प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है
प्रश्न 28. वित्तीय विश्लेषण किसे कहते हैं? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- वित्तीय विश्लेषण से आशय वित्तीय विवरणों में प्रदर्शित विभिन्न वित्तीय सूचनाओं का विधिवत् प्रक्रिया द्वारा उनका आलोचनात्मक मूल्यांकन है ताकि इनसे प्राप्त सूचनाओं को. भली-भाँति समझा जा सके एवं उसका प्रयोग विभिन्न वित्तीय निर्णय लेने में किया जा सके। इसके अन्तर्गत वित्तीय समंकों को अन्य वित्तीय समंकों से सम्बन्धित कर व्यावसाय की लाभदायकता, क्रियात्मक ढाँचा, शोधन क्षमता व व्यवसाय की भावी प्रगति का अनुमान लगाया जाता है।
वित्तीय विवरणों के विश्लेषण के उद्देश्य-
1. व्यवसाय की उपार्जन शक्ति का पता लगाना- वित्तीय विवरणों के माध्यम से व्यवसाय की उपार्जन शक्ति, विनियोग पर प्रतिफल की दर तथा आने वाले वर्षों में लाभों की प्रवृत्ति आदि का पता लगाया जा सकता है।
2. व्यवसाय की सुरक्षा तथा शोधन क्षमता का अध्ययन- व्यवसाय में विनिमय कोषं सुरक्षित है या नहीं और व्यवसाय अपने अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन दायित्वों का भुगतान आसानी से करने की स्थिति में है या नहीं, इसका भी पता लगाया जा सकता है।
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वित्तीय विश्लेषण की प्रक्रिया ( Process of Financial Analysis ) क्या है ?
[ 1 ] वित्तीय विवरणों की पुनर्रचना ( Re-arrangement of Financial Statements ) :- वित्तीय तथ्यों का प्रभावपूर्ण अध्ययन करने के लिए यह आवश्यक है कि चिट्ठे व लाभ-हानि खाते के तथ्यों को किसी तर्कसंगत क्रम में उनके प्रमुख अवयवों अथवा अंगों में बाँटा जाये । लर्नर के अनुसार, "जिस प्रकार एक तितर-बितर भीड़ में खड़े व्यक्तियों को गिनना कठिन है, उसी प्रकार असम्बन्धित वित्तीय तथ्यों के झुण्डों से आर्थिक निष्कर्ष निकालना कठिन है । एक बार भीड़ को कतारों व लाइन में विन्यासित कर लिया जाये तो गणना सरल हो जाती है ।" इसी प्रकार वित्तीय विश्लेषण की सुविधा के लिए चिट्ठे व लाभ-हानि खातों के तथ्यों की पुनर्रचना विश्लेषण के उद्देश्य के अनुसार की जाती है ।
[ 2 ] संख्याओं का सन्निकटन ( Approximation of Figures ) :- विश्लेषण क्रिया में सरलीकरण के लिए संख्याओं को निकटतम हजार या लाख या करोड़ रुपयों में व्यक्त किया जाता है । ऐसा करने से विभिन्न तथ्यों में सम्बन्ध स्थापित करना सरल हो जाता है ।
[ 3 ] अवयवों से सम्बन्ध स्थापित करना ( Establishing Relationship between Elements ) :- दो अवयवों के बीच सम्बन्ध स्थापित करते समय विश्लेषणकर्ता को यह ध्यान रखना चाहिए कि ये अवयव एक दूसरे से सम्बन्धित हैं । इस कार्य के लिए विश्लेषणकर्ता को विश्लेषण के उद्देश्य का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए । वित्तीय सूचनाओं से निष्कर्ष निकालने प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है हेतु दिये गये तथ्यों में तुलनात्मक सम्बन्ध स्थापित किया जाता है । इसके लिए वित्तीय विश्लेषक विश्लेषण की विभिन्न तकनीकों का प्रयोग करता है ।
[ 4 ] प्रवृत्ति का अध्ययन ( Study of Trend ) :- वित्तीय विवरण के तथ्यों में तुलनात्मक सम्बन्ध स्थापित करने के पश्चात विश्लेषक महत्त्वपूर्ण तथ्यों की भावी प्रवृत्तियों को मापता है । निर्वचन के लिए प्रवृत्ति अध्ययन एक महत्त्वपूर्ण आधार प्रस्तुत करता है ।
