस पेपर के रंग में कोई अंतर नहीं आता है वह उदासीन है।

प्रश्न 8: समझाइए, ऐसा क्यों होता है:

(a) जब आप अतिअम्लता से पीड़ित होते हैं, तो प्रतिअम्ल की गोली लेते हैं।

उत्तर: जब हमारे आमाशय में जरूरत से ज्यादा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उत्पादन होता है, तो हमें अतिअम्लता की समस्या होती है। इससे आराम पाने के लिए डॉक्टर किसी प्रतिअम्ल (एंटासिड) लेने की सलाह देते हैं, जैसे कि मिल्क ऑफ मैग्नीशिया या कोई गोली या ईनो। ये सभी चीजें किसी न किसी क्षार से बनी होती हैं। जब प्रतिअम्ल पेट में पहुँचता है तो वह हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ उदासीनीकरण करता है जिससे हमें अपाचन के लक्षणों से आराम मिल जाता है।

(b) जब चींटी काटती है, तो त्वचा पर कैलेमाइन का विलयन लगाया जाता है।

उत्तर: जब चींटी डंक मारती है तो वह एक अम्ल हमारे शरीर में इंजेक्ट करती है। इसी अम्ल के कारण हमें डंक वाले स्थान पर तेज दर्द होता है। डंक वाले स्थान पर खाने वाले सोडा या कैलेमाइन (जिंक कार्बोनेट) का घोल मलने से आराम मिलता है। ऐसा उदासीनीकरण के कारण होता है।

(c) कारखाने के अपशिष्ट को जलाशयों में बहाने से पहले उसे उदासीन किया जाता है।

उत्तर: कारखाने से निकलने वाले अपशिष्ट में अम्लीय पदार्थ होते हैं। जब यह अपशिष्ट नदी या परिवर्तन सूचक की दर तालाब में प्रवाहित होता है तो इससे जलीय जीवों को नुकसान पहुँचता है। जलीय जीवों को नुकसान से बचाने के लिए कारखाने के अपशिष्ट को जलाशयों में बहाने से पहले उदासीन किया जाता है।

प्रश्न 9: आपको तीन द्रव दिए गए हैं, जिनमें से एक हाइड्रोक्लोरिक अम्ल है, दूसरा सोडियम हाइड्रॉक्साइड और तीसरा शक्कर का विलयन है। आप हल्दी को सूचक के रूप में उपयोग करके उनकी पहचान कैसे करेंगे?

उत्तर: तीनों द्रवों को अलग अलग परखनलियों में लीजिए और परखनली के नाम A, B और C रख दीजिए।

    परिवर्तन सूचक की दर
  • हल्दी लगे कागज की पट्टी को परखनली A में डालिए। यदि कागज का रंग गहरा लाल हो जाता है तो इस परखनली में सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन है। यदि कागज के रंग में कोई बदलाव नहीं होता है तो इस परखनली में या तो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल या शक्कर का विलयन है।
  • यदि परखनली A में सोडियम हाइड्रॉक्साइड नहीं है तो इसे एक तरफ रख दीजिए और परखनली B के लिए ऊपर वाला टेस्ट दोहराइए। यदि इसमें भी सोडियम हाइड्रॉक्साइड नहीं है तो परखनली C में अवश्य ही सोडियम हाइड्रॉक्साइड है।
  • अब सोडियम हाइड्रॉक्साइड वाली परखनली में से बाकी की परखनलियों में सोडियम हाइड्रॉक्साइड डालिए। जो परखनली गरम हो जाएगी उसमें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल होगा, क्योंकि उसमें उदासीनीकरण प्रतिक्रिया होगी।

प्रश्न 10: नीले लिटमस पत्र को एक विलयन में डुबोया गया। यह नीला ही रहता है। विलयन की प्रकृति क्या है? समझाइए।

उत्तर: हम जानते हैं कि नीले लिटमस पेपर का रंग परिवर्तन सूचक की दर क्षारकीय या उदासीन विलयन में नहीं बदलता है। इसलिए दिया गया विलयन क्षारकीय या उदासीन होगा।

राष्ट्रीय आय का लेखांकन

तीनों विधियों से किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने की किन्हीं तीन निष्पत्तियाँ लिखिए। संक्षेप में यह भी बताइए कि प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य क्या आना चाहिए?

