Dollar vs Rupee : गिरते रुपये को बचाने के लिए अपनायी जाए यह रणनीति

व्यापार विश्लेषक

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Dollar vs Rupee : गिरते रुपये का आखिर क्या करे सरकार? वेट एंड वॉच की रणनीति से होगा फायदा?

Dollar vs Rupee : महामारी के दौरान एक्सपोर्ट बढ़ा था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। सितंबर में तो एक्सपोर्ट घट भी गया। यही हाल रहा तो साल 2022-23 में चालू खाते का घाटा जीडीपी के 4 प्रतिशत तक जा सकता है। इससे रुपये में और गिरावट आ सकती है।

Dollar vs Rupee

Dollar vs Rupee : गिरते रुपये को बचाने के लिए अपनायी जाए यह रणनीति

हाइलाइट्स

  • यूएस डॉलर के मुकाबले बीते हफ्ते 83.26 तक चला गया रुपया
  • यूएड फेड के ब्याज दरें बढ़ाने से मजबूत हो रहा डॉलर
  • व्यापार घाटा बढ़ा तो रुपये में और आएगी गिरावट

- अभी दुनिया में 80 फीसदी से ज्यादा व्यापार डॉलर में हो रहा है।

- तमाम देशों के केंद्रीय बैंक जो विदेशी मुद्रा भंडार रखते हैं, उसका करीब 65 प्रतिशत हिस्सा डॉलर में है।

- रुपया इस साल अब तक 10 प्रतिशत से गिरा है तो जापानी येन में 22 प्रतिशत से ज्यादा नरमी आ चुकी है।

- साउथ कोरियन वॉन और ब्रिटिश पौंड 17-17 प्रतिशत गिरे हैं।

- यूरो भी इस साल अब तक 14 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुका है।

- चाइनीज रेनमिबी की वैल्यू 12 प्रतिशत घट चुकी है।

क्यों मजबूत हो रहा डॉलर
यूक्रेन युद्ध के चलते पूरा यूरोप बेहाल है। जर्मनी से लेकर फ्रांस, ब्रिटेन और तुर्की तक में महंगाई आसमान छू रही है। दुनिया में एक बार फिर मंदी का खतरा जताया जा रहा है। इकॉनमी से जुड़ा रिस्क जब भी बढ़ता है, निवेशक सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर की ओर भागते हैं। एक और फैक्टर है, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दर बढ़ा रहा है। वह इस साल मार्च से अपना पॉलिसी रेट 3 प्रतिशत बढ़ा चुका है। इससे विदेशी निवेशक दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स और भारत से पैसे निकालने लगे हैं, क्योंकि अमेरिका में उन्हें रिस्क फ्री बेहतर रिटर्न दिख रहा है।

चालू खाता घाटा
रुपये पर दबाव बढ़ने के पीछे एक और फैक्टर है भारत का बढ़ता करंट एकाउंट डेफिसिट। जब निर्यात से होने वाली कमाई के मुकाबले आयात पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है, तो करंट एकाउंट डेफिसिट की स्थिति बनती है। कोविड महामारी के दौरान भारत से एक्सपोर्ट बढ़ा था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। सितंबर में तो एक्सपोर्ट घट भी गया। अगर यही हाल रहा तो साल 2022-23 में चालू खाते का यह घाटा जीडीपी के 4 प्रतिशत तक भी जा सकता है। यह पिछले 10 वर्षों का सबसे ऊंचा स्तर होगा। क्रूड ऑयल इंपोर्ट के चलते भी चालू खाते का घाटा और बढ़ने का खतरा है। क्रूड ऑयल निर्यात करने वाले देशों ने तय किया है कि वे नवंबर से उत्पादन 20 लाख बैरल प्रतिदिन घटाएंगे। इससे दाम और चढ़ेगा।

