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इस प्रकार जब सरकार देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ाना चाहती है तो साइबर अपराधी भी इस मौके से फायदा उठाना चाहते हैं. देश में रोजाना इन्टरनेट बैंकिंग के माध्यम से होने वाले फ्रॉड की घटनाएँ (चाहे वे चीन से SBI के खातों से रुपये निकालने की घटना हो या लोगों को कॉल करके पिन नम्बर मांगने की घटनाएँ) बढती जा रही हैं. इस प्रकार के माहौल में भारत के केन्द्रीय बैंक ने कमर्शियल बैंकों के लिए नये दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं ताकि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सके.
RBI के नये नियम से बैंक फ्रॉड की कितनी राशि ग्राहकों को वापस मिलेगी
भारतीय रिज़र्व बैंक के नये दिशा निर्देशों के अनुसार यदि कोई ग्राहक ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड या इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों का उपयोग करते हुए स्टोर्स में फेस-टू-फेस लेनदेन फ्रॉड (जैसे कार्ड को क्लोन करना) का शिकार होता है और वह इस फ्रॉड की सूचना सम्बंधित बैंक को फ्रॉड होने की तिथि से तीन दिन के अन्दर दे देता है तो उसे कोई वित्तीय नुकसान नही होगा अर्थात पूरा पैसा बैंक द्वारा ग्राहक को लौटाया जायेगा.
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण (2017-18) में इस वर्ष कहा था कि, "यूपीआई, यूएसएसडी, आधार, आईएमपीएस और डेबिट कार्ड के डिजिटल माध्यम से लेनदेन का लक्ष्य 2,500 करोड़ रखा गया है. भारत में वर्ष 2016 में 1512 करोड़ रुपये का डिजिटल लेनदेन हुआ था. नोटबंदी के समय नवम्बर 2016 से जनवरी 2017 तक देश में डिजिटल लेनदेन का आकार 1560 करोड़ का हो गया था और इस अवधि में देश में 545 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए थे जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 38% अधिक है.
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इस प्रकार जब सरकार देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ाना चाहती है तो साइबर अपराधी भी इस मौके से फायदा उठाना चाहते हैं. देश में रोजाना इन्टरनेट बैंकिंग के माध्यम से होने वाले फ्रॉड की घटनाएँ (चाहे वे चीन से SBI के खातों से रुपये निकालने की घटना हो या लोगों को कॉल करके पिन नम्बर मांगने की घटनाएँ) बढती जा रही हैं. इस प्रकार के माहौल में भारत के केन्द्रीय बैंक ने कमर्शियल बैंकों के लिए नये दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं ताकि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सके.
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भारतीय रिज़र्व बैंक के नये दिशा निर्देशों के अनुसार यदि कोई ग्राहक ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड या इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों का उपयोग करते हुए स्टोर्स में फेस-टू-फेस लेनदेन फ्रॉड (जैसे कार्ड को क्लोन करना) का शिकार होता है और वह इस फ्रॉड की सूचना सम्बंधित बैंक को फ्रॉड होने की तिथि से तीन दिन के अन्दर दे देता है तो उसे कोई वित्तीय नुकसान नही होगा. अर्थात रिजर्व बैंक ने ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड से ग्राहकों को बचाने की दिशा में पहल करते हुए ग्राहकों के लिए “शून्य जवाबदेही” की नीति बनायी है.
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रिजर्व बैंक पहले ही 31 दिसंबर 2018 तक मैग्नेटिक स्ट्रिप आधारित तमाम कार्डों का प्रचलन बंद करने का निर्देश दे चुका है. अब तक प्रचलित डेबिट या क्रेडिट कार्ड को क्लोन करना बेहद आसान है. भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल के दिनों में ग्राहकों की सुरक्षा के लिए एटीएम कार्ड को चिप-आधारित बनाने जैसे कई कदम उठाए हैं.
शून्य जवाबदेही में क्या क्या शामिल है?
