क्यों विदेशी मुद्रा व्यापार

यह खंड अन्य वित्तीय बाजारों पर विदेशी मुद्रा बाजार के मुख्य लाभ बताता है। यहां आप यह पता लगा सकते हैं कि क्यों विदेशी मुद्रा बाजार व्यापारियों के लिए इतना आकर्षक है और विदेशी मुद्रा बाजार के सभी फायदों को सीखता है।

लिक्विडिटी.

फोरेक्स पैसे की भारी मात्रा में चल रही है और मौजूदा बाजार कोटेशन . पर उद्घाटन और समापन व्यापार की स्थिति का एक अत्यंत स्वतंत्रता देता है. यह प्रवेश करने और किसी भी मात्रा के साथ बाजार में बाहर निकलने की संभावना सक्षम बनाता है क्योंकि उच्च तरलता हर निवेशक के लिए बेहद आकर्षक पक्ष है.

मुस्तैदी

कारण दिन में 24 घंटे काम कर रहे पैटर्न को, विदेशी मुद्रा व्यापारी यह अन्य बाजारों में होता है के रूप में एक घटना पर प्रतिक्रिया करने के लिए प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं है.

अवेलेबिलिटी

एक संभावना की परवाह किए बिना, एक दिन एक भौगोलिक स्थिति 24 घंटे के व्यापार करने के लिए: आप केवल इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर के लिए है. तुम भी एक पॉकेट पीसी, पीडीए या एक मोबाइल फोन के साथ पूरी तरह से ठीक हो जाएगा.

एक व्यापार प्रक्रिया का लचीला प्रबंधन

एक व्यापार की स्थिति अग्रिम में एक व्यापार प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिए अनुमति देता है जो निवेशक की जरूरतों के अनुसार समय के एक पूर्व निर्धारित अवधि के लिए खुला हो सकता है.

परंपरागत रूप से विदेशी मुद्रा मूल्य अंतर (स्प्रेड) से पूछो / बोली प्राकृतिक से अलग कोई कमीशन शुल्क है.

निष्पादन मूल्य की गारंटी

वायदा या अन्य मुद्रा निवेश के विपरीत, विदेशी मुद्रा, कोई बात नहीं आप व्यापार की मात्रा मौजूदा बाजार कीमत पर आदेश निष्पादन की गारंटी देता है.

बाजार का रुझान

मुद्रा के उतार चढ़ाव भी समय की एक छोटी अवधि के प्रति देखा एक निश्चित समग्र दिशा है. प्रत्येक दिया मुद्रा विदेशी मुद्रा में अटकलों में विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता सक्षम बनाता है, जो समय में अपने आप ही निश्चित उतार चढ़ाव है.

मार्जिन के आकार

विदेशी मुद्रा बाजार पर लाभ उठाने ("क्रेडिट कंधे") बाजार के लिए लिवरेज (“credit shoulder”) का उपयोग के साथ एक ग्राहक को उपलब्ध कराने के ग्राहक और बैंक (ब्रोकर फर्म) के बीच समझौते के द्वारा निर्धारित किया जाता है (आम तौर पर 1 गठन: 100). The मार्जिन खुले स्थान के लिए, ग्राहक के खाते पर "स्थिर" है जो जमा, का हिस्सा है. मार्जिन स्थिति मात्रा और लाभ उठाने पर निर्भर करता है. यह केवल मात्रा (1,000 डॉलर) की 1% की राशि जमा करने के बाद आप अप करने के लिए 100,000 डॉलर की मात्रा में व्यापार कर सकते हैं कि, उदाहरण के लिए, इसका मतलब है. इस तरह के एक बड़े लाभ उठाने और मुद्रा उद्धरण के मजबूत परिवर्तनशीलता का उपयोग विदेशी मुद्रा बेहद लाभदायक (और अत्यधिक जोखिम भरा) बनाने. लेकिन यह नियंत्रित करता है और अपने दम पर व्यापारी सेट एक तंत्र ही है.

रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवाह से जुड़े मानकों को उदार बनाया

मुंबई, छह जुलाई (भाषा) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को विदेशी मुद्रा प्रवाह से संबंधित मानकों को उदार बनाने के साथ ईसीबी (विदेशों से वाणिज्यिक उधारी) मार्ग के तहत बाह्य उधारी सीमा दोगुनी कर दी। आरबीआई ने वित्तीय बाजारों के बंद होने के बाद शाम को जारी एक बयान में इन कदमों की घोषणा की। उसने कहा कि पोर्टफोलियो निवेश को छोड़कर बाकी सभी पूंजी प्रवाह स्थिर बना हुआ है और विदेशी मुद्रा का समुचित भंडार होने से बाहरी झटकों को झेलने की सुरक्षा भी मिलती है।

