रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में खबर आई थी कि भारत का अमेरिका संग व्यापार अधिशेष 20 अरब डॉलर से अधिक हो गया भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में है. इसके अलावा केंद्रीय बैंक के आंकड़ों में भी कहा गया था कि भारत ने 2019 के अंत तक विदेशी मुद्रा खरीदने के मामले में भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में तेजी दिखाई थी (Currency Manipulator Country). आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 के जून महीने तक भारत ने 64 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा की खरीद की थी. यह संख्या जीडीपी का 2.4 फीसदी है. अगर किसी देश को ‘करेंसी मैनिपुलेटर’ माना जाता है, तो उसपर तुरंत तो कोई जुर्माना नहीं लगाया जाता. लेकिन इस सूची में शामिल होने के बाद उस देश की वैश्विक वित्त बाजार में साख जरूर कम हो जाती है.
भारत 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' लिस्ट में
अमेरिका के ट्रेड फैसिलिटेशन एंड ट्रेड इनफोर्समेंट एक्ट, 2015 के अनुसार यदि कोई देश निम्नलिखित तीन में से दो मानदंडों को पूरा करता है, तो उसे वॉच लिस्ट/ मॉनिटरिंग लिस्ट/ निगरानी सूची में भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में रखा जाता है :
1. यदि लगातार 12 महीनों से कोई देश अमेरिका के साथ अत्यधिक व्यापार अधिशेष की स्थिति में है।
2. यदि वह देश 12 महीनों की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के कम से कम 2 प्रतिशत के बराबर चालू खाता अधिशेष की स्थिति में है।
3. यदि विगत 12 महीनों (या कम से कम 6 महीनों में) में किसी देश द्वारा उस देश की जी.डी.पी. के कम से कम 2% के बराबर की विदेशी मुद्रा खरीद लगातार की जा रही है।
अमेरिका का हैरान करने वाला कदम, भारत को भी 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' देशों की निगरानी लिस्ट में डाला
- नई दिल्ली ,
- 17 दिसंबर 2020,
- (अपडेटेड 17 दिसंबर 2020, 8:52 AM IST)
- अमेरिका ने भारत के प्रति दिखायी सख्ती
- भारत को 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' की सूची में भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में रखा
- इस सूची में दस देशों को शामिल किया गया है
अमेरिका ने भारत के प्रति सख्त रुख दिखाते हुए इसे भी चीन, ताइवान जैसे दस भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में देशों के साथ 'करेंसी मैनुपुलेटर्स' यानी मुद्रा में हेरफेर करने वाले देशों की 'निगरानी सूची' में डाल दिया है. अमेरिका ने भारत सहित जिन दस देशों को इस सूची में डाला है. वे सभी इसके बड़े व्यापारिक साझेदार हैं.
भारत को ‘करेंसी मैनिपुलेटर्स’ की लिस्ट में डाल अमेरिका ने दिया बड़ा झटका, जानिए क्या है इसका मतलब
US Adds India to Currency Manipulator Monitoring List: अमेरिका ने पहले की तरह एक बार फिर भारत को तगड़ा झटका दिया है. उसने भारत को ‘करेंसी मैनिपुलेटर्स’ (मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाले देश) की निगरानी सूची में डाल दिया है (Currency Manipulator Watchlist Meaning). इसपर भारत ने मंगलवार को जवाब देते हुए कहा है कि इसका कोई भी तर्क समझ से परे है. भारत के वाणिज्य सचिव अनूप वाधवा ने कहा, ‘मुझे इसमें कोई आर्थिक तर्क समझ नहीं आता.’ उन्होंने बताया कि भारत का रिजर्व बैंक एक ऐसी पॉलिसी को अनुमति देता है, जिसके अंतर्गत मार्केट फोर्सेज के अनुरूप मुद्रा का संग्रह किया जाता है.
भारत को क्या करने को कहा गया?
अमेरिका की इस भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में रिपोर्ट में लिखा है कि वस्तुओं के मामले में साल 2020 में भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष 24 अरब डॉलर था. जिसमें सेवाओं का 8 अरब डॉलर का वित्तीय अधिशेष भी शामिल है. रिपोर्ट में भारत को सलाह देते हुए कहा है कि उसे (भारत) विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप को सीमित करना चाहिए. भारत को ऐसा अधिक रिजर्व जमा किए बिना करना चाहिए (US Currency Watchlist Meaning). गौरतलब है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब अमेरिका ने भारत को लेकर ये कदम उठाया है. इससे पहले 2018 में भी भारत को सूची में डाला गया था लेकिन फिर 2019 में हटा दिया था.