क्या करे भारत?
अब आते हैं इस सवाल पर कि रुपये के मामले में भारत क्या कर सकता है। विकसित देशों में महंगाई चार दशकों के ऊंचे स्तर पर है। वहां मंदी आने का खतरा बढ़ गया है। लिहाजा वहां भारत की वस्तुओं और सेवाओं की डिमांड घटी है। देश में डिमांड बढ़ाकर इसकी भरपाई हो सकती है, लेकिन कुछ हद तक ही। ऐसे में देखते हैं कि भारत सरकार के सामने क्या विकल्प हैं और वे कितने प्रभावी हो सकते हैं।

1. पहला उपाय है देश में चीजों और सेवाओं की डिमांड बढ़ाने के लिए टैक्स घटाया जाए। इससे चीजों और सेवाओं की डिमांड बढ़ेगी, इकॉनमी स्टेबल होगी। लेकिन टैक्स घटने से सरकार के रेवेन्यू पर असर पड़ेगा। वैसे भी आम बजट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत के आसपास रहेगा। अभी कर्ज का स्तर भी बहुत बढ़ गया है। सरकारी कर्ज और जीडीपी का रेशियो लगभग 90 प्रतिशत हो चुका है। इन हालात को देखते हुए सरकार के पास राजकोषीय मदद देने की गुंजाइश बहुत कम रह गई है।

2. दूसरा उपाय यह है कि डॉलर की बढ़ती डिमांड का दबाव घटाने के लिए आरबीआई डॉलर बेचे। आरबीआई ने ऐसा किया भी है। लेकिन इससे बात नहीं बनी, उलटे सालभर में विदेशी मुद्रा भंडार करीब 110 अरब डॉलर घट गया। करंट एकाउंट डेफिसिट अगर मामूली होता तो डॉलर बेचने से कुछ मदद मिल सकती थी। लेकिन मामला ऐसा है नहीं।

3. तीसरा उपाय है, अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ रही हैं तो आरबीआई भी ब्याज दरें बढ़ाता जाए। लेकिन दिक्कत यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर और 125 बेसिस पॉइंट बढ़ाने का संकेत दिया है। भारत में इस तरह के इजाफे की गुंजाइश नहीं है क्योंकि इससे इकॉनमिक रिकवरी को बड़ा झटका लग सकता है।
Rupee Vs Dollar: डॉलर के आगे दुबला होता जा रहा रुपया! गिरावट का बनाया नया रिकॉर्ड, 83 के आंकड़े को किया पार
लोड न ले आरबीआई
ऐसे में ठीक यही लग रहा है कि रुपये को सहारा नई विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों देने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल न किया जाए। आरबीआई रुपये की चाल में तब तक कोई दखल न दे, जब तक कि इसमें अचानक बहुत तेज गिरावट न आए। बाजार के हिसाब से यह जहां तक गिरता है, गिरने दे। इस रणनीति के फायदे भी हैं।

1. एक फायदा तो यही है कि विदेशी मुद्रा भंडार के इतने बड़े इस्तेमाल की जरूरत नहीं रहेगी। फॉरेन एक्सचेंज बचा रहेगा तो अचानक लगने वाले किसी भी बाहरी झटके से इकॉनमी को बचाने में काम आएगा।

2. दूसरी बात, रुपया नरम रहेगा तो भारतीय निर्यात को फायदा मिलेगा।

3. ट्रेड डेफिसिट और करंट एकाउंट डेफिसिट घटाने के लिए आयात घटाने के साथ निर्यात बढ़ाना भी जरूरी है।

4. वैश्विक बाजार में चीन का दबदबा कुछ घटता दिख रहा है। उस जगह को भरने के लिए सरकार को निर्यात पर सब्सिडी देने जैसे कदम उठाने होंगे। लेकिन रुपये में कमजोरी इस मामले में कहीं ज्यादा कारगर साबित हो सकती है।

कुल मिलाकर इस स्ट्रैटेजी में फायदे ज्यादा हैं, नुकसान कम। अच्छी बात यह है कि आरबीआई अब इसी राह पर आ चुका है। ध्यान केवल इतना रखना होगा कि रुपया इतना कमजोर न हो जाए कि इंपोर्ट बिल बहुत ज्यादा बढ़ जाए।

2023 में निवेश से पहले इन 6 कारकों पर जरूर दें ध्यान, रिटर्न कमाने में होगी आसानी

साल 2023 में दुनिया के तीन प्रमुख इंजन अमेरिका, यूरो जोन और चीन के स्लो होने की संभावना है. जिस वजह से ग्लोबल ग्रोथ में धीमापन दिख सकता हैं.

