धोखाधड़ी में वृद्धि को देखते हुए, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने पिछले साल व्यक्तियों के लिए एक मॉडल साइबर बीमा पॉलिसी के लिए दिशानिर्देश जारी किए। साइबर खतरों में वृद्धि के साथ, आपको और आपके व्यवसाय की सुरक्षा के लिए साइबर बीमा पॉलिसी खरीदने की हमेशा सलाह दी जाती है।

Cyber insurance policy: ऑनलाइन फ्रॉड के नुकसान से बचना है तो लीजिए साइबर बीमा पॉलिसी, जानिए क्या हैं इसके फायदे

Cyber insurance policy साइबर बीमा पॉलिसी ऑनलाइन फ्रॉड वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? से हुए नुकसान को कवर करती है। हालांकि भारत में अभी इसका चलन पूरी तरह नहीं हुआ है लेकिन जैसे-जैसे साइबर क्राइम के खतरे बढ़ रहे हैं इसकी जरूरत भी बढ़ती जा रही है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश में करीब दो साल पहले कोरोना महामारी की दस्तक के साथ वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? ही साइबर अपराध (Cyber Crime) भी काफी बढ़ गए हैं। 'वर्क फ्रॉम होम' कल्चर शुरू होने के साथ भारत में साइबर अपराधों की संख्या खूब बढ़ी है। एक आंकड़े के अनुसार, साइबर फ्रॉड की घटनाएं 2021 में बढ़कर 14.02 लाख हो गई, जो 2018 में महज 2.08 लाख थीं। सबसे अधिक फ्रॉड बैंकिंग सेक्टर में देखने को मिले हैं। सार्वजनिक बैंकों द्वारा प्रकाशित आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि एटीएम/डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण 2020-21 में तकरीबन 63.4 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। इन सबको ध्यान में रखते हुए साइबर बीमा कवर लेना (Cyber Insurance Policy) एक बेहतर विकल्प नजर आता है।

साइबर वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? कवर क्यों जरूरी है

साइबर बीमा, व्यक्तियों या फर्मों के लिए डेटा चोरी से होने वाले नुकसान वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? को कवर करता है। व्यक्तियों के लिए इनमें फिशिंग, आइडेंटिटी हैक करना, बार-बार चेज करना, सोशल मीडिया हैकिंग और इरडा द्वारा सूचीबद्ध अन्य चीजें शामिल हो सकती हैं। बड़े कॉरपोरेट्स में साइबर हमलों वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? की जांच के लिए आमतौर पर फायरवॉल होते हैं। व्यक्तियों के मामले में यह हमेशा संभव नहीं होता है। बहुत से लोग अपने ऑनलाइन लेन-देन में लापरवाही करते हैं, जिसके नुकसान होने के खतरे बढ़ जाते हैं।

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क्या-क्या होता है कवर

वर्तमान में उपलब्ध व्यक्तिगत योजनाएं इरडा द्वारा सूचीबद्ध किए गए 11 साइबर अपराधों में से कुछ या सभी का बीमा करती हैं। कवर 10,000 रुपये से शुरू होकर 5 करोड़ रुपये तक हो सकता है। अधिकांश बीमाकर्ता, बीमाधारक के जोखिम जोखिम और बजट के आधार पर तरह-तरह की स्कीम भी पेश करते हैं। आप बीमा कंपनी से उन साइबर क्राइम्स के बारे में जानकारी ले सकते हैं, जिन्हें आप कवर करना चाहते हैं।

धन की चोरी : साइबर क्राइम या किसी तीसरे पक्ष द्वारा बैंक खाते, क्रेडिट/डेबिट कार्ड और/या मोबाइल वॉलेट की हैकिंग के कारण होने वाले नुकसान को कवर करता है।

साइबर स्टाकिंग : यह स्टाकर पर मुकदमा चलाने के खर्चे को कवर करता है।

फिशिंग : फिशिंग के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान को कवर करता है, जिसमें अपराधियों पर मुकदमा चलाने का खर्च भी शामिल है।

क्या हैं शर्तें

ज्यादातर साइबर पॉलिसीज वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? का सालाना नवीनीकरण किया जाता है। पॉलिसीज में प्रतीक्षा अवधि भी नहीं होती है और 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इन्हें खरीद सकता है, हालांकि कुछ की आयु सीमा 21 वर्ष है। आपको जो कवर चाहिए, वह इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कितने नुकसान का खतरा है, चाहे वह पैसा हो, डेटा हो या बैंक खाता विवरण हो। यदि आप ऑनलाइन लेन-देन अधिक करते हैं, तो आपको उच्च कवर की आवश्यकता होगी।