‘करेंसी मैनिपुलेटर्स’ की सूची में शामिल होना भारत के लिए अच्छी खबर कतई नहीं है. इसे लेकर अर्थशास्त्री कहते हैं कि अमेरिका के इस कदम से भारत को विदेशी मुद्रा बाजार में आक्रामक हस्तक्षेप करने में परेशानी आएगी. हालांकि अमेरिका के लिए ऐसा करना कोई नई बात भी नहीं है (What is Currency Manipulator List). वह समय-समय पर अलग-अलग देशों को सूची में डालता है. भारत के अलावा चीन को भी कई बार सूची में शामिल किया गया है. अमेरिका का ऐसा मानना है कि वह सूची में उन देशों को भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में ही डालता है, जो ‘मुद्रा के अनुचित व्यवहार’ को अपनाते हैं, ताकि डॉलर के मुकाबले उनकी खुद की मुद्रा का अवमूल्यन हो सके.
कोई देश ऐसा क्यों करेगा?
अब सवाल ये भी उठता है कि बेशक कोई देश अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करने की कोशिश करता हो, लेकिन वो ऐसा करता क्यों है? तो ऐसा कोई देश इसलिए करता है कि ताकि इसकी सहायता से कृत्रिम रूप से उसकी मुद्रा घट सके और वह अन्यों से अनुचित लाभ भी ले सके. मुद्रा का अवमूल्यन करने से फायदा ये होगा कि उस देश से निर्यात की लागत में कमी आ जाएगी भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में और इससे फिर व्यापार घाटे में भी कृत्रिम तौर पर कमी देखी जा सकेगी.
किस देश को ‘करेंसी मैनिपुलेटर्स’ की सूची में शामिल करना है और किसे नहीं, इसके लिए विभिन्न पैरामीटर्स देखे जाते हैं. अमेरिका इसमें देखता है कि संबंधित देश में एक वित्त वर्ष में व्यापार अधिशेष किस तरह और कितना बढ़ा है. इसके साथ ही देश की कुल जीडीपी और उसमें से की गई मुद्रा भंडार की खरीब को भी देखा जाता है (Currency Manipulator Watch List). भारत को इस सूची में शामिल करने के पीछे का कारण केंद्रीय रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की खरीद और व्यापार अधिशेष में होने वाली वृद्धि को बताया गया है.
अमेरिका की निगाह में भारत 'करेंसी मैनिपुलेटर'. जानें क्या है इसका मतलब
नए राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) के नेतृत्व में अमेरिका ने पहले की तरह एक बार फिर भारत को तगड़ा झटका दिया है. उसने भारत (India) को 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' (मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाले देश) की निगरानी सूची में डाल दिया है. गौरतलब है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब अमेरिका ने भारत को लेकर ये कदम उठाया है. इससे पहले 2018 में भी भारत को सूची में डाला गया था लेकिन फिर 2019 में हटा दिया था. अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने भारत सहित कुल 10 देशों को इस सूची में शामिल किया है. इनमें सिंगापुर, चीन, थाईलैंड, मैक्सिको, जापान, कोरिया, जर्मनी, इटली और मलेशिया तक शामिल हैं. मंत्रालय ने कहा है कि इन देशों में मुद्रा संग्रहण और इससे जुड़े अन्य तरीकों पर करीबी नजर रखी जाएगी. अधिकारी ने बताया कि भारत का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस (Trade Surplus) साल 2020-21 में करीब पांच अरब डॉलर तक बढ़ गया है. यहां ट्रेड सरप्लस का मतलब है, किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक हो जाना.
अमेरिका ने भारत को 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' निगरानी सूची में डाला
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के एडमिनिस्ट्रेशन ने भारत को इस तिमाही भी राहत नहीं दी है. उसने चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी और इटली समेत 11 देशों को उनकी मुद्रा के व्यवहार को लेकर निगरानी सूची करेंसी बिहेवियर वॉच भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में लिस्ट में रखा है. महामारी की शुरुआत के बाद से अमेरिका ने भारत को दूसरी बार इस निगरानी सूची में डाला है. केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की खरीद जीडीपी के पांच फीसद से अधिक रहने को इसकी वजह बताया गया है. अमेरिकी वित्त विभाग ने कहा है कि यह सीमा दो फीसद रहनी चाहिए. अमेरिका हर तिमाही इस सूची में वैसे देशों को शामिल करता है, जिसकी मुद्रा कमजोर है. इसलिए उन्हें निगरानी सूची (Watch भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में List) में रखा जाता है. इस पर भारत सरकार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इसका कोई तर्क समझ में नहीं आता है.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 270