Stock Market Tips

मार्केट पर हावी रहेगा US का इन्फ्लेशन और इंटरेस्ट रेटसाल 2023 में स्टॉक मार्केट को अमेरिकी इन्फ्लेशन और बढ़े हुए ब्याज दर प्रभावित कर सकते हैं. दरअसल अमेरिका की फेडरल बैंक ने 2022 में काफी आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की नई विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों है. बढ़ोतरी का असर महंगाई दर में कमी आने के संकेत है. इस तरह के संकेत अगर आगे भी जारी रहते हैं तो फेड ब्याज दर बढ़ोतरी पर रुक सकता है. जो मार्केट के लिए अच्छी खबर हो सकती है.

कई तरह के संपति में आवंटन की रणनीतिजिस तरह से विश्व में ब्याज दरों और बांड यील्ड को लेकर माहौल बना हुआ है उसमें निवेशक को अपने आवंटन को लेकर रणनीति बदलनी चाहिए. अर्थात निवेशकों को फिक्स्ड इनकम एसेट की ओर ध्यान देना चाहिए. डेट फंड में निवेश भी अच्छा विकल्प हो सकता है.

गोल्ड में अच्छा रिटर्नसाल 2023 में गोल्ड में निवेश निवेशकों को अच्छे रिटर्न के तौर पर सामने आ सकता है. गोल्ड की प्राइस का मूवमेंट डॉलर से जुड़ा होता है. फेड लगातार अपने इंटरेस्ट रेट को बढ़ा रहा है जिस वजह से कैपिटल फ्लो मार्केट में बढ़ रहा है. जिससे गोल्ड को मजबूती मिल रही है. इस प्रकार गोल्ड 2023 में मल्टी ऐसेट एलोकेशन में महत्वपूर्ण रोल निभा सकता है.

लॉन्ग टर्म के लिए खरीदारी का अवसर2023 में निवेशकों को स्टॉक मार्केट में खरीदारी करने का अवसर मिलेगा. माना जा रहा है कि भारत का मार्केट जो कि फिलहाल ऊंचे वैल्यूएशन पर चल रहा है वैश्विक सुधार होने की वजह से संवेदनशील हो सकता है. जो कि निवेशकों को लॉन्ग टर्म के लिए खरीदारी करने का अवसर देगा.

(डिस्क्लेमरः ये एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज के निजी सुझाव/ विचार हैं. ये इकोनॉमिक नई विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों टाइम्स के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. किसी भी फंड/ शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय जरूर लें.)

गोल्ड रेट टुडे: वैश्विक व्यापार को लेकर तनाव बढ़ने से सोने-चांदी में तेजी, क्या और उछलेगा भाव

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील में देरी हो सकती नई विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों है. इसे सोने में सुरक्षित निवेश बढ़ा है

gold investment

दोपहर 12.30 बजे के आसपास एमसीएक्स पर गोल्ड (फरवरी) वायदा 84 रुपये की मजबूती के साथ 38316 रुपये पर कारोबार कर रहा था. इसी तरह से एमसीएक्स पर सिल्वर (मार्च) वायदा का भाव 257 चढ़कर 45,551 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया.