एक व्यक्ति के लिए एक लाख रुपये के कवर का प्रीमियम सालाना 700 रुपये से लेकर 3,000 रुपये तक हो सकता है। बजाज आलियांज व्यक्तिगत साइबर सुरक्षित बीमा पॉलिसी के लिए 1 लाख रुपये की वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? योजना के लिए वार्षिक प्रीमियम 781 रुपये है। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड रिटेल साइबर पॉलिसी के लिए यह 2,708 रुपये है। एक वर्किंग प्रोफेशनल के लिए एचडीएफसी एर्गो साइबर सचेत योजना का प्रीमियम 984 रुपये है। अलग-अलग योजनाओं को देखते हुए अपने लिए पॉलिसी चुनने से पहले न केवल प्रीमियम, बल्कि उसमें कवर होने वाली चीजों को ठीक तरह से जांच लें।

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know about Cyber Insurance to be safe from frauds

देश जिस गति से डिजिटलीकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से साइबर धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में आम लोगों के साथ कॉरपोरेट भी इसके शिकार हुए हैं।आज जालसाजों से अपनी गाढ़ी कमाई को बचाना बड़ी चुनौती बन गया है। हममें से ज्यादातर लोग अपने कंप्यूटर और स्मार्टफोन से ही नहीं बल्कि ऑफिस कंप्यूटर और सार्वजनिक वाईफाई के जरिए भी वित्तीय लेनदेन करते हैं। अलग-अलग उपकरणों से निजी जानकारियों तक पहुंच से हम तमाम तरह के जोखिमों के संपर्क में आ जाते हैं। सुरक्षा के तमाम उपाय के बावजूद हैकर्स साइबर धोखाधड़ी के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। इसे देखते हुए साइबर बीमा की महत्ता बढ़ गई है, जिसे बड़ी-छोटी कंपनियों के साथ आम लोगों को भी जरूर लेना चाहिए।

साइबर हमले क्या हैं?

साइबर हमला किसी कंप्यूटर और कंप्यूटर नेटवर्क के अनधिकृत उपयोग तथा उसे उजागर करने, बदलने, अक्षम करने, नष्ट करने, चोरी करने या उस तक अनधिकृत पहुँच प्राप्त करने का प्रयास है। साइबर हमला किसी भी प्रकार की ऐसी आक्रामक युक्ति है जो कंप्यूटर सूचना प्रणाली, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कंप्यूटर नेटवर्क या व्यक्तिगत कंप्यूटर उपकरणों को लक्षित करती है।

फिशिंग या स्पूफिंग हमले: स्पूफिंग में हमलावर अपनी असल पहचान को छिपाकर खुद को एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में प्रस्तुत करते हैं अर्थात् वह वैध उपयोगकर्त्ता की पहचान वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? का उपयोग करने की कोशिश करता है। फिशिंग वह प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति उपयोगकर्त्ता की संवेदनशील जानकारी जैसे- बैंक खाता विवरण आदि को चुराता है।

मैलवेयर या स्पाइवेयर: स्पाइवेयर एक प्रकार का मैलवेयर है जो डिजिटल डिवाइस जैसे- कंप्यूटर, मोबाइल, टेबलेट आदि से गुप्त एवं निजी जानकारियाँ चुराता है। यह जीमेल अकाउंट, बैंक डिटेल्स, सोशल मीडिया से लेकर टेक्स्ट मैसेज जैसी गतिविधियों पर नजर रखता है एवं वहाँ से डेटा चोरी कर अपने ऑपरेटर तक पहुँचाता है।

साइबर हमले से निपटने हेतु सरकार की पहलें

वर्ष 2018 में साइबर सुरक्षित भारत पहल की शुरुवात की गई। इसका उद्देश्य मुख्य सरकारी सुरक्षा अधिकारियों (CISOs) और सरकारी विभागों में फ्रंटलाइन आईटी कर्मचारियों के सुरक्षा उपायों के लिये साइबर क्राइम तथा निर्माण क्षमता के बारे में जागरूकता फैलाना है। इसके अलावा राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वय केंद्र (NCCC) देश में स्थापित है जिसका कार्य वास्तविक समय में साइबर खतरों का पता लगाने के लिये देश में इंटरनेट ट्रैफिक और कम्युनिकेशन मेटाडेटा (जो प्रत्येक कम्युनिकेशन में शामिल जानकारी के छोटे-छोटे भाग होते हैं) को स्कैन करना है।