[ 5 ] निष्कर्ष ज्ञात करना ( Drawing Conclusions ) :- यह निर्वचन की अन्तिम प्रक्रिया होती है । इसका उद्देश्य तथ्यों की व्याख्या करके संस्था की लाभदायकता एवं वित्तीय सुदृढ़ता के सम्बन्ध में राय प्रकट करना होता है । वित्तीय विश्लेषक इन निष्कर्षों को प्रबन्ध के समक्ष इस दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है कि प्रबन्धकों को निर्णय में सहायक हो सकें ।
वित्तीय विश्लेषण में भूतकालीन सूचना के विश्लेषण व वर्तमान प्रवृत्ति के आधार पर भविष्य के बारे में अनुमान लगाया जाता है । लर्नर के अनुसार, "भावी अनुमान की एक क्रमबद्ध व सावधानीपूर्वक प्रक्रिया, सुदृढ़, भूतकालीन तथ्यों पर आधारित, सापेक्षिक रूप से उसी प्रकार अधिक सफल होती है, जिस प्रकार की ओझा अथवा टोना करने वाले कि तुलना में एक सुप्रशिक्षित सर्जन अधिक रोगियों को बचा लेगा ।"
वित्तीय विवरण विश्लेषण की मूल बातें
कंपनी की वित्तीय समीक्षा की प्रक्रियाबयान निर्णय लेने के उद्देश्यों के लिए वित्तीय के रूप में जाना जाता हैबयान विश्लेषण। बाहरी हितधारक इसका उपयोग किसी संगठन के सामान्य स्वास्थ्य के साथ-साथ उसके आकलन के लिए करते हैंवित्तीय प्रदर्शन और व्यापार लायक।
वित्तीय विवरण विश्लेषण के उपयोगकर्ता
विभिन्न प्रकार के लोग वित्तीय विवरण विश्लेषण का उपयोग करते हैं। वे इस प्रकार हैं:
एक फर्म का प्रबंधन: कंपनी का वित्त नियंत्रक कंपनी के वित्तीय विवरणों, मुख्य रूप से परिचालन संकेतक, जैसे प्रति उत्पाद लाभ, प्रति वितरण चैनल लागत, प्रति वितरण लागत, और अन्य मीट्रिक जो बाहरी पार्टियों को दिखाई नहीं देता है, का निरंतर अनुसंधान करता है।
निवेशकों: वर्तमान और संभावित निवेशक इसके स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए संगठन के वित्तीय खातों की जांच करते हैं। वे ऐसा लाभांश का भुगतान करने, नकदी प्रवाह बनाने और कम से कम ऐतिहासिक दर से बढ़ने की कंपनी की क्षमता को समझने के लिए करते हैं।
लेनदारों: एक लेनदार, या उस मामले के लिए कोई अन्य, जिसने कंपनी को धन का योगदान दिया है, कंपनी की ऋण चुकाने की क्षमता और इसके विभिन्न प्रकार के बारे में उत्सुक होगानकद प्रबंधन रणनीतियाँ।
विनियमन के प्रभारी अधिकारी: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) यह सत्यापित करने के लिए सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली फर्मों के वित्तीय विवरणों का ऑडिट करता है कि क्या वे अनुपालन करते हैंलेखांकन मानक और सेबी कानून और सिफारिशें।
वित्तीय प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है विवरण विश्लेषण उपकरण
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यदि आप कई रिपोर्टिंग अवधियों से वित्तीय विवरणों का उपयोग कर रहे हैं, तो प्रत्येक एक समान प्रारूप में होना चाहिए ताकि आपके पास सभी प्रासंगिक डेटा एक ही स्थान पर हों और एक अवधि की तुलना अगली अवधि से कर सकें।
नीचे सूचीबद्ध प्रत्येक रणनीति कंपनी के विभिन्न रुझानों और कठिनाइयों में दृश्यता प्रदान करती है। हालांकि, वे कंपनी के बारे में चिंताएं पैदा करते हैं, जिसे संबोधित किया जाना चाहिए। वित्तीय विवरण विश्लेषण के अंतिम लक्ष्य फर्म की जांच करना, विसंगतियों के लिए तार्किक कारण स्थापित करना और अच्छे या नकारात्मक पैटर्न के आधार पर परिवर्तन करना है।
वित्तीय विवरण विश्लेषण विभिन्न दृष्टिकोणों और प्रक्रियाओं का उपयोग करके किया जा सकता है। हालांकि, निम्नलिखित सबसे लोकप्रिय तरीके हैं:
1. क्षैतिज विश्लेषण
एक क्षैतिज विश्लेषण दो वर्षों में वित्तीय विवरणों और उनके घटकों की तुलना करता है। इसे प्रवृत्ति विश्लेषण के रूप में भी जाना जाता है, और इसे अक्सर मौद्रिक और प्रतिशत के संदर्भ में दर्शाया जाता है। यह तुलना विश्लेषकों को उन कारकों के बारे में जानकारी देती है जो कंपनी की वित्तीय स्थिति या लाभप्रदता को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं।