आरबीआई ने वित्तीय बाजारों के बंद होने के बाद शाम को जारी एक बयान में इन कदमों की घोषणा की। उसने कहा कि पोर्टफोलियो निवेश को छोड़कर बाकी सभी पूंजी प्रवाह स्थिर बना हुआ है और विदेशी मुद्रा का समुचित भंडार होने से बाहरी झटकों को झेलने की सुरक्षा भी मिलती है।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 24 जून को 593.3 अरब डॉलर था।

रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ‘‘विदेशी मुद्रा बाजार में व्याप्त अस्थिरता कम करने और वैश्विक झटके को झेलने के लिए विदेशी मुद्रा वित्तपोषण के स्रोतों के विस्तार और विविधीकरण करने के लिए पांच कदम उठाने का फैसला लिया गया है।’’

इन कदमों में ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश मानकों को सरल करना और एक वित्त वर्ष में स्वचालित मार्ग से ईसीबी सीमा को 75 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 1.5 अरब डॉलर करना शामिल है।

ईसीबी व्यवस्था के तहत सभी तरह की लागत की सीमा को भी एक प्रतिशत अंक बढ़ाया जा रहा है, बशर्ते कि उधारकर्ता निवेश स्तर की रेटिंग रखता हो। यह व्यवस्था 31 दिसंबर, 2022 तक उपलब्ध रहेगी।

रिजर्व बैंक ने यह कदम चालू वित्त वर्ष में अबतक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ चुकी 4.1 प्रतिशत की गिरावट को देखते हुए उठाया है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि रुपये में आई यह गिरावट उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं की भी तुलना में ठीक है।

आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में तरलता की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है। मौजूदा समय में डॉलर की तंगी को दूर करने के लिए अपने सभी खंडों में जरूरत पड़ने पर उसने दखल दिया है। यह कदम बाजार के व्यवस्थित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

रिजर्व बैंक के नए कदमों के तहत प्रवासी भारतीयों की विदेशी जमाओं पर बैंकों की तरफ से दी जाने विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता वाली ब्याज दर की सीमा फिलहाल हटा ली गई है। यह छूट अक्टूबर के महीने तक लागू रहेगी।

आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि एनआरई जमाओं पर दी जाने वाली ब्याज दरें समरूप घरेलू रुपये सावधि जमाओं पर दी जा रही ब्याज दर से अधिक नहीं होंगी। बैंकों को एनआरई सावधि जमाओं पर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) संबंधी प्रावधानों से भी रियायत दी गई है।

इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के सरकारी प्रतिभूतियों एवं कॉरपोरेट बांड में निवेश को आकर्षित करने के लिए भी कुछ अहम कदमों की घोषणा की। उसने सात साल एवं 14 वर्ष की अवधि वाली नई-पुरानी सभी सरकारी प्रतिभूतियों को पूर्ण सुगम्य मार्ग (एफएआर) के तहत विशिष्ट प्रतिभूति का दर्जा देने का फैसला किया है।

एक अन्य राहत सरकारी प्रतिभूतियों एवं कॉरपोरेट ऋण में एफपीआई निवेश के लिए अधिक कारगर अल्पावधि सीमा मानकों के संदर्भ में दी गई है। अक्टूबर, 2015 में लागू हुए ये मानक 31 अक्टूबर तक लागू नहीं होंगे।

आरबीआई ने यह भी कहा कि एफपीआई सरकारी प्रतिभूतियों एवं कॉरपोरेट बांड जैसे निवेश साधनों की परिपक्वता अवधि बीतने और बिक्री के बाद भी निवेश जारी रख सकते हैं।

इसके साथ ही आरबीआई ने विदेशी मुद्रा बाजार तक सीधी पहुंच नहीं रखने वाले उधारकर्ताओं के बड़े समूह को विदेशी मुद्रा उधार लेने की सुविधा भी मुहैया कराई है। ऐसी उधारी जुटाने की छूट भी 31 अक्टूबर, 2022 तक उपलब्ध रहेगी।

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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करेंसी मार्केट की अस्थिरता से निपटने के लिए पर्याप्त: अरुण जेटली

भारतीय करेंसी रुपए ने भी मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ था। डॉलर के मुकाबले रुपए ने मंगलवार को 70.09 का निचला स्तर छुआ

Reported by: Manoj Kumar @kumarman145
Updated on: August 15, 2018 16:32 IST

India’s foreign exchange reserves are sufficient to mitigate currency market volatilty- India TV Hindi

India’s foreign exchange reserves are comfortable and sufficient to mitigate currency market volatility says Arun Jaitley