वर्ष 2017 में साइबर स्वच्छता केंद्र की शुरुवात की गई जो इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं के लिये वायरस और मैलवेयर को डिलीट कर उनके कंप्यूटर तथा उपकरणों को साफ करता है। सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता परियोजना (ISEA) सुरक्षा के क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने और अनुसंधान, शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करने से संबंधित है। दूसरी ओर राष्ट्रीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) सभी साइबर सुरक्षा प्रयासों, आपातकालीन प्रतिक्रियाओं और संकट प्रबंधन के समन्वय के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है। भारत सरकार ने अति-संवेदनशील सूचनाओं के संरक्षण के लिये ‘राष्ट्रीय अतिसंवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (National Critical Information Infrastructure Protection Centre-NCIIPC) का गठन किया है। NCIIPC को भारत के महत्त्वपूर्ण सूचना बुनियादी ढाँचे को सुरक्षित करने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत स्थापित किया गया था। यह अधिनियम कंप्यूटर, कंप्यूटर सिस्टम, कंप्यूटर नेटवर्क और इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में डेटा और सूचना के उपयोग को नियंत्रित करता है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की गई पहलें

चूंकि साइबर अपराध एक वैश्विक समस्या है इसलिए इसका समाधान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किये गए प्रयासों से ही संभव है। अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो दूरसंचार और साइबर सुरक्षा मुद्दों के मानकीकरण तथा विकास में अग्रणी भूमिका निभाती है। इसके अलावा बुडापेस्ट कन्वेंशन साइबर क्राइम पर एक कन्वेंशन है, जिसे साइबर अपराध पर बुडापेस्ट कन्वेंशन या बुडापेस्ट कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है। यह अपनी तरह की पहली ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय कानूनों को सुव्यवस्थित कर जाँच-पड़ताल की तकनीकों में सुधार करने तथा इस संबंध में विश्व के अन्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने हेतु इंटरनेट और कंप्यूटर अपराधों पर रोक लगाने की मांग की गई है। यह 1 जुलाई, 2004 को लागू हुआ, हालांकि भारत इस सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं है। इस संबंध में इंटरनेट गवर्नेंस फोरम इंटरनेट गवर्नेंस डिबेट पर सभी हितधारकों यानी सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को एक साथ लाता है। जो वैश्विक साइबर खतरों के प्रतिरोध में एक महत्वपूर्ण एजेंसी है।

सेबी: चेयरमैन, प्रबंध निदेशक की भूमिका अलग करने से कमजोर नहीं होगी प्रवर्तकों की स्थिति

सेबी

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों (सीएमडी) की भूमिका को अलग-अलग करने के नए ढांचे का मकसद प्रवर्तकों की स्थिति को कमजोर करना नहीं है। सेबी के प्रमुख अजय त्यागी ने मंगलवार को कहा कि इस नई व्यवस्था से सूचीबद्ध कंपनियों के कामकाज वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? के संचालन के ढांचे में सुधार लाने में मदद मिलेगी।

त्यागी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कॉरपोरेट गवर्नेंस पर आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इससे किसी एक व्यक्ति के पास बहुत अधिक अधिकारों को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भूमिकाओं को अलग करने से संचालन का ढांचा अधिक बेहतर और संतुलित हो सकेगा।

साइबर इंश्योरेंस प्लान लेते वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? हुए किन बातों का रखें ध्यान?

साइबर इंश्योरेंस प्लान लेते हुए किन बातों का रखें ध्यान?

इस तरह की पॉलिसी खरीदने से पहले कुछ चीजों पर ध्यान देना जरूरी है. पहला, प्लान में क्या-क्या चीजें कवर हैं. दूसरा, सब-लिमिट क्या है. तीसरा, आर्थिक नुकसान होने पर किन क्लॉज के तहत क्लेम किया जा सकता है.

क्या है कवर?
इस बात पर करीब से नजर रखनी चाहिए. पॉलिसी में क्या कुछ कवर है, इसे कर्इ प्लान क्लॉज के तहत लेते हैं. जबकि कर्इ अन्य इसे 'लिमिट ऑफ लायबिलिटी' कहते हैं. साइबर सिक्योरिटी में एक महत्वपूर्ण चीज मालवेयर है. कुछ प्लान इसे वैकल्पिक कवर के तौर पर देते हैं.

बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस में चीफ टेक्निकल ऑफिसर शशिकुमार आदिदमु कहते हैं, "मालवेयर खतरे से सुरक्षा महत्वपूर्ण वित्तीय बाजारों में स्पूफिंग क्या है? है. विश्वसनीय साइटों से ही डाउनलोड करने की आदत अपनाने से इसका खतरा कम हो जाता है."

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