2. लंबवत विश्लेषण
यह एक वित्तीय विवरण विश्लेषण दृष्टिकोण है जिसमें प्रत्येक वित्तीय विवरण लाइन आइटम को वित्तीय विवरण के अंदर एक आंकड़े के आधार पर प्रतिशत के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है।आय विवरण लाइन आइटम को सकल बिक्री प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। इसके विपरीत,बैलेंस शीट लाइन आइटम को कुल संपत्ति या देनदारियों के प्रतिशत के रूप में वर्णित किया जा सकता है। मेंनकदी प्रवाह, किसी भी नकदी प्रवाह या बहिर्वाह को कुल नकदी प्रवाह के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। यह शोध कुल संपत्ति के आवंटन और वितरण में परिवर्तन में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। बेंचमार्किंग में, इस प्रकार की वित्तीय विवरण परीक्षा का उपयोग एक संगठन से दूसरे संगठन की तुलना करने के लिए भी किया जाता है।
वित्तीय विवरण अनुपात विश्लेषण
लाभ और हानि खाते, बैलेंस शीट पर अलग-अलग आँकड़ों के बीच की कड़ी,नकदी प्रवाह विवरण, या अन्य लेखा अभिलेखों को दो मानों के बीच के अनुपात द्वारा दर्शाया जाता है। यह एक प्रकार का वित्तीय विवरण विश्लेषण है जिसका उपयोग कई क्षेत्रों में इसके वित्तीय प्रदर्शन की तीव्र तस्वीर प्रदान करने के लिए किया जाता है। वित्तीय विश्लेषण उपकरण के रूप में अनुपात विश्लेषण में बहुत सारे मूल्यवान गुण हैं। वित्तीय विवरणों द्वारा दी गई जानकारी आसानी से सुलभ है। अनुपात विभिन्न आकारों के संगठनों की तुलना करना और किसी संगठन के वित्तीय प्रदर्शन की तुलना उद्योग के औसत से करना संभव बनाता है।
प्रवृत्ति विश्लेषण का उपयोग करते हुए, अनुपात का उपयोग संगठन के भीतर उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए भी किया जा सकता है जहां प्रदर्शन खराब हो गया है या समय के साथ सुधार हुआ है। निम्नलिखित सबसे महत्वपूर्ण अनुपात हैं:
1. लाभप्रदता अनुपात
वे कंपनी के समग्र या दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन प्रदर्शन का आकलन करते हैं औरक्षमता. सकल लाभ मार्जिन, शुद्ध लाभ मार्जिन, इक्विटी पर वापसीराजधानी, वापस लौटेंव्यवसाय के लिए आवश्यक मूलधन, परिचालन अनुपात,प्रति शेयर आय, और लाभांश उपज अनुपात सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले लाभप्रदता अनुपात हैं।
2. चलनिधि अनुपात
लिक्विडिटी अनुपात एक कंपनी की वर्तमान शोधन क्षमता का आकलन करते हैं। इनका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि किसी कंपनी के पास अपने मौजूदा दायित्वों को पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधन हैं या नहीं। वर्तमान अनुपात और त्वरित अनुपात दो सबसे लगातार चलनिधि अनुपात हैं।
3. सॉल्वेंसी अनुपात
सॉल्वेंसी अनुपात कंपनी की दीर्घकालिक ब्याज भुगतानों के साथ-साथ पुनर्भुगतान दायित्वों को पूरा करने की क्षमता का आकलन करता है। इक्विटी अनुपात, डेट-टू-इक्विटी अनुपात और ब्याज कवरेज अनुपात सबसे लोकप्रिय सॉल्वेंसी अनुपात हैं।
4. गतिविधि अनुपात
गतिविधि अनुपात दर्शाता है कि प्रबंधन कंपनी के संसाधनों का सफलतापूर्वक उपयोग कैसे करता है और इसलिए प्रबंधन की गुणवत्ता को दर्शाता है।देय खाते कारोबार अनुपात,प्राप्य खाते कारोबार अनुपात,निश्चित संपत्ति टर्नओवर अनुपात, इन्वेंट्री टर्नओवर अनुपात और कार्यशील पूंजी टर्नओवर अनुपात सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि अनुपात हैं।
शोध : प्रविधि और प्रक्रिया/शोध क्या है?