1. अगर कोई बैंक फ्रॉड, किसी तीसरे पक्ष (third party breach) के द्वारा हुआ है जिसमे “बैंक” शामिल नही है तो ग्राहक को कोई नुकसान नही होगा यदि उसने अनधिकृत लेनदेन के संबंध तीन कार्य दिवसों के अन्दर बैंक को सूचित कर दिया है. अनधिकृत लेनदेन का समय उस समय से गिना जायेगा जब ग्राहक को इसकी सूचना मेसेज या ईमेल में माध्यम से मिलती है.
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2. जो फ्रॉड ग्राहक की लापरवाही से हुआ है जैसे 'किसी अनजान को पासवर्ड बताना' तो इस दशा में नुकसान की पूरी जिम्मेदारी तब तक ग्राहक की होगी जब तक कि वह बैंक को सूचना नही दे देता है. यदि बैंक को सूचना देने के बाद भी फ्रॉड होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी बैंक पर होगी.
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3. यदि कोई फ्रॉड किसी तीसरी पार्टी ने किया है और ग्राहक ने 3 दिनों के अन्दर बैंक को इस सम्बन्ध में कोई सूचना नही दी है और 4 से 7 दिन के अन्दर बैंक को सूचना दी है तो इस सम्बन्ध में बुनियादी बचत बैंक खाता (basic savings bank account) के लिए अधिकत्तम 5000 रुपये का नुकसान ग्राहक को खुद उठाना पड़ेगा. लेकिन यदि कोई अन्य प्रकार का करंट अकाउंट होने के बेनीफिट खाता है (जैसे 5 लाख तक की क्रेडिट लिमिट वाला क्रेडिट कार्ड, 25 लाख तक के बैलेंस वाला करंट अकाउंट और ओवरड्राफ्ट अकाउंट) तो नुकसान की राशि बढ़कर 10000 रुपये हो जाएगी. यदि कोई ग्राहक 7 दिनों के बाद बैंक को सूचना देता है तो उसे कितना रुपया वापस किया जायेगा इसका निर्धारण बैंक की एक समिति द्वारा किया जायेगा.
4. पांच लाख रुपये से ऊपर की सीमा वाले क्रेडिट कार्ड, 25 लाख रुपये से ऊपर के करंट अकाउंट और ओवरड्राफ्ट खातों में फ्रॉड होने पर ग्राहक को अधिकत्तम 25,000 रुपये का नुकसान होगा.
ग्राहक को शून्य जवाबदेही का लाभ तभी मिलेगा जब
1. बैंक की लापरवाही की वजह से फ्रॉड होता है.
2. यदि किसी तीसरी पार्टी द्वारा बैंक की भागीदारी के बिना फ्रॉड किया जाता है. लेकिन यदि इस प्रकार के फ्रॉड की रिपोर्ट बैंक के पास तीन कार्यकारी दिनों में अन्दर कर दी जाती है.
इस प्रकार उपर्युक्त लेख में हमने पढ़ा कि किस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक ने ग्राहकों के हितों की रक्षा करते हुए फ्रॉड की सारी जिम्मेदारी बैंकों के ऊपर डाल दी है. अब बैंकों के लिए शिकायत की प्राप्ति की सूचना ग्राहक को देना अनिवार्य होगा. इसके अलावा उसे दस दिनों के भीतर ग्राहक के खाते में धोखाधड़ी वाली रकम वापस करनी होगी. बैंकों से ग्राहकों को वेबसाइट, ईमेल, आईवीआरएस और टोल-फ्री फोन नंबर का विकल्प देने को कहा गया है ताकि वह शीघ्र अपने साथ हुई धोखाधड़ी की सूचना बैंक को दे सके.
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Student Bank Account: अपने लाडले का बैंक खाता खुलवाते वक्त ध्यान में रखें ये बातें, Loan पर भी मिलेगा फायदे का सौदा
Bank Account: स्टूडेंट बैंक अकाउंट के कई फायदे भी हैं. स्टूडेंट बैंक अकाउंट आसानी से खोले जा सकते हैं. इसके अलावा डिजिटल लेनदेन और छात्रवृत्ति पर ब्याज मुक्त लोन, मुफ्त भत्तों और छूट आदि हासिल किए जा सकते हैं.