नई दिल्ली। तुर्की से जुड़े घटनाक्रम की वजह से हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए खतरा पैदा हुआ है और इस वजह से अमेरिकी करेंसी डॉलर में मजबूती आ रही है। बुधवार को केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अपने ट्विटर हेंडल के जरिए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य ढांचा इस संकट से निपटने के लिए मजबूत और लचीला है।

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भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार

अरुण जेटली ने अपने ट्विटर हेंडल पर लिखा कि करेंसी मार्केट में किसी भी तरह के उतार-चढ़ाव से निपटने और उसके असर को कम करने के लिए भारत का विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक मानकों के मुताबिक पर्याप्त है। उन्होंने लिखा कि सरकार इस घटना पर नजर बनाए हुए है ताकि जरूरत पड़ने पर संभव कदम उठाए जा सकें। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 3 अगस्त को खत्म हुए हफ्ते के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 402.70 अरब डॉलर दर्ज किया गया है।

तुर्की संकट से डॉलर में मजबूती

गौरतलब है कि अमेरिका ने तुर्की से आयात होने वाले स्टील और एल्यूमीनियम पर आयात शुल्क बढ़ाकर दोगुना की घोषणा की है, जिस वजह से तुर्की की करेंसी लीरा में भारी गिरावट आई है और डॉलर मजबूत हुआ है। डॉलर की मजबूती की वजह से दुनियाभर की करेंसी पर दबाव देखा जा रहा है, भारतीय करेंसी रुपए ने भी मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ था। डॉलर के मुकाबले रुपए ने मंगलवार को 70.09 का निचला स्तर छुआ।

तुर्की ने भी अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर बढ़ाया शुल्क

हालांकि आज बुधवार को तुर्की ने भी अमेरिका से आयात होने वाली कई वस्तुओं पर आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है जिस वजह से अमेरिकी करेंसी डॉलर पर दबाव आने की संभावना है और गुरुवार को इसका असर भारतीय रुपए पर भी दिख सकता है। तुर्की ने अमेरिका से आयात होने वाले चावल, गाड़ियां, एल्कोहल और कॉस्मेटिक के सामान पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है।

विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता

दयानंद गुप्ता 23 साल के थे और वे प्रबंधन के स्तर पर काम करते थे जिसके लिए उन्हें अच्छा-खास वेतन भी मिलता था। उन्हें किसी जोखिम वाले कारोबार के लिए यह काम छोडऩे की जरूरत नहीं थी। लेकिन उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और विदेशी मुद्रा कारोबार में जुट गए। इस कदम का फायदा भी उन्हें मिला और दो साल के बाद आज गुप्ता बेहद सफल है और इस कारोबार की बुनियादी पकड़ भी उन्हें है। कई लोग वैश्विक स्तर के सबसे बड़े वित्तीय बाजार के विदेशी मुद्रा के कारोबार से खुद को दूर ही रखना चाहते हैं। इसका रोजाना कारोबार 38 खरब डॉलर से ज्यादा होता है और यह अमेरिका में डेट-इक्विटी बाजार के विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता संयुक्त कारोबार का 3 गुना होता है। जिंस बाजार की तरह विदेशी मुद्रा का कारोबार भी लगातार होता रहता है।

कैसे होता है कारोबार
विदेशी मुद्रा कारोबार का मतलब एक मुद्रा का दूसरी मुद्रा के साथ आदान-प्रदान है। ज्यादातर मुद्रा का कारोबार डॉलर के लिए होता है। इसके अलावा यूरो, पाउंड, येन और स्विस फ्रैंक और ऑस्ट्रेलिया के डॉलर सबसे ज्यादा कारोबार करने वाली मुद्राएं हैं। विदेशी मुद्रा में मुद्रा के जोड़े में जो पहली मुद्रा होती है उसे बेस मुद्रा कहते हैं जो आमतौर पर घरेलू मुद्रा होती है। दूसरी मुद्रा को कोट मुद्रा क हते हैं और यह सामान्यतया विदेशी मुद्रा होती है। मिसाल के तौर पर अगर आप रुपये-डॉलर में कारोबार कर रहे हैं जो रुपया बेस मुद्रा होगा और डॉलर कोट मुद्रा होगा।