व्यापक अर्थ में शोध या अनुसन्धान (Research) किसी भी क्षेत्र में 'ज्ञान की खोज करना' या 'विधिवत गवेषणा' करना होता है। वैज्ञानिक अनुसन्धान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं की खोज और पुरानी वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुनः परीक्षण करना, जिससे कि नए तथ्य प्राप्त हो सकें, उसे शोध कहते हैं। शोध के अंतर्गत बोधपूर्वक प्रयत्न से तथ्यों का संकलन कर सूक्ष्मग्राही एवं विवेचक बुद्धि से उसका अवलोकन-विश्लेषण करके नए तथ्यों या सिद्धांतों का उद्घाटन किया जाता है। शोध का परिचय देते हुए डॉ. नगेन्द्र लिखते हैं कि-"अनुसंधान का अर्थ है परिपृच्छा, परीक्षण, समीक्षण आदि। संधान का अर्थ है दिशा विशेष में प्रवृत्त करना या होना और अनु का अर्थ है पीछे, इस प्रकार अनुसंधान का अर्थ हुआ—किसी लक्ष्य को सामने रखकर दिशा विशेष में बढ़ना—पश्चाद्गमन अर्थात् किसी तथ्य की प्राप्ति के लिए परिपृच्छा, परीक्षण आदि करना।" [१]
अध्ययन से दीक्षित होकर शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए शिक्षा में या अपने शैक्षिक विषय में कुछ जोड़ने की क्रिया अनुसन्धान कहलाती है। पी-एच.डी./ डी.फिल या डी.लिट्/डी.एस-सी. जैसी शोध उपाधियाँ इसी उपलब्धि के लिए दी जाती हैं। इनमें अध्येता से अपने शोध से ज्ञान के कुछ नए तथ्य या आयाम उद्घाटित करने की अपेक्षा की जाती है।
शोध : प्रविधि और प्रक्रिया/शोध क्या है?
व्यापक अर्थ में शोध या अनुसन्धान (Research) किसी भी क्षेत्र में 'ज्ञान की खोज करना' या 'विधिवत गवेषणा' करना होता है। वैज्ञानिक अनुसन्धान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं की खोज और पुरानी वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुनः परीक्षण करना, जिससे कि नए तथ्य प्राप्त हो सकें, उसे प्रवृत्ति विश्लेषण क्या है शोध कहते हैं। शोध के अंतर्गत बोधपूर्वक प्रयत्न से तथ्यों का संकलन कर सूक्ष्मग्राही एवं विवेचक बुद्धि से उसका अवलोकन-विश्लेषण करके नए तथ्यों या सिद्धांतों का उद्घाटन किया जाता है। शोध का परिचय देते हुए डॉ. नगेन्द्र लिखते हैं कि-"अनुसंधान का अर्थ है परिपृच्छा, परीक्षण, समीक्षण आदि। संधान का अर्थ है दिशा विशेष में प्रवृत्त करना या होना और अनु का अर्थ है पीछे, इस प्रकार अनुसंधान का अर्थ हुआ—किसी लक्ष्य को सामने रखकर दिशा विशेष में बढ़ना—पश्चाद्गमन अर्थात् किसी तथ्य की प्राप्ति के लिए परिपृच्छा, परीक्षण आदि करना।" [१]
अध्ययन से दीक्षित होकर शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए शिक्षा में या अपने शैक्षिक विषय में कुछ जोड़ने की क्रिया अनुसन्धान कहलाती है। पी-एच.डी./ डी.फिल या डी.लिट्/डी.एस-सी. जैसी शोध उपाधियाँ इसी उपलब्धि के लिए दी जाती हैं। इनमें अध्येता से अपने शोध से ज्ञान के कुछ नए तथ्य या आयाम उद्घाटित करने की अपेक्षा की जाती है।
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