Crypto Price Crash: किसी तूफान की तरह क्रिप्टोकरेंसी ने मचाई तबाही, एक हफ्ते में बर्बाद हुए लाखों लोग, 15 लाख करोड़ रुपए डूबे
कहा जा रहा हे कि चीन ने क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग और इसकी माइनिंग को लेकर जो अभियान शुरू किया है, उसकी वजह से बिटक्वॉइन की कीमतों पर खासा असर पड़ा है. जो बड़ी वजहें इसके पीछे हैं उनमें सबसे पहले है बिटक्वॉइन के ऑपरेशंस पर चीन की तरफ से जबरन नियंत्रण किया जाना.
पिछले कुछ दिनों में बिटक्वॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तेजी से गिरावट हो रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक एक बिटक्वॉइन की कीमत में कई हजार डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है. बिटक्वॉइन के अलावा छोटी क्रिप्टोकरेंसी जैसे कि इथेरियम, बीएनबी, कारडानो, XRP और डॉगक्वॉइन की कीमतों में दोहरी संख्या के स्तर तक की गिरावट दर्ज की गई है. फोर्ब्स की रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो पिछले हफ्ते बिटक्वॉइन और क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में 200 बिलियन डॉलर तक की गिरावट दर्ज की गई है.
निवेशकों को हुआ बड़ा नुकसान
अचानक हुई इस गिरावट से निवेशकों को खासा नुकसान हुआ है. यह गिरावट ऐसे क्या इथेरियम खरीदने में बहुत देर हो चुकी है समय में हुई है जब पहले से ही बाजार में नुकसान का दौर जारी है. कोविड-19 के खतरनाक डेल्टा वैरियंट के बाद दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को पहले ही तगड़ा नुकसान हो चुका है. अब बिटक्वॉइन और क्रिप्टोकरेंसी में इतनी तेजी से हुई गिरावट को एक अशुभ संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो बाजार के ठीक होने की उम्मीदों के लिए यह बड़ा झटका है. उनका कहना है कि बिटक्वॉइन की कीमतों में हुई गिरावट का असर आगे आने वाले समय में नजर आएगा.
कई बिलियन डॉलर डूबे
ऐसे समय में जबकि यह कहा जा रहा है कि बिटक्वॉइन साल 2050 तक डॉलर की जगह ले सकता है, ताजा घटनाक्रम एक नकारात्मक प्रभाव डालने वाला है. उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक बिटक्वॉइन की कीमत 66,000 अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकेंगी. 22 जून के बाद से पहली बार बिटक्वॉइन की कीमतें 30,000 डॉलर से भी नीचे चली गई हैं. क्वॉइन मार्केट कैप डाटा की तरफ से बताया गया है कि मंगलवार तक निवेशकों के 89 बिलियन डॉलर डूब गए थे.
अप्रैल से लेकर अब तक 50 फीसदी की गिरावट
क्वॉइनडेस्क डाटा के मुताबिक बिटक्वॉइन में 5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई तो दूसरी क्रिप्टोकरेंसीज में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट थी. जबकि XRP में करीब 9 फीसदी की गिरावट आई. बिटक्वॉइन में आई गिरावट के बाद अमेरिकी बाजारों में हलचल देखी जा सकती है. अमेरिकी क्रिप्टो विशेषज्ञों की मानें तो बिटक्वॉइन की कीमतों में कमी आने से अर्थव्यवस्था में सुधार की ताकत और इसकी क्वालिटी को लेकर चिंताएं होने लगी हैं. अप्रैल माह में बिटक्वॉइन की कीमतें 65,000 डॉलर के स्तर पर थीं और ये इसका सर्वोच्च स्तर था. तब से लेकर अब तक इसमें 50 फीसदी की कमी आ चुकी है.
चीन की वजह से आई है मुसीबत
कहा जा रहा हे कि चीन ने क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग और इसकी माइनिंग को लेकर जो अभियान शुरू किया है, उसकी वजह से बिटक्वॉइन की कीमतों पर खासा असर पड़ा है. जो बड़ी वजहें इसके पीछे हैं उनमें सबसे पहले है बिटक्वॉइन के ऑपरेशंस पर चीन की तरफ से जबरन नियंत्रण क्या इथेरियम खरीदने में बहुत देर हो चुकी है किया जाना. बिटक्वॉइन की माइनिंग में बहुत ज्यादा ऊर्जा लगती है. साथ ही इसके ट्रांजेक्शन और नए क्वॉइन बनाने की प्रक्रिया भी बहुत ज्यादा एनर्जी की खपत वाली है. चीन के सेंट्रल बैंक की तरफ से भी ग्राहकों को स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी तरह की क्रिप्टो सर्विसेज की पेशकश उन्हें नहीं की जाएगी.
साल 2017 से चीन ने लगाया प्रतिबंध
चीन ने साल 2017 में स्थानीय स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी में एक्सचेंज को प्रतिबंधित कर दिया था. मगर चीनी ट्रेडर्स को डिजिटल क्वॉइन खरीदने और उन्हें बेचने से प्रतिबंधित नहीं किया गया था. मगर अब अचानक चीनी अथॉरिटीज की तरफ से कड़े एक्शन की वजह से बिटक्वॉइन और क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों प्रभावित हो रही हैं. चीन के अलावा जापान, थाइलैंड और कनाडा ने भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चेतावनी जारी कर दी है.
Smart Contract क्या है और यह कैसे काम करता है? (Smart Contract Explained In Hindi 2022)
दोस्तों अब तक हमनें ज्यादातर नॉर्मल कॉन्ट्रैक्ट ही देखा है जहाँ पर बेचनें वालों या खरीदने वालों के बीच एक Contract साईन होता है जो की पेपर पर होता है पर Smart Contract पर ऐसा नहीं होता तो चलिए समझते है की Smart Contract क्या है.