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Education Loan: ज्यादातर बच्चे अपना पैसा सुरक्षित रखने के लिए गुल्लक का इस्तेमाल करते हैं. वो अपना पैसा इकट्ठा करते हैं और गुल्लक में डाल देते हैं. हालांकि जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है तो उसको हायर एजुकेशन की भी जरूरत होती है. वहीं उस दौरान कई ऐसे मौके भी आते हैं जब बच्चों को बैंक अकाउंट की जरूरत महसूस होती है. ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों का स्टूडेंट बैंक अकाउंट खुलवाने पर ध्यान देना चाहिए. Student Bank Account के कुछ फायदे भी हैं.
स्टूडेंट बैंक अकाउंट
स्टूडेंट बैंक अकाउंट सामान्य सेविंग अकाउंट (Saving Account) से काफी अलग है. दरअसल, सेविंग बैंक अकाउंट में लोगों को मिनिमम राशि को मेंटेन रखना होता है. हालांकि स्टूडेंट बैंक अकाउंट में ऐसा कुछ नहीं होता है. स्टूडेंट बैंक अकाउंट जीरो बैलेंस पर कार्य करते हैं. इसके साथ ही ज्यादातर स्टूडेंट बैंक अकाउंट बिना किसी मासिक शुल्क या विभिन्न बैंक के एटीएम के उपयोग पर किसी अतिरिक्त शुल्क के खोले जाते हैं.
आसानी से खुलता है अकाउंट
स्टूडेंट बैंक अकाउंट के कई फायदे भी हैं. स्टूडेंट बैंक अकाउंट आसानी से खोले जा सकते हैं. इसके अलावा डिजिटल लेनदेन और छात्रवृत्ति पर ब्याज मुक्त लोन, मुफ्त भत्तों और छूट आदि हासिल किए जा सकते हैं.
भारत में Student Bank Account के फायदे
1. बिना किसी लागत के सरल सेटअप
2. सहज बैंकिंग
3. डिजिटल बैंकिंग लेनदेन
4. लोन के लिए ब्याज मुक्त प्रावधान
5. शैक्षिक अनुदान प्राप्त करने में सहायक
6. मुफ्त पुरस्कार और सुविधाएं
7. छूट का लाभ
8. बैंक में डिपोजिट पैसे पर ब्याज का लाभ
9. बचत खाते में बदलने का विकल्प
जानिए कितनी तरह के होते हैं Savings Account, अपने फायदे के अनुसार करें सिलेक्ट
आजकल अधिकांश लोगों के सेविंग अकाउंट जरूर होते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि Savings Account भी कई तरह के होते हैं और खाताधारक अपनी जरूरत के हिसाब से अपना सेविंग अकाउंट खोल सकता है। दरअसल हर व्यक्ति अपनी जरूरत के हिसाब से अलग-अलग Savings Account खोल सकता हैं। कामकाजी लोगों के लिए अलग सेविंग अकाउंट है, बुजुर्गों के लिए अलग, महिलाओं के लिए अलग और बच्चों के लिए अलग। बैंकों में कुल मिलाकर 6 तरह के Savings Account होते हैं। यहां जानें इसके बारे में विस्तार से -
इस Savings Account को कुछ बुनियादी शर्तों पर खोला जाता है। इस प्रकार के खाते में किसी निश्चित राशि का कोई नियमित जमा नहीं होता है, इसका उपयोग एक सुरक्षित खाते की तरह किया जा सकता है, जहां आप अपना पैसा ही रख सकते हैं। इसमें मिनिमम बैलेंस की शर्त भी है।
ऐसे खाते बैंकों द्वारा कंपनियों की ओर से अपने कर्मचारियों के लिए खोले जाते हैं। बैंक इस प्रकार के खाते के लिए ब्याज देते हैं। इसका उपयोग कर्मचारियों को वेतन देने के लिए किया जाता है। जब भी वेतन देने का समय आता है तो बैंक कंपनी के खाते से पैसे निकाल कर कर्मचारियों के खाते में डाल देता है। इस प्रकार के खाते के लिए कोई न्यूनतम शेष राशि की शर्त नहीं है। अगर 3 महीने तक वेतन नहीं मिलता है तो वह नियमित बचत खाते में बदल जाता है।
