वर्तमान समय में परिवार की सरंचना, स्वरूप से जुड़ आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामजस्य बैठा पाते है? - Hindi (Elective)
वर्तमान समय में परिवार की सरंचना, स्वरूप से जुड़ आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामजस्य बैठा पाते है?
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यह कहानी आज के समय की पारिवारिक संरचना और उसके स्वरूप का सही अंकन करती है। आज की परिस्थितियाँ इस कहानी की मूल्य संवेदना को प्रस्तुत करती हैं। आज के परिवारों में सिद्धांत और व्यवहार का अंतर दिखाई देता है। आज के परिवारों में भी यशोधर बाबू जैसे लोग मिल जाते हैं जो चाहकर भी स्वयं को बदल नहीं सकते। दूसरे को बदलता देख कर वे क्रोधित हो जाते हैं। उनका क्रोध स्वाभाविक है क्योंकि समय और समाज का बदलना जरूरी है। समय परिवर्तनशील है और व्यक्ति को उसके अनुसार ढल जाना चाहिए। यह कहानी वर्तमान समय की पारिवारिक संरचना और स्वरूप को अच्छे ढंग से प्रस्तुत करती है।
स्वाभाविक और समय मूल्य
बुक्स ऑफ ओरिजिनल एंट्री का क्या अर्थ है?
बिज़नेस में इन्वेंट्री नियंत्रण या स्टॉक कंट्रोल के क्या मायने हैं?
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इन्वेंट्री कॉस्ट और उनके प्रकार क्या हैं?
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दो बैलों की कथा
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ 'मूर्ख' का प्रयोग न कर किसी नए अर्थ की ओर संकेत किया है?
इस कहानी में लेखक ने गधे की सरलता और सहनशीलता की ओर हमारा ध्यान खींचा है। गधे को स्वभाव के कारण मूर्खता का पर्याय समझा जाता है। आमतौर पर हम गधे के लिए मूर्ख स्वाभाविक और समय मूल्य शब्द का प्रयोग करते हैं परन्तु उसके स्वाभाविक और समय मूल्य स्वभाव में सरलता और सहनशीलता भी देखने को मिलती है। गधा ही एक एक मात्र ऐसा प्राणी है जो सब अत्याचार चुपचाप सेहन कर लेता है। फिर भी कभी उसके चेहरे पर अन्याय के प्रति असंतोष नज़र नही आता। प्रेमचंद ने स्वयं कहा है - सदगुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त स्वाभाविक और समय मूल्य नहीं है। कहानी में भी उन्हों ने सीधेपन की दुर्दशा दिखलाई है, मूर्खता की नहीं।
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