कीमतें दर्शाएंगी कि बेस मुद्रा के एक यूनिट को पाने के लिए कितने कोट मुद्रा की जरूरत है। इस बाजार में कारोबार की मात्रा घरेलू मुद्रा में ही बताई जाती है। मिसाल के तौर पर 100,000 रुपये-डॉलर के कारोबार में 100,000 अंकित मूल्य है और यह एक स्टैंडर्ड अनुबंध या एक लॉट है। इसके कोई फर्क नहीं पड़ता की आपके खाते में कौन सी मुद्रा है, ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर खुद ब खुद एक्सचेंज दर तय करता है। मुनाफा और नुकसान कोट करेंसी में व्यक्त किया जाता है क्योंकि मुद्रा के जोड़े की कीमत इसमें दी गई होती है। मिसाल के तौर पर अगर आप यूरो-डॉलर 1.3000 पर खरीदते हैं और इसे 1.3010 पर बेचते हैं तो आपका मुनाफा हर यूरो के लिए 0.0010 डॉलर या 10 पिप है। एक्सचेंज पर कीमतों की गतिविधि का सबसे छोटा मापक पिप है।

स्प्रेड: हर कारोबार में दो कीमतें होती हैं बिड और आस्क। बिड कीमत वह दर है जिस पर ब्रोकर खरीदारी करते हैं और आप बिक्री करते हैं। आस्क कीमत ऑफर कीमत है जिस पर ब्रोकर बिक्री करते हैं और आप खरीदारी करने के लिए भुगतान करते हैं। बिड और आस्क कीमत का अंतर स्प्रेड (ब्रोकर का मुनाफा) होता है।

लीवरेज और मार्जिन: एक छोटा निवेशक 1,000 डॉलर निवेश करता है और कीमतों में 1 फीसदी की बढ़ोतरी होती है जो आप 10 डॉलर की कमाई करेंगे और आपके ब्रोकर को महज 0.30 डॉलर मिलेंगे। आपके लिए यह बड़ी बात नहीं होगी लेकिन आपके ब्रोकर के लिए अच्छा नहीं होगा। मार्जिन की जरूरतें एक फीसदी से 5 फीसदी तक होती हैं और यह ब्रोकर पर निर्भर करता है। अगर आपके खाते में महज 1,000 डॉलर भी हों तो भी एक फीसदी के मार्जिन से 100,000 डॉलर का कारोबार हो सकता है।

मार्जिन कॉल: एक ट्रेडिंग पोजीशन खोलने पर आप अपनी पूंजी का एक हिस्सा अपने मार्जिन के साथ-साथ अलग रख सकते हैं और उसे सुरक्षित कर सकते हैं। 3,000 डॉलर की पूंजी पर आपका मार्जिन 1,000 डॉलर होगा। आप 2,000 डॉलर का इस्तेमाल कारोबार करने के लिए कर सकते हैं लेकिन अगर आप इसे खोते हैं तो ब्रोकर आपकी पोजीशन को बंद कर देता है और आपको साथ रखी हुई पूंजी मिलेगी। मिसाल के तौर पर अगर आपने यूरो-डॉलर का 100,000 यूनिट 1.3217 डॉलर में खरीदा जो बढ़कर 1.3227 हो गया। आपको तुरंत उन यूनिटों की बिक्री करते हैं और आपको 100 डॉलर वापस मिल जाते हैं।

लेकिन अगर दर में गिरावट होती है और यह 1.3207 होता है तो आपको 100 डॉलर का नुकसान होता है।किसी भी कारोबारी के लिए कुछ नुकसान अनिवार्य होता है। हालांकि स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करके अपने नुकसान को सीमित करना चाहिए और जोखिम पर नियंत्रण करना चाहिए। अगर आप एक सीमा तय करते है जो आपको इसके कारोबार पर बिना निगाह लगाएं हुए भी इसके लाभ की क्षमता का अंदाजा होना चाहिए।

गौर करें: इस कारोबार में 100 डॉलर से 100,000 डॉलर बनाना संभव है लेकिन आपको इस खेल के कुछ नियमों का अनुसरण गंभीरता से करना होगा। अल्पारी इंडिया के सीईओ प्रमीत ब्रह्मभट्ट का कहना है, 'निवेशक मुद्रा को शेयरों की तरह ही समान मानते हैं जो उनकी बड़ी भूल होती है। जोखिम के कारक यहां ज्यादा जटिल हैं। व्यापक अर्थव्यवस्था में किसी भी तरह के बदलाव से बड़े जोखिम की संभावना बन सकती है।

बोनांजा पोर्टफोलियो की सीनियर रिसर्च विश्लेषक रेखा मिश्रा का कहना है, 'दूसरे बाजार से इतर विदेशी मुद्रा बाजार में ज्यादा अस्थिरता होती है और इसे जल्दी भुनाया जा सकता है। कुछ बुनियादी नियमों का पालन करना जरूरी है ताकि जोखिम का प्रबंधन किया जा सके। आप विश्लेषण, फंडामेंटल और तकनीक के साथ शुरुआत कर सकते हैं।

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