ब्रोकरेज फर्म एसएमसी ग्लोबल के मुताबिक, सोने-चांदी में आज तेजी रह सकती है. गोल्ड (फरवरी) वायदा का भाव 38500 रुपये का स्तर छू सकता है, जबकि सोने में आज 38100 रुपये के आसपास सपोर्ट दिख सकता है. चांदी आज 45,600 रुपये का स्तर छू सकती है, जबकि 45000 रुपये के स्तर पर इसमें सपोर्ट दिख सकता है.

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव एक महीने की ऊंचाई के आसपास कारोबार कर रहा था. बीते सत्र में सोना एक महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया था. अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील को लेकर देरी के डर से सोने की सुरक्षित निवेश मांग बढ़ी नई विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों है. विदेशी बाजार में हाजिर सोना 0.1 फीसदी बढ़कर 1,478.81 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था.

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कोरोना की आहट से सहमा रहा शेयर बाजार. भारतीय रुपए में आठ पैसे की बढ़त

मुंबई। वैश्विक बाजार की तेजी के बावजूद देश में कोरोना की आहट से सहमे निवेशकों की चौतरफा बिकवाली के दबाव में शेयर बाजार आज लगातार तीसरे दिन भी सहमा रहा। देश में ओमीक्रॉन के वेरिएंट बीएफ7 के मामले मिलने से निवेशकों की निवेश धाराणा पर असर पड़ा है।

इससे बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 241.02 अंक यानी 0.39 प्रतिशत लुढ़ककर डेढ़ माह के निचले स्तर 61 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 60826.22 अंक पर रहा। इससे पूर्व यह 10 नवंबर को 60613.70 अंक पर रहा था। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 71.75 अंक अर्थात 0.39 प्रतिशत गिरकर 18127.35 अंक पर आ गया।

दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई का मिडकैप 0.77 प्रतिशत उतरकर 25,285.23 अंक और स्मॉलकैप 1.83 प्रतिशत टूटकर 28,421.52 अंक पर रहा। इस दौरान बीएसई में कुल 3652 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2790 में बिकवाली जबकि 767 में लिवाली हुई वहीं 95 में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह एनएसई में 41 कंपनियों में गिरावट जबकि शेष नौ में तेजी रही। बीएसई के 18 समूह बिकवाली के दबाव में रहे।

इस दौरान कमोडिटीज 0.90, सीडी 1.10, ऊर्जा 0.76, एफएमसीजी 0.70, वित्तीय सेवाएं 0.59, इंडस्ट्रियल्स 1.78, दूरसंचार 0.98, यूटिलिटीज 1.60, ऑटो 1.05, कैपिटल गुड्स 1.57, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 0.78, धातु 1.15, तेल एवं गैस 0.86, पावर 1.49 और रियल्टी समूह के शेयर 1.33 प्रतिशत गिर गए। चीन के शंघाई कंपोजिट की 0.46 प्रतिशत की गिरावट को छोड़कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेजी का रुख रहा। इस दौरान ब्रिटेन का एफटीएसई 0.46, जर्मनी का डैक्स 0.05, जापान का निक्केई 0.46 और हांगकांग का हैंगसेंग 2.71 प्रतिशत की उछाल पर रहा।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया बृहस्पतिवार को आठ पैसे की तेजी के साथ 82.76 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इस तेजी का कारण विदेशी बाजारों में डॉलर का कमजोर होना था।

बाजार सूत्रों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार में गिरावट से रुपये का लाभ सीमित रहा। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.78 के स्तर पर मजबूत खुला और कारोबार के अंत में यह आठ पैसे की तेजी दर्शाता 82.76 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

कारोबार के दौरान रुपये ने 82.64 के उच्चस्तर और 82.79 के निचले स्तर को छुआ। इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 14 पैसे की गिरावट के साथ 82.84 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था। इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.32 प्रतिशत घटकर 103.89 रह गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.58 प्रतिशत बढ़कर 83.50 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 241.02 अंक घटकर 60,826.22 अंक पर बंद हुआ। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने बुधवार को 1,119 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।

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