NVAFC(NDPFC) = सकल उत्पाद - मध्यवर्ती उपभोग - मूल्यह्रास - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर


GDP = ∑ i = 1 N GVA i

प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य आना चाहिए, क्योंकि अर्थव्यवस्था में जितना उत्पादन होगा, उतना ही कारक आय सृजित होगी और जितनी साधन आय सृजित होगी उतना ही अंतिम व्यय होगा।
i.e. राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय व्यय

उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं?

उत्पादन के चार कारक और उनके पारिश्रमिक निम्नलिखित हैं :

उत्पादन के कारक पारिश्रमिक
(i) भूमि किराया
(ii) श्रम मज़दूरी
(iii) पूँजी ब्याज
(iv)उद्यम लाभ

बजटीय घाटा और व्यापार घाटा को परिभाषित कीजिए। किसी विशेष वर्ष में किसी देश की कुल बचत के ऊपर निजी निवेश का आधिक्य 2000 करोड़ रु० था। बजटीय घाटे की राशि 1500 करोड़ रु० थी। उस देश के बजटीय घाटे का परिमाण क्या था?

बजटीय घाटा: कर द्वारा अर्जित आय की अपेक्षा सरकारी व्यय जितने अधिक होते हैं, उसे 'बजटीय घाटा' के रूप में सूचित किया जाता है।
व्यापार घाटा: एक देश द्वारा अर्जित निर्यात आय की अपेक्षा अति-रिक्त आयत व्यय की मात्रा व्यापर घाटा कहलाता हैं।बजटीय घाटा = सरकारी व्यय - सरकारी प्राप्तियाँ

व्यापार घाटा = आयत (M) - निर्यात (X)
और
व्यापार घाटा = निवेश (I) - बजत (S)
इस प्रकार,
M - X = (I - S) + (G - T)
= 2,000 + 1,500 = 3,500 करोड़ रूपए
∴ व्यापार घाटा = 3,500 करोड़ रूपए

नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में क्या अंतर है? किसी फर्म की माल-सूची और मूल्यवर्धित के बीच संबंध बताइए।

नियोजित माल: इसका अभिप्राय स्टॉक में उस परिवर्तन से हैं, जो नियोजित ढंग से होता है। नियोजित माल समावेश की स्थिति में फर्म को अपना माल बढ़ाने के लिए योजना करनी होगी।
अनियोजित माल: इसका अभिप्राय स्टॉक में उस परिवर्तन से है, जो बिना किसी अपेक्षा के हो जाता है। अनियोजित माल समावेश की स्थिति में विक्रय में अनपेक्षित कमी होने के कारण फर्म को बिना बिका माल संग्रहित करना पड़ेगा।
फर्म के सकल मूल्यवृद्धि = फर्म द्वारा उत्पादित माल का सकल मूल्य (Q) परिवर्तन सूचक की दर - फर्म द्वारा उपयोग की गई मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य (Z)
अथवा
सकल मूल्यवृद्धि = फर्म द्वारा विक्रय का मूल्य (V) + स्टॉक में परिवर्तन (A) - (Z)।

मान लीजिए कि किसी विशेष वर्ष में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर 1100 करोड़ रु० था। विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 100 करोड़ रु० था। अप्रत्यक्ष कर मूल्य-उपदान का मूल्य 150 करोड़ रु० और राष्ट्रीय आय 850 करोड़ रु० है, तो मूल्यहास के समस्त मूल्य की गणना कीजिए।

हमें पता हैं कि
राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर - मूल्यह्रास
∴ 850 = 1,100 + 100 - 150 - मूल्यह्रास
मूल्यह्रास = 1,100 + 100 - 150 - 850
= 1,200 - 1,000 = 200 करोड़ रु०

Iso-Cost Line: With Diagram | Hindi | Production Function | Economics

Read this article in Hindi to learn how to derive the iso-cost line on the iso-product curve.

एक दी हुई सम-लागत रेखा एक दिये गये लागत व्यय (Cost Outlay) के अन्तर्गत उपलब्ध दो उत्पत्ति साधनों के विभिन्न संयोगों को बताती है ।

चित्र 9 में RS, R1S1 तथा R2S2 उत्पादक के तीन लागत व्ययों (Cost Outlays) को स्पष्ट करती हैं । RS लागत व्यय Rs. 200 को बताती है । यदि साधन X की प्रति इकाई कीमत Px है तो उत्पादक साधन X की अधिकता अर्थात् OS इकाइयाँ खरीद सकेगा ।