Smart Contract क्या है? What Is Smart Contract In Hindi
Table of Contents
Smart Contract भी एक Normal Contract की तरह होता है बस फ़र्क इतना सा होता है की Normal Contract पेपर के फॉर्म में होता है जबकि Smart Contract एक कंप्यूटर प्रोग्राम है.
Smart Contract का Concept Nick Szabo ने 1994 में दिया था जब बिटकॉइन का कोई नामों निशान तक नहीं था. उसके बाद 2013 में एक 19 साल का लड़का जिसका नाम Vitalik Buterin था उसने Smart Contract और Blockchain को एक साथ जोड़ा.
Smart contract जब Blockchain के साथ जुड़ा तो यह एक बेहतरीन कॉम्बिनेशन बना और Smart Contract की उपयोगिता और विशेषता और ज्यादा बढ़ गयी.
तो चलिए और ढ़ंग से समझते है की Smart Contract क्या है तो जैसा की हमने कहा की Smart Contract एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जिसमें Contract की सारी रूल्स और टर्म्स को कंप्यूटर प्रोग्राम के फॉर्म में Blockchain में स्टोर किया जाता है.
जिसमें कुछ ही ब्लॉकचैन्स है जो Smart Contract को Support करते है जैसे की इथेरियम ब्लॉकचैन एक स्पेसियन प्रोग्रामिंग लैंगवेज जिसको Solidity कहते है. Solidity का Use करके हम इथेरियम ब्लॉकचैन में Smart Contract Developed कर सकते है.
Solidity Programming Language में Syntax यूज होते है वही Syntax, Javascript में भी यूज होते है. यदि आपको Javascript आती है तो आप आसानी से ब्लॉकचैन में Smart Contract Develop कर सकते है.
Smart contract कैसे काम करता है? How Smart Contract Work
Smart contract कैसे काम करता है अगर देखा जाए, तो जैसे ही हम Smart Contract को ब्लॉकचैन से जोड़ते है तो जो Smart Contract पहले Centralized हुआ करता था और एक जगह पर स्टोर हुआ करता था, वो अभी एक जगह पर स्टोर नहीं होगा उसका कोई Central Authority नहीं होगा और वह पूरी तरह Decentralized हो जायेगा.
कोई भी दो अनजान जो एक दूसरे पर भरोसा न करते हो और एक दूसरे को न जानते हो वो भी Smart Contract की मदद से एक दूसरे से बिज़नेस कर सकते क्या इथेरियम खरीदने में बहुत देर हो चुकी है है.
जिस तरह से Normal Contract और Agreements होते है उसी तरह से यह Smart Contract भी होते है पर जो सामान्य कॉन्ट्रैक्ट होते है उनमे हमे थर्ड क्या इथेरियम खरीदने में बहुत देर हो चुकी है पार्टी की मदद लेनी होती है जैसे आपको अपना घर किसी को बेचना है, तो आपको उसके लिए प्रॉपर्टी डीलर की जरुरत पड़ेगी डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए वकील की जरुरत पड़ेगी जिसमे आपका काफ़ी समय और पैसा बर्बाद होता है.
नॉर्मल कॉन्ट्रैक्ट में गतिबिधियाँ होने में समय लगता है और डीलर द्वारा फ्रॉड हो सकता या फ्रॉड होने की आशंका बनी रहती है पर Smart Contract ब्लॉकचैन में होने की वजह से सभी गतिविधियाँ बहुत ही तेज होती है और कोई भी फ्रॉड या धोखाधडी करना लगभग नामुमकिन हो जाता है.
क्योंकि जैसे ही Contract साइन होता है तो तुरंत ही वह ब्लॉकचैन के सभी लेज़र में जाकर वह Save हो जाता है, लेज़र में Save होने की वजह से इसे बदला नहीं जा सकता है.
क्योंकि एक लेज़र में बदलाव या हैक करने में पसीने छूट जाते है तो यहाँ पर तो दर्जनों लेजर्स होते है इसलिए ब्लॉकचैन से जुड़ने के बाद Smart Contract सेफ हो जाता है.
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का मुख्य उदेश्य थर्ड पार्टी को बीच से हटाना है, एक बार स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाने के बाद इसको चलाने के लिए किसी की भी जरुरत नहीं होती, नियम और शर्तों के हिसाब से जो कोड बनाया होगा उसी के हिसाब से Smart Contract चलता रहता है.
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Smart Contract कैसे बनायें। How To Make Smart Contract
दोस्तों अब तक हमनें जाना की Smart Contract क्या है और Smart Contract कैसे काम करता है आइये अब हम जानते है की Smart Contract कैसे बनायें तो जैसा की हम ऊपर बताया की Smart Contract को बनाने का सबसे पॉपुलर प्लेटफ़ॉर्म इथेरियम है.
क्योंकि इसकी खुद की प्रोग्रामिंग क्या इथेरियम खरीदने में बहुत देर हो चुकी है लैंगवेज Solidity है जिसमें अभी तक काफ़ी Smart Contract बनाये जा चुके है ऐसे में इथेरियम में Smart Contract बनाना विल्कुल आसान है जिसकी वजह से ज्यादातर Smart Contract इथेरियम से ही बनाये जाते है.
इथेरियम के अलावा भी Hyperledger Fabric Nem, क्या इथेरियम खरीदने में बहुत देर हो चुकी है Stellar, और Cardano जैसे नेटवर्क है जहाँ पर हम Smart Contract को बना सकते है.
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