इस तरह के सेविंग अकाउंट में बचत और चालू खाते दोनों की विशेषताएं होती हैं। इसमें निकासी की सीमा होती है। इस प्रकार के बैंक खाते से खाताधारक तय सीमा से अधिक पैसे नहीं निकाल सकते हैं, लेकिन बैलेंस कम होने पर पेनाल्टी नहीं लगती है।
यह सेविंग अकाउंट बच्चों के लिए खोला जाता है। इसमें मिनिमम बैलेंस की कोई जरूरत नहीं है। यह बचत खाता बच्चों की शिक्षा के लिए उनकी बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए है। इस प्रकार का बैंक खाता कानूनी अभिभावक की देखरेख में ही खोला और संचालित किया जाता है। जब बच्चा 10 साल का हो जाता है, तो वह अपना खाता संचालित कर सकता है। जब बच्चा 18 साल का हो जाता है, तो उसे नियमित बचत खाते में बदल दिया जाता है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए खोला जाने वाला यह एक नियमित Savings Account है, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों को नियमित Savings Account की तुलना में अधिक ब्याज दर मिलती है। इसलिए वरिष्ठ नागरिकों को यह Savings Account केवल इसलिए खोलना चाहिए क्योंकि इसमें ब्याज अधिक होता है। यह बैंक खाता वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजनाओं से भी जुड़ा हुआ है, जिससे पेंशन निधि या सेवानिवृत्ति खातों से धन की निकासी की जाती है और जरूरतें पूरी होती हैं।
ऐसे बैंक खाते विशेष रूप से महिलाओं के लिए खोले जाते हैं। इन खातों में कई तरह की सुविधाएं दी जाती है। महिलाओं को ऋण पर करंट अकाउंट होने के बेनीफिट कम ब्याज, डीमैट खाते खोलने पर मुफ्त शुल्क और विभिन्न प्रकार की खरीद पर छूट की पेशकश की जाती है। साथ ही सरकार की ओर से महिलाओं के लिए चलाई जा रही लोक कल्याणकारी योजनाओं की मदद राशि भी इन्ही खातों में जमा की जाती है।
Credit Card UPI Linking: क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक कर के आपको कैसे होगा फायदा? जानिए किसकी होगी चांदी कौन झेलेगा नुकसान!
Credit Card UPI Linking: आज के दौर में यूपीआई भुगतान का बहुत ही अहम तरीका बन गया है। ऐसे में रिजर्व बैंक ने अब क्रेडिट कार्ड से भी यूपीआई भुगतान की सुविधा शुरू करने का फैसला किया है। इसकी शुरुआत अभी रूपे क्रेडिट कार्ड (Rupay Credit Card) से की जाएगी। मौजूदा समय में यूपीआई का इस्तेमाल सेविंग्स और करंट अकाउंट के डेबिट कार्ड के जरिए लिंक करके किया जाता था।
Credit Card UPI Linking: क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक कर के आपको कैसे होगा फायदा? जानिए किसकी होगी चांदी कौन झेलेगा नुकसान!
आपको इससे कैसे होगा फायदा?
अभी तक यूपीआई से भुगतान सिर्फ बैंक खातों से होता था। यानी आपके खाते में जितने पैसे होते थे, आप सिर्फ उतना ही पैसा खर्च कर पाते थे। अब क्रेडिट कार्ड को भी यूपीआई से साथ लिंक किया जा सकेगा। ऐसे में आप अपने क्रेडिट कार्ड से यूपीआई का इस्तेमाल कर के भुगतान कर सकेंगे। यानी आपके खाते में पैसे नहीं हैं तो भी आप यूपीआई से खर्च कर पाएंगे। क्रेडिट कार्ड से पैसे खर्च करने पर आपको 45-50 दिन तक उसे चुकाने का समय मिलता है। हर जगह यूपीआई का इस्तेमाल हो जाता है, लेकिन हर जगह क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल नहीं हो पाता। यानी देखा जाए तो ग्राहकों को सरकार के इस कदम से फायदा होगा।
सबसे अधिक फायदा किसे होगा?