इसी लागत व्यय Rs. 200 परिवर्तन सूचक की दर होने पर यदि साधन Y की प्रति इकाई कीमत Py होने की दशा में वह साधन Y की अधिकतम अर्थात् OR इकाइयाँ खरीद सकेगा । इस प्रकार उत्पादक के पास बिन्दु R तथा S के रूप में दो उच्चतम साधन उपलब्धताएँ हैं । यदि इन दोनों बिन्दुओं को मिला दिया जाये तो रेखा RS के रूप में हमें साधन कीमत रेखा अथवा सम-लागत रेखा प्राप्त होती है ।

यदि साधन X तथा साधन Y की कीमतें Px तथा Py स्थिर रहें तो लागत व्यय Rs. 400 हो जाने पर साधन कीमत रेखा R1S1 तथा लागत व्यय Rs. 600 हो जाने पर साधन कीमत रेखा R2S2 हो जाती है । यह सभी साधन कीमत रेखाएँ परस्पर समानान्तर होंगी क्योंकि साधनों की कीमत स्थिर रहते हुए लागत व्यय में परिवर्तन हो रहा है ।

लागत व्यय जितना अधिक होगा, साधन कीमत रेखा उतनी ही ऊँची होगी अर्थात् साधन कीमत रेखा साधन कीमत स्थिर रहने पर लागत व्यय में वृद्धि के साथ मूल बिन्दु से दूर होती जायेगी (समानान्तर रूप से) तथा लागत व्यय में कमी होने पर समानान्तर रूप से मूलबिन्दु की ओर स्थानान्तरित होती जायेगी । दूसरे शब्दों में, साधन कीमत स्थिर रहने पर लागत व्यय का परिवर्तन, साधन-कीमत रेखा के ढाल (Slope) में कोई परिवर्तन नहीं करता ।

साधन कीमत रेखा का ढाल = (ऋणात्मक चिन्ह केवल घटते ढाल का सूचक है, अतः हटाया जा सकता है ।)

इस प्रकार, साधन कीमत रेखा का ढाल साधनों की कीमतों के अनुपात को बताता है (Slope of an Iso-cost line indicates the ratio of the prices of the inputs) ।

साधन कीमत रेखा के दो अन्य परिवर्तित रूप हो सकते हैं ।

जो निम्नलिखित हैं:

(1) लागत व्यय तथा साधन Y की कीमत स्थिर रहें किन्तु साधन X की कीमत में परिवर्तन (वृद्धि या कमी) हो जाये ।

ऐसी दशा में यदि अन्य घटकों (लागत व्यय एवं साधन Y की कीमत) के स्थिर रहने पर साधन X की कीमत में वृद्धि हो जाती है तब साधन कीमत रेखा का X-अक्ष का बिन्दु S मूलबिन्दु की ओर बिन्दु S1 पर स्थानान्तरित होगा जबकि Y-अक्ष वाला बिन्दु R अपनी जगह स्थिर रहेगा क्योंकि साधन X महँगा (Costly) हो जाने पर उत्पादक उसी लागत परिवर्तन सूचक की दर व्यय से अब साधन X की कम मात्रा खरीद पायेगा [देखें चित्र 10(A)] |

अन्य घटकों के स्थिर रहते हुए साधन X की कीमत में कमी की दशा में साधन कीमत रेखा का X-अक्ष का बिन्दु S मूलबिन्दु से दूर बिन्दु S2 पर स्थानान्तरित हो जाएगा क्योंकि साधन X के सस्ता होने पर उत्पादक उतने ही लागत व्यय से अब अधिक साधन X की मात्रा खरीद पायेगा [देखें चित्र 10(B)] |

(2) लागत व्यय तथा साधन X की कीमत स्थिर रहे किन्तु साधन Y की कीमत में परिवर्तन (वृद्धि या कमी) हो जाये ।

ऐसी दशा में साधन Y की कीमत में वृद्धि होने पर साधन कीमत रेखा का Y-अक्ष का बिन्दु R मूलबिन्दु की ओर R1 बिन्दु पर स्थानान्तरित हो जायेगा जबकि साधन कीमत रेखा का X-अक्ष का बिन्दु स्थिर रहेगा [देखें चित्र 11(A)] |

साधन Y की कीमत में कमी होने पर साधन कीमत रेखा का Y-अक्ष का बिन्दु R मूलबिन्दु से दूर R2 पर स्थानान्तरित हो जायेगा जबकि X-अक्ष का बिन्दु अपनी जगह स्थिर रहेगा [देखें चित्र 11(B)] |

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