भले ही यूपीआई से क्रेडिट कार्ड लिंक होने से आपको खूब फायदा होता दिख रहा हो, लेकिन सबसे ज्यादा फायदा बैंक और सरकार को होगा। अभी तक तमाम बैंकों को फिनटेक लेंडर्स जैसे फोन पे, गूगल पे के साथ काम करना पड़ रहा है, लेकिन इस कदम के बाद सब बदल सकता है। बैंक अब सीधे ग्राहकों को रूपे क्रेडिट कार्ड के जरिए कुछ लिमिट ऑफर कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर सरकारी संस्था एनपीसीआई को करंट अकाउंट होने के बेनीफिट इंटरचेंज चार्ज (मर्चेंट की तरफ से दी जाने वाली कार्ड ट्रांजेक्शन फीस) मिलेगा, जिससे उनकी भी खूब कमाई होगी।
क्या ये यूपीआई के जरिए कर्ज देने का तरीका है?
यूपीआई से क्रेडिट कार्ड को लिंक कराने की मांग काफी समय से की जा रही थी। बैंकिंग इंडस्ट्री के साथ-साथ एनपीसीआई भी इसकी मांग कर रहा था। एनपीसीआई के एक अधिकारी ने कहा था कि मौजूदा समय में 'बाई नाउ पे लेटर' वाली सुविधा रेगुलेशन से बाहर है, जिससे इकनॉमिक ईकोसिस्टम को खतरा हो सकता है। अभी तक नॉन-बैंकिंग कंपनियां ये सुविधा दे रही थीं, लेकिन अब क्रेडिट कार्ड के यूपीआई से लिंक होने के करंट अकाउंट होने के बेनीफिट चलते यह सब बंद हो जाएगा। इससे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल भी अब बहुत अधिक बढ़ेगा। सरकार के रूपे प्लेटफॉर्म पर अब तेजी से क्रेडिट कार्ड बढ़ सकते हैं, जिससे रूपे को अमेरिकी कार्ड कंपनियों जैसे वीजा और मास्टरकार्ड से टक्कर लेने में मदद मिलेगी।
क्या इसे स्वीकार करना एक चुनौती होगी?
मौजूदा समय में यूपीआई भुगतान पर मर्चेंट्स को कोई भी चार्ज नहीं चुकाना होता है। वहीं क्रेडिट कार्ड से होने वाली ट्रांजेक्शन पर इंटरचेंज फीस लगती है। नई व्यवस्था में जब यूपीआई का इस्तेमाल करते हुए क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन होगा, तो मर्चेंट्स को यह फीस चुकानी पड़ेगी। ऐसे में मर्चेंट अपना करंट अकाउंट होने के बेनीफिट मुनाफा घटाने और एक फीस चुकाने के लिए तैयार नहीं होंगे। रूपे क्रेडिट कार्ड पर 2 फीसदी तक इंटरचेंज चार्ज लगता है। ऐसे में एक खतरा ये भी है कि बहुत सारे छोटे मर्चेंट यानी दुकानदार यूपीआई की इस नई व्यवस्था को स्वीकार ना करें। उस स्थिति में या तो वह कैश लेना पसंद करेंगे या फिर बैंक खाते से यूपीआई के जरिए ट्रांजेक्शन चाहेंगे।
कब से शुरू होगी ये नई व्यवस्था?
यूपीआई पर 2018 में ही ओवरड्राफ्ट की सुविधा शुरू की गई थी। यह अभी तक टेकऑफ नहीं कर पाई है। पेमेंट फर्म्स ने ऐसी ट्रांजेक्शन को ब्लॉक कर दिया था, क्योंकि उन पर इंटरचेंज चार्ज लग रहा था। ऐसे में माना जा रहा है कि क्रेडिट कार्ड को भी यूपीआई से साथ जोड़ना आसान नहीं होगा। पहले रिजर्व बैंक की तरफ से एनपीसीआई को एक सर्कुलर जारी होगा, जिसके बाद इसे लेकर गाइडलाइंस जारी होंगी। इसके बाद टेक्नोलॉजी वाले हिस्से को देखा जाएगा और फिर इसके बिजनस मॉडल पर भी विचार होगा। यानी इस नई व्यवस्था को पूरी तरह से लागू होने में 6-12 महीने तक का समय लग